Chhapra: देश के सबसे कठिन तीर्थों में से एक माने जाने वाला अमरनाथ यात्रा के लिए छपरा से पहला जत्था रविवार की शाम को रवाना हो गया. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए छपरा जंक्शन से बड़ी संख्या में अमरनाथ यात्री रवाना हुए. पहले जत्थे 350 यात्रियों का समूहछपरा से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए गया. जिसमें बड़ी संख्या में महिला पुरुष और युवा भी मौजूद रहे.

जंक्शन पर गूंजे जय भोले के नारे

यात्रा को लेकर छपरा जंक्शन पर सुबह से अमरनाथ यात्रियों की भीड़ लगी रही. जंक्शन पर यात्रियों की सुविधा के लिए भंडारे का आयोजन किया गया था।. इस दौरान बम बम भोले के जय घोष के साथ पूरा जंक्शन परिसर गूंज उठा. हर तरफ श्रद्धालु ही नजर आ रहे थे. जो अमरनाथ बाबा के दर्शन पर जाने से पहले काफी उत्साहित नज़र आये.

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आपको बता दें कि ये सभी श्रद्धालु मौर्य ध्वज एक्सप्रेस से रवाना हुए. सभी श्रद्धालु 1 जुलाई की शाम तक जम्मू पहुंचेंगे. फिर वहां से अमरनाथ की यात्रा प्रारंभ होगी. जम्मू से पहलगाम के रास्ते यह सभी रात्रि बाबा बर्फानी गुफा की ओर प्रस्थान करेंगे. एक श्रद्धालु ने बताया कि पहली बार अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं जिसको लेकर वह काफी उत्साहित है सभी बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आतुर हैं. इस यात्रा में बड़ी संख्या में छपरा से महिलाएं भी जा रही हैं.

इस दौरान छपरा जंक्शन पर नगर निगम की मेयर प्रिया सिंह भी पहुँची और लोगों के बीच भंडारे का वितरण किया. वहीं डिप्टी मेयर अमितांजली सोनी भी मौजूद रहीं. इसके साथ साथ शहर के कई अन्य लोग भी मौजूद रहे. इसके पहले दो दिनों पहले ही छपरा से पहली बार विशाल भंडारा अमरनाथ यात्रियों के लिए भेजा गया था जो 45 दिनों तक जम्मू के 1 जिले में चलेगा. भंडारे में खाना पीना समेत तमाम सामान भेज गए हैं.

12 जुलाई को दूसरा जत्था

छपरा से अमरनाथ यात्रियों का दूसरा जत्था 12 जुलाई को जाएगा. जिसमें 150 श्रद्धालुओं ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. इस दौरान जंक्शन पर यात्रियों की सेवा के लिए भोजन, पानी ,भंडारा चाय आदि की व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा मेडिकल जांच की सुविधा भी थी. यह सारे इंतजाम जय भोले भंडारी दल द्वारा किए गए थे.

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New Delhi/Ranchi: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूरे विश्व में आज मनाया जा रहा है. योग दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत सरकार के मंत्रियों और आम लोगों ने योगाभ्यास किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मंत्री अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में भाग लेने रांची पहुंचे थे. जहाँ उन्होंने प्रभात तारा मैदान में 30 हज़ार लोगों के साथ योग किया.

लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमारे योग को दुनिया अपना रही है तो हमें योग से जुड़ी रीसर्च पर भी जोर देना होगा. शांति और सद्भाव हमेशा योग से जुड़े रहे हैं, योग एकता को आगे बढ़ा सकता है, और विश्व की कई चुनौतियों का सामना कर सकता है. अब मुझे आधुनिक योग की यात्रा शहरों से गांवों की तरफ ले जानी है, गरीब और आदिवासी के घर तक ले जानी है, मुझे योग को गरीब और आदिवासी के जीवन का भी अभिन्न हिस्सा बनाना है. आज ये प्रभात तारा मैदान विश्व के नक्शे पर जरूर चमक रहा है, देश और दुनिया के अनेक हिस्सों में लाखों लोग योग दिवस मनाने के लिए अलग-अलग जगह पर जमा है.

इसके लिए जरूरी है कि हम योग को किसी दायरे को बांध कर ना रखें, योग को मेडिकल, फिजियोथेरेपी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनसे भी जोड़ना होगा.

वही दूसरी और राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी योगाभ्यास किया. सरकार के मंत्रियों ने भी अलग अलग स्थानों पर योगाभ्यास कार्यक्रम में भाग लिया. 

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Chhapra: भगवान हनुमान जी की प्रतिमा छपरा शहर के प्रभुनाथ नगर के समीप टाड़ी जाने वाले मोड़ पर बनाई जा रही है. यह प्रतिमा पिछले 5 साल से कारीगरों द्वारा बनाया जा रहा है. हनुमान जी की प्रतिमा की ऊंचाई 55 फीट है. वही लगभग 10 से 15 मजदूर वह कारीगर प्रतिदिन इस कार्य में लगे हुए हैं.

संभवतः इस माह के अंत तक प्रतिमा का प्रतिस्थापन किया जा सकता है. इस प्रतिमा को बनाने में लगभग एक करोड़ की लागत आई है. बताते चलें कि छपरा भी उन शहरों की सूची में शामिल हो जाएगा जहां भगवान हनुमान जी की ऊंची प्रतिमा विराजमान है.

बिहार के सीतामढ़ी में हनुमान जी की 41 फीट की प्रतिमा स्थापित हैं, वही आंध्र प्रदेश में 135 फुट की ऊंची प्रतिमा है. वही कर्नाटक में 122 फीट, हिमाचल प्रदेश में 108 फीट, उत्तराखंड में 107 फीट, महाराष्ट्र में 105 फीट की प्रतिमा विराजमान है.

छपरा शहर में आने वाले दिनों में शहर में बन रही कई चीजें आकर्षण का केंद्र होंगी. जिसमें देश का सबसे लंबा डबल डेकर फ्लाईओवर के साथ साथ बिहार का सबसे ऊंचा हनुमान जी की प्रतिमा और छपरा के नैनी में बने द्वारकाधीश के तर्ज पर मंदिर भी शामिल होगी.A valid URL was not provided.

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Chhapra: डोरीगंज के प्रसिद्ध बंगाली घाट पर भव्य गंगा महाआरती का आयोजन सोमवार को हुआ. गंगा महाआरती को देखने के लिए ज़िले भर के हज़ारो लोगों की भीड़ उमड़ी थी. पिछले 12 सालों से ज्येष्ठ पूर्णिमा के मौके पर यहां महाआरती का आयोजन हो रहा है.

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यह भव्य महाआरती बिल्कुल बनारस के दशाश्वमेध घाट के जैसा नजारा लोगों को देखने को मिला. इसके लिए काशी से पंडित बुलाये गए थे. सबसे पहले जीवनदायिनी गंगा की पूजा की गयी जिसके बाद आरती का कार्यक्रम हुआ.

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चिरांद जो गंगा, सरयू और सोन के संगम स्थल है. यहां बंगाली घाट पर महाआरती के माध्यम से गंगा गरिमा रक्षा संकल्प समारोह एवं चिरांद चेतना महोत्सव आयोजित किया गया. इस अवसर पर चिरांद विकास परिषद् के सचिव श्रीराम तिवारी ने बताया कि गंगा की अविरलता, स्वच्छता बनी रहे इस उद्देश्य से विगत 12 वर्षों से आयोजन होता आ रहा है. इस अवसर पर विधान पार्षद ई. सच्चिदानंद राय, अमनौर के विधायक शत्रुघ्न तिवारी उर्फ़ चोकर बाबा, छपरा के विधायक डॉ सीएन गुप्ता, चिरांद विकास परिषद् के अध्यक्ष केके ओझा, जयराम सिंह समेत गणमान्य लोग उपस्थित थे.   

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Chhapra: ईद का त्योहार बुधवार को मनाया गया. ईद की नमाज अदा की गई. मंगलवार को ईद के चांद का दीदार होने के साथ ही सभी तैयारी में जुट गए थे. सुबह सुबह सभी ईदगाह पहुंचे जहाँ ईद की नमाज अदा की गयी. ईद की नमाज अदा करने के बाद सभी ने एक दूसरे को बधाई दी. 

ईद को लेकर बच्चों में भी खासा उत्साह देखा गया. घरों में खास तरह की सेवई बनायीं जाती है. लोग एक दूसरे के घर जाकर ईद की बधाईयाँ देते है. 

ईद के अवसर पर मुस्लिम भाइयों ने अमन चैन की दुआ मांगी और एक दूसरे को बधाई दी.

ईद की तैयारी मे जुटे रोज़ेदार, बाज़ारों मे रौनक

सभी पाठकों/दर्शकों को मुबारक!🌙

 

 

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Chhapra: वैसे तो हमारे हिन्दू धर्म में अनेकों व्रत रखे जाते हैं. वट सावित्री व्रत पति को केंद्र में रखकर किया जाता हैं. हमारे भारतीय नारियों का विश्वास हैं कि यह व्रत करने से पति कि आयु वट वृक्ष की ही भांति दीर्घायु होगी.

इस व्रत में व्रती महिला अपने सोलह-शृंगार करके तथा सारे शृंगार सामाग्री को लेकर वट वृक्ष के नीचे चढ़ाती हैं तथा वृक्ष के तने में लाल या पीले धागे से 108 बार वृक्ष का परिकर्मा करते हुए धागे को वृक्ष में लपेटती हैं. मान्यता हैं कि उस दिन वृक्ष पर स्वयं ब्रह्मा जी विराजमान रहते हैं. उन्ही को धागे के रूप में जनेऊ भेंट किया जाता हैं.

पंडितजी के कथानुसार सावित्री के पति सत्यवान का जीवन काल पूरा हो गया था और यमराज उसे लेकर यमलोक चल भी दिये थे. लेकिन सावित्री ने जेठ की अमावस्या को वट वृक्ष की पूजा अर्चना की थी. उस व्रत के प्रभाव से यमराज सावित्री को अपने साथ यमलोक अपने साथ जाने से रोक नही पाया. बहुत हठ करने के बाद भी सावित्री मृत्यु लोक नही लौटी तब यमराज ने वरदान मांगने को कहा. वरदान में सावित्री ने पुत्ररत्न की प्राप्ति की इच्छा जतायी तो यमराज ने उसे पुत्ररत्न की प्राप्ति का वरदान दे दिया और अपने ही वचन में फंस गया. उसके बाद भी नही लौटी तो यमराज ने गुस्से में आकर उसे श्राप देने को कहा. इस बात पर सावित्री ने यमराज से कही कि यह तुम्हारा कैसा वरदान और श्राप हैं कि पति का प्राण साथ ले जा रहे हो और मुझे पुत्ररत्न की प्राप्ति का वरदान दे रहे हो यह कैसे संभव हैं. तब जाके यमराज को अपने गलती का एहसास हुआ और सावित्री के सतित्व की पहचान हुई. इसके बाद यमराज ने सत्यवान के प्राण उसके शरीर में वापस कर दिया और सावित्री सुहागन बनी रही. तभी से लेकर इस आधुनिक युग में भी सुहागिन औरतें इस व्रत को निष्ठा पूर्वक एवं विधिवत करती आ रही हैं.

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Chhapra: रमजान के मौके पर जिले में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया जा रहा है. बड़ी संख्या में हर वर्ग के लोग शामिल हो रहे हैं. इसी क्रम में दारुल उलूम रिजविया की जानिब रजा नौजवान कमिटी बड़ा तेलपा द्वारा दावते इफ्तार का आयोजन किया गया.

जिसमें बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम भाइयों ने भाग लिया. सैकड़ों की संख्या में लोग दावते इफ्तार में शामिल हुए. इस अवसर पर मौलाना रजीबुल कादरी, सैयद मोहम्मद जमालुद्दीन, गुलाम मुस्तफा सहित नौजवान कमेटी के सदस्यों ने मिलकर इस दावत-ए-इफ्तार का आयोजन किया.

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Chhapra: रमजानुल मुबारक का अलविदा जुमा (जुमातुलविदा) की नमाज़ आज (शुक्रवार) को अदा की जाएगी. रमज़ान के जुमा की तो खास अहमियत होती ही है लेकिन अलविदा जुमा को छोटी ईद मानी जाती है.

रमजान के महीने में जुमा के दिन की फजीलत और बरकत खास बताई गई है. इस दिन की शुरूआत भी आम दिनों की तरह ही होती है. लेकिन दोपहर खास होती है. मस्जिदों में अजान होने से पहले ही लोग पहुंचना शुरू कर देते है. हाफिज और इमाम इस मौके पर खास तकरीर किया करते हैं. फिर अलविदा जुमा की नमाज़ पढ़ी जाती है.
Photo: File

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वैशाख महीने की शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है. अक्षय तृतीया का मतलब ऐसी तिथि है, जिसका कभी भी क्षय ना हो. हिंदू मान्यता के अनुसार हर शुभ काम के लिए इस तिथि को बेहद शुभ माना जाता है.

इस साल अक्षय तृतीया 7 मई को मनाई जा रही है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन शुभारंभ करनेवाले हर कार्य में सफलता मिलनी तय है.

पौराणिक मान्यताओं में श्रीविष्णु का नर-नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण और महाभारत युद्ध का अंत इसी तिथि को हुआ था. इसी वजह से अक्षय तृतीया को परशुराम के जन्‍मदिवस के रूप में मनाया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक इस दिन गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर आईं थीं. अक्षय तृतीया के दिन ही भोजन की देवी अन्‍नपूर्णा का जन्‍मदिन भी माना जाता है.

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Chhapra: जय भोला भंडारी सेवा दल के तरफ से जखेनी चौक उधमपुर जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों के सेवा हेतु विशाल भंडार का आयोजन करने का निर्णय लिया है. यह भंडारा 30 जून से यात्रा के समाप्ति तक चलेगा.

साहेबगंज सोनारपटी दुर्गा मंदिर में पप्पू चौहान की अध्यक्षता में हुए बैठक में निर्णय लिया गया. सदस्य मुन्नू सिंह ने बताया कि यह भंडारा बिहार के लोगों के द्वारा चलाये जाने वाला पहला भंडार होगा जो अमरनाथ यात्रियों की सेवा करेगा.

इसके सदस्य मंटू बाबा लाल बाबु राय, सुधीर सिंह, मुन्नू सिंह, उज्वल कश्यप, अजय राय, अवनीश लाला आदि है.

उन्होंने बताया कि यह संस्था जाड़े मे गरीबो को वस्त्र भी बांटने का काम करती है.

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Chhapra: शब-ए-बरात के मौके पर शहर के विभिन्न दरगाहों और कब्रिस्तानों को सजाया गया है. शाम से ही यहां चहल पहल है. इसको लेकर पीर बाबा के मज़ार पर शाम से ही हज़ारो लोग उमड़े हैं.

शब-ए-बरात की इबादत एक हजार महीने की इबादत के बराबर है. आज लोग रातभर इबादत करने के साथ ही पूर्वजों की कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ेंगे.

शबे बरात को लेकर लोग दो दिन पहले से ही कब्रिस्तानों मस्जिदों को सजाने में जुटे रहे. कब्रिस्तानों मस्जिदों तक जाने वाले रास्तों की साफ-सफाई की गई.

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Chhapra: चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर शहर के मंदिरों में दर्शन करने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. हनुमान जयंती को लेकर श्रद्धालुओं ने हनुमान मंदिर में दर्शन किया और प्रसाद ग्रहण किया.

शहर के मारुती मानस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे. इस अवसर पर मंदिर में भंडारा का आयोजन किया गया. वही शाम में भजन संध्या का आयोजन भी कलाकारों के द्वारा किया गया.


आपको बता दें आज ही के भगवान श‍िव के 11वें अवतार हनुमान ने माता अंजना की कोख से जन्‍म लिया था. इसी खुशी में हनुमान जयंती मनाई जाती है.

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