प्रकृति का संरक्षण करते हुए विकास हो: दत्तात्रेय होसबाळे

प्रकृति का संरक्षण करते हुए विकास हो: दत्तात्रेय होसबाळे

पटना: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाळे ने मंगलवार को यहां कहा कि आज आवश्यकता है कि प्रकृति का संरक्षण करते हुए विकास हो। विकास समय की मांग है। लेकिन, विकास सिर्फ ‘किसी भी कीमत’ पर नहीं होना चाहिए।

सरकार्यवाह होसबाळे ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण करते हुए विकास होगा तो मनुष्य का शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक विकास भी अवरूद्ध नहीं होगा। प्रकृति के विनाश से मनुष्य के अंदर कई बीमारियां जन्म ले रही है। विश्व के कई देश इस समस्या को झेल रहे हैं। इस संदर्भ में विचार करने की आवश्यकता है। विवेक के आधार पर एक संतुलन बिठाना होगा, जिससे विकास भी हो और प्रकृति का संरक्षण भी बना रहे।

पटना के बीआईए सभागार में डॉ. संजीव कुमार द्वारा लिखित पुस्तक ‘लोकेशनल कनफ्लिक्ट इन पटना: एक स्टडी इन अर्बन पोलिटिकल जियोग्राफी’ के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने इस विषय पर विश्व में चल रहे कई प्रयोगों का उल्लेख किया। अमेरिका में आमिश नामक समुदाय आज भी प्रकृति के बीच रहता है। वहां 18 वर्ष तक के युवा-युवती को प्रकृति के बीच रहना अनिवार्य है। पुरी भारत का पहला शहर बनने जा रहा है, जहां 24 घंटे निःशुल्क पेय जल उपलब्ध रहेगा। अपने प्राचीन ग्रंथों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के प्राचीन ग्रंथों में सैकड़ों नदियों का वर्णन मिलता है। कालिदास अपने ग्रंथों में प्रकृति का एक विहंगम दृश्य दिखाते हैं।

उन्होंने आज की आवश्यकता शहर के अंदर आबादी के घनत्व को रोककर नये शहरों के विकास को बताया। उदाहरण स्वरूप रायपुर के स्थान पर नया रायपुर बनाया गया है। पुराने शहरों में कुछ ऐतिहासिक स्थलों को चिह्नित किया जाये। वहां की विशेषता को संरक्षित करते हुए विकास करना होगा। इससे भविष्य की पीढ़ी अपने महान विरासत का साक्षात्कार कर पायेगी। इन स्थलों के संरक्षण के संदर्भ में कोई व्यावसायिक हस्तक्षेप कतई नहीं होना चाहिए। इन विषयों पर अकादमिक लोग अध्ययन करें। प्रशासनिक लोग इस पर अमल करें तथा समाज जीवन से जुड़े संगठन जन-प्रबोधन कर लोगों को इस बारे में सचेत करते रहे। उन्होंने पुस्तक के लेखक डॉ. संजीव कुमार की भूरि-भूरि प्रशंसा भी की।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आईआईटी, पटना के निदेशक प्रो. टी. एन. सिंह ने उत्तर प्रदेश के तर्ज पर ‘एक शहर- एक उत्पाद’ की विशिष्टता बनाये जाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने जल प्रबंधन एवं ध्वनि नियंत्रण के बारे में विस्तृत चर्चा की। अपने संबोधन में उन्होंने बिहार की छवि बदलने का आह्वान भी किया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. बी. सी. वैद्या ने शहर के अंदर और परिधि में विकसित हो रहे स्लम की समस्या पर विचार करने की आवश्यकता बताई।

पुस्तक के लेखक डॉ. संजीव कुमार ने पुस्तक का परिचय कराया। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक पटना के गत 50-60 वर्षों के विकास का अध्ययन करती है।संस्था के अध्यक्ष सिद्धिनाथ सिंह ने बबुआजी स्मृति एवं शोध संस्थान के बारे में उपस्थित श्रोताओं को जानकारी दी। कार्यक्रम का मंच संचालन सरला बिड़ला विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ. स्मिता ने किया।

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें