गांगेय डॉल्फिन की जल्द शुरू होगी जनगणना: अश्विनी चौबे

गांगेय डॉल्फिन की जल्द शुरू होगी जनगणना: अश्विनी चौबे

नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि जल्द ही गांगेय (गंगा में पायी जाने वाली) डॉल्फिन की जनगणना की जाएगी। हाल ही में मंत्रालय ने इसको लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं। डॉल्फिन की गणना वैज्ञानिकों, वन विभागों, गैर सरकारी संगठनों के विशेषज्ञों, स्थानीय लोगों आदि की भागीदारी से की जाएगी और यह एक संयुक्त प्रयास होगा।

वे भागलपुर वन प्रमंडल द्वारा गांगेय डॉल्फिन दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का प्राथमिक लक्ष्य डॉल्फ़िन का संरक्षण और नदियों पर निर्भर समुदायों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है। डॉल्फ़िन का संरक्षण लोगों और जैव विविधता के बीच एक सहजीवी संबंध और जैव विविधता के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

केंद्रीय राज्यमंत्री चौबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में इस प्रोजेक्ट के तहत डॉल्फिन का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाएगा। विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन आश्रयणी को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल बनाने की दिशा में सारे आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण करवाया जाएगा। 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रोजेक्ट डॉल्फिन लॉन्च करने घोषणा की थी। इस प्रस्तावित परियोजना का उद्देश्य नदी और समुद्री डॉल्फिन की सुरक्षा करना है।

केंद्रीय राज्य मंत्री चौबे ने कहा कि भारत सरकार डॉल्फ़िन के साथ-साथ घड़ियाल, कछुओं, मछलियों, पक्षियों आदि जैसी अन्य संबद्ध प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना, जिसका नाम ‘प्रोजेक्ट डॉल्फ़िन’ है, को आगे बढ़ा रही है। डॉल्फ़िन प्राचीन काल से भारत में रही हैं। डॉल्फ़िन नदी प्रदूषण को नियंत्रित करने में योगदान देती हैं और इस तरह पानी की गुणवत्ता में सुधार करने में सक्षम होती हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत में डॉल्फिन अधिक संख्या में असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में पाई जाती है। भारत में 3 हजार के करीब डॉल्फिन है। गंगा के साथ सहायक नदियों में भी डॉल्फिन है। बिहार में सुल्तानगंज से लेकर कहलगांव तक के करीब 60 किलोमीटर क्षेत्र को ‘गैंगेटिक रिवर डॉल्फिन संरक्षित क्षेत्र’ घोषित किया था।

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