नई दिल्ली, 09 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस के साथ आज से आदि शक्ति मां दुर्गा की आराधना का महापर्व प्रारंभ हो गया। देशभर की शक्तिपीठों में मां के दर्शन के लिए सुबह से लंबी कतारें लगी हुई हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के छतरपुर मंदिर, झंडेवालान मंदिर और कालकाजी मंदिर में सुबह की आरती के साथ मां के दर्शन शुरू हो गए।

असम में मां कामाख्या, मुंबई में मुंबा देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश में ज्वालाजी, नयनादेवी, मध्य प्रदेश के मैहर में मां शारदा पीठ और उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में रामगिरी शक्तिपीठ और विंध्याचल शक्तिपीठ में उपासक पवित्र नदियों में स्नान के बाद दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। देश के सभी देवालयों में भी आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा है।

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस सर्वार्थ सिद्धि और अमृत योग है। वैदिक ज्योतिष में इन इन दोनों योग में की गई पूजा को बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। प्रयागराज में श्रद्धालुओं ने गंगा और यमुना नदी में पवित्र डुबकी लगाकर जलदेवियों की पूजा-अर्चना की। प्रसिद्ध गायक जुबिन नौटियाल ने चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की।

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Chhapra: स्थानीय काठ की देवी माता भुवनेश्वरी देवी जी के मंदिर से जलभरी यात्रा निकाली गई। सनातन हिंदू नव वर्ष संवत्सर 2081का आगमन सामूहिक पूजा पाठ से प्रारंभ किया गया। लगभग 400 वर्षों पुरानी मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया । माता भुवनेश्वरी देवी के दर्शन मात्र से आपकी मनोकामना पूर्ण होती है ।

इस अवसर पर नव वर्ष शुक्ल प्रतिपदा को जल -भरी यात्रा बाजे गाजे के साथ निकल गई जो गुदरी राय चौक सत्यनारायण मंदिर सांवलिया मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर होते हुए छपरा शहर के प्रधान धर्मनाथ मंदिर तक गई। धर्मनाथ मंदिर में पूजन कर नव वर्ष का स्वागत सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ के साथ किया गया।

इस अवसर पर धर्म प्रसार जिला प्रमुख विश्व हिंदू परिषद अरुण पुरोहित ने महामंत्र श्री राम जय राम जय जय राम के पाठ के साथ शुरुआत की नव वर्ष के विषय में माताओं एवं बहनों को जानकारी दी ।

ब्रह्मा के सृष्टि का प्रथम दिन आज कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि के दिन सनातन धर्मावलंबी नववर्ष के रूप में मनाते हैं । अपने घरों पर भगवान ध्वज फहराएं संध्याकालीन कम से कम पांच पांच दीप अपने घरों और घर के पास मंदिरों में प्रज्वलित कर उत्सव मनावें। घर पर नाना प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगावे और प्रसाद पावें। अपने बच्चों और कुटुंब को नव वर्ष के बारे में बताएं ।

9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक भगवान राम का जन्म उत्सव मनावें। नव वर्ष के रोज दीप प्रज्वलित करने से घर में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है आपकी काया (शरीर) निरोग रहती है। इस अवसर पर हजारों की संख्या में महिलाएं पुरुष एवं बच्चों ने भाग लिया।

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बसंत नवरात्रि चैत्र माह के शुक्लपक्ष के प्रतिपदा तिथि से लगातार 9 दिनों तक चलने वाला त्योहार है. ऐसे तो साल में चार नवरात्रि होता है लेकिन दो नवरात्रि को विशेष रुप से मनाया जाता है. लेकिन उसमें बसंत नवरात्रि का महत्वपूर्ण ज्यादा रहता है.

नवरात्रि में माँ के नव रूपों का पूजन होता है।  इस वर्ष वसंत नवरात्री पर विशेष योग भी बन रहा है।  सर्वार्थ सिद्ध योग तथा अमृत सिद्धि योग इस विशेष योग में माता के नौ रूपों का पूजन करने से आपके उपर पारिवारिक कष्ट बना हुआ है वह दूर होगा। जिन लोगों को चंद्रमा का दोष बना हुआ है बसंत नवरात्रि में माँ भगवती का पूजन शक्ति प्रदान करने वाली होती है। विधि विधान से इसका पूजन करने से आपके ऊपर कई गुना आशीर्वाद बढ़ जाता है। बसंत नवरात्रि के दिन से नया संवत्सर का आरम्भ होता है।  इस साल नवरात्रि 09 अप्रैल से आरम्भ होगा और 17 अप्रैल तक चलेगा।

कलश स्थापना कौन से मुहुर्त में नहीं करे

कलश स्थापना करने से देवी शक्ति का एक विशेष पूजन है।  इसका पूजन करने से हमें शक्ति प्रदान होता है। लेकिन कलश स्थापना अगर शुभ मुहूर्त में नहीं हो देवी पूजन का लाभ नही
मिलता है। इस वर्ष कलश स्थापना करने के लिए विशेष मुहुर्त है।  कलश स्थापना अनुचित समय पर करने से देवी शक्ति का प्रकोप होता है।  अमावस्या तथा वैधृत योग एवं चित्रा नक्षत्र में कलश की स्थापना नहीं करे इससे परेशानी बढ़ जाती है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

09 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार समय सुबह 11:15 से 12:24 दोपहर तक.

प्रतिपदा तिथि का आरम्भ 08 अप्रैल 2024 रात्रि 11:55 से
प्रतिपदा तिथि का समाप्त 09 अप्रैल 2024 रात्रि 09:43 तक.

अभिजित मुहूर्त 09 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार समय सुबह 11:15 से 12:24 दोपहर तक.

वैधृत योग का आरंभ 08 अप्रैल 2024 संध्या 06:16 से

वैधृत योग का समाप्त 09 अप्रैल 2024 संध्या 03:18 तक

सर्वार्थ सिद्ध योग का आरम्भ 09 अप्रैल 2024 सुबह 07:32 से
सर्वार्थ सिद्ध योग का समाप्त 10 अप्रैल 2024 सुबह 05:06 तक

अमृत सिद्ध योग का आरम्भ 09 अप्रैल 2024 सुबह 07:32 से
अमृत सिद्ध योग का समाप्त 10 अप्रैल 2024 सुबह 05:06 तक

कलश स्थापना कैसे करे .
मिट्टी के चौड़े मुंह का वर्तन रखे उसके निचे सप्तधान्य रखे यानि सप्तधान्य के ऊपर मिट्टी से बना कलश रखे कलश में जल भरे ,कलश को लाल कपड़ा से लपेटे कलश के गर्दन में
कलावा बांधे कलश में आम का पल्लव को कलश के ऊपर रखे उसके बाद लाल कपड़ा में नारियल को लपेटकर कलश के ऊपर रखे ,कलश में सुपारी,एक पैसा डाले ,दूर्वा ,रोली,
सिंदूर, पान के पता ,कलश पर चढ़ाए कलश स्थापना होने के बाद माँ भगवती का पूजन करे.

वसंत नवरात्रि में माता का घोड़े पर सवार होकर आयेगी.

इस वर्ष नवरात्रि का आरम्भ मंगलवार के दिन से आरम्भ होगा मंगलवार के दिन नवरात्रि आरंभ होने से माता घोड़े पर सवार होकर आएगी भगवती को घोड़ा पर आना ठीक नहीं होता है
घोड़ा का सवारी करते हुए आती है देश में प्राकृतिक आपदा , महामारी ,सीमावर्ती क्षेत्र में तनाव बनेगा .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्लपक्ष के प्रतिपदा तिथि से होगी। नए संवत्सर 2081 का नाम पिंगल है, नए वर्ष के राजा मंगल तथा मंत्री शनि रहेंगे। मंगल और शनि इन दोनो ग्रह को एक साथ रहना ठीक नहीं होता है.

09 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार से नया साल का आरम्भ होगा. ज्योतिष गणना के अनुसार इस साल नए की शुरूआत सर्वार्थ सिद्धि योग तथा अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है।  इस दिन से नए हिन्दू पंचांग की शुरुआत होती है .

इस तिथि से व्रत त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार आरंभ हो जाता है. संवत के धन के स्वामी मंगल रहेंगे. दुर्गेश शनि, धान्येश चंद्रमा, फलेस शुक्र, रसेश गुरु, नीरसेश मंगल, मेघेशो शनि रहेंगे। नए संवत्सर के पहले दिन रेवती नक्षत्र तथा शुभ योग रहेगा। जो बहुत ही शुभ है। इस दिन चंद्रमा गुरु की राशि मीन में रहेंगे शनि, चन्द्रमा, सूर्य, शुक्र ग्रह की युति मीन राशि में बन रहा है। इस दिन को अलग अलग नाम से भी जाना जाता है। 

इस दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। साथ ही सतयुग का आरम्भ भी इसी दिन से हुआ था. भगवान राम का राज्याभिषेक भी हुआ था. इस दिन से बसंत नवरात्रि का आरंभ हो जाता है। इसलिए इस तिथि को अत्यंत महतवपूर्ण माना जाता है। सभी शुभ कार्य का आरंभ इस दिन से करते है.

कैसा रहेगा नया संवत्सर
नए संवत् में शनि और मंगल एक साथ होने से एक दुसरे से मतभेद बना रहेगा। छोटी -छोटी बात पर एक दुसरे को खिचाव करेगे, लेकीन लोग पूजा -पाठ में ध्यान रखेगे। इस समय व्यक्ति के बौधिक क्षमता का विकाश होगा. राजनितिक क्षेत्र में एक दुसरे पर आरोप -प्रति आरोप लगा रहेगा. राज्य अधिकारो को लेकर मतभेद बनेगा. सीमाओं को लेकर विवाद बन सकता है. शेयर बाजार में वृद्धि होगा अर्थव्यवस्था अनुकूल स्थिति में रहेगा. मौसम ठीक नहीं रहेगा लेकिन बीच बीच  में पठारी भागो में आपदा होगा.

नए संवत्सर में क्या करे
नए संवत्सर के दिन अपने घर की सफाई करे। स्नान करके अपने आराध्य देव तथा कुल देवता का पूजन करे। घर में मुख्य दरवाजे पर तोरण लगाए साथ ही स्वस्तिक बनाये. अपने घर पर केशरी रंग का धर्म का ध्वजा विधिपूर्वक पूजा पाठ करके घर की आगे लगाये. इस दिन घर में हवन करने से वास्तुदोष के साथ ही ग्रहों का दोष बना हुआ था वह दूर होगा, ब्राह्मण को भोजन कराए, तिलक लगाए आपके सभी रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे.

नए संवत्सर के दिन क्या नहीं करे

नए संवत्सर के दिन सयम से रहे शुद्ध भोजन करे इस दिन किसी से पैसा का लें देन नहीं करे.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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उज्जैन, 23 मार्च (हि.स.)। देश भर में इन दिनों होली की धूम देखने को मिल रही है। परम्परा के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा पर देश में सबसे पहले रविवार, 24 मार्च को शाम 7.30 बजे विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में होलिका दहन किया जाएगा तथा 25 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा। अगले दिन सोमवार, 25 मार्च को धुलेंडी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन तड़के चार बजे भस्म आरती में अवंतिकानाथ भक्तों के साथ हर्बल गुलाल से होली खेलेंगे। वहीं, 26 मार्च से गर्मी की शुरुआत मानते हुए भगवान को ठंडे जल से स्नान कराने का क्रम शुरू होगा। प्रतिदिन होने वाली पांच में से तीन आरती का समय भी बदलेगा।

मंदिर प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने शनिवार को बताया कि देश में सभी त्योहारों की शुरुआत भगवान महाकाल के आंगन से होती है। इसी परम्परा के अनुसार हर साल की तरह इस बार भी होली का पर्व भी देशभर में सबसे पहले भगवान महाकाल के मंदिर में मनाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि रविवार को मंदिर परिसर में श्री ओंकारेश्वर मंदिर के सामने होली बनाई जाएगी। शाम को भगवान महाकाल की संध्या आरती के बाद पुजारी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ होलिका का पूजन करेंगे। पुजारी परिवार की महिलाओं के द्वारा भी होलिका का पूजन किया जाएगा। इसके बाद होलिका का दहन होगा। फिर फाग उत्सव मनाया जाएगा। अगले दिन सोमवार को धुलेंडी पर भस्म आरती में रंगोत्सव मनाया जाएगा। पुजारी, पुरोहित व भक्त भगवान महाकाल के साथ होली खेलेंगे।

उन्होंने बताया कि मंदिर की पूजन परंपरा में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। प्रतिपदा 26 मार्च को है, इसलिए भगवान की दिनचर्या में बदलाव होगा। सर्दी के दिनों में भगवान को गर्म जल से स्नान कराया जा रहा था। अब चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से शरद पूर्णिमा तक अगले छह माह भगवान शीतल जल से स्नान करेंगे। इस अवधि में आरती का समय भी बदलेगा।

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पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार की प्रसाद योजना के तहत आमी मंदिर परियोजना सारण का हुआ शुभारंभ

Chhapra: इंडिया टूरिज्म पटना, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार, पर्यटन विभाग, भारत सरकार के सहयोग से बिहार सरकार ने पर्यटन मंत्रालय की प्रसाद योजना के तहत “आमी मंदिर परियोजना का शुभारंभ” कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार ( 07.03.2024) को आमी (अंबिका) मंदिर परिसर, सारण, बिहार में किया।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने “पर्यटन के माध्यम से परिवर्तन” विषय के तहत इस परियोजना को श्रीनगर से लॉन्च किया है।इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारत के पर्यटन स्थलों के विकास के लिए मंत्रालय की स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना के तहत एक साथ पूरे भारतवर्ष में आज कुल 53 योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।

यह कार्यक्रम बिहार के सारण जिले के आमी (अंबिका) मंदिर परिसर में भी आयोजित किया गया। इस अवसर पर स्थानीय प्रतिनिधि एवं केन्द्रीय एवं राज्य पर्यटन विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में 500 से अधिक लोगों ने भाग लिया और लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से वर्चुअल मोड पर श्रीनगर से प्रधानमंत्री के लाइव संबोधन को देखा।भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने प्रसाद योजना के तहत आमी मंदिर परिसर के कायाकल्प और विकास के लिए लगभग रु. 20 करोड़ अनुदान देने की घोषणा की। नीरज शरण सहायक महानिदेशक, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय, अजीत लाल,पर्यटन अधिकारी औरबीएसटीडीसी के जीएम अभिजीत कुमार कार्यक्रम में मौजूद थे।

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महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष को यह पर्व मनाया जाता है. इस दिन भोलेनाथ के भक्त मंदिर में शिव लिंग पर पूजा करते है पूजन में बेलपत्र फूलमाला, धतुर चढ़ाकर भगवान शिव का पूजन करते है तथा रात्रि में जागरण करते है.

इस दिन पूजन करने पर सभी मोनोरथ पूर्ण होते है। इस दिन विशेष सामग्री से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते है. इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवास करते है. इस दिन भोलेनाथ तथा माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसका वर्णन गरुड़ पुराण शिवपुराण अग्निपुराण में व्याख्या मिलता है। जिनके विवाह होने में परेशानी हो रही हो इस दिन शिव अभिषेक करे. इस शिवरात्रि में बन रहा है दुर्लभ संयोग रहा है। इस दिन शुक्रवार है यथा योग शिवयोग है नक्षत्र श्रवण है ज्योतिष शास्त्र में इस योग को अत्यंत ही शुभ बताया गया है। महाशिरात्रि के समय सूर्य उतरायण हो चुके होते है। चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा कमजोर स्थिति में आ जाते है। भगवान शिव चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किये है। जिनके कुंडली में चंद्रमा कमजोर है। कालसर्प दोष है तथा मांगलिक योग से परेशान है वह इस दिन भगवान शिव का पूजन करे सभी दोष दूर होंगे एवं आपको शक्ति मिलेगी.

कब है महाशिवरात्रि तथा शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुशार महाशिवरात्रि का व्रत 08 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।

निशिता काल पूजा समय
रात्रि 11:35 से 12:24 सुबह 09 मार्च तक

पारण :
09 मार्च 2024 सुबह 6:05 के बाद

पूजा विधि :
सूर्योदय के पहले उठ जाये स्न्नान करने के बाद साफ स्वस्छ कपड़ा पहने

पूजा स्थल का सफाई करे तथा गंगाजल छिडके

लोटे में दूध या पानी भरकर उसमे बेलपत्र ,धतुरा ,फूल चावल डालकर भगवान शिव को चढ़ाये

शिवपंचाक्षर मंत्र

ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करे .

पौराणिक कथा :
माता पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी उसके बाद इस दिन विवाह हुआ था. यही कारण है कि इस दिन को महत्वपूर्ण तथा पवित्र माना जाता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

 

फाइल फोटो

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पूर्वी चंपारण,14 फरवरी(हि.स.)। जिले के अरेराज सोमेश्वरनाथ महादेव मंदिर में बुधवार को वसंत पंचमी के अवसर पर जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओ की भारी भीड़ उमड़ी।

जिले के विभिन्न प्रखंड समेत बिहार के अन्य जिलो के साथ ही उत्तर प्रदेश व पड़ोसी देश नेपाल के श्रद्धालु विभिन्न नदियो के पवित्र जल से मनोकामना पूरक पंचमुखी महादेव का जलाभिषेक किया। श्रद्धालुओ की संभावित भीड़ के मद्देनजर अरेराज अनुमंडल प्रशासन की उपस्थिति में मन्दिर प्रबंधन ने प्रथम पूजा के बाद रात्रि 2.30 बजे ही मंदिर का पट खोल दिया गया।

पट खुलते ही बोल बम व हर हर महादेव के जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गूंजायमान हो उठा।इस दौरान सुरक्षा को लेकर अरेराज एसडीओ अरूण कुमार और डीएसपी रंजन कुमार के नेतृत्व में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल और दण्डाधिकारी मुस्तैद दिखे।

श्रद्धालुओ की सुविधा को लेकर एक दर्जन स्थलों पर ड्राप गेट ,फिक्स गेट के साथ साथ नियंत्रण कक्ष बनाया गया है।दण्डाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी के सशस्त्र के साथ सीसीटीवी से भी मंदिर परिसर और पथ की निगरानी की व्यवस्था की गयी है।साथ ही सादे लिबास में भी पुलिस बल मेला की निगरानी में लगाया गया है।

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देहरादून/नरेंद्र नगर, 14 फरवरी (हि.स.)। उत्तराखंड के चमोली जिला स्थित विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट आगामी 12 मई (रविवार) को प्रात: 6 बजे खुलेंगे। राजदरबार नरेंद्र नगर में आयोजित धार्मिक समारोह में बुधवार को बसंत पंचमी को पूजा-अर्चना और पंचांग गणना के पश्चात विधि-विधान से यात्रा वर्ष 2024 के लिए कपाट खुलने की तिथि की घोषणा की गयी जबकि तेल-कलश यात्रा की भी तिथि 25 अप्रैल को तय हुई है। इस दौरान राजमहल में कई विशिष्टजन एवं बड़ी संक्ष्या में श्रद्धालुगण मौजूद रहे।

टिहरी राजदरबार नरेंद्र नगर में आज प्रातः से कपाट खुलने की तिथि घोषित करने के लिए कार्यक्रम शुरू हुआ। महाराजा मनुज्येंद्र शाह, सांसद रानी माला राज्यलक्ष्मी शाह सहित बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय, राजकुमारी शिरजा शाह की उपस्थिति में पंचांग गणना के पश्चात राजपुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने तिथि तय कर महाराजा के सम्मुख रखी। तत्पश्चात महाराजा मनुज्येंद्र शाह ने कपाट खुलने की तिथि की विधिवत घोषणा की। इस दौरान राजमहल परिसर जय बदरी विशाल के उद्घोष से गूंज उठा।

इससे पहले डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी और सदस्यों ने तेल कलश राजदरबार के सुपुर्द किया। इसी कलश में राजमहल से तिलों का तेल पिरोकर आगामी 25 अप्रैल को तेलकलश यात्रा राजमहल से शुरू होकर कपाट खुलने की तिथि पर भगवान बदरी विशाल के अभिषेक के लिए बदरीनाथ धाम पहुंचेगी।

इस अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय होते ही यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। मंदिर समिति आगामी बजट में यात्री सुविधाओं के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान करेगी। उन्होंने बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय होने के अवसर पर सबको बधाई दी।

कपाट खुलने की तिथि तय होने के अवसर मुकुंदानंद महाराज, डिमरी पंचायत अध्यक्ष आशुतोष डिमरी, मंदिर समिति सदस्य वीरेंद्र असवाल, श्रीनिवास पोस्ती, पुष्कर जोशी भास्कर डिमरी,राजपाल जड़धारी, हरीश डिमरी, विनोद डिमरी,सुरेश डिमरी, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, अनुसचिव धर्मस्व रमेश रावत,धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी, निजी सचिव प्रमोद नौटियाल,मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़, माधव नौटियाल, संजय डिमरी, ज्योतिष डिमरी आदि मौजूद रहे।

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माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है।  इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी माता सरस्वती की उपासना की जाती है. यह दिन माता सरस्वती के पूजन के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन विद्या और कला की देवी सरस्वती की पूजा की विधान है।

बसंत पंचमी से बसंतोत्सव की शुरुआत हो जाती है। ये बसंतोत्सव होली तक चलता है।  इस बसंतोत्सव को मदनोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसलिए इस दिन से नए कार्य का आरम्भ करना शुभ होता है। विशेषतौर पर कोई नई विधा आरम्भ करनी हो, कोई नया काम शुरू करना हो बच्चे का मुंडन संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, गृहप्रवेश या अन्य कोई शुभ काम करना हो इस दिन बहुत ही शुभ रहता है। 

कब है सरस्वती पूजा क्या है शुभ मुहूर्त.

पंचमी तिथि का आरंभ 13 फरवरी 2024 को दोपहर 02:41 मिनट से आरंभ होगा.
पंचमी तिथि का समाप्ति 14 फरवरी 2024 समय 12:09 दोपहर तक
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06:26 से दोपहर 12:04 मिनट तक होगा.

रेवती नक्षत्र के साथ रवियोग बन रहा है.

रेवती नक्षत्र में कोई भी शुभ कार्य का आरम्भ करने से उसमे सफलता मिलती है. इस दिन बच्चे को पहला अक्षर लिखवाने का उत्तम दिन है। सरस्वती जी की कृपा से वह करियर में उन्नति करेगे. जो लोग प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे है उनको इस दिन विशेष पूजन करनी चाहिए.

कब से बन रहा है रवियोग
रवियोग आरम्भ 14 फरवारी 2024 समय सुबह 10:43 से 06 :26 (15 फरवरी 24 ) को समाप्त होगा.
रेवती नक्षत्र 14 फरवरी 2024 को सुबह 10:43 मिनट तक रहेगा.

बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती के पूजन विधि

माँ सरस्वती के पूजन करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को छोटी चौकी सामने रखना चाहिए.त स्वीर के निचे लाल कपड़ा का आसनी बिछाए. कलश स्थापित करे. इसके बाद गणेश जी का तथा नवग्रह का विधि के साथ पूजन करें.  माँ सरस्वती की पूजा करे सरस्वती माता के पूजन करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन तथा अस्नान कराए माता की सफेद रंग की वस्त्र चढ़ाए उनको सफेद वस्त्र बहुत ही है. इसके बाद माता को फूल एवं फूलमाला चढ़ाए माता सरस्वती को सिंदूर एवं श्रृंगार की समान अर्पित करे, ऋतू फल प्रसाद के रूप में हलवा पंचामृत अर्पित करे। खीर का भोग लगाए, घर पर बनाए गए विशेष पकवान का भोग लगाए. इस दिन गुलाल चढ़ाने की परम्परा है माता के चरणों में गुलाल अर्पित करे.

सरस्वती पूजा के दिन क्या नहीं करना चाहिए 

बसंत पंचमी यानि सरस्वती पूजा के दिन जहा भी सरस्वती पूजन हो रहा है या आप कर रहे है बिना स्नान किए उनकी आराधना नहीं करे। बिना स्नान किए प्रसाद ग्रहण नहीं करे। इस दिन पूर्ण रूप से शाकाहारी भोजन करे। मदिरा का वर्जित करे, परिवार में सबके साथ मिलकर रहे झगडा झंझट से दूर रहे.

बसंत पंचमी पर पिला रंग का क्या है महत्व 

बसंत पंचमी पर पिला रंग का बहुत ही महत्व है।  ग्रंथो के अनुसार बसंत पंचमी पर पिला रंग के उपयोग का महत्व है क्योकि इस त्योहार के बाद पर्व के बाद बसंतऋतू की शुरुआत हो जाती है. बसंत ऋतू में फसल पकने लगती है और पिला फुल भी खिलने लगता है इस लिए बसंत पंचमी पर पीले फुल भी खिलने लगते है क्योंकि पिला रंग समृद्धि, उर्जा, प्रकाश और आशावाद का प्रतिक माना जाता है। इसलिए इस दिन पिला रंग तथा पिला व्यंजन बनाते है। पिला रंग सादगी का प्रतिक भी होता है पिला रंग को शुभ रंग माना जाता है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

 

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नैनी द्वारकाधीश मंदिर का जिला अध्यक्ष के नेतृत्व भाजपा नेताओ ने चलाया सफाई अभियान

Chhapra: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भाजपा नेताओं ने जिले के प्रसिद्ध नैनी के द्वारकाधीश मंदिर में जिला अध्यक्ष रणजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में भाजपा नेताओं ने पूरे मंदिर प्रांगण में सफाई अभियान चलाकर मंदिर की सफाई की.

जिला अध्यक्ष रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर भाजपा पुरे देश में 14 जनवरी से २२ जनवरी रामलला के स्थापना उद्घाटन तक पूरे देश के मंदिरों तीर्थ स्थानों की सफाई भाजपा कार्यकर्ता नेताओं द्वारा करनी देश के यशस्वी प्रधानमंत्री स्वयं सभी मंदिरों में सफाई कर रहे हैं. इस घड़ी में भाजपा सारण द्वारा नैनी के द्वारकाधीश मंदिर, राम जानकी मंदिर एवं गढ़देवी माई पर सफाई अभियान चला कर सफाई की गई और देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त किया गयाा.

पूर्व राष्ट्रीय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शैलेंद्र सेंगर ने कहा कि पूरे भारतवर्ष के लिए गर्व की बात है कि अयोध्या में 500 सालों के बाद कितने संघर्षों के बाद 22 तारीख को रामलला अपने घर में विराजमान होंगे.

इस अवसर पर जिले के सभी मंदिर मठ तीर्थ स्थान पर भाजपा के द्वारा सफाई अभियान चलाया जा रहा है एवं 22 तारीख को दीपोउत्सव सभी मंदिरों में किया जाएगा.

छपरा विधानसभा प्रभारी महामंत्री धर्मेंद्र कुमार साह ने कहा कि प्रतिदिन भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा मंदिर मठ एवं तीर्थ स्थानों की सफाई पूरे मनोयोग किया जा रहा है. इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के जिला महामंत्री विवेक कुमार सिंह, मंत्री अर्धदु शेखर, सैनिक प्रकोष्ठ के सहसंयोजक अखिलेश कुमार सिंह, मंडल उपाध्यक्ष बृजेश कुमार सिंह, मुखिया प्रतिनिधि राजा सिंह, भानु सिंह, अंकुर सिंह, प्रवीण कुमार सिंह, रणधीर कुमार सिंह किसान मोर्चा मंडल अध्यक्ष, इत्यादि बड़ी संख्या में जिला पदाधिकारी एवं ग्राम वासी उपस्थित थे।

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अयोध्या, 15 जनवरी (हि.स.)। अयोध्या धाम में अपने नव्य-भव्य मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को है। हालांकि प्राण प्रतिष्ठा के लिए आवश्यक अनुष्ठान 16 जनवरी से ही प्रारम्भ हो जाएंगे और रामलला 18 जनवरी को गर्भ गृह में अपने आसन पर विराजमान हो जाएंगे। 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी के दिन अभिजित मुहुर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा।

प्राण प्रतिष्ठा के संबंध में यह जानकारी सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताईं। उन्होंने ये भी बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर गर्भ गृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सभी ट्रस्टीज उपस्थित रहेंगे।

16 जनवरी से शुरू होगी पूजन विधि
चम्पत राय ने बताया कि कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगी। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के पुजारी गणेश्वर शास्त्री ने निर्धारित किया है। वहीं, प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े कर्मकांड की संपूर्ण विधि वाराणसी के ही लक्ष्मीकांत दीक्षित द्वारा कराई जाएगी।

उन्होंने बताया कि पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू होकर 21 जनवरी तक चलेगी। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्यूनतम आवश्यक गतिविधियां आयोजित होंगी। उन्होंने बताया कि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है वो पत्थर की है। उसका वजन अनुमानित 150 से 200 किलो के बीच होगा। यह 5 वर्ष के बालक का स्वरूप है, जो खड़ी प्रतिमा के रूप में स्थापित की जानी है।

श्रीविग्रह की अधिवास के बाद होगी प्राण प्रतिष्ठा
उन्होंने बताया कि निर्धारित अनुष्ठान के अनुसार जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी होती है उसको अनेक प्रकार से निवास कराया जाता है। पूजा पद्धति में इस प्रक्रिया को अधिवास कहते हैं। इसके तहत प्राण प्रतिश्ठा की जाने वाली प्रतिमा का जल में निवास, अन्न में निवास, फल में निवास, औशधि में निवास, घी में निवास, शैय्या निवास, सुगंध निवास समेत अनेक प्रकार के निवास कराए जाते हैं। यह बेहद कठिन प्रक्रिया है। जानकारों ने कहा है कि आज के समय के अनुसार व्यवहार करना चाहिए। यह कठिन प्रक्रिया है। इसलिए धर्माचार्यों के कहे अनुसार ही प्रक्रिया संपन्न की जाएगी।


हर परंपरा, विद्या और मत से जुड़े लोगों को किया गया आमंत्रित

श्री राय के अनुसार, लगभग 150 से अधिक परंपराओं के संत-धर्माचार्य, आदिवासी, गिरिवासी, समुद्रवासी, जनजातीय परंपराओं के संत-महात्मा कार्यक्रम में आमंत्रित हैं। इसके अतिरिक्त भारत में जितने प्रकार की विधाएं हैं चाहे वो खेल हो, वैज्ञानिक हो, सैनिक हो, प्रशासन हो, पुलिस हो, राजदूत हो, न्यायपालिका हो, लेखक हो, साहित्यकार हो, कलाकार हो, चित्रकार हो, मूर्तिकार हो, जिस विद्या को भी आप सोच सकते हैं, उसके श्रेष्ठजन आमंत्रित किए गए हैं। मंदिर के निर्माण से जुड़े 500 से अधिक लोग जिन्हें इंजीनियर ग्रुप का नाम दिया गया है वो भी इस कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। साधु संतों में सारा भारत, सभी भाषा-भाषी, शैव, वैष्णव, शाक्य, गणपति उपासक, सिख, बौध, जैन के साथ ही जितने भी दर्शन हैं सभी दर्शन, कबीर, वाल्मीकि, आसाम से शंकर देव की परंपरा, इस्कॉन, गायत्री, ओडिशा का महिमा समाज, महाराष्ट्र का बारकरी, कर्नाटक का लिंगायत सभी लोग उपस्थित रहेंगे।

माता सीता के मायके समेत कई स्थानों से आ रही भेंट

उन्होंने बताया कि मानसरोवर, अमरनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार, प्रयागराज का संगम, नर्मदा, गोदावरी, नासिक, गोकर्ण, अनेक स्थानों का जल आया है। तमाम लोग श्रद्धापूर्वक अपने स्थानों का जल और रज ला रहे हैं। हमारे समाज की सामान्य परंपरा है भेंट देने की, इसलिए दक्षिण नेपाल का वीरगंज जो मिथला से जुड़ा हुआ क्षेत्र है वहां से एक हजार टोकरों में भेंट आई है। इसमें अन्न हैं, फल हैं, वस्त्र हैं, मेवे हैं, सोना चांदी भी है। इसी तरह सीतामढ़ी से जुड़े लोग भी आए हैं, जहां सीता माता का जन्म हुआ वहां से भी लोग भेंट लेकर आए हैं। यही नहीं, राम जी की ननिहाल छत्तीसगढ़ से भी लोग भेंट लाए हैं। एक साधु जोधपुर से अपनी गौशाला से घी लेकर आए हैं।


20-21 जनवरी को बंद रहेंगे दर्शन

चम्पत राय ने बताया कि 20-21 जनवरी को श्रीरामलला के दर्शन बंद किए जाने पर विचार चल रहा है। भगवान का दर्शन, पूजन, आरती, भोग, शयन, जागरण पुजारी कराएंगे और अंदर जितने लोग रहते हैं वो उपस्थित रहेंगे। अभी 25 से 30 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन आते हैं वो 20-21 जनवरी को भगवान के दर्शन नहीं कर सकेंगे, ताकि अंदर की व्यवस्थाओं को सरलता से पूर्ण किया जा सके। 23 से नए विग्रह का दर्शन आम जनमानस के लिए खोल दिया जाएगा।

मंदिर प्रांगण में आठ हजार लोग जुटेंगे

उन्होंने कहा कि हमने मंदिर प्रांगण में आठ हजार कुर्सियां लगाई हैं, जहां विशिष्ट लोग बैठेंगे। देश भर में 22 जनवरी को लोग अपने-अपने मंदिरों में स्वच्छता और भजन, पूजन कीर्तन में हिस्सा लेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लाइव देखा जा सकेगा। प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद लोग शंख बजाएं, प्रसाद वितरण करें। अधिक से अधिक लोगों तक प्रसाद पहुंचना चाहिए। हमारे आयोजन मंदिर केंद्रित होने चाहिए। सांयकाल सूर्यास्त के बाद घर के बाहरी दरवाजे पर पांच दीपक प्रभु की प्रसन्नता के लिए अवश्य जलाएं।

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