तानाशाही ताकतों को परास्त करने के लिए जेपी के सपनों का भारत बनाने की जरूरत: ज्ञानेन्द्र रावत

तानाशाही ताकतों को परास्त करने के लिए जेपी के सपनों का भारत बनाने की जरूरत: ज्ञानेन्द्र रावत

जे पी आंदोलन दिवस समारोह तानाशाही ताकतों को परास्त करने के लिए जे पी के सपनों का भारत बनाने की जरूरत: ज्ञानेन्द्र रावत

नयी दिल्ली: राजघाट परिसर स्थित गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सत्याग्रह मंडप में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में लोकनायक जयप्रकाश अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन विकास केन्द्र एवं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के संयुक्त तत्वावधान में जे पी आंदोलन दिवस के अवसर पर ग्राम स्वराज एवं अंत्योदय, गांधी-जेपी के सर्वोदय की कल्पना का समाज विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ. संगोष्ठी में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष विजय गोयल, सुप्रसिद्ध समाजवादी विचारक-चिंतक एवं अध्यक्ष लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी अध्यक्ष रघु ठाकुर, सुप्रसिद्ध जेपी सेनानी एवं बसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधीन्द्र भदौरिया, सोशल रिसर्च इंडिया की निदेशक डा० रंजना कुमारी, समाजवादी नेता व जनता दल यू के महासचिव अरुण श्रीवास्तव एवं प्रख्यात पर्यावरणविद व वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र रावत को जे पी सेनानी सम्मान से सम्मानित किया गया.

इस अवसर पर केन्द्र के अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ब्रज किशोर त्रिपाठी, समारोह के विशिष्ठ अतिथि एशियन ऐकेडेमी आफ फिल्म्स एण्ड टेलीविजन के संस्थापक अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी संदीप मारवाह, सुविख्यात ज्योतिषाचार्य गुरूजी पवन सिन्हा, सुविख्यात कवि अशोक चक्रधर, पूर्व प्रधानमंत्री स्व० लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र पूर्व मंत्री एवं सांसद रहे सुनील शास्त्री, विश्व जल परिषद के सदस्य, पर्यावरणविद एवं शिक्षाविद डा० जगदीश चौधरी, पूर्व वरिष्ठ आई पी एस अधिकारी उदय सहाय के अलावा गो ग्रीन अभियान की प्रमुख रागिनी रंजन, सुप्रीम कोर्ट के वकील विजय अमृत राज, पर्यावरण मामलों के जानकार, समाजसेवी व जेपी के अनन्य प्रशंसक प्रशांत सिन्हा, सुप्रसिद्ध वायलिन वादक डा० रंजन कुमार, जे पी विचार मंच गोरखपुर के हरिओम श्रीवास्त़व, आर के सिन्हा, प्रख्यात नृत्यांगना सुमिता राय, प्रो० डी. सी. श्रीवास्तव, आनंद कुमार, श्रुति सिन्हा आदि अनेकों आंदोलन कर्मियों, समाज सेवियों, बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, संस्कृतिकर्मियों व गैर सरकारी संस्थाओं और विभिन्न राजनीतिक दलों से जुडे़ लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय थी.

अपने संबोधन में ज्ञानेन्द्र रावत ने सबसे पहले गांधी स्मृति और दर्शन समिति के इस सत्याग्रह मंडप में आयोजित समारोह में महात्मा गांधी और जय प्रकाश जी को आदर के साथ श्रृद्धांजलि अर्पित की और कहा कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अप्रतिम सेनानी और समग्र क्रांति के अग्रदूत जयप्रकाश जी अपने जीवन के अंतिम चरण में भारतीय राजनीति के फलक पर आंधी की तरह आये. इसे यदि यूं कहें कि देश में भारतीय जनमानस को नेहरू परिवार के मुकाबले एक ऐसा नेता मिला जिसने देश की दिशा ही बदल दी तो कुछ गलत नहीं होगा. नौजवानों के आंदोलन और उसमें उनके नेतृत्व की परिणिति 1977 में जनता पार्टी के गठन और जनता सरकार के अस्तित्व में आने की जीती जागती मिसाल है जिसने यह साबित किया कि जनता जब जाग जाती है तब तानाशाही ताकतों को ध्वस्त होते देर नहीं लगती. उससे पूर्व उन्होंने अपना समय सर्वोदय के क्षेत्र में रचनात्मक कार्यों में समर्पित किया. कुख्यात दस्युओं का समर्पण इसका जीवंत प्रमाण है. अपने जीवन के अंत समय में भी अंत्योदय कार्यक्रम के प्रति उनकी चिंता इस बात का प्रमाण है कि वह देश के आम आदमी के प्रति कितने संवेदनशील थे. उसकी बहबूदी ही उनके जीवन का लक्ष्य था. आज मौजूदा हालात इस बात के सबूत हैं कि देश में तानाशाही ताकतें फिर सिर उठा रही हैं. ऐसे समय जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर जे पी के सपनों का भारत बनायें ताकि तानाशाही ताकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया जा सके और देश बचाया जा सके. यदि अब हम चूक गये तो आने वाली पीढियां हमें माफ नहीं करेंगीं.

डा० जगदीश चौधरी ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति में यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि आज भी हम अपने देश की विभूतियों को भूले नहीं हैं जिन्होंने न केवल आजादी की लडा़ई में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन में भी क्रांतिकारी भूमिका निबाही. हमें उन पर गर्व है. ऐसे आयोजनों की सफलता तभी संभव है जबकि हम उन विभूतियों के योगदान की जानकारी जन-जन तक पहुंचायें और उनके बताये रास्ते पर चलते हुए उनके आदर्शों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं. तभी सार्थक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है. श्री संदीप मारवाह ने जेपी के जीवन के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए कहा कि जेपी जैसे महापुरुष युगों-युगों में पैदा होते हैं. उन्होंने देश को परिवर्तन की राह दिखाई ही नहीं, उसको हकीकत में बदलने का काम भी किया. देश को उन पर नाज है. ज्योतिष गुरू पवन सिन्हा ने कहा कि कैसी विडम्बना है कि आज हम जे पी के सपनों का भारत बनाने की बात करते हैं जबकि जय प्रकाश जी के अवसान को चार दशक बीत चुके हैं. लेकिन दुख इस बात का है कि इस दौरान क्या हम देश के घर-घर में जयप्रकाश जी के नाम और उनके काम को पहुंचाने में कामयाब हुए हैं. जबकि हकीकत यह है कि उन्होंने दमन के खिलाफ जो आवाज बुलंद की और जिसके परिणाम स्वरूप व्यवस्था परिवर्तन का जो ऐतिहासिक काम हुआ, उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है.जरूरत इस बात की है कि हम जयप्रकाश जी के काम और नाम को जन-जन तक पहुंचायें.

पूर्व प्रधानमंत्री स्व० लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र सुनील शास्त्री ने अपने सम्बोधन में अपने पिताश्री और जयप्रकाश जी के संस्मरणों का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश में जयप्रकाश जी जैसे व्यक्तित्व की बेहद जरूरत है. उनके लिए देश और देश की जनता की खुशहाली ही सर्वोपरि थी. गो ग्रीन की प्रमुख रागिनी रंजन ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि जयप्रकाश जी के विचारों का प्रचार और प्रसार समय की बहुत बडी़ जरूरत है. यदि हम वास्तव में व्यवस्था में बदलाव चाहते हैं तो हमें जेपी के बताये रास्ते पर चलना होगा. परिवर्तन के रास्ते बाधाएं आयेंगी लेकिन उन्हें दरकिनार करते हुए हमें आगे बढ़ना होगा. तभी कामयाबी संभव है.

पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने आपातकाल के दौर की चर्चा करते हुए अपनी गिरफ्तारी और जेल यात्रा का सिलसिलेवार वर्णन किया और बताया कि कैसे जे पी ने अस्वस्थता के बावजूद आंदोलन का नेतृत्व किया और सत्ता परिवर्तन कर दुनिया के सामने आंदोलन, नौजवानों और संगठन की शक्ति का अहसास कराया. मैं आयोजन की सफलता की कामना करता हूं और केन्द्र के महासचिव अभय सिन्हा के प्रयासों की प्रशंसा करता हूं. केन्द्र के अध्यक्ष ब्रज किशोर त्रिपाठी ने जेपी के अन्त्योदय सम्बंधी विचारों की सिलसिलेवार चर्चा की और उनकी स्मृति में बीते दशकों से केन्द्र द्वारा किये जा रहे कार्यों का व्यौरा दिया और उनके विचारों के प्रचार-प्रसार की दिशा में हरसंभव प्रयास किये जाने का संकल्प भी दोहराया. संगोष्ठी के अंत में केन्द्र के महासचिव अभय सिन्हा ने सभी आगंतुकों, जेपी सेनानियों, विशिष्ठ अतिथियों और सांस्कृतिक कर्मियों का हृदय से आभार व्यक्त किया और कहा कि हम आज आन्दोलन की छह विभूतियों को सम्मानित कर गौरवान्वित हैं. उन्होंने सभी उपस्थित जनों को आश्वस्त किया कि केन्द्र अध्ययन केन्द्र के विस्तार और जेपी के सपनों का भारत बनाने में कोई कोर कसर नहीं रखेगा और देश-दुनिया में जेपी के विचारों के प्रसार हेतु अपने प्रयास जारी रखेगा. इस हेतु श्री सिन्हा ने विजय गोयल से सहयोग हेतु अपील भी की.

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