छपरा: जिला परिषद अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव हेतु तिथि की घोषणा कर दी गई है.जिलाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी दीपक आनंद द्वारा जारी किये गए कार्यक्रमों के अनुसार आगामी 30 जून को समाहरणालय सभागार में चयनित जिला पार्षदों के शपथ-ग्रहण के साथ-साथ अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पद हेतु निर्वाचन की प्रक्रिया भी सम्पन्न होगी.

निर्वाचन हेतु कार्यक्रम के निर्धारण होते ही अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष हेतु उम्मीदवारी के लिए पार्षदों में बेचैनी बढ़ने लगी है, कुछ पार्षदों ने तो इस बाबत अभी से ही जोर-आजमाइश शुरू कर दी है. अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद की लालसा रखने वाले पार्षदों ने गोलबंदी शुरू कर दी है.

महिला पार्षदों पर रहेगी नजर

इस बार हुए त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में जिला परिषद के 46 सीटों पर हुए चुनाव में से 31 सीट पर महिलाओं ने कब्ज़ा जमाया है ऐसे में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के निर्वाचन में महिला पार्षदों की अहम भूमिका रहने वाली है. विदित हो कि जिला परिषद अध्यक्ष पद पूर्व से ही सामान्य महिलाओं के लिए आरक्षित है साथ ही महिला पार्षदों की अधिकता उपाध्यक्ष पद पर भी महिलाओं की दावेदारी मजबूत कर सकती है.

जिला परिषद अध्यक्ष पद हेतु मढ़ौरा भाग-1 से विजयी पतासो देवी, मढ़ौरा भाग-2 से विजयी मीना अरुण तथा परसा पश्चिम भाग से निर्वाचित स्नेहा सिंह की दावेदारी चर्चा का विषय बनी हुई है.विदित हो कि पतासो देवी पूर्व विधायक स्व.रामप्रवेश राय की पत्नी है वहीं मीना अरुण तीन बार जिला परिषद का चुनाव जीत कर काफी अनुभव रखती हैं जबकि स्नेहा सिंह  जिप अध्यक्ष छोटी कुमारी को इस चुनाव में हराकर अपनी दावेदारी को मजबूत मान रही हैं.

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छपरा: शिव भोला शंकर वेलफेयर क्लब के तत्वावधान में अमरनाथ यात्रियों द्वारा नगर भ्रमण ( मोटरसाईकिल रैली) का आयोजन किया जायेगा.

क्लब के छपरा शाखा के अध्यक्ष श्याम बिहारी अग्रवाल ने बताया कि 22 जून को लगभग एक हजार एक मोटरसाईकिल द्वारा अमरनाथ यात्री नगर भ्रमण करेंगें तथा बाबा बर्फानी की जय जयकार लगाएंगे. उन्होंने बताया कि नगर भ्रमण का शुभारम्भ साहेबगंज चौक स्थित शिव मंदिर में पूजा  अर्चना के साथ किया जाएगा जो नगर भ्रमण के बाद समाप्त हो जायेगा.

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छपरा: बिजली विभाग ने उपभोक्ताओं को समय पर बिजली बिल देने में हो रही देरी और उसके कारण हो रही परेशानी से निपटने का फार्मूला खोज लिया है. नार्थ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने बड़े शहरों के तर्ज पर अब छपरा में भी मीटर रीडिंग के साथ-साथ ऑन स्पॉट बिजली बिल देने की व्यवस्था शुरू कर दी है.

विदित हो कि विभाग द्वारा मीटर रीडिंग के बाद बिजली का बिल भेजने में काफी विलंभ हो जाता था जिस वजह से उपभोक्ताओं को तय समय के अंदर बिल जमा कराने में काफी परेशानी होती थी. इस नए व्यवस्था के बाद विभागीय कर्मचारी पहले मीटर की रीडिंग लेंगे उसके बाद उपलब्ध मशीन के माध्यम से उपभोक्ताओं को ऑन द स्पॉट पक्का बिल भी उपलब्ध करा देंगे.

विद्युत कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर कुमार ने इस सन्दर्भ में बताया है कि बिजली बिल के नियमित भुगतान और उपभोक्ताओं के सुविधा को ख्याल में रखते हुए इस नई व्यवस्था को शुरू किया गया है. शहरी क्षेत्र के कई वार्डों में यह सुविधा लागू करा दी गई है. कुछ दिनों में यह व्यवस्था हर जगह लागू हो जाएगी. विभाग में कार्यरत मीटर रीडरों को बिल उपलब्ध करने हेतु मशीन उपलब्ध करा दी गई है. इस सिस्टम के आने से बिजली बिल संग्रह करने एवं इसकी नियमितता बरकरार रखने में काफी आसानी होगी.

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छपरा: शहर में नगरपालिका की सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. इसे नगर परिषद की लापरवाही कहें या फिर मनमानी कि शहर के कई स्थानों पर डस्टबिन के नही रहने से सड़क पर ही कचड़े फेंके जाते है. कुछ स्थानों पर डस्टबीन तो लगाये गए हैं पर इन्हें जिस लापरवाही के साथ आराम फरमाने के लिए छोड़ दिया गया है उससे नगर परिषद की व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा होता है. IMG-20160616-WA0025

यह डस्टबिन बेपरवाह तरीके से सड़कों की किनारे लावारिस हालात में फेंक दिए गये है वो भी ऐसी जगह जहाँ न कोई कचड़ा फेकने वाला है और न ही कोई उठाने वाले. लेकिन आलम ये है कि अनावश्यक ही यहाँ चार-चार डस्ट बीन रख जरुर दिए गये है.

           शहर में कई ऐसे स्थान हैं जैसे नगरपालिका चौक, साहेबगंज चौक, गुदरी चौक, मौना चौक, गाँधी चौक जहां एक या दो से अधिक डस्टबिन की आवश्यकता है. लेकिन ऐसे घनी आबादी वाले मुहल्लों में एक ही डस्टबिन रखी गयी है जिसकी नियमित सफाई भी नहीं है. ऐसी स्थिति में डस्टबिन जल्द ही भर जाता है और लोग सड़क पर ही कचड़ा फेंकने को मजबूर दिखते हैं. नगर परिषद के इस लापरवाह रवैये से ना तो शहर की समुचित सफाई हो पाती है और ना ही यह डस्ट बीन अपने उद्देश्य के प्रति कारगर साबित हो पाता है. IMG-20160616-WA0027

नगरपरिषद की लापरवाही का नमूना शहर के राजेंद्र स्टेडियम के पीछे एकसाथ लावारिस पड़े 5 डस्टबिन को देखने से मिल रहा है. यहाँ न तो कोई रिहायशी इलाका है और न हीं इसे देखने से ऐसा लगता है कि नगर परिषद के कर्मचारी कभी भी इस इलाके में कचड़ा उठाने आते होंगे. इन डब्बों में से कुछ डब्बे तो औंधे मुंह पड़े पड़े हुए है.

                 स्वच्छ और सुन्दर छपरा के उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह डस्टबिन खरीदा गया था. लेकिन यह निर्णय सिर्फ स्वयं स्वार्थ की पूर्ति साबित हो रही है जनता के पैसों की बर्बादी यहाँ साफ़ दिखती है. आवश्यकता के अनुसार अगर यह डस्टबिन जरूरत के जगह पर रखे जाते तो शायद इसका सदुपयोग हो पाता. साथ ही साथ स्वच्छ छपरा के अभियान में सफलता भी मिलती.

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छपरा: राज्य के नए जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक छपरा नगर परिषद को जल्द ही नगर निगम का दर्जा मिल सकता है. नए आंकड़े बता रहे हैं कि यदि नगर निकायों का परिसीमन किया जाए तो छपरा नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा मिल जाएगा.

राज्य निर्वाचन आयोग ने इसके आलोक में नगर विकास विभाग को सूचित करते हुए एक पत्र भेजा है. नगरपालिका के चुनावों के पहले पार्षदों की संख्या राज्य सरकार की अधिसूचना से तैयार की जाती है. इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार जल्द ही परिसीमन सम्बंधित अधिसूचना जारी कर सकती है. ऐसी स्थिति में छपरा का नगर निगम बनना तय हो जाएगा.

क्या है मापदंड

नगरपालिका अधिनियम 2007 के मुताबिक 2 लाख से अधिक जनसंख्या वाले निकायों को नगर निगम का दर्जा मिलता है. इसके लिए वार्ड पार्षदों की संख्या का भी निर्धारण किया गया है. दो लाख से पांच लाख तक की आबादी वाले नगर निगम में अधिकतम 57 पार्षद हो सकते हैं.  जबकि पांच से दस लाख आबादी वाले नगर निगम में पार्षदों की संख्या अधिकतम 67 हो सकती है.

जनसंख्या के नए आंकड़ो के हिसाब से छपरा ने लगभग सभी मापदंड पूरे कर लिए हैं. 2001 में हुई जनगणना के अनुसार शहर की जनसंख्या 179190 थी वहीं नए आंकड़ों के मुताबिक शहर की कुल जनसंख्या 202352 हो गई है. जो नगर निगम बनाए जाने के लिए पर्याप्त है. ऐसी स्थिति में नगर निकायों में परिसीमन के लागू होते ही सरकार छपरा को नगर निगम का दर्जा दे सकती है.

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छपरा: गर्मी की छुट्टियों में जनशिक्षा निदेशालय द्वारा वर्ग 6, 7 और 8 के लिए समर कैंप का आयोजन किया जा रहा है. महादलित, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ा वर्ग अक्षर आँचल योजना के अंतर्गत इस कार्य को किया जा रहा है. जिसके तहत गोद लिए गये लोक शिक्षा केन्द्रों पर पढ़ने वाले कक्षा 6, 7 और 8 के बच्चों को खेल-खेल में गुणवता पूर्ण शिक्षा देने का कार्य किया जायेगा.

प्राकृतिक में पाए जाने पेड़ पौधों की उपयोगिता और उसके प्रयोग के आधार पर बच्चों को शिक्षा दी जाएगी. इसके अलावे कबाड़ से जुगाड़ और जन समस्याओं की खोज तथा उसके निवारण पर भी कार्य की जायेंगे.

तीन दिनों तक चलने वाले इस समर कैंप के विभिन्न पहलुओं से 14 जून को एसआरजी यशवंत सिंह द्वारा सभी केआरपी को बताया गया. जिला स्कूल परिसर में आयोजित इस प्रशिक्षण शिविर में श्री सिंह द्वारा बताया गया कि तीन दिनों के कार्यक्रम में पहले दिन परिचय सत्र के बाद ए खेलए हस्तकलाए और गीत के माध्यम से बच्चों को शिक्षा के बारे में बताया जायेगा. वही दूसरे दिन खेल-खेल में अक्षर से चित्र-आकृति से चित्र बनाना सिखाया जायेगा. तीसरे दिन बाल सभा खेल प्राकृतिक के अवलोकन रंग और धागों से चित्र बनाने की विधि बताई जाएगी. इस कार्य से बच्चों में शिक्षा के प्रति लगाव बढेगा और वे अपने से छोटो को भी इस खेल के बारे में बताएँगे.

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छपरा: अंतरराष्ट्रीय रक्तदान दिवस के अवसर पर रेडक्रॉस सोसाइटी की छपरा इकाई के तत्वावधान में स्थानीय सदर अस्पताल में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया. शिविर में उपस्थित लोगों ने रक्तदान कार्यक्रम में भाग लिया. red cross

इस अवसर पर रेडक्रॉस सोसाइटी छपरा की अध्यक्ष जीनत मसीह, सोसाइटी के सदस्य जितेन्द्र कुमार, रोहित, अभिजीत समेत कई रक्तदाता उपस्थित रहे.

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पौराणिक काल में एक भगीरथ प्रयास हुआ और भगीरथी की आराधना और दृढ संकल्प के फलस्वरूप धरती पर गंगा का अवतरण हुआ. तब से लेकर आज तक विशाल हृदय लिए गंगा की धारा समाज के लिए समस्त पापों का नाश करने वाली मोक्षदायिनी नदी के रूप में हमारे बीच विद्यमान है.

गंगा पवित्र है, पर सुविधाभोगी समाज के आचरण ने गंगा की पवित्रता और उसकी अविरलता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है. समय के साथ गंगा की निर्मलता प्रदूषित हो चुकी है. आज गंगा अपने वजूद को बचाने के लिए संघर्षरत है. गंगा का पानी अपनी स्वच्छता के लिए जाना जाता था, पर आज गंगा में जिस प्रकार गन्दगी बढ़ी है उसने इस मोक्षदायिनी नदी के अस्तित्व पर संकट ला दिया है.

शहरों का तेजी से हो रहा आधुनिकीकरण, बढ़ती जनसंख्या और सरकार और समाज की दोहरी मानसिकता का दुष्परिणाम आज गंगा के प्रदूषित होने की प्रमुख वजह है. सदियों से गंगा प्रदूषण की मार झेलती आ रही है. कभी कल-कारखानों की गन्दगी तो कभी शहरों में फ़ैल रही गन्दगी, सबको गंगा ने अपने अंदर समावेशित किया है किन्तु गंगा की सफाई को लेकर समाज में व्याप्त उदासीनता के कारण आज गंगा को बचाना एक चुनौती बनी हुई है.

हमारी रूढ़िवादी सोंच ने भी गंगा को काफी हद तक प्रभावित किया है. पूजा-पाठ एवं महत्वपूर्ण समय पर होने वाले स्नान के समय गंगा को प्रदूषण का जो दंश झेलना पड़ता है वो हमारी लापरवाही का नतीजा है. आज गंगा में प्रतिदिन हजारो टन कचड़ा किसी न किसी माध्यम से प्रवाहित किया जा रहा है पर हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए की मोक्षदायिनी गंगा को भी प्रदूषण से मुक्ति की आवश्यकता है.

वर्तमान केंद सरकार ने भी गंगा को पूर्णतः निर्मल बनाने के लिए कई योजनाओं का सृजन किया है पर उन योजनाओं का निराकरण तभी संभव है जब हम सब मिलकर गंगा की अविरलता और निर्मलता स्थापित रखने में सहयोग करें. गंगा से कचड़े को निकालने के लिए कई आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है. पूरे देश में इसके अंतर्गत वृहत जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. देश और विदेश के एनजीओ की मदद से भी गंगा को स्वच्छ बनाने की दिशा में कई योजनाएं चल रही हैं पर हम सब को जीवन और मुक्ति देने वाली गंगा की धारा तभी निर्मल हो पाएगी जब पूरा देश एक साथ खड़ा होगा और ये निर्णय करेगा की हम गंगा को कभी प्रदूषित नहीं होने देंगे.

हम सब अगर एक दिशा में सार्थक प्रयास करें तो निश्चित ही गंगा प्रदूषण मुक्त हो सकती है. हम सब ने मिलकर फिर से एक भगीरथ प्रयास किया तो हमारे मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाली गंगा पुनः निर्मलता के साथ हमारे बीच अविरल रहेगी. बस गंगा को  जरूरत है आज ‘एक और भगीरथ की’.

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छपरा: शहर में आये दिन ट्रांसफॉर्मर के ख़राब हो जाने या जल जाने की वजह से विद्युत आपूर्ति में होने वाली परेशानी से निपटने के लिए विभाग ने कवायद शुरू कर दी है.शहरवासियों को अब ट्रांसफॉर्मर के ख़राब हो जाने की स्थिति में उसे ठीक कराये जाने का इंतजार नहीं करना होगा.विद्युत विभाग द्वारा ऐसी स्थिति में ‘चलंत ट्रांसफॉर्मर’ द्वारा 30 मिनट के अंदर ही पुनः आपूर्ति बहाल करने की व्यवस्था की गई है.

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नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने इस बाबत विद्युत विभाग के अधिकारियों को दिशानिर्देश जारी कर दिया है. इसके लिए सरकार द्वारा विद्युत विभाग को चलंत ट्रांसफॉर्मर उपलब्ध करा दिए गए हैं.यह ट्रांसफॉर्मर एक विशेष वाहन पर स्थापित है जिससे 11 हजार वोल्ट के तार को जोड़कर 10 मिनट के अंदर ही विद्युत आपूर्ति बहाल की जा सकती है.

विद्युत कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि विभाग द्वारा विद्युत आपूर्ति को बेहतर बनाने की दिशा में कई सार्थक पहल किये जा रहे हैं,किसी भी क्षेत्र में ट्रांसफॉर्मेरों में खराबी आने के कारण अब उपभोक्ताओं को ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ेगा.चलंत ट्रांसफॉर्मर के जरिये महज 30 मिनट में ही विद्युत आपूर्ति बहाल की जा सकेगी.

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प्रत्येक वर्ष 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1997 में स्वैच्छिक रक्तदान बढ़ावा देने के लिए की गयी थी. इसका उद्देश्य यह था कि रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए.

इस वर्ष रक्तदाता दिवस का थीम है, “Blood connects us all”,

chhapratoday.com आपसे भी आग्रह करता है कि आप भी रक्तदान अवश्य करें. आपके रक्तदान से किसी को नया जीवन मिल सकता है.

रक्तदान! महादान!!

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छपरा: नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आई), बिहार की ओर से सोमवार को  नगरपालिका चौक पर धरना का आयोजन किया गया.

इस धरने की जानकारी देते हुए संघ के जिला महासचिव धर्मेंद्र रस्तोगी ने बताया कि पत्रकार हित के विभिन्न मांगों को लेकर राज्य कार्यकारिणी के अह्वान पर यह धरना आयोजित किया जा रहा है. 

धरना के माध्यम से राज्य और देश मे अविलम्ब पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने,  सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड के आरोपितों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल चला कर उन्हें सख्त से सख्त सजा देने, राज्य सरकार द्वारा स्व रंजन के परिवार को 25 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने तथा पूरे प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की जाएगी.

धरना के बाद स्थानीय जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम सम्बोधित एक ज्ञापन भी दिया जाएगा. जिनमें  इन मांगों का उल्लेख होगा.

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छपरा: भीषण गर्मी से परेशान लोगों को राहत मिली है. रविवार दोपहर झमाझम बारिश से तापमान में गिरावट दर्ज की गयी है और मौसम सुहाना हो गया है.

लगातार कई घंटों हुए बारिश से लोगों को मानसून के आगमन का अहसास हुआ. जिले के अन्य भागों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकतर प्रखण्डों में बारिश हुई है.

जानकार इसे मानसून के पहले होने वाली बारिश बता रहे है. बिहार में मानसून के 18 तारीख तक पहुँचने की सम्भावना व्यक्त की गयी है.

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