सुशील मोदी ने कहा, जातीय गणना के सर्वे रिपोर्ट की समीक्षा होनी चाहिए

सुशील मोदी ने कहा, जातीय गणना के सर्वे रिपोर्ट की समीक्षा होनी चाहिए

पटना, 6 अक्टूबर (हि.स.)। राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने बिहार में हुए जातीय जनगणना के सर्वे रिपोर्ट की समीक्षा होनी चाहिए। उन्होंने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा है कि जातीय सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद सत्ता से जुड़ी चुनिंदा जातियों को छोड़ कर लगभग सभी जातियों के लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

सुशील मोदी ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और जदयू के एक सांसद सहित अनेक लोग जब सर्वे के आंकड़ों को विश्वसनीय नहीं मान रहे हैं तब सर्वे प्रक्रिया की समीक्षा कराई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार में जातीय सर्वे कराने के सरकार के नीतिगत निर्णय पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद अब कानूनी रूप से सर्वे को लेकर कोई कानूनी मुद्दा नहीं है। दूसरी तरफ सर्वे की विश्वसनीयता जनता का मुद्दा बन गया है। ऐसी शिकायतें मिलीं कि प्रगणकों ने अनेक इलाकों के आंकड़े घर बैठे तैयार कर लिए।

उन्होंने कहा कि वैश्य, निषाद जैसी कुछ जातियों के आंकड़े 8-10 उपजातियों में तोड़ कर दिखाये गए, ताकि उन्हें अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास नहीं हो। यह किसके इशारे पर हुआ ? राज्य में वैश्य समाज की आबादी 9.5 फीसदी से अधिक है लेकिन यह सर्वे में दर्ज नहीं हुआ। जिस जाति-धर्म के लोग वर्तमान सत्ता के साथ हैं उनकी संख्या को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने के लिए उपजातियों के आंकड़े छिपाये गए। सुशील मोदी ने कहा कि जातीय सर्वे पर जो संदेह-सवाल उठ रहे हैं, उनका उत्तर राज्य सरकार को देना चाहिए, पार्टी प्रवक्ताओं को नहीं।

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें