नियोजित शिक्षकों के लिए भी पुरानी सेवा शर्त लागू करे सरकार: प्रो रणजीत

नियोजित शिक्षकों के लिए भी पुरानी सेवा शर्त लागू करे सरकार: प्रो रणजीत

Chhapra: जयप्रकाश विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर शिक्षक संघ के सचिव, बिहार शिक्षा मंच के संयोजक तथा सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के जुझारू प्रत्याशी प्रो रणजीत कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ईमेल से पत्र भेजकर माँग किया है कि नियोजित शिक्षकों को भी नियमित शिक्षकों के लिए लागू पुरानी सेवा शर्त से आच्छादित किया जाए।

नियोजन नियमावली में सुधार समस्या का स्थायी समाधान नहीं है और शिक्षक सरकार के इस कवायद से संतुष्ट होने वाले नहीं हैं। विदित हो कि नियोजित शिक्षकों के सेवा शर्त निर्धारण हेतु सरकार ने 11 अगस्त 2015 को एक उच्च स्तरीय कमिटी बनाई थी लेकिन 5 साल तक इस कमिटी की कोई बैठक ही नहीं हुई।

विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर सरकार ने पुरानी कमिटी को भंग कर नियोजित शिक्षकों के सेवा शर्त में सुधार हेतु 2 जुलाई 2020 को एक नई कमिटी बना दी जिसकी एक बैठक हो चुकी है।

कमिटी को तीन माह के अंदर अपना प्रतिवेदन समर्पित करना है। विदित हो कि बिहार के 4 लाख प्राथमिक एवम माध्यमिक नियोजित शिक्षक अपनी वाजिब मांगो की पूर्ति हेतु क्रमशः 17 एवम 25 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहे और कोरोना महामारी के मद्देनजर सरकार के साथ एक समझौते के तहत 4 मई 2020 से पुनः अपने कर्तव्य पर लौट गए।

नियोजित शिक्षकों की मूल मांग वाजिब वेतनमान एवम पुरानी सेवा शर्त को लागू करने संबंधी है।वर्तमान समय में जो नियोजन नियमावली लागू है वह पूरी तरह से शिक्षक विरोधी एवम अपमानजनक है। नियोजित शिक्षकों को न वाजिब वेतनमान मिल रहा है, न पेंशन की सुविधा है, न सेवांत लाभ का प्रावधान है, न प्रोन्नति की गुंजाइश है, न राज्यकर्मी का दर्जा हासिल है, न अंतरजिला स्थानांतरण का प्रावधान है।नियोजित शिक्षक उपार्जित अवकाश, सेवा निरंतरता, सवैतनिक अध्ययन अवकाश, भविष्य निधि कटौती जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं।कुल मिलाकर 60 साल तक की उम्र तक सेवा देकर खाली हाथ घर जाना नियोजित शिक्षकों की नियति बन गई है। ऊपर से ‘नियोजित’ शब्द शिक्षकों के सामाजिक मान-सम्मान को भी धूल धूसरित कर रहा है। क्या इस तरह की सेवा-दशा एवम हालात में कोई मेधावी छात्र-छात्रा शिक्षक बनना चाहेंगे और जब मेधावी लोग शिक्षक नहीं बनेगें तो गाँव -गरीब के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की सरकारी नीति एवम दावे काक्या होगा?

विदित हो कि नियोजन नियमावली में सुधार हेतु शिक्षकों ने आंदोलन नहीं किया था। उन्होंने वेतनमान और पुरानी सेवा शर्त लागू करने हेतु अनिश्चितकालीन हड़ताल किया था। इसलिए नियोजन नियमावली में सुधार से शिक्षक कदापि संतुष्ट होने वाले नहीं हैं। ऐसे भी बिहार में शिक्षा एवम शिक्षक पूरी तरह से हाशिए पर हैं। यदि सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने हेतु गंभीर है, मेधावी लोगों को शिक्षण पेशा के प्रति आकर्षित करना चाहती है तो नियोजित शिक्षकों को भी उन सभी सुविधाओं एवम लाभों से आच्छादित करना ही होगा जो पुराने नियमित शिक्षकों को हासिल है। आपकी सरकार ने संस्कृत एवम मदरसा के शिक्षकों को वेतनमान का लाभ देकर नेक काम किया है लेकिन नियोजित शिक्षकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार समझ से परे है। निराशाजनक कार्य-दशा में टूटे दिल से, कुंठित अवसादग्रस्त मन से शिक्षकों द्वारा छात्रों को सर्वोत्तम देने की अपेक्षा करना दिन में तारे देखने के समान है।विकसित बिहार बनाने के लिए शिक्षा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन की दरकार है और ऐसा तभी सम्भव है जब सरकार शिक्षकों को उसका वाजिब हक हकूक दे और खोया हुआ मान-सम्मान पुनर्प्रतिष्ठित करे।इसके लिए जरूरी है कि नियोजन नियमावली में सुधार के स्थान पर पुरानी सेवाशर्त से ही नियोजित शिक्षकों को भी आच्छादित किया जाए जिसमें सहायक शिक्षक व राज्यकर्मी का दर्जा,अंतरजिला स्थानांतरण की सुविधा, सेवांत लाभ, सावधिक प्रोन्नति, सेवा निरंतरता का लाभ, उपार्जित अवकाश की सुविधा, सवैतनिक अध्ययन अवकाश का नियम, भविष्य निधि कटौती जैसे प्रावधान शामिल हो।गौरतलब है कि विगत 15 बरसों से आपको सत्ता शीर्ष पर बनाये रखने में 4 लाख नियोजित शिक्षकों और उनके बंधु-बान्धवों की भी महती भूमिका रही है इसलिए न्याय के साथ सबका साथ सबका विकास के क्रम में नियोजित शिक्षकों को भी उनका वाजिब अधिकार मिलना ही चाहिए।

वक्त की नजाकत को समझते हुए सरकार को शिक्षकों की समस्याओं के स्थायी निदान हेतु ठोस एवम निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है।प्रो कुमार ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि पुनर्गठित सेवा शर्त सुधार कमिटी को निदेशित किया जाए कि नियोजित शिक्षकों को भी पुरानी सेवाशर्त से आच्छादित किया जाए। यदि मुख्यमंत्री शिक्षा एवम शिक्षक हित में इस तरह का निर्णय लेते हैं तो उन्हें सियासी लाभ तो मिलेगा ही, इतिहास में भी उनका नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा।

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें