Chhapra: सारण की सड़कों पर ओवरलोड ट्रकों के परिचालन ने जिले की लगभग मुख्य सड़कें की हालत बिगाड़ कर रख दी है. जिले से होकर गुजरने वाली तमाम मुख्य सड़कों पर धड़ल्ले से ओवरलोडेड ट्रकों का परिचालन हो रहा है, जिसके बाद इन सड़कों की स्थिति बेहद खराब हो गई है. NH-19 से लेकर ज़िले से होकर गुजरने वाले अन्य स्टेट हाईवे भी ओवरलोडेड ट्रकों के परिचालन के कारण जर्जर हो गए है. इन सड़को की दुर्दशा ज्यादातर ओवरलोडेड बालू लदे ट्रकों के परिचालन से हुआ है. जिला प्रशासन भी जिले में ओवरलोडेड ट्रेकों के परिचालन पर रोक लगाने में नाकामयाब रहा है. हर रोज हजारों की संख्या में ओवरलोडेड ट्रक सारण की सड़कों पर धड़ल्ले से चल रहे हैं और दिन-ब-दिन सड़कों की हालत बदत्तर होती जा रही है. जिसका खमियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.

NH-19 पर हुए बड़े बड़े गड्ढे

ओवर लोडेड बालू लोडेड ट्रकों पर कार्रवाई नहीं होने के कारण NH-19 की हालत सबसे बदतर हो गई है. आलम यह है कि बड़े बड़े गड्ढे हो जाने से छोटी गाड़ियों के लिए चलने लायक नहीं बचा है. हर रोज इन गड्ढो में ट्रक फंस जा रहे जिससे कई किलोमीटर तक लम्बा जाम लगा रह रहा है. यही नहीं ब्रह्मपुर से लेकर विष्णुपुरा तक सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिसमें हर रोज ट्रकों के फंसने से लंबा जाम लग जा रहा है. इस वजह से आम आदमी को भी परेशानी हो रही है. यहां समस्या सालों से है लेकिन अब तक प्रशासन इसे दुरुस्त करने में सफल नही रहा. ओवरलोड ट्रकों के चलने से सड़कें बदतर हो गई आम लोगों के लिए इन सड़कों पर चलना भी मुश्किल हो गया है.

एकमा-मांझी, भेल्दी-दिघवारा समेत कई सड़क हुए जर्जर

यही हाल छपरा- बायपास, एकमा मांझी रोड, दिघवारा-भेल्दी sh-90 आदि सड़कों का है इन सड़कों पर बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं. हालांकि प्रशासन द्वारा बार-बार गड्ढों की भराई कराई जा रही है लेकिन गड्ढे भरते ही ओवरलोड ट्रकों का परिचालन होने से है स्थिति और खराब हो जा रही है. छपरा सिवान रोड भी कई जगहों पर गड्ढे होने लगे हैं यदि ओवरलोड ट्रकों का परिचालन प्रशासन ने नहीं रोका तो सारण जिले में सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाएगा. पूरे जिले में ओवरलोड ट्रकों ने आतंक मचा रखा है जिससे कई जगह जाम की स्थिति भी उत्पन्न हो जा रही है.

गड्ढो की भराई का लगातार हो रहा काम

मरम्मती कार्य में भी बाधा बने ओवरलोड ट्रक

भारी वाहनों के चलने से सड़कों की भरायी कार्य में बहुत सारी बाधा आ रही है. सड़कों पर जाम लगा रहा है जिससे सड़कों को भरने का काम भी संवेदक के लिए बहुत मुश्किल हो रही है. ठेकेदार ने कई बार सड़को के गड्ढो को भरने का काम किया लेकिन यह ट्रकों के कारण फिर से बड़े बड़े गड्ढे बन गए. ओवरलोड ट्रकों के परिचालन रोकने व कार्रवाई को लेकर प्रशासन सुस्त नजर आ रहा है

ट्रकों के कारण हर रोज दिन भर लग रहा भयंकर जाम

स्थिति यह है कि डोरीगंज से लेकर बरहमपुर तक हजारों ओवरलोडेड ट्रक नजर आ रहे हैं. जिस पर किसी भी प्रकार से कार्रवाई नहीं हो रही है, जिलाधिकारी द्वारा हर महीने सड़कों की भरने के लिए निर्देश दिया जा रहा है. इन गड्ढों को भरने के लिए प्रशासन द्वारा भारी भरकम रकम खर्च किया जा रहा है, भारी भरकम रकम खर्च किए जाने के बाद गड्ढे भरे तो जा रहे हैं, लेकिन ओवरलोड ट्रकों के परिचालन के कारण सड़कों पर फिर बड़े-बड़े गड्ढे बन जा रहे हैं. जिससे जनता के पैसे की खूब बर्बादी हो रही है.

गड्ढो की भरायी के नाम पर पैसों की बर्बादी

फिलहाल nh19 पर कई बार गड्ढों को भरा जा चुका है. लेकिन हर बार ट्रकों के कारण फिर से गड्ढे हो जा रहे हैं. इसके बावजूद फिर से NH-19 और छपरा बाईपास समेत कई जगहों पर गड्ढों को भरने का कार्य शुरू हो गया है. ओवरलोड ट्रकों के बड़े-बड़े गड्ढों में फंस जाने से हर रोज nh-19 के साथ छपरा बाईपास शहर से निकलने के लिए भी लोग जूझ रहे. आलम यह हो गया है कि ट्रकों की लाइन लगने से लोगों को पटना जाने में काफी समस्या हो रही है.

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Chhapra: वैश्य समाज छपरा की एक बैठक कौशल्या काॅलोनी स्थित नूतन निकेतन कटहरी बाग में हुई. जिसकी अध्यक्षता शत्रुघ्न प्रसाद गुप्त उर्फ चतुरी जी ने की. बैठक की अध्यक्षता करते हुए शत्रुघ्न प्रसाद गुप्त ने कहा वर्तमान विधायक छपरा के वैश्य समाज के मापदंडों पर खरा नहीं उतरे. जिसकी भरपाई करने हेतु वैश्य समाज का जो भी व्यक्ति राजनीतिक दल से टिकट लेकर आएगा वैश्य समाज उसका समर्थन करेगा. वह व्यक्ति चाहे भाजपा का हो या राजद का हो किसी भी राजनीतिक पार्टी का टिकट लेकर आएगा उसका समर्थन वैश्य समाज करेगा.

बैठक को संबोधित करते हुए श्याम बिहारी अग्रवाल ने कहा छपरा विधानसभा वैश्य समाज की धरोहर है, इसे हर हाल में बरकरार रखा जाएगा. किसी भी राजनीतिक पार्टी द्वारा यदि वैश्य समाज के व्यक्ति को टिकट नहीं दिया जाता हैं तो उस परिस्थिति में वैश्य समाज अपना प्रत्याशी खड़ा करेगा और उसे विजयी बनाएगा. बैठक की अध्यक्षता शत्रुघ्न प्रसाद गुप्त उर्फ चतुर ने की आगत अतिथियों का स्वागत कृष्ण कुमार वैष्णवी ने किया. संचालन श्याम बिहारी अग्रवाल ने किया. धन्यवाद ज्ञापन प्रभु जी अग्रहरी ने किया. बैठक में धर्मेंद्र शाह, ब्रह्म देव नारायण ज्ञानी, श्याम सुंदर प्रसाद गुप्ता, पिंकू, गोविंद, रमेश प्रसाद उर्फ छठी लाल, सुनील कुमार ब्याहुत आदि मुख्य रूप से उपस्थित हुए.

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Chhapra: ग्रामीण चिकित्सा सेवा समन्वय समिति की बैठक छपरा के राजेंद्र सरोवर स्थित एक निजी मकान में संपन्न हुई. बैठक की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष डॉ आनंद कुमार तिवारी ने की. जिलाध्यक्ष के निर्देश पर बैठक में भाग लेने वाले सभी ग्रामीण चिकित्सकों ने सोशल डिस्टेंसिंग तथा फेस मास्क का प्रयोग किया.

इस बैठक में माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह मांग की गई कि बिहार में 16000 प्रशिक्षित ग्रामीण चिकित्सकों का नियोजन जल्द से जल्द किया जाए. यह वही ग्रामीण चिकित्सक हैं जो बिहार सरकार के निर्देश पर NIOS के द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं एवं इस कोरोनावायरस महामारी में भी यथासंभव अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपने ग्रामीण मरीजों की सेवा कर रहे हैं. यह सभी ग्रामीण चिकित्सक बिहार सरकार से यह उम्मीद करते हैं कि उन्हें स्वास्थ्य विभाग से जोड़ा जाए. अतः मुख्यमंत्री से आग्रह है कि 16000 ग्रामीण चिकित्सकों की बहाली यथाशीघ्र की जाए.

इस बैठक में भाग लेने वालों में ग्राम ग्रामीण चिकित्सा सेवा समन्वय समिति के मांझी प्रखंड के महासचिव डॉ मनोज कुमार मिश्रा उर्फ गब्बर बाबा, सारण जिला के मीडिया प्रभारी डॉ अरविंद कुमार सिंह, एकमा प्रखंड के उपाध्यक्ष डॉ मनोज मिस्त्री, दिघवारा प्रखंड अध्यक्ष डॉ शशिकांत, सोशल मीडिया प्रभारी डॉ बबलू तिवारी, सारण जिला उपाध्यक्ष डॉ एस के राय, जिला महासचिव डॉ विनय कुमार शर्मा, मांझी प्रखंड अध्यक्ष डॉ शशि कुमार सुमन, जिला उपाध्यक्ष डॉक्टर असलम, डॉ मनोहर प्रसाद, डॉ कौशल, डॉक्टर संतोष गुप्ता, डॉक्टर अजय शाह, डॉक्टर बृजकिशोर राय, डॉ राजीव कुमार, डॉ जितेंद्र कुमार शर्मा, रंजन कुमार यादव एवं अन्य गणमान्य सदस्य. इसकी जानकारी सारण जिला के मीडिया प्रभारी डॉ अरविंद कुमार सिंह ने दी.

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Chhapra: बिहार में बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारियों का तबादला हुआ है.

अरुण कुमार सिंह छपरा सदर के नए अनुमंडल पदाधिकारी होंगे. वही सुनील कुमार को सोनपुर का नया SDO बनाया गया है.

बिहार में कुल 39 प्रशासनिक पदाधिकारियों का ट्रांसफर हुआ है. इसके तहत सारण में भी पदस्थापित कई प्रशासनिक अधिकारी बदले गए हैं.

सारण के जिला पंचायत पदाधिकारी रंजन कुमार का ट्रांसफर मधेपुरा किया गया है. इसके अलावा भूमि सुधार उप समाहर्ता, मढौरा का भी ट्रांसफर कर दिया गया है.

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Chhapra: सारण जिला प्रशासन ने गुरुवार को जारी आदेश में आज संशोधन किया है.

अब सुबह 10 बजे से 6 बजे तक खुलेंगी दुकानें, प्रतिष्ठान. गुरुवार को जारी आदेश में 12 से 4 बजे तक का समय निर्धारित किया गया था. जिसमे अब परिवर्तन किया गया है.

फल और सब्जी, मांस, मछली एवम अंडा की दुकानें सुबह 6 बजे से 10 बजे तक.

किराना एवम दूध की दुकानें सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक

  1. दवा की दुकानों के समय पर कोई प्रतिबंध नही है.
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Chhapra: केंद्र सरकार की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट का परिणाम जारी कर दिया गया है. 1 लाख से ज्यादा आबादी कैटेगरी वाले शहरों में छपरा की रैंकिंग 369 है. केंद्र सरकार ने बिहार के 26 शहरों की रैंकिंग जारी की. जिसमें छपरा शहर की रैंकिंग बिहार में 20वे पायदान पर है. इसमें बिहार का डालमिया नगर पहले स्थान पर है. 

स्वच्छता रैंकिंग में सुधार
2018 सर्वेक्षण रिपोर्ट में छपरा 418 स्थान पर था. वहीं 2019 के सर्वेक्षण रिपोर्ट में छपरा शहर 424 वें स्थान पर पहुंच गया. 2020 में  रैंकिंग  369 वें स्थान पर पहुंच गया है. छपरा को सफाई के लिए 1163.95 अंक मिले हैं. हालांकि आंकड़ों में यहां पर सफाई की रैंकिंग में सुधार तो हुआ है लेकिन जमीनी स्तर पर बदहाली नजर आ रही है. कई इलाकों में लोग महीनों से सफाई नही होने से परेशान हैं. 

हर तरफ नज़र आ रही बदहाली
वर्तमान में शहर के 30 से भी अधिक वार्ड में बदहाली है. लोग जलजमाव और गंदगी से परेशान हैं. शहर के सरकारी बाजार में जलजमाव, गुदरी बाजार में सालों से जलजमाव, रावल टोला में जलजमाव, तेलपा में जलजमाव समेत कई इलाके जलमग्न है. यहां साफ-सफाई भी नहीं हो रही है लोग परेशान हैं गंदगी से भी लोग परेशान हैं. उनको लेकर फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है.

स्वच्छता सर्वेक्षण पर आए रिपोर्ट को लेकर छपरा नगर निगम की मेयर प्रिया सिंह ने बताया कि छपरा शहर में सफाई व्यवस्था दुरुस्त हुई है. संसाधनों के अभाव में भी छपरा नगर निगम ने अच्छा काम किया है लेकिन लॉकडाउन में सफाई कर्मियों की कमी के कारण थोड़ी सी कमी जरूर रह गई है. लेकिन जहां जहां व्यवस्था की कमी है उसे दुरुस्त कराया जा रहा है. अगले वर्ष छपरा की रैंकिंग और भी सुधारने की कोशिश की जाएगी.

यहाँ Click कर देखिये रैंकिंग

फाइल फोटो

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Chhapra: हरतालिका तीज व्रत शुक्रवार को है. गुरुवार को नहाय खाय के साथ यह व्रत शुरू हो गया. हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. हरितालिका व्रत साल 2020 में 21 अगस्त दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. गुरुवार को सुबह 6 बजकर 18 मिनट से द्वितीया तिथि प्रारंभ होकर रात 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगा, जिसमें महिलाएं पूरे दिन समयानुसार नहाय खाय का कार्य कर सकती हैं.

क्या है हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त
सुहागिनों का त्योहार हरतालिका तीज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह 21 अगस्त को है. सुबह 5.54 बजे से 8.30 मिनट तक का शुभ मुहूर्त है. तालिका तीज व्रत को प्रदोषकाल में किया जाता है. इस दिन घर में मिट्टी या बालू से भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा बनाकर पूजा होती है. सुहागिनें सोलह शृंगार के साथ मां पार्वती अखंड सुहाग का वरदान मांगती हैं.

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Chhapra: सारण जिले में सोमवार को 102 नए मरीज कोरोनावायरस पाए गए. कोविड-19 कोरोनावायरस के नए मामले प्रतिदिन मिलते जा रहे हैं. संक्रमित व्यक्ति मिलने के बाद आसपास का क्षेत्र सील भी किया गया है. हालांकि सारण जिले में संक्रमित मरीजों की ठीक होने का प्रतिशत काफी बढ़िया है. अब तक 3539 मरीज में 2593 संक्रमित मरीज ठीक हो चुके है.

जिला प्रशासन द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि अब तक 60953 सैंपल लिए गए. जिसमें 3539 मरीज कोरोना संक्रमित पाए गए. जिसमें 2593 लोग स्वस्थ होकर अपने घर वापस लौट गए हैं. फिलहाल 938 एक्टिव केस सारण में है. वही जिले में 287 कंटेनमेंट जोन अब तक बनाए गए थे. जिसमें फिलहाल 80 कंटेनमेंट जोन एक्टिव है.

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Chhapra: सारण जिले में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर दुकानों के खुलने के समय में परिवर्तन किया गया है.

जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन द्वारा जारी आदेश के अनुसार सारण जिले में अब फल, सब्जी, मांस, मछली एवम अंडा की दुकानें प्रातः 6 बजे से 10 बजे तक ही खुलेंगी.

वही किराना और दूध की दुकानें प्रातः 6 बजे से संध्या 6 बजे तक खुलेंगी.

जबकि अन्य सभी दुकानें 12 बजे से शाम 4 बजे तक ही खुल सकेंगे. दवा की दुकानों के खुलने में किसी भी प्रकार का प्रतिबंध नही होगा.

जिलाधिकारी द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह व्यवस्था 6 सितंबर तक लागू रहेगी. दुकानदारों एवम ग्राहकों को मास्क पहनना तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा. जिसे सुनिश्चित कराने का दायित्व संबंधित प्रतिष्ठान का होगा.

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• अपने आस-पास साफ-सफाई का रखें विशेष ख्याल
• डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
• केंद्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन
Chhapra: वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसे में डेंगू को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। जगह-जगह रुके बारिश के पानी से अब मच्छरजनित रोग जैसे मलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया का प्रकोप बढने की संभावना प्रबल हो गई है। आमतौर पर अगस्त एवं सितंबर माह से डेंगू का प्रकोप बढने लगता है। इसके लिए मरीजों की जांच के साथ उनके इलाज के लिए अस्पतालों में अलग वार्ड भी बनाया गया है। इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी कर लोगों से कोरोना वायरस महामारी के दौर में डेंगू से बचाव की सलाह दी है। गाइडलाइन में बताया गया है कि डेंगू का इलाज संभव है, इसलिए इसके इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही करना ठीक नहीं होगा। डेंगू के ईलाज के प्रति किसी तरह की लापरवाही आगे चलकर गंभीर समस्या बन सकती है। स्वास्थ मंत्रालय ने इस बीमारी के लक्षण और रोकथाम के लिए उपाय भी बताएं है।

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कोरोना संक्रमण और डेंगू दोनों में ही रोगी को बुखार आता है। डेंगू के बुखार में उल्टी, सूजन एवं रैशेज होते हैं। डेंगू के गंभीर लक्षण में बार-बार उल्टी आना, सांस तेज चलना, बदन व पेट में दर्द, मसूड़ों में खून निकलना एवं कमजोरी आदि शामिल है। उन्होने बताया लोगों की थोड़ी सी सतर्कता डेंगू के गंभीर नतीजों से बचाव कर सकती है। मच्छर जनित रोगों से बचाव में बेहतर साफ- सफाई की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। अपने घर को स्वच्छ रखना तो स्वभाविक है लेकिन साथ में अपने आस-पास भी गंदगी व पानी नहीं जमा होने दें। उन्होंने बताया साफ़ पानी में डेंगू के मच्छर के पनपने की संभावना अधिक होती है। इसलिए घर में जहां भी जमा हो जैसे कूलर व अन्य इस प्रकार की कोई भी जगह तो उसे साफ़ जरूर करें एवं आवश्यकतानुसार मिट्टी का तेल भी पानी में डाल सकते हैं।

ये हैं डेंगू के लक्षण

• अचानक तेज बुखार आना
• सिरदर्द और आंखों में दर्द होना
• मांसपेशियों और जोड़ों में भयानक दर्द
• शरीर में चकत्ते निकलना
• ठंड लगना और बुखार आना
• त्वचा पर लाल चकत्ते बनना
• भूख न लगना
• गले में खराश
• असामान्य रूप से कान, मसूड़ों और पेशाब आदि से ख़ून बहना

कैसे फैलता है डेंगू

डेंगू एडीज एजिप्टी मादा मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन में और रात कभी भी काटता है। इस रोग के वायरस चार प्रकार के होते हैं, जिन्हें सिरोटाइप कहा जाता है। जब मादा मच्छर द्वारा संक्रमित व्यक्ति को काटा जाता है। इसके बाद जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तब यह वायरस व्यक्ति में चला जाता है और इस तरह यह चक्र लगातार चलता रहता है।

डेंगू से बचने के उपाय
• रोकथाम का सबसे सरल उपाय यह है कि मच्छरों के काटने से खुद को बचाया जाएं.
• दिन में मच्छर के काटने से बचने वाले उत्पादों का प्रयोग करें
मच्छरदानी लगाकर सोएं.
• बाहर जाते समय पूरी बांह और लंबी पैंट का प्रयोग करें. शरीर को मच्छर के काटने से बचने के लिए कीटनाशक का प्रयोग करें.
• जब आप डेंगू प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करें तो शरीर के अधिकांश भागों को ढंक कर रखें.
• मच्छरों की प्रजनन क्षमता को कम करने के लिए पानी के कंटेनर को ठीक तरह से हमेशा कवर करके रखें.

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Chhapra: राज्य सरकार द्वारा नियोजित शिक्षकों को दी जा रही सुविधाओं एवं लाभ को लेकर शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध किया है. परिवर्तनकारी शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष समरेंद्र बहादुर सिंह ने नियोजित शिक्षको के लिए जारी लाभ को लॉलीपॉप करार दिया है.

श्री सिंह ने कहा कि विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार ने शिक्षकों को लॉलीपॉप पकड़ा कर ठगने का काम किया है.विगत 2 वर्षों से सूबे के साढ़े तीन लाख शिक्षक समान काम समान वेतन, नियमित शिक्षकों की भाति सेवाशर्त के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार नियोजित शिक्षकों को ठग रही है. उनका कहना है कि सरकार शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ देने का ढिंढोरा पीट रही है, जबकि यह न्यायालय के आदेश पर दिया गया है.

उन्होंने 15% वेतन वृद्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बढ़ती महंगाई के इस दौर में सरकार 15% की वेतन वृद्धि दे रही है. जिसमें मिलने वाली राशि ईपीएफ में ही कट जाएगी और महज एक से दो प्रतिशत का लाभ शिक्षकों को मिलेगा.

उन्होंने नियोजित शिक्षकों के स्थानांतरण प्रक्रिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सूबे के नियोजित शिक्षक 2006 से ही एक विद्यालय में विगत 14 वर्षों से कार्यरत हैं. खासकर महिलाओं को ज्यादा परेशानी है लेकिन इस सेवा शर्त में महिलाओं को एक बार स्थानांतरण का मौका दिया जाना सरकार की शिक्षकों के प्रति मंशा को दर्शाता है. वह राज्य के नियोजित शिक्षकों के लिए पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया छलावा है. सेवा शर्त में शिक्षकों कोई लाभ नही मिल रहा है. जिससे अपने आप को वह ठगा महसूस कर रहे हैं. कुल मिलाकर चुनावी सेवाशर्त से सरकार नियोजित शिक्षकों को ठगने का काम कर रही है, लेकिन शिक्षक भी इस बार आर-पार के मूड में हैं.

बिहार विधानसभा में नियोजित शिक्षको के कोपभाजन का शिकार सरकार को होना अब तय माना जा रहा है. सरकार के पास अभी समय है वह नियोजित शिक्षकों के प्रति अपना नजरिया बदले और सेवाशर्त को सुधार के साथ प्रकाशित करें.

विरोध करने वालों में संजय राय, संजय यादव, अभय सिंह, निजाम अहमद, निशात, विनोद राय, स्वामीनाथ राय, अनिल दास, रंजीत सिंह, मंटू सिंह, राजीव कुमार सिंह, शौकत अली अंसारी, सुमन प्रसाद कुशवाहा, उपेंद्र यादव, जयप्रकाश तिवारी, विनोद राय, राजू सिंह, सुनील सिंह, अजय सिंह, तरुण कुमार सहित कई शिक्षक शामिल थे.

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• दस्त के कारण होने वाले शिशु मृत्यु को शून्य करना है लक्ष्य

• अंतर्विभागीय समन्वय और सहयोग से पखवाड़े को सफल करने के निर्देश

• राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने पत्र जारी कर दिया निर्देश

Chhapra: दस्त से होने वाले शिशु मृत्यु को शून्य स्तर तक लाने के उद्देश्य से राज्य में सघन दस्त नियंत्रण पखवारा का आयोजन किया जाएगा। वर्तमान में कोविड-19 महामारी की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए पखवाड़े का आयोजन 16 से 29 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है। जारी पत्र में बताया गया है कि कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आवश्यक है कि कार्यक्रम के अंतर्गत की जाने वाली गतिविधियों का सूक्ष्म कार्यान्वयन एवं अनुश्रवण किया जाए । डायरिया से होने वाले मृत्यु का मुख्य कारण निर्जलीकरण के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी होना है। ओआरएस एवं जिंक के प्रयोग की समझ द्वारा डायरिया से होने वाली मृत्यु को टाला जा सकता है। सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान अंतर्विभागीय समन्वय द्वारा डायरिया के रोकथाम के उपायों, डायरिया होने पर ओआरएस जिंक के प्रयोग, उचित पोषण तथा समुचित इलाज के पहलुओं पर क्रियान्वयन किया जायेगा।

लक्षित लाभार्थी
• समस्त पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे
• पांच वर्ष की उम्र तक के समस्त बच्चे जो पखवाड़े के दौरान दस्तरोग से ग्रसित हों

इन क्षेत्र पर दिया जायेगा विशेष जोर
पखवाड़ा के दौरान कुछ विशेष क्षेत्रों में अभियान पर अधिक बल दिया जायेगा। जैसे- उपकेंद्र जहां पर एएनएम न हो अथवा लंबी छूटी पर हो, सफाई की कमी वाले स्थानों पर निवास करने वाली जनसंख्या क्षेत्र अति संवेदनशील क्षेत्र- शहरी, झुग्गी-झोपड़ी, कठिन पहुंच वाले क्षेत्र, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवार, ईंट भट्‌टे वाले क्षेत्र, अनाथालय तथा ऐसा चिन्हित क्षेत्र जहां दो-तीन वर्ष पूर्व तक दस्त के मामले अधिक संख्या में पाये गये हों। छोटे गांव, टोला, बस्ती, कस्बे जहां साफ-सफाई, साफ पानी की आपूर्ति एवं व्यवस्था की सुविधाओं की कमी हो।

समुदायिक व गांव स्तर पर होगी गतिविधि
आशा कार्यकर्ता द्वारा भ्रमण के लिए माइक्रोप्लान तैयार किया जायेगा। जिसमें पाचं वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सूची बनायी जायेगी। माईक्रोप्लान की समीक्षा संबंधित नोडल पदाधिकारी एवं जिला स्टेयरिंग कमिटी द्वारा की जाएगी। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के घरों में प्रति बच्चा एक-एक ओआरएस पैकेट का वितरण किया जायेगा। कोविड-19 महामारी को देखते हुए आशा द्वारा नान- कंटेनमेंट जोन के घरों में ओआरएस का वितरण किया जायेगा। कंटेनमेंट जोन में ओआरएस का वितरण के लिए प्रोटोकॉल का पालन किया जायेगा।

परिवार के सदस्यों की होगी काउंसलिंग

आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान परिवार के सदस्यों के समक्ष ओआरएस घोल बनाना एवं इसके उपयोग की विधि, इससे होने वाले लाभ को बताना, साफ-सफाई , हाथ धोने के तरीके की जानकारी दी जायेगी। इसक साथ हीं परिवार इन बिन्दुओं पर परामर्श दी जायेगी।
• जिंक का उपयोग दस्त होने के दौरान बच्चों को आवश्यकत रूप से काराया जाये। दस्त बंद हो जाने के उपरांत भी जिंक की खुराक 2 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार 14 दिनों तक जारी रखा जाये
• जिंक और ओआरएस के उपयोग के उपरांत भी दस्त ठीक न होने पर बच्चे को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जायें
• दस्त के दौरान और दस्त के बाद भी आयु के अनुसार स्तनपान, उपरी आहार तथा भेजन जारी रखा जाये
• उम्र के अनुसार शिशु पोषण संबंधी परामर्श दिया जायेगा
• पीने के लिए साफ एवं सुरक्षित पयेजल का उपयोग करें
• खाना बनाने एवं खाना खाने से पर्वू और बच्चे का मल साफ करने के उपरांत साबुन से हाथ धोयें
• डारिया होने पर ओआरएस और जिंक का उपयोग करने से बच्चों में तीव्र सुधार होता है
• बच्चे के मल का निस्तारण सुरक्षित स्थान पर जल्द से जल्द कर दिया जाये
• दस्त का फैलने से रोकने के लिए शौचालय का प्रयोग करना चाहिए

ये लक्षण दिखाई देने पर तुरंत स्वास्थ्य केंद्र ले जायें

• बच्चा ज्यादा बीमार लग रहा हो
• पानी जैसा लगातार दस्त का हो रहा हो
• बार-बार उल्टी हो रहा हो
• अत्याधिक प्यास लग रहा हो
• पानी न पी पाना
• बुखार होना
• मल में खून आ रहा हो

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