नीतीश कुमार पर प्रशांत किशोर का तंज, बोले-जब नरेंद्र मोदी के साथ थे तो गलती से भी नहीं निकली विशेष राज्य की बात, महागठबंधन में जाते ही करने लगे मांग

नीतीश कुमार पर प्रशांत किशोर का तंज, बोले-जब नरेंद्र मोदी के साथ थे तो गलती से भी नहीं निकली विशेष राज्य की बात, महागठबंधन में जाते ही करने लगे मांग

नीतीश कुमार पर प्रशांत किशोर का तंज, बोले-जब नरेंद्र मोदी के साथ थे तो गलती से भी नहीं निकली विशेष राज्य की बात, महागठबंधन में जाते ही करने लगे मांग

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक में एक फिर से विशेष राज्य का दर्जा देने वाला मामला उठाया। हाल के दिनों में अगर देखा जाय तो सुशासन बाबू कई बार ​बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग कर चुके हैं। उनके विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी के साथ थे तो एक बार गलती से भी उनके मुंह से विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की बात नहीं निकली। तब संसद में खड़े होकर जदयू के नेता नरेंद्र मोदी को महामानव बता रहे थे। जैसे ही महागठबंधन में आए वैसे ही नीतीश कुमार की अंतरात्मा परिवर्तित हो गई और उनको विशेष राज्य का दर्जा दिखने लगा। अगर फिर से भाजपा में चले गए तो कहेंगे कि अरे भाई! छोड़िए न विशेष राज्य का दर्जा कोई मुद्दा है। किसी को कुछ समझ आता है। अगर आपको ही सब समझ में आता है तो आप ही सुधार दीजिए। जिस आदमी को कुछ भी समझ नहीं आता है, तो उसको पूरी दुनिया मूर्ख दिखती है। इसलिए नीतीश कुमार को सब लोग मूर्ख दिखते हैं, क्योंकि उनकी अपनी समझ नहीं रह गई है। नीतीश कुमार की उम्र हो गई है, 75 साल से ज्यादा की उनकी आयु हो गई है।

नीतीश कुमार सामाजिक-राजनीतिक तौर पर घिर गए हैं और वह क्या बोलते हैं, उनको खुद नहीं पता: प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि नीतीश कुमार सामाजिक-राजनीतिक तौर पर घिर गए हैं और वह क्या बोलते हैं, उनको खुद नहीं पता है। विधानसभा में खड़े होकर उन्होंने जो वक्तव्य दिया उसके बाद पूरे देश में हंसी के पात्र बन गए। पूरे देश में बिहार के लोगों को शर्मशार किया। वो जो हुआ तो हुआ फिर अगले दिन जो माफी मांगी, तो उनके माफी मांगने के तरीके को देखिए तो लग रहा है कि हंस रहे हैं, रो रहे हैं या दुखी हैं या खुश हैं। बोलना कुछ चाहते हैं और बोल कुछ और जाते हैं। करना कुछ चाहते हैं और कर कुछ और जाते हैं। इसीलिए लोग कह रहे हैं कि भइया! उनका दिमाग स्थिर नहीं है। जब आप अकेले हो जाते हैं, तो इस तरह की बेचैनी होने लगती है। उनकी राजनीतिक जमीन खिसक गई है, उनको ये तो समझ है। इसलिए उलूलजुलूल बोलते रहते हैं। उनके ज्यादातर बयान सुनेंगे, तो वह कहते मिलेंगे कि अरे भाई! छोड़िए ये सब कोई मुद्दा है।

0Shares

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें