ईयर एंडर-2023 बिहार : जातीय गणना और आरक्षण का दायर बढ़ाने सहित कई फैसलों ने बटोरी सुर्खियां

ईयर एंडर-2023 बिहार : जातीय गणना और आरक्षण का दायर बढ़ाने सहित कई फैसलों ने बटोरी सुर्खियां

पटना: वर्ष 2023 कई मायनों में बिहार के लिए खास रहा। नीतीश सरकार के कई बड़े राजनीति फैसलों ने सबको चौंका दिया। इनमें जाति आधारित गणना और आरक्षण का दायरा बढ़ाने के फैसलों ने पूरे देश सहित विश्व का ध्यान खींचा। नीतीश सरकार ने कई मुश्किलों के बावजूद जातीय गणना कर देश में एक बड़ा संदेश दिया।

बिहार के कास्ट सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार की कुल जनसंख्या 13 करोड़ से अधिक है। इनमें 81.99 प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की जबकि 17.70 आबादी मुसलमानों की है। हिन्दुओं में सबसे ज्यादा संख्या अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है, जो कि 36 प्रतिशत है। इसके अलावा 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग, 19 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति और 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है। प्रदेश में सवर्णों की आबादी की बात करें तो यह 15.52 प्रतिशत है। जातीय गणना का सर्वे आने के बाद नीतीश सरकार ने आरक्षण का कोटा 75 प्रतिशत तक बढ़ा दिया।



साल के आखिर में नीतीश खुद बने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष

बिहार की राजनीति में सबसे बड़ा बदलाव साल के आखिर में देखने को तब मिला जब नीतीश कुमार ने सभी को चौंकाते हुए खुद जदयू की कमान संभाल ली। पार्टी के सबसे बड़े नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद पार्टी के अध्यक्ष बन गए। साल 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले हुए इस बदलाव को नीतीश कुमार का बड़ा कदम माना गया। राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने 29 दिसम्बर को जदयू के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सर्वसम्मति से नीतीश कुमार को पार्टी का अध्यक्ष चुन लिया गया।

आईएनडीआईए गठबंधन की नींव

राजग से अलग होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता की नींव रखी। इसके लिए उन्होंने पूरे देशभर में घूमकर सभी विपक्षी नेताओं से मिलकर एक मंच पर आने के लिए कहा। उन्होंने विपक्षी नेताओं से गुहार लगाते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी को हराना है तो सभी को एक होना होगा। उन्होंने इसके लिए पटना में ही सबसे पहली बैठक बुलाई।


नीतीश कुमार का विवादित बयान

नीतीश कुमार ने विधानसभा में जनसंख्या नियंत्रण पर विवादित बयान देकर पूरे देश का सियासी पारा बढ़ा दिया। उन्होंने जिस तरीके से जनसंख्या नियंत्रण पर सदन में अपनी बात रखी उसका महिला विधायकों ने खूब विरोध किया। इसके लिए उन्हें सार्वजनिक रूप से मीडिया के सामने आकर माफी भी मांगनी पड़ी।


बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई

बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को 27 अप्रैल को रिहा कर दिया गया। उन्हें 16 साल बाद जेल से रिहा किया गया। आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार सरकार की तीखी आलोचना भी हुई। नीतीश सरकार के इस फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की गई।

 

हिन्दू त्योहारों पर सांप्रदायिक दंगे

इस साल बिहार एक बार फिर हिन्दू त्योहारों पर सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलसा। रामनवमी हो या हनुमान जयंती, बिहार के कई जिलों में सांप्रदायिक दंगे हुए। इस मामले पर राजनीति भी जमकर हुई। इसे हिंदू-मुस्लिम का रंग देकर राजनीतिक पार्टियों ने लोगों को उकसाने का काम किया। भाजपा नेताओं ने कहा कि लालू यादव की पार्टी के सत्ता में आते ही बिहार में जंगलराज की वापसी हो गई है जबकि महागठबंधन के नेताओं ने इस हिंसा के लिए भाजपा को दोषी ठहराया।


रामचरित मानस पर विवाद

इस साल बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर खूब सुर्खियां बटोरीं। उनके द्वारा रामचरित मानस पर दिए बयान ने पूरे देश की सियासत को गरमा दी। उन्होंने रामचरितमानस की तुलना पोटेशियम साइनाइड से की थी। उन्होंने रामचरितमानस को समाज को बांटने वाला बता चुके हैं। वे जन्माष्टमी के मौके पर मोहम्मद पैगंबर को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कह चुके हैं।


उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी बनाई

नीतीश कुमार से मतभेद के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर से जदयू से रिश्ता तोड़ लिया और उन्होंने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल (आरएलजेडी) बना ली। इसके बाद फिर से वे राजग में शामिल हो गए।

0Shares
Prev 1 of 237 Next
Prev 1 of 237 Next

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें