Exclusive: ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से मशहूर हुए अभिनेता सत्यकाम आनंद से खास बातचीत

Exclusive: ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से मशहूर हुए अभिनेता सत्यकाम आनंद से खास बातचीत

‘अगर दिल से मेहनत की जाए तो एक ना दिन आपकी मेहनत का रंग निखर कर ज़रूर आता है’, ये कहना है ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘मसान’ जैसी मशहूर फिल्म में अपनी अदाकारी का जलवा दिखा चुके बॉलीवुड अभिनेता सत्यकाम आनंद का.

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फिल्म ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर का एक दृश्य’

सत्यकाम ने ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में विधायक जेपी सिंह के किरदार में अपनी अभिनय का लोहा मनवाया है. इसके अलावा इन्होंने नीरज घेवन की फिल्म ‘मसान’ और अनुराग कश्यप की ‘शॉर्ट्स’ कई टीवी सीरियलों में भी सशक्त भूमिका निभाई है. 

भोजपुर (आरा) के रहने वाले सत्यकाम आनंद ने काफी मेहनत से बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई है. छपरा टुडे ने सत्यकाम आनंद से खास बातचीत की और उनके संघर्ष की कहानी और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानने की कोशिश की.

छपरा टुडे: आपने अपने हुनर के दम पर बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. आरा जैसे छोटे से शहर से मुंबई तक का सफर कैसा रहा है?

सत्यकाम: ये संघर्ष काफी लंबा रहा. आरा से निकलकर बॉलीवुड में पहचान मिलने में करीब 16 17 साल लग गए. इस बीच मैंने कई उतार चढ़ाव भी देखे. शुरुआती दिनों में दिल्ली में रहा. वहां कई थिएटर का हिस्सा बना. फिर धीरे धीरे मुंबई की ओर चला आया.

छपरा टुडे: आपको ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से एक सशक्त अभिनेता के तौर पर पहचान मिली है. विधायक जेपी सिंह के रोल को निभाना कितना मुश्किल रहा?

सत्यकाम: विधायक जेपी सिंह जैसे दमदार रोल को निभाने का सारा श्रेय मैं  अपने डायरेक्टर अनुराग कश्यप सर को दूंगा. अनुराग सर ऐसे डायरेक्टर हैं जो हर कैरेक्टर में एक अलग जान फूंक सकते हैं. अनुराग सर ने इस रोल को निभाने में मेरी काफी मदद की. अनुराग सर अपने फिल्म के हर एक कैरेक्टर पर इतनी मेहनत करते हैं कि उसका नतीजा हमेशा ही अच्छा ही होता है. 

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छपरा टुडे: ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का मशहूर डायलग ‘बेटा तुमसे ना हो पाएगा’ काफी मशहूर हो गया है. ये डायलग आप पर ही फिल्माया गया है जब आपके पिता का रोल निभा रहे तिग्मांशु धूलिया आपसे ये बात कहते हैं. तब आपने कभी सोचा था कि ये डायलग इतना मशहूर हो जाएगा?

सत्यकाम: सच मानिए तो बिल्कुल नहीं. ये सबकुछ अचानक हुआ था. हम शूटिंग कर रहे थे और स्क्रिप्ट के मुताबिक डायलग बोले जा रहे थे. इस सीन को तिग्मांशु सर ने अपने अभिनय के दम पर मज़बूत बनाया था. इस डायलग के खत्म होते ही जैसे अनुराग सर ने कट बोला सब लोग हंस हंस लोटपोट हो रहे थे.

छपरा टुडे: अपनी शुरुआती दिनों में जब आप आरा में थे तब आप अपने अभिनय के शौक को कैसे पूरा करते थे?

सत्यकाम: मेरा झुकाव फिल्मों के प्रति शुरू से रहा है. आरा में घर से 20 मिनट की दूरी पर ही एक सिनेमा हॉल हुआ करता था. जब मन करता था हम वहां पहुंच जाते थे. साथ ही साथ मैं वहां भी थिएटर से जुड़ा रहा और छोटे-मोटे रोल करते रहा.

छपरा टुडे: आप के छोटे शहर के मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं. आपके पिता एक स्कूल टीचर हैं. ऐसे में अपने आपको अपने परिवार को ये समझाना कितना मुश्किल रहा कि आप एक एक्टर बनना चाहते हैं?

सत्मकाम: मेरे लिए ये काफी मुश्किलों से भरा वक्त था. एक छोटे शहर से होने के नाते वहां कला और एक्टिंग को लेकर उतनी जागरुकता नहीं थी. लेकिन, मैं हमेशा शहर के रंगमंच से जुड़ा रहा और स्थानीय थिएटर के साथ मिलकर कई काम किए. धीरे धीरे एक्टिंग की ओर मेरा रुझान बढ़ता गया और फिर मैं दिल्ली के लिए निकल पड़ा.

छपरा टुडे: दिल्ली में आने के बाद जिंदगी कितनी बदली? 

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फिल्म ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर का एक दृश्य’

 

सत्यकाम: दिल्ली में आने के बाद भी संघर्ष जारी रहा. हां, इस दौरान कई अच्छे थिएटर आर्टिस्ट और रंगमंच से जुड़े लोगों से मिलना हुआ. इस दौरान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से जुड़े कई लोगों के संपर्क में आया. दिल्ली में इस दौरान मैंने कई थिएटर किए और अपनी अभिनय की कला को तराशने का मौका मिला. 

छपरा टुडे: अनुराग कश्यप और नीरज घेवन जैसे निर्देशक और मनोज वाजपेयी, तिग्मांशु धूलिया, नवाज़ुद्दीन सिद्दकी और संजय मिश्र जैसे बेहतरीन कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

सत्यकाम: ये सारे नाम अपने अपने क्षेत्र के बड़े नाम हैं. अनुराग सर एक बेहद ही क्रिएटिव डायरेक्टर हैं जो अपने कलाकारों पर काफी विश्वास करते हैं और उन्हें अपने काम में निखार लाने की पूरी आज़ादी देते हैं. मनोज सर, तिग्मांशु सर, नवाजुद्दीन जी के साथ काम कर के काफी कुछ सीखने को मिलता है. निश्चित तौर पर इनके साथ काम करके मेरी एक्टिंग में काफी सुधार हुआ है.

छपरा टुडे: फिलहाल किन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं?

सत्यकाम: मेरी फिल्म ‘मिसेज स्कूटर’ बन कर तैयार है जिसका निर्देशन शिलादित्य मौलिक ने किया है. लेकिन, किसी कारण से ये फिल्म अब तक रिलीज नहीं हो पाई है. इसके अलावा भी कई अनाम प्रोजेक्ट्स हैं जिनपर काम चल रहा है और बहुत जल्द वो पर्दे पर नज़र आ जाएंगे.

छपरा टुडे: आपने ‘AMBA’ नाम से एक संस्था बनाई है. इसके बारे में कुछ बताइए.

सत्यकाम: ‘AMBA’ का पूरा नाम दरअसल ‘अश्लीलता मुक्त भोजपुरी एसोसिएशन’ है. ऐसा देखा गया है कि भोजपुरी में बनने वाली  फिल्म को ज्यादातर लोग अच्छा नहीं मानते. इन दिनों अश्लीलता और फूहड़पन भोजपूरी फिल्मों की पहचान बन गई है. भोजपुरी फिल्मों के गिरते स्तर की वजह से भोजपुरी के सम्मान को ठेस पहुंच रही है.

मैं कुछ लोगों के साथ मिलकर इसके खिलाफ एक मुहिम चला रहा हूं और भोजपूरी के सम्मान को वापस दिलाने की कोशिश कर रहा हूं. इस संस्था की कोशिश ये है कि भोजपूरी फिल्मों और गानों को जल्द से जल्द अश्लीलता से मुक्त कराया जाए ताकि भोजपुरी और भोजपुरी फिल्मों को बराबर का सम्मान मिल सके. 

फिल्म शॉर्ट्स में अभिनेत्री हम कुरैशी के साथ सत्र्काम आनंद
फिल्म शॉर्ट्स में अभिनेत्री हम कुरैशी के साथ सत्यकाम आनंद

 

छपरा टुडे: आपके इस मुहिम और अब तक के संघर्ष की कहानी सुनकर निश्चित ही आज की युवा पीढ़ी को एक सीख मिलेगी और उन्हें काफी कुछ सीखने को मिलेगा. छपरा टुडे से बात करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद. छपरा टुडे आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता है.

सत्यकाम: छपरा भी भोजपुर और भोजपुरी से उतना ही जुड़ा हुआ है. मैं छपरा के लोगों से भी अपील करता हूं कि भोजपुरी के सम्मान की इस लड़ाई में वो भी मेरा पूरा सहयोग करें. इसके लिए वो ‘AMBA’ के फेसबुक पेज से जुड़कर हमारी इस लड़ाई में भाग ले सकते हैं. छपरा टुडे को भी बहुत बहुत धन्यवाद.

 

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