Chhapra (H.K.Verma): With the help of IIT Kanpur altogether 700 students along with forty Assistant Professors of Chhapra based Lok Nayak  Jay Prakash Institute of Technology (LNJPIT) were provided software training between July 8-20 on its premises.

While talking to this Correspondent Prof. Sudhir Kumar Pandey, Program Coordinator said on Friday that during six week marathon software training schedule the participants were professionally trained up in different  Computer languages like machine learning, MATLAB (Matrix Laboratory) Python, Android, Jawa, cyber security, C &C++(High Level Programming language), Ansys etc. Expressing his gratitude towards the Principal Prof. Sreenarain Sharma for his untiring efforts in getting this proposal approved by the Department of Science and technology (DST), Government of Bihar, Prof. Pandey recalled the statement by Sanjeev Kumar, IAS, Director of the DST  during online  review meeting,  and  said that the director stressed the necessity of such training saying “The conventional engineering education needs to be reinforced  by incorporating the essence of software skills along with hardware implementation so that the graduating engineering students be able  to excel in accordance with the highly competitive global and industrial requirements.
     

 During the valedictory function, the Principal Prof. Sharma expressed his gratitude to IIT, Kanpur and members of the Coordination Committee for imparting such wonderful training to the students of this Institute. He said

“In most of the cases it becomes impossible to get the analytical solution of a real world complex in physical and engineering systems, in such a situation we resort to statistical and numerical methods which need severe calculations overloads. But the computer programming based approach paves the way for handling such numerical complexes”.

The Principal further said that during COVID lockdown period, this institute has been organizing online academic sessions for the benefits of the academic and research community. He also encouraged the members of the Coordination Committee for their relentless efforts in organizing this program.

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Patna: राज्य के चार लाख शिक्षकों को सरकार चुनावी तोहफ़ा देने की तैयारी में है. शिक्षकों की लंबित सेवा शर्त निर्माण कार्य मे तेजी आई है. सेवाशर्त में कई ऐसे अहम बिंदु है जो शिक्षकों के लाभदायक साबित हो सकते है. हालांकि सरकार अब भी समान काम समान वेतन देने के मूड में नही है. बावजूद इसके चुनाव वर्ष में अंत समय मे सरकार शिक्षकों को खुश करने के लिए घोषणा कर अपने पक्ष में करने की तैयारी में भी है.

शिक्षकों अपनी मांगों को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके है लेकिन सरकार भी अपनी बातों पर कायम है. चुनावी वर्ष में एक बार फिर नियोजित शिक्षकों का मुद्दा सरकार के लिए अहम दिख रहा है. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए वर्षो से लंबित सेवाशर्त कमिटी को पुनर्गठन किया गया. साथ ही पुनर्गठित कमिटी की बैठक भी हुई. जिसमे जल्द से जल्द शिक्षकों की सेवाशर्त की ड्राफ्टिंग तथा सरकार से अनुमोदन करने की सक्रियता दिख रही है.

सूत्रों की माने तो सरकार नियोजित शिक्षकों की नियमितीकरण को छोड़कर अन्य मुद्दों पर सेवाशर्त की तैयारी में है. सबसे अहम मुद्दा स्थानान्तरण का है जो पूर्ण हो सकता है. हालांकि स्थानांतरण की प्रक्रिया को लेकर नियोजन नियमावली में संशोधन की जरूरत पड़ेगी.लेकिन गठित कमिटी इसपर केंद्रित है. सूत्रों के अनुसार जिला स्तर पर एक नियोजन कमिटी कर जिले के अंदर स्थानांतरण की तैयारी में है.

वही शिक्षकों को एसीपी और सेवांत लाभ भी देने की तैयारी में सरकार जुटी है. इसके अलावे ईपीएफ, ग्रेच्युटी, ग्रुप इंसोरेंस सहित प्रोन्नति के अवसर प्रदान करने के लिए भी कमिटी द्वारा सेवाशर्त में समाहित किया जा रहा है. सरकार की नई कमिटी इस तैयारी में है कि जल्द से जल्द इस सेवाशर्त को अंतिम रूप दिया जा सकें. वही विश्वस्त सूत्रों के अनुसार यह तय माना जा रहा है कि नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्त को 15 अगस्त के दिन सरकार घोषणा कर सकती है.

बहरहाल यह सरकार की नीति है. चुनावी माहौल में शिक्षकों को क्या मिलेगा और नही मिलेगा जिसपर अंतिम निर्धारण सेवाशर्त प्रकाशन के बाद ही मालूम चलेगा.लेकिन इतना तय है कि सरकार 2015 की तरह 2020 में भी नियोजित शिक्षकों के लिए चुनावी घोषणा कर खुश करने की तैयारी में है. राज्य में करीब 4 लाख शिक्षकों की संख्या है और इन 4 लाख शिक्षकों पर 15 से 20 लाख लोग आश्रित है. इस संख्या बल के आधार पर चुनाव वोटिंग में इनका अहम योगदान रहता है.

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Chhapra: जयप्रकाश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव, बिहार शिक्षा मंच के संयोजक तथा सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के जुझारू प्रत्याशी प्रो रणजीत कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ईमेल से पत्र भेजकर माँग किया है कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के लिए लागू पुरानी सेवा शर्त से आच्छादित किया जाए।

नियोजन नियमावली में सुधार समस्या का स्थायी समाधान नहीं है और शिक्षक सरकार के इस कवायद से संतुष्ट होने वाले नहीं हैं। विदित हो कि नियोजित शिक्षकों के सेवा शर्त निर्धारण हेतु सरकार ने 11 अगस्त 2015 को एक उच्च स्तरीय कमिटी बनाई थी लेकिन 5 साल तक इस कमिटी की कोई बैठक ही नहीं हुई।

विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर सरकार ने पुरानी कमिटी को भंग कर नियोजित शिक्षकों के सेवा शर्त में सुधार हेतु 2 जुलाई 2020 को एक नई कमिटी बना दी जिसकी एक बैठक हो चुकी है।

कमिटी को तीन माह के अंदर अपना प्रतिवेदन समर्पित करना है। विदित हो कि बिहार के 4 लाख प्राथमिक एवम माध्यमिक नियोजित शिक्षक अपनी वाजिब मांगो की पूर्ति हेतु क्रमशः 17 एवम 25 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहे और कोरोना महामारी के मद्देनजर सरकार के साथ एक समझौते के तहत 4 मई 2020 से पुनः अपने कर्तव्य पर लौट गए।

नियोजित शिक्षकों की मूल मांग वाजिब वेतनमान एवम पुरानी सेवा शर्त को लागू करने संबंधी है।वर्तमान समय में जो नियोजन नियमावली लागू है वह पूरी तरह से शिक्षक विरोधी एवम अपमानजनक है। नियोजित शिक्षकों को न वाजिब वेतनमान मिल रहा है, न पेंशन की सुविधा है, न सेवांत लाभ का प्रावधान है, न प्रोन्नति की गुंजाइश है, न राज्यकर्मी का दर्जा हासिल है, न अंतरजिला स्थानांतरण का प्रावधान है।नियोजित शिक्षक उपार्जित अवकाश, सेवा निरंतरता, सवैतनिक अध्ययन अवकाश, भविष्य निधि कटौती जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं।कुल मिलाकर 60 साल तक की उम्र तक सेवा देकर खाली हाथ घर जाना नियोजित शिक्षकों की नियति बन गई है। ऊपर से ‘नियोजित’ शब्द शिक्षकों के सामाजिक मान-सम्मान को भी धूल धूसरित कर रहा है। क्या इस तरह की सेवा-दशा एवम हालात में कोई मेधावी छात्र-छात्रा शिक्षक बनना चाहेंगे और जब मेधावी लोग शिक्षक नहीं बनेगें तो गाँव -गरीब के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की सरकारी नीति एवम दावे काक्या होगा?

विदित हो कि नियोजन नियमावली में सुधार हेतु शिक्षकों ने आंदोलन नहीं किया था। उन्होंने वेतनमान और पुरानी सेवा शर्त लागू करने हेतु अनिश्चितकालीन हड़ताल किया था। इसलिए नियोजन नियमावली में सुधार से शिक्षक कदापि संतुष्ट होने वाले नहीं हैं। ऐसे भी बिहार में शिक्षा एवम शिक्षक पूरी तरह से हाशिए पर हैं। यदि सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु गंभीर है, मेधावी लोगों को शिक्षण पेशा के प्रति आकर्षित करना चाहती है तो नियोजित शिक्षकों को भी उन सभी सुविधाओं एवम लाभों से आच्छादित करना ही होगा जो पुराने नियमित शिक्षकों को हासिल है। आपकी सरकार ने संस्कृत एवम मदरसा के शिक्षकों को वेतनमान का लाभ देकर नेक काम किया है लेकिन नियोजित शिक्षकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार समझ से परे है। निराशाजनक कार्य-दशा में टूटे दिल से, कुंठित अवसादग्रस्त मन से शिक्षकों द्वारा छात्रों को सर्वोत्तम देने की अपेक्षा करना दिन में तारे देखने के समान है।विकसित बिहार बनाने के लिए शिक्षा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन की दरकार है और ऐसा तभी सम्भव है जब सरकार शिक्षकों को उसका वाजिब हक हकूक दे और खोया हुआ मान-सम्मान पुनर्प्रतिष्ठित करे।इसके लिए जरूरी है कि नियोजन नियमावली में सुधार के स्थान पर पुरानी सेवाशर्त से ही नियोजित शिक्षकों को भी आच्छादित किया जाए जिसमें सहायक शिक्षक व राज्यकर्मी का दर्जा,अंतरजिला स्थानांतरण की सुविधा, सेवांत लाभ, सावधिक प्रोन्नति, सेवा निरंतरता का लाभ, उपार्जित अवकाश की सुविधा, सवैतनिक अध्ययन अवकाश का नियम, भविष्य निधि कटौती जैसे प्रावधान शामिल हो।गौरतलब है कि विगत 15 बरसों से आपको सत्ता शीर्ष पर बनाये रखने में 4 लाख नियोजित शिक्षकों और उनके बंधु-बान्धवों की भी महती भूमिका रही है इसलिए न्याय के साथ सबका साथ सबका विकास के क्रम में नियोजित शिक्षकों को भी उनका वाजिब अधिकार मिलना ही चाहिए।

वक्त की नजाकत को समझते हुए सरकार को शिक्षकों की समस्याओं के स्थायी निदान हेतु ठोस एवम निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है।प्रो कुमार ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि पुनर्गठित सेवा शर्त सुधार कमिटी को निदेशित किया जाए कि नियोजित शिक्षकों को भी पुरानी सेवाशर्त से आच्छादित किया जाए। यदि मुख्यमंत्री शिक्षा एवम शिक्षक हित में इस तरह का निर्णय लेते हैं तो उन्हें सियासी लाभ तो मिलेगा ही, इतिहास में भी उनका नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा।

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Chhapra: शहर के भरत मिलाप चौक स्थित शारदा क्लासेस में 27 जुलाई से वर्ग 11वीं की पढाई के लिये बैच चालू किया जाएगा. कोरोना संकट को देखते हुए अभी ये पढाई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर हीं करायी जायेगी.

इस बारे मे बात करते हुए संस्था के निदेशक सिद्धार्थ सिंह ने बताया की विद्यार्थी इन प्रतिकूल समय में भी सफलता के अवसर खोज सकते हैं. अमूमन बाहर जाने वाले छात्रों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. घर पे पढाई करने वाले छात्रों को अभिभावकों का मानसिक समर्थन प्राप्त होता है. जिससे उनको अच्छा परिणाम प्राप्त होता है.

वेबसाइट और गूगल मीट के जरिये शुरू होगी पढ़ाई
इस बात को ध्यान में रखते हुए संस्था ने एक ऐसा सिस्टम बनाया है जो छात्रों को उनकी प्रतिभा का समुचित परिणाम प्राप्त करने मे मदद करे. शिक्षक, रोज वेबसाइट पर वीडियो लेक्चर डालते हैं. छात्र उन वीडियोज़ को देखते हैं. लेक्चर में आने वाली दिक्कतो के समाधान के लिये गूगल मीट पर रोज शिक्षक और छात्र वीडियो कॉल के माध्यम से चर्चा करते हैं. डाउट्स का समाधान हो जाने के बाद छात्र होमवर्क को करते हैं. वेबसाइट पर हीं नियमित रूप से छात्रों का टेस्ट भी लिया जाता है ताकी वो अपने तैयारी का सही आंकलन कर सकें.

बाहर जाने वालों से बेहतर है यहां का प्रदर्शन
इस तरह से अभिभावकों के संरक्षण तथा फैकल्टी के मार्गदर्शन मे छात्र अपने भविष्य को आकार देते हैं.

गौरतलब है की शारदा क्लासेस का ये लक्ष्य है की उच्च स्तर की शिक्षा के तलाश मे बच्चों को छपरा के बाहर ना जाना पड़े. संस्था के छात्र हर साल घर पर हीं रह कर बोर्ड, आईआईटी और मैडिकल की परीक्षा में बाहर जाने वाले बच्चों की अपेक्षा ज्यादा अच्छा परिणाम प्राप्त करते हैं. इस वर्ष के वर्ग XII के रिजल्ट मे संस्था की छात्रा कशिश ने 97.2 प्रतिशत अंक ला कर संस्था का नाम रौशन किया था.

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इसुआपुर: प्रखंड क्षेत्र के 96 विद्यालयों में नामांकन पखवाड़ा के दौरान 3525 अनामांकित बच्चों का नामांकन किया गया. नामांकन पखवाड़ा को लेकर जानकारी देते हुए केआरपी संतोष कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग के निर्देश पर पूरे प्रखंड क्षेत्र के विद्यालयों में नामांकन पखवाड़ा चलाया गया. एक जुलाई से 15 जुलाई तक चलाये गए इस नामांकन पखवाड़ा में विद्यालय के शिक्षकों एवं टोला सेवक तालीमी मरकज़ शिक्षा सेवकों द्वारा डोर टू डोर सर्वेक्षण कर अनामांकित बच्चों का विद्यालयों में उम्र के अनुसार नामांकन किया गया.

चार कैटगरी में होना था सर्वेक्षण
शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार इस नामांकन पखवाड़ा में वैसे सभी बच्चों का नामांकन किया जाना था जो अनामांकित थे. इसके लिए चार कैटगरी निर्धारित थी जिसमे लॉकडाउन अवधि के दौरान दूसरे प्रदेशों से आने वाले, राज्य के विभिन्न जिलों से आने वाले, पोषक क्षेत्र के ही अनामांकित बच्चें तथा छिजित बच्चें शामिल थे.

प्रखंड में इतने बच्चों का हुआ नामांकन
श्री कुमार ने बताया कि नामांकन पखवाड़ा के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले 271, सूबे के विभिन्न जिलों से आने वाले 192 एवं पोषक क्षेत्र से आने वाले 3062 अनामांकित सहित कुल 3525 बच्चों का नामांकन विद्यालयों में किया गया. जिसमे 5 दिव्यांग बच्चें भी शामिल है.

नामांकन पखवाड़ा के दौरान बेहतर कार्य करने वाले विद्यालय एवं शिक्षकों के प्रति बीइओ अशोक कुमार सिंह, बीआरपी द्वारिका नाथ तिवारी, सीआरसीसी रंजीत रंजन सिंह, वीरेंद्र साह, दिलीप कुमार, संतोष सिंह, सुषमा कुमारी, रेयाज अहमद ने आभार जताया है. कोरोना त्रासदी ने भी शिक्षकों ने तन्मयता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया इसके लिए वह बधाई के पात्र है.

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मशरक: मशरक प्रखंड मुख्यालय स्थित केन्द्रीय विद्यालय के कुमार सौरभ ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद् नई दिल्ली द्वारा आयोजित 10वीं की परीक्षा में विद्यालय में 470 अंक के साथ द्वितीय स्थान प्राप्त कर अपने माता-पिता एवं विद्यालय का नाम रौशन किया है.

कुमार सौरभ रखता है शिक्षित परिवार से ताल्लुक
मशरक प्रखंड के मशरक बड़हिया टोला निवासी अभय कुमार और माता बबिता देवी के पुत्र कुमार सौरभ शिक्षित परिवार से ताल्लुक रखते हैं कुमार सौरभ के पिता पटना के पुलिस विभाग में सहायक अवर निरीक्षक के पद पर कार्यरत् हैं और मां मशरक में शिक्षिका के साथ-साथ एक कुशल गृहिणी की भूमिका भी निभाती हैं.

सफलता का श्रेय माता-पिता और शिक्षकों को दिया
कुमार सौरभ ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और विद्यालय के शिक्षकों को दिया है. कुमार सौरभ कहते हैं कि अगर हम ठान लें कि हमें यह करना है तो वह अवश्य ही पूरा होगा तथा मेरी सफलता का राज समय-सारणी से पढ़ना एवं कमजोर विषयों पर विशेष ध्यान देते हुए अध्ययन किया जाना है.

कुमार सौरभ चिकित्सक बनकर करना चाहते हैं देश एवं समाज की सेवा
कुमार सौरभ चिकित्सक बनकर देश एवं समाज की सेवा करना चाहते हैं.इसके लिए कुमार सौरभ पहले नीट की तैयारी करना भी चाहते हैं.

कुमार सौरभ के पांचों विषयों में हैं सम्मानपूर्ण अंक
केन्द्रीय विद्यालय,मशरक के छात्र कुमार सौरभ को पांचों विषयों में सम्मानपूर्ण अंक मिले हैं.कुमार सौरभ को हिन्दी में 96, अंग्रेजी 88, गणित में 99, विज्ञान में 90 तथा सामाजिक विज्ञान में 97 अंक प्राप्त हुए हैं. कुमार सौरभ ने कुल 94 प्रतिशत अंक प्राप्त कर केन्द्रीय विद्यालय मशरक में द्वितीय स्थान प्राप्त किया है.

बधाइयों का लगा तांता
केन्द्रीय विद्यालय के छात्र कुमार सौरभ द्वारा विद्यालय में द्वितीय स्थान प्राप्त करने पर विजय कृष्ण त्रिपाठी, दिनेश कुमार सिंह,पंकज कुमार सिंह संजय कुमार सिंह आदि ने बधाई दी है.

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Chhapra: सीबीएसई दिल्ली द्वारा दसवीं कक्षा का परीक्षा फल घोषित किया गया. विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी एसडीएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल छपरा के विद्यार्थियों का परीक्षा फल शानदार रहा है. मसूद आजम 94.6% अंक प्राप्त कर विद्यालय के टॉपर हुए हैं. 80% या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी हैं- अमित कुमार चौहान 93.6%, निधि तिवारी 89%, सुजल कुमार 89%, अजीत कुमार यादव 87.8%, अनामिका प्रियदर्शनी 87.6%, रमदान सिद्धकी 87.2%, प्रीति कुमारी 86.4%, माहएनूर 50.2%, कुमारी कल्याणी 84.6%, अभिजीत कुमार 83.4%, आदित्य कुमार सिंह 83.4%, खुशी कुमारी 82.2%, अनुराग कुमार 81.2%, आदित्य धनराज 80.4% और स्वधा नारायण 80%। 81 विद्यार्थियों को 70% से अधिक और 80% से कम अंक प्राप्त हुए हैं. विद्यार्थियों ने अपनी सफलता का श्रेय विद्यालय के अध्यापन एवं अनुशासन को दिया है.

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Chhapra: RDS PUBLIC SCHOOL के विद्यार्थियों ने CBSE बोर्ड परीक्षा 2020 में उच्च श्रेणी में उतीर्ण होकर विद्यालय परिवार एवं अपने माता पिता का नाम रौशन किया है. विद्यालय के छात्र वैभव राज ने 90.8%, अदिति 90.4%, आयुष 90.2, स्मृति सिंह 89.4%, सौम्य कुमारी 85%, सपना कुमारी 81%, चांदनी सिंह, 80.2% समेत कई छात्रों ने 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किया है.

छात्र एवं छात्राओं के इस स्वर्णिम सफलता ने अपने सहचर छात्रों को भी अच्छा करने के लिए प्रेरित किया है. बच्चों के इस सफलता पर विद्यालय निदेशक जगदीश सिंह ने खुशी जाहिर की है उन्होंने छात्रों को और अधिक परिश्रम करते हुए अपने जीवन में सफलता के उच्च प्रतिमान स्थापित करने के लिए मार्गदर्शित किया और शुभकामनाएं दी.

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Chhapra: जैतपुर गांव के स्व ध्रुव किशोर पांडेय के पौत्र व पत्रकार जितेन्द्र कुमार पांडेय व रिंकी पांडेय का पुत्र उत्कर्ष राज ने साइंस में 98 अंक के साथ 467 अंक लाकर घर परिवार का मान बढ़ाया है. उत्कर्ष राज को 93.4 फीसदी अंक मिले है. उत्कर्ष अपनी उपलब्धि को जेडी पब्लिक स्कूल के गुरुजनों के साथ गांव के मनोज पांडेय व कोहरा के धर्मेंद्र व चन्दन सर को दिया है. आगे आईआईटियन बनने का लक्ष्य है.

 

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Chhapra: सीबीएसई दसवीं की परीक्षा में छपरा के गरखा स्थित सेंट जोसेफ एकेडमी के छात्रों ने उम्दा प्रदर्शन करके विद्यालय का नाम रोशन किया है. संत जोसेफ एकेडमी के कई छात्रों ने 90% से ज्यादा अंक लाकर विद्यालय का नाम पूरे जिले में रोशन किया है.

विद्यालय के सचिव डॉ देव कुमार सिंह ने बताया कि छात्रा ऐसे ही भविष्य में बेहतर करते रहें. विद्यालय के शिक्षकों और छात्रों की लगन के कारण ही आज इतना बढ़िया रिजल्ट आ रहा है. जिसमें रितिका कुमारी 94%, ऋचा पटेल 92.4%, रवि कुमार सिंह 91.6%, सुप्रिया सिद्धि 91.2%, शास्वत पराशर 89.8%, राहुल कुमार 88.4%, कली कुमारी 88.4%, अनुष्का आर्यन 87%, ऋषभ कुमार सिंह 86%, आदित्य आनंद तिवारी 85.6%, रौशन कुमार 83.8%, आदित्यवर्धन जय सिंह 82.4, आदर्श राज 81.8 %, विश्वजीत कुमार सिंह 81.6 %, आशीष कुमार 80.2%, ख़ुशी कुमारी ने 80.2 % अंक अर्जित किया है.

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Chhapra: सीबीएसई 10वीं की परीक्षा में ज्ञानम एकेडमी के छात्र गुलाम वारिस ने 92% अंक लाकर अपने स्कूल और परिवार का नाम रौशन किया है. गुलाम मुल रूप से एकमा परसागढ के रहने वाले हैं एवं आफताब अंसारी के पूत्र हैं, और आगे चलकर आइएएस बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं. परीक्षा परिणाम में अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद गुलाम के परिवार और गाँव में खुशी की लहर हैं एवं वह इस सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों एवं माता पिता को देना चाहते हैं.

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Chhapra: एसएफआई सारण जिला कमिटी के तत्वाधान मे राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत यूजीसी द्वारा जारी की गई परीक्षा सम्बन्धी निर्देश की प्रतियां राजेन्द्र महाविद्यालय के मुख्य द्वार पर जलाकर प्रतिरोध व्यक्त किया गया. अध्यक्ष शैलेन्द्र यादव ने कहा कि हाल ही मे यूजीसी ने एक सर्कुलर जारी कर देश के सभी विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया है कि अंतिम वर्ष और अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा विश्वविद्यालय अपने सुविधा अनुसार ले सकते है. यह निर्णय छात्र हित के खिलाफ है.

छात्रों को सम्बोधित करते हुए एसएफआई राज्य अध्यक्ष शैलेन्द्र यादव ने कहा कि UGC द्वारा परीक्षा लेने का निर्णय, जब कोरोना वैश्विक महामारी देश मे चरमोउत्कर्ष पर है, छात्र हित के खिलाफ के साथ साथ उनके मानसिक एवं आर्थिक शोषण करने का हथियार है. UGC एवं MHRD षड्यंत्र के तहत छात्रों को कोरोना टेस्ट के रुप मे इस्तेमाल करना चाहती है. इस नापाक इरादे के विरुद्ध देश स्तर पर विरोध कार्रवाइयों आयोजित की जायेगी एवं सरकार को मजबूर होकर अपने इरादे बदलने पडेगे.

नगर उपाध्यक्ष सद्दाब मजहरी ने कहा कि वैश्विक महामारी के बढते प्रकोप के मद्देनजर UGC द्वारा लिया गया निर्णय मानसिक दिवालियापन का नमूना है. इसे फौरन वापस लिया जाना चाहिए. उपाध्यक्ष सरताज खान ने कहा कि जेपी विश्वविद्यालय भी स्नातकोत्तर एवं स्नातक प्रथमखण्ड, द्वितीय खण्ड एवं तृतीय खण्ड के छात्रों को भी बिना परीक्षा आयोजित किये पास करने के विकल्प पर फौरी जरुरी कदम उठाना चाहिए क्योंकि देश मे कई केन्द्रीय विश्वविद्यालय के साथ साथ कई राज्यों के विश्वविद्यालय भी बिना परीक्षा लिए दूसरे कक्षा मे प्रोन्नति दिये है.

एसएफआई सारण जिला कमिटी ने यह आह्वान किया कि UGC अगर परीक्षा आयोजित करने सम्बन्धी सर्कुलर वापस नही लेगी तो छात्र सरकार एवं UGC से अपने भविष्य को सुरक्षित करने हेतु दो दो हाथ करने को तैयार रहे क्योंकि परीक्षा आयोजित करवाना छात्रों को मारने की नपाक षड्यंत्र है. इस कार्यक्रम मे मुख्य रुप से देवेन्द्र कुमार, रौशन पाण्डेय, सौरभ कुमार, पवन मेहरा, विकास कुमार, सुनील कुमार आदि मुख्य रुप से शामिल थे.

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