महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष को यह पर्व मनाया जाता है. इस दिन भोलेनाथ के भक्त मंदिर में शिव लिंग पर पूजा करते है पूजन में बेलपत्र फूलमाला, धतुर चढ़ाकर भगवान शिव का पूजन करते है तथा रात्रि में जागरण करते है.

इस दिन पूजन करने पर सभी मोनोरथ पूर्ण होते है। इस दिन विशेष सामग्री से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते है. इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवास करते है. इस दिन भोलेनाथ तथा माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसका वर्णन गरुड़ पुराण शिवपुराण अग्निपुराण में व्याख्या मिलता है। जिनके विवाह होने में परेशानी हो रही हो इस दिन शिव अभिषेक करे. इस शिवरात्रि में बन रहा है दुर्लभ संयोग रहा है। इस दिन शुक्रवार है यथा योग शिवयोग है नक्षत्र श्रवण है ज्योतिष शास्त्र में इस योग को अत्यंत ही शुभ बताया गया है। महाशिरात्रि के समय सूर्य उतरायण हो चुके होते है। चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा कमजोर स्थिति में आ जाते है। भगवान शिव चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किये है। जिनके कुंडली में चंद्रमा कमजोर है। कालसर्प दोष है तथा मांगलिक योग से परेशान है वह इस दिन भगवान शिव का पूजन करे सभी दोष दूर होंगे एवं आपको शक्ति मिलेगी.

कब है महाशिवरात्रि तथा शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुशार महाशिवरात्रि का व्रत 08 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।

निशिता काल पूजा समय
रात्रि 11:35 से 12:24 सुबह 09 मार्च तक

पारण :
09 मार्च 2024 सुबह 6:05 के बाद

पूजा विधि :
सूर्योदय के पहले उठ जाये स्न्नान करने के बाद साफ स्वस्छ कपड़ा पहने

पूजा स्थल का सफाई करे तथा गंगाजल छिडके

लोटे में दूध या पानी भरकर उसमे बेलपत्र ,धतुरा ,फूल चावल डालकर भगवान शिव को चढ़ाये

शिवपंचाक्षर मंत्र

ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करे .

पौराणिक कथा :
माता पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी उसके बाद इस दिन विवाह हुआ था. यही कारण है कि इस दिन को महत्वपूर्ण तथा पवित्र माना जाता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

 

फाइल फोटो

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पूर्वी चंपारण,14 फरवरी(हि.स.)। जिले के अरेराज सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर में बुधवार को वसंत पंचमी के अवसर पर जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओ की भारी भीड़ उमड़ी।

जिले के विभिन्न प्रखंड समेत बिहार के अन्य जिलो के साथ ही उत्तर प्रदेश व पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालु विभिन्न नदियो के पवित्र जल से मनोकामना पूरक पंचमुखी महादेव का जलाभिषेक किया। श्रद्धालुओ की संभावित भीड़ के मद्देनजर अरेराज अनुमंडल प्रशासन की उपस्थिति में मन्दिर प्रबंधन ने प्रथम पूजा के बाद रात्रि 2.30 बजे ही मंदिर का पट खोल दिया गया।

पट खुलते ही बोल बम व हर हर महादेव के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गूंजायमान हो उठा।इस दौरान सुरक्षा को लेकर अरेराज एसडीओ अरूण कुमार और डीएसपी रंजन कुमार के नेतृत्व में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल और दण्डाधिकारी मुस्तैद दिखे।

श्रद्धालुओ की सुविधा को लेकर एक दर्जन स्थलों पर ड्राप गेट ,फिक्स गेट के साथ साथ नियंत्रण कक्ष बनाया गया है।दण्डाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी के सशस्त्र के साथ सीसीटीवी से भी मंदिर परिसर और पथ की निगरानी की व्यवस्था की गयी है।साथ ही सादे लिबास में भी पुलिस बल मेला की निगरानी में लगाया गया है।

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देहरादून/नरेंद्र नगर, 14 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड के चमोली जिला स्थित विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट आगामी 12 मई (रविवार) को प्रात: 6 बजे खुलेंगे। राजदरबार नरेंद्र नगर में आयोजित धार्मिक समारोह में बुधवार को बसंत पंचमी को पूजा-अर्चना और पंचांग गणना के पश्चात विधि-विधान से यात्रा वर्ष 2024 के लिए कपाट खुलने की तिथि की घोषणा की गयी जबकि तेल-कलश यात्रा की भी तिथि 25 अप्रैल को तय हुई है। इस दौरान राजमहल में कई विशिष्टजन एवं बड़ी संक्ष्या में श्रद्धालुगण मौजूद रहे।

टिहरी राजदरबार नरेंद्र नगर में आज प्रातः से कपाट खुलने की तिथि घोषित करने के लिए कार्यक्रम शुरू हुआ। महाराजा मनुज्येंद्र शाह, सांसद रानी माला राज्यलक्ष्मी शाह सहित बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय, राजकुमारी शिरजा शाह की उपस्थिति में पंचांग गणना के पश्चात राजपुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने तिथि तय कर महाराजा के सम्मुख रखी। तत्पश्चात महाराजा मनुज्येंद्र शाह ने कपाट खुलने की तिथि की विधिवत घोषणा की। इस दौरान राजमहल परिसर जय बदरी विशाल के उद्घोष से गूंज उठा।

इससे पहले डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी और सदस्यों ने तेल कलश राजदरबार के सुपुर्द किया। इसी कलश में राजमहल से तिलों का तेल पिरोकर आगामी 25 अप्रैल को तेलकलश यात्रा राजमहल से शुरू होकर कपाट खुलने की तिथि पर भगवान बदरी विशाल के अभिषेक के लिए बदरीनाथ धाम पहुंचेगी।

इस अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय होते ही यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। मंदिर समिति आगामी बजट में यात्री सुविधाओं के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान करेगी। उन्होंने बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय होने के अवसर पर सबको बधाई दी।

कपाट खुलने की तिथि तय होने के अवसर मुकुंदानंद महाराज, डिमरी पंचायत अध्यक्ष आशुतोष डिमरी, मंदिर समिति सदस्य वीरेंद्र असवाल, श्रीनिवास पोस्ती, पुष्कर जोशी भास्कर डिमरी,राजपाल जड़धारी, हरीश डिमरी, विनोद डिमरी,सुरेश डिमरी, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, अनुसचिव धर्मस्व रमेश रावत,धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी, निजी सचिव प्रमोद नौटियाल,मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़, माधव नौटियाल, संजय डिमरी, ज्योतिष डिमरी आदि मौजूद रहे।

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माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है।  इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी माता सरस्वती की उपासना की जाती है. यह दिन माता सरस्वती के पूजन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन विद्या और कला की देवी सरस्वती की पूजा की विधान है।

बसंत पंचमी से बसंतोत्सव की शुरुआत हो जाती है। ये बसंतोत्सव होली तक चलता है।  इस बसंतोत्सव को मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसलिए इस दिन से नए कार्य का आरम्भ करना शुभ होता है। विशेषतौर पर कोई नई विधा आरम्भ करनी हो, कोई नया काम शुरू करना हो बच्चे का मुंडन संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, गृहप्रवेश या अन्य कोई शुभ काम करना हो इस दिन बहुत ही शुभ रहता है। 

कब है सरस्वती पूजा क्या है शुभ मुहूर्त.

पंचमी तिथि का आरंभ 13 फरवरी 2024 को दोपहर 02:41 मिनट से आरंभ होगा.
पंचमी तिथि का समाप्ति 14 फरवरी 2024 समय 12:09 दोपहर तक
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:26 से दोपहर 12:04 मिनट तक होगा.

रेवती नक्षत्र के साथ रवियोग बन रहा है.

रेवती नक्षत्र में कोई भी शुभ कार्य का आरम्भ करने से उसमे सफलता मिलती है. इस दिन बच्चे को पहला अक्षर लिखवाने का उत्तम दिन है। सरस्वती जी की कृपा से वह करियर में उन्नति करेगे. जो लोग प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे है उनको इस दिन विशेष पूजन करनी चाहिए.

कब से बन रहा है रवियोग
रवियोग आरम्भ 14 फरवारी 2024 समय सुबह 10:43 से 06 :26 (15 फरवरी 24 ) को समाप्त होगा.
रेवती नक्षत्र 14 फरवरी 2024 को सुबह 10:43 मिनट तक रहेगा.

बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती के पूजन विधि

माँ सरस्वती के पूजन करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को छोटी चौकी सामने रखना चाहिए.त स्वीर के निचे लाल कपड़ा का आसनी बिछाए. कलश स्थापित करे. इसके बाद गणेश जी का तथा नवग्रह का विधि के साथ पूजन करें.  माँ सरस्वती की पूजा करे सरस्वती माता के पूजन करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन तथा अस्नान कराए माता की सफेद रंग की वस्त्र चढ़ाए उनको सफेद वस्त्र बहुत ही है. इसके बाद माता को फूल एवं फूलमाला चढ़ाए माता सरस्वती को सिंदूर एवं श्रृंगार की समान अर्पित करे, ऋतू फल प्रसाद के रूप में हलवा पंचामृत अर्पित करे। खीर का भोग लगाए, घर पर बनाए गए विशेष पकवान का भोग लगाए. इस दिन गुलाल चढ़ाने की परम्परा है माता के चरणों में गुलाल अर्पित करे.

सरस्वती पूजा के दिन क्या नहीं करना चाहिए 

बसंत पंचमी यानि सरस्वती पूजा के दिन जहा भी सरस्वती पूजन हो रहा है या आप कर रहे है बिना स्नान किए उनकी आराधना नहीं करे। बिना स्नान किए प्रसाद ग्रहण नहीं करे। इस दिन पूर्ण रूप से शाकाहारी भोजन करे। मदिरा का वर्जित करे, परिवार में सबके साथ मिलकर रहे झगडा झंझट से दूर रहे.

बसंत पंचमी पर पिला रंग का क्या है महत्व 

बसंत पंचमी पर पिला रंग का बहुत ही महत्व है।  ग्रंथो के अनुसार बसंत पंचमी पर पिला रंग के उपयोग का महत्व है क्योकि इस त्योहार के बाद पर्व के बाद बसंतऋतू की शुरुआत हो जाती है. बसंत ऋतू में फसल पकने लगती है और पिला फुल भी खिलने लगता है इस लिए बसंत पंचमी पर पीले फुल भी खिलने लगते है क्योंकि पिला रंग समृद्धि, उर्जा, प्रकाश और आशावाद का प्रतिक माना जाता है। इसलिए इस दिन पिला रंग तथा पिला व्यंजन बनाते है। पिला रंग सादगी का प्रतिक भी होता है पिला रंग को शुभ रंग माना जाता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

 

फाइल

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नैनी द्वारकाधीश मंदिर का जिला अध्यक्ष के नेतृत्व भाजपा नेताओ ने चलाया सफाई अभियान

Chhapra: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भाजपा नेताओं ने जिले के प्रसिद्ध नैनी के द्वारकाधीश मंदिर में जिला अध्यक्ष रणजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में भाजपा नेताओं ने पूरे मंदिर प्रांगण में सफाई अभियान चलाकर मंदिर की सफाई की.

जिला अध्यक्ष रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर भाजपा पुरे देश में 14 जनवरी से २२ जनवरी रामलला के स्थापना उद्घाटन तक पूरे देश के मंदिरों तीर्थ स्थानों की सफाई भाजपा कार्यकर्ता नेताओं द्वारा करनी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री स्वयं सभी मंदिरों में सफाई कर रहे हैं. इस घड़ी में भाजपा सारण द्वारा नैनी के द्वारकाधीश मंदिर, राम जानकी मंदिर एवं गढ़देवी माई पर सफाई अभियान चला कर सफाई की गई और देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया गयाा.

पूर्व राष्ट्रीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शैलेंद्र सेंगर ने कहा कि पूरे भारतवर्ष के लिए गर्व की बात है कि अयोध्या में 500 सालों के बाद कितने संघर्षों के बाद 22 तारीख को रामलला अपने घर में विराजमान होंगे.

इस अवसर पर जिले के सभी मंदिर मठ तीर्थ स्थान पर भाजपा के द्वारा सफाई अभियान चलाया जा रहा है एवं 22 तारीख को दीपोउत्सव सभी मंदिरों में किया जाएगा.

छपरा विधानसभा प्रभारी महामंत्री धर्मेंद्र कुमार साह ने कहा कि प्रतिदिन भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा मंदिर मठ एवं तीर्थ स्थानों की सफाई पूरे मनोयोग किया जा रहा है. इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री विवेक कुमार सिंह, मंत्री अर्धदु शेखर, सैनिक प्रकोष्ठ के सहसंयोजक अखिलेश कुमार सिंह, मंडल उपाध्यक्ष बृजेश कुमार सिंह, मुखिया प्रतिनिधि राजा सिंह, भानु सिंह, अंकुर सिंह, प्रवीण कुमार सिंह, रणधीर कुमार सिंह किसान मोर्चा मंडल अध्यक्ष, इत्यादि बड़ी संख्या में जिला पदाधिकारी एवं ग्राम वासी उपस्थित थे।

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अयोध्या, 15 जनवरी (हि.स.)। अयोध्या धाम में अपने नव्य-भव्य मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को है। हालांकि प्राण प्रतिष्ठा के लिए आवश्यक अनुष्ठान 16 जनवरी से ही प्रारम्भ हो जाएंगे और रामलला 18 जनवरी को गर्भ गृह में अपने आसन पर विराजमान हो जाएंगे। 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी के दिन अभिजित मुहुर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा।

प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में यह जानकारी सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताईं। उन्होंने ये भी बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर गर्भ गृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सभी ट्रस्टीज उपस्थित रहेंगे।

16 जनवरी से शुरू होगी पूजन विधि
चम्पत राय ने बताया कि कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगी। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के पुजारी गणेश्वर शास्त्री ने निर्धारित किया है। वहीं, प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कर्मकांड की संपूर्ण विधि वाराणसी के ही लक्ष्मीकांत दीक्षित द्वारा कराई जाएगी।

उन्होंने बताया कि पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू होकर 21 जनवरी तक चलेगी। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम आवश्यक गतिविधियां आयोजित होंगी। उन्होंने बताया कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है वो पत्थर की है। उसका वजन अनुमानित 150 से 200 किलो के बीच होगा। यह 5 वर्ष के बालक का स्वरूप है, जो खड़ी प्रतिमा के रूप में स्थापित की जानी है।

श्रीविग्रह की अधिवास के बाद होगी प्राण प्रतिष्ठा
उन्होंने बताया कि निर्धारित अनुष्ठान के अनुसार जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी होती है उसको अनेक प्रकार से निवास कराया जाता है। पूजा पद्धति में इस प्रक्रिया को अधिवास कहते हैं। इसके तहत प्राण प्रतिश्ठा की जाने वाली प्रतिमा का जल में निवास, अन्न में निवास, फल में निवास, औशधि में निवास, घी में निवास, शैय्या निवास, सुगंध निवास समेत अनेक प्रकार के निवास कराए जाते हैं। यह बेहद कठिन प्रक्रिया है। जानकारों ने कहा है कि आज के समय के अनुसार व्यवहार करना चाहिए। यह कठिन प्रक्रिया है। इसलिए धर्माचार्यों के कहे अनुसार ही प्रक्रिया संपन्न की जाएगी।


हर परंपरा, विद्या और मत से जुड़े लोगों को किया गया आमंत्रित

श्री राय के अनुसार, लगभग 150 से अधिक परंपराओं के संत-धर्माचार्य, आदिवासी, गिरिवासी, समुद्रवासी, जनजातीय परंपराओं के संत-महात्मा कार्यक्रम में आमंत्रित हैं। इसके अतिरिक्त भारत में जितने प्रकार की विधाएं हैं चाहे वो खेल हो, वैज्ञानिक हो, सैनिक हो, प्रशासन हो, पुलिस हो, राजदूत हो, न्यायपालिका हो, लेखक हो, साहित्यकार हो, कलाकार हो, चित्रकार हो, मूर्तिकार हो, जिस विद्या को भी आप सोच सकते हैं, उसके श्रेष्ठजन आमंत्रित किए गए हैं। मंदिर के निर्माण से जुड़े 500 से अधिक लोग जिन्हें इंजीनियर ग्रुप का नाम दिया गया है वो भी इस कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। साधु संतों में सारा भारत, सभी भाषा-भाषी, शैव, वैष्णव, शाक्य, गणपति उपासक, सिख, बौध, जैन के साथ ही जितने भी दर्शन हैं सभी दर्शन, कबीर, वाल्मीकि, आसाम से शंकर देव की परंपरा, इस्कॉन, गायत्री, ओडिशा का महिमा समाज, महाराष्ट्र का बारकरी, कर्नाटक का लिंगायत सभी लोग उपस्थित रहेंगे।

माता सीता के मायके समेत कई स्थानों से आ रही भेंट

उन्होंने बताया कि मानसरोवर, अमरनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार, प्रयागराज का संगम, नर्मदा, गोदावरी, नासिक, गोकर्ण, अनेक स्थानों का जल आया है। तमाम लोग श्रद्धापूर्वक अपने स्थानों का जल और रज ला रहे हैं। हमारे समाज की सामान्य परंपरा है भेंट देने की, इसलिए दक्षिण नेपाल का वीरगंज जो मिथला से जुड़ा हुआ क्षेत्र है वहां से एक हजार टोकरों में भेंट आई है। इसमें अन्न हैं, फल हैं, वस्त्र हैं, मेवे हैं, सोना चांदी भी है। इसी तरह सीतामढ़ी से जुड़े लोग भी आए हैं, जहां सीता माता का जन्म हुआ वहां से भी लोग भेंट लेकर आए हैं। यही नहीं, राम जी की ननिहाल छत्तीसगढ़ से भी लोग भेंट लाए हैं। एक साधु जोधपुर से अपनी गौशाला से घी लेकर आए हैं।


20-21 जनवरी को बंद रहेंगे दर्शन

चम्पत राय ने बताया कि 20-21 जनवरी को श्रीरामलला के दर्शन बंद किए जाने पर विचार चल रहा है। भगवान का दर्शन, पूजन, आरती, भोग, शयन, जागरण पुजारी कराएंगे और अंदर जितने लोग रहते हैं वो उपस्थित रहेंगे। अभी 25 से 30 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन आते हैं वो 20-21 जनवरी को भगवान के दर्शन नहीं कर सकेंगे, ताकि अंदर की व्यवस्थाओं को सरलता से पूर्ण किया जा सके। 23 से नए विग्रह का दर्शन आम जनमानस के लिए खोल दिया जाएगा।

मंदिर प्रांगण में आठ हजार लोग जुटेंगे

उन्होंने कहा कि हमने मंदिर प्रांगण में आठ हजार कुर्सियां लगाई हैं, जहां विशिष्ट लोग बैठेंगे। देश भर में 22 जनवरी को लोग अपने-अपने मंदिरों में स्वच्छता और भजन, पूजन कीर्तन में हिस्सा लेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लाइव देखा जा सकेगा। प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद लोग शंख बजाएं, प्रसाद वितरण करें। अधिक से अधिक लोगों तक प्रसाद पहुंचना चाहिए। हमारे आयोजन मंदिर केंद्रित होने चाहिए। सांयकाल सूर्यास्त के बाद घर के बाहरी दरवाजे पर पांच दीपक प्रभु की प्रसन्नता के लिए अवश्य जलाएं।

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चिरांद में गंगा, सरयू और सोन के संगम से अयोध्या भेजा गया पवित्र जल और मिट्टी

डोरीगंज : अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर नव निर्माण तथा 22 जनवरी को होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा को ले चिरांद स्थित गंगा-सरयू और सोन के संगम का पवित्र जल और मिट्टी अयोध्या भेजी गई।

बिहार के सारण जिले में चिरांद के निकट गंगा, सरयू और सोन नदी के संगम से चिरांद विकास परिषद एवं गंगा समग्र के तत्वावधान में पवित्र जल और मिट्टीअयोध्या भेजी गई। इस पुनीत अवसर पर महंत श्रीकृष्णा गिरी उपाख्या नागा बाबा के संरक्षण में पूजन व संक्षिप्त समारोह का आयोजन किया गया।

श्रीराम से चिरांद के संगम का गहरा नाता

मौके पर नागा बाबा ने कहा कि अयोध्या से चलकर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मणजी अपने गुरू विश्वामित्र के साथ बिहार के सारण जिले में स्थित गंगा, सरयू और सोन नदी के संगम पर पहुंचे थे। इस स्थान का नाम धर्मनगरी चिरांद है। इस समारोह के लिए भेजे अपने वीडियो संदेश में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि महर्षि विश्वामित्र ने इसी स्थान पर श्रीराम और लक्ष्मण को बला और अतिबला विद्या प्रदान करने के बाद उन्हें लेकर सिद्धाश्रम की ओर प्रस्थान किया था।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने दिया वीडियो संदेश

विश्व के दुर्लभ पुरातात्विक स्थलों में से एक, इस स्थान पर नवपाषाण कालीन ऐसे धरोहर मिले हैं जो रामायण कथा को पुरातात्विक प्रमाण से परिपुष्ट करते हैं। यह स्थान ऋषि श्रृंगी की तपस्थली थी जिन्होंने राजा दशरथ का पुत्रेष्टि यज्ञ सम्पन्न कराया था। इस स्थान की गरिमा को फिर से स्थापित करने के लिए वर्ष 2009 में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन से चिरांद चेतना महोत्सव और गंगा गरिमा रक्षा संकल्प समारोह का आयोजन कर अभियान की शुरूआत की गयी थी। चिरांद विेकास परिषद के उस प्रथम आयोजन का उद्घाटन करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ था।

अयोध्या के संतों एवं श्रीराम मंदिर निर्माण न्यास के आग्रह पर चिरांद विकास परिषद व गंगा समग्र के तत्वावधान में गंगा, सरयू और सोन इन तीन नदियों के संगम का जल कलश पूजन समारोह के बाद केंद्रीय मंत्री श्री चौबे को सौंपा गया जिसे लेकर वे पटना से बक्सर होते हुए अयोध्या के लिए रवाना हुए। चिराद विकास परिषद, गंगा समग्र के लोगों ने लिया भाग लिया।

उक्त अवसर पर चिरांद विकास परिषद के सचिव व गंगासमग्र के उत्तर बिहार के सह संयोजक श्रीराम तिवारी ने कहा कि भगवान श्रीराम के दिव्य जीवन को प्रेरणापूुंज बनाकर समाज को संकटमुक्त रखना है तो चिरांद, बक्सर व सीता जन्मस्थान को भी भव्य और विराट बनाना होगा। इस अवसर पर जिला संयोजक डाॅ कुमारी किरणसिंह, सह संयोजक राशेश्वरसिंह , रघुनाथ सिंह, राज किशोर सिंह, श्याम बहादुर सिंह, जयदिनेश पाण्डेय, उदय चौधरी, श्रीकांत पांडेय,तारकेश्वर सिंह,डाॅ शम्भू नाथ तिवारी,कुमार आनंद,, सुमन साह, बिट्टू तिवारी, जयराम राय, मोहन पासवान, शंकर पासवान, शत्रुघ्न माझी, मनीष कुमार, सुखल साह सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए।

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मकर संक्रांति का त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष मास में जिस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते है उस दिन मनाया जाता है। अनुमानतः जनवरी माह के 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है. इस दिन दान पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। 

मकर संक्रांति को भारत में अलग -अलग नाम से जाना जाता है. कही पोंगल, तिल संक्रांति, खिचरी, लोहरी के नाम से जाना जाता है. इस त्योहार को कही -कही उतरायण भी कहते है क्योंकी मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उतरायण होते है.  इस दिन से सूर्य उतर दिशा की और जाते है. जिसे इस दिन से पंचांग का अयन बदल जाता है सूर्य उतरायण की तरफ बढ़ जाते है.

ज्योतिषीय कारण को लेकर सूर्य सभी राशि में प्रवेश करते है सभी राशि को प्रभावित करते है लेकिन सूर्य कर्क तथा मकर राशि में प्रवेश करते है. धार्मिक दृष्टी से बहुत ही फलदायक होता है.  माना जाता है सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश करते है तथा इसी दिन गंगा भागीरथ के पीछे -पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगासागर में जाकर मिली थी। इसी कारण संक्रांति के दिन गंगातट पर या गंगासागर में स्नान करने की संज्ञा दी गई है. इस दिन दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है

कब मनाये मकर संक्रांति का त्योहार.

पंचांग के अनुसार 15 जनवरी 2024 को सुबह 02 बजकर 32 मिनट पर सूर्य धनु राशि से निकलर मकर राशि में गोचर करेगे जिसके कारण मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जायेगा

मकर संक्रांति का पुण्य काल
सुबह 06:38 से 05 :20 संध्या तक रहेगा समय अवधि 10 घंटा 43 मिनट

मकर संक्रांति का महापुण्य काल
सुबह 06:38 मिनट से 08 :25 सुबह

मकर संक्रांति पर बन रहा है सुबह संयोग

15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति पर बन रहा है रवि योग तथा वरियान योग तथा दिन सोमवार पर रहा है.
वरियान योग प्रातः 02:40 से रात्रि 11:15 मिनट (15 जनवरी 2024)
रवि योग सुबह 07:15 से 08:07 सुबह (15 जनवरी 2024)

मकर संक्राति पर दान क्या करे। 
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का दान करे, तिल, गुड का दान करे एस दिन अगर वस्तु का दान करते है जीवन के सभी कष्ट दूर होंगे. मकर संक्रांति के दिन सूर्य तथा शनि की वस्तु को दान करना चाहिये.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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Chhapra: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों के द्वारा दधीचि नगर (दहियावां) में श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा निमित्त पुजित अक्षत कलश निमंत्रण यात्रा देवी मंदिर नारायण चौक से नगीना सिंह गली होते हुए दधीचि आश्रम पहुंचा। इस अक्षत निमंत्रण यात्रा का नेतृत्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक चन्द्र प्रकाश ने किया ।

इस अवसर मुहल्ले के हर हिन्दू के घर अक्षत के साथ नव निर्मित राम मंदिर का फोटो ओर पत्रक भी दिया गया। साथ ही अयोध्या आने का निमंत्रण भी दिया गया और सभी लोगों से अपील भी किया गया की आने वाले 22 जनवरी 2024 को पूरे देश में दिपोत्सव मनाए। यह लगभग पाँच सौ साल के निरंतर प्रयास और हजारों कार्यकत्ताओं के बलिदान का नतीजा है कि आज यहाँ हमलोग मंदिर बनते देख पा रहें हैं ।

आगामी 22 जनवरी को अपने घर के आस पास के मंदिरों को भी सजाएँ और इस दिन दीपोत्सव मनाएँ ।

इस अवसर पर गुलशन कुमार, विकास कुमार, अंगद कुमार, प्रिंस राज, विक्की कुमार, रोशन कुमार, सूरज जी, अंकित जी, अभिषेक कुमार, मनीष कुमार, अमन कुमार सहित स्थानीय लोग मौजूद रहे।

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Chhapra: विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के द्वारा अयोध्या धाम से आए हुए पूजित 51 अक्षत कलश धर्म प्रसार जिला प्रमुख अरुण पुरोहित के नेतृत्व में बाबा मनोकामना नाथ मंदिर कटरा बाजार छपरा से प्रारंभ हुई। कलश यात्रा वेंकटेश मंदिर, जैन मंदिर, रथ वाली दुर्गा जी, काठ की देवी जी, काली बाड़ी मंदिर, सत्यनारायण, मंदिर लक्ष्मी मंदिर होते हुए बाबा धर्मनाथ मंदिर पहुंची, जहां  पूजन किया गया।  इसके बाद बाबा बटेश्वर नाथ पंच मंदिर में पहुंचकर सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया गया।

विश्व हिंदू परिषद के मीडिया प्रभारी प्रभात कुमार सिंह, जिला सेवा प्रमुख गौतम बंसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक के विभाग प्रमुख अवध किशोर मिश्रा, अनुज बजरंगी, पूर्व प्राचार्य अरुण कुमार सिंह, राकेश गुप्ता, संजय पुरोहित पुजारी, महेश मिश्रा, गोपाल मिश्रा, प्रसून मेड़तिया, अभिमन्यु सिंह, विजय शुभम सागर, ऋषभ अग्रवाल, निरंजन सिंह, विनोद कुमार सिंह, रविंद्र सिंह सहित सैकड़ो की संख्या में महिलाएं पुरुष गाजे बाजे के साथ जय श्री राम का उद्घोष करते हुए घर-घर लोगों को अयोध्या आने का निमंत्रण पत्र दिया गया।

इस अवसर पर अरुण पुरोहित ने बताया कि 500 वर्षों के बाद 22 जनवरी 2024 को रामलाल का विराट मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी यह हम सभी लोगों का सौभाग्य है। 22 जनवरी छपरा को अयोध्या बनाना है सैकड़ो मंदिरों में प्रातः 11:00 बजे से 1:00 बजे तक 108 हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया गया है। उन्होंने छपरा वासियो से आग्रह किया है कि आप अपने घर के पास के मंदिरों में जाकर सामूहिक पाठ में सम्मिलित हो और संध्या समय पांच दीप मंदिर में और पांच दीप अपने घरों पर जलाकर के दीपावली उत्सव मनावें । विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल तमाम समाजिक धार्मिक संगठन के स्वयं सेवक कार्यकर्ता गणआपके घर घर तक अक्षत निमंत्रण 15 जनवरी 2024 तक पहुंचाएगी। जिन लोगों को निमंत्रण पत्र अक्षत नहीं मिले वह अपने पास के मंदिरों से भी प्राप्त कर सकते हैं।

कलश यात्रा का जगह-जगह लोग फूल मालाओं से स्वागत किया बाबा बटुकेश्वर नाथ पंच मंदिर दौलतगंज में पुजारी ध्रुव कुमार मिश्रा मुन्ना बाबा ने अक्षत कलश का पूजन किया यात्रा में शामिल लोगों की आरती के साथ स्वागत किया। भगवान भोलेनाथ का पूजन हुआ और अक्षत कलश यात्रा में शामिल सभी लोगों ने मिलकर सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया । पूरा इलाका भक्ति में जय श्री राम के नारों से गुंजायमान रहा। 

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Chhapra: कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान करने के लिए सोमवार को बिहार ही नहीं, देेश के विभिन्न राज्यों और विदेशी श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। जिसकेेे कारण अहले सुबह से ही काफी भीड़ रही।

पूर्णिमा के मौके सोनपुर, मांझी और रिविलगंज में सरयू और गंगा स्नान कर शारीरिक, मानसिक सुख और मोक्ष की कामना के साथ गंगा स्नान करने के लिए रात से बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु पहुंच गए थे। 

पौराणिक समय से चले आ रहे दान और पूजा की परंपरा के तहत श्रद्धालुओं ने बड़े पैमाने पर सभी मंदिरों में पूजा-अर्चना तथा गुरु पूजन किया। 

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद जलार्पण के लिए बाबा हरिहरनाथ मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। जलार्पण और स्नान को लेकर जिला प्रशासन ने व्यापक प्रबंध किए थे। पुलिस प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम भी काफी चुस्त और मुस्तैद रही। 

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धर्म की आदर्श आचार संहिता का पालन करने के लिए वनवास गए थे श्री राम: राघव किंकर महाराज 

Isuapur: भगवान श्री सत्संकल्प हैं. यदि वे चाहते तो स्वर्ग में बैठे-बैठे रावण को समाप्त कर सकते थे लेकिन भगवान धर्म के सिद्धांत का परिपालन करने हेतु भगवान ने वनवास स्वीकार किया.

वनवास में भगवान ने जहां अनेको अनेक कष्ट सहे वही मानव धर्म में समानता का धर्म साबित करने के लिए केवट और सबरी जैसे लोगों को गले लगाया. बाली को जीतने के बाद मैत्री धर्म का पालन करते हुए बाली को जीतकर राज सुग्रीव को एवं लंका को जीतने के बाद लंका का राज विभीषण को सौंप दिया. ये बातें इसुआपुर के धर्मशाला परिसर में चल रहे चार दिवसीय श्री राम कथा के दूसरे दिन कथा वाचक यूपी के चित्रकूट से आये श्री राघव किंकर जी महाराज (आलोक मिश्रा)ने कही।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और मानव धर्म के आदर्शों को प्रतिस्थापित करने के लिए राम जी ने सीता जी की अग्नि परीक्षा ली।

आज के पर्यवेक्ष में सनातन धर्म तथा मानव धर्म का पालन करने वाला राम के अलावा दूसरा कोई नहीं हो सकता। श्रीराम आदर्श पुत्र आदर्श भ्राता आदर्श पति आदर्श मित्र एवं आदर्श राजा हैं। अस्तु श्री राम जी का वनवास सभी मानवीय धर्म का आदर्श है।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस ग्रंथ में भगवान श्री राम जी के पावन चरित्र का वर्णन करते हुए भगवान के हर उस आदर्श का दर्शन कराया जिसमें मानव जीवन आदर्शो को प्राप्त करता है। अस्तु हम सभी को भगवान श्री राम के आदर्शों पर चलकर ही आदर्श मानव जीवन प्राप्त कर सकते हैं।

कार्यक्रम का आयोजन डॉ प्रतीक, विनोद चौबे, मिथलेश चौबे, बिनोद प्रसाद, राजेश चौबे एवं अन्य लोगों के सहयोग से किया जा रहा है।

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