नई दिल्ली, 11 जून (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य एस्ट्रोनॉट्स के लिए अंतरिक्ष स्टेशन तक की ऐतिहासिक यात्रा को एकबार फिर स्थगित कर दिया गया । आज एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग होनी थी। लॉन्चिंग वाहन में रिसाव के चलते इसे फिर स्थगित कर दिया गया है। इसरो प्रमुख डॉ. वी नारायणन ने यह जानकारी एक्स पर दी।

लॉन्च पैड पर सात सेकंड का हॉट टेस्ट किया गया।

डॉ. नारायणन ने कहा कि आईएसएस पर पहले भारतीय गगनयात्री भेजने के लिए 11 जून को लॉन्च होने वाले एक्सिओम-4 मिशन को स्थगित कर दिया गया है। फाल्कन 9 लॉन्च वाहन के बूस्टर चरण के प्रदर्शन को मान्य करने के लिए लॉन्च वाहन की तैयारी के हिस्से के रूप में, लॉन्च पैड पर सात सेकंड का हॉट टेस्ट किया गया।

परीक्षण के दौरान प्रणोदन बे में रिसाव का पता चला था

परीक्षण के दौरान प्रणोदन बे में रिसाव का पता चला था। इसरो टीम ने एक्सिओम-4, स्पेसएक्स के विशेषज्ञों के साथ इस विषय पर चर्चा के आधार पर लॉन्च के लिए मंजूरी देने से पहले रिसाव को ठीक करने और आवश्यक सत्यापन परीक्षण करने का निर्णय लिया। इसलिए आईएसएस पर पहली बार भारतीय गगनयात्री भेजने के लिए 11 जून को होने वाले एक्सिओम-4 के प्रक्षेपण को स्थगित कर दिया गया है।

अंतरिक्षयात्रियों को 29 मई को रवाना होना था

उल्लेखनीय है कि एक्सिओम-4 मिशन को पहले भी तीन बार टालना पड़ा है। अंतरिक्षयात्रियों को 29 मई को रवाना होना था, लेकिन इसे आठ जून तक टाला गया। इसके बाद इसे 10 जून तक टाला गया। स्पेसएक्स का फाल्कन-9 रॉकेट मंगलवार शाम फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना होने वाला था, लेकिन खराब मौसम को एक दिन के लिए टाल दिया गया था।

New Delhi: चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर का चंद्रमा के 2.1 किलोमीटर पास पहुंचने के बाद मिशन सेंटर से संपर्क टूट गया. दूसरे शब्दों में कहे तो लैंडर चांद पर तो जरूर ही पहुंच गया होगा, बस उसकी जानकारी नही मिल पाई है.

वैज्ञानिक डेटा का अध्ययन कर सही जानकारी देंगे. इसमे कुछ समय लगेगा. परंतु ऑर्बिटर अब भी चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है. यह अगले एक साल तक मिशन सेंटर को जानकारियां भेजता रहेगा. ऑर्बिटर विक्रम रोवर की तस्वीर भी भेज सकता है. जिससे उसके हाल का पता चल सकेगा. चंद्रयान 2 मिशन 95 प्रतिशत सफल रहा है. वैज्ञानिक लैंडर विक्रम से दुबारा संपर्क बनाने की कोशिश कर रहे है. चंद्रयान का  ऑर्बिटर में 7.5 साल तक काम कर सकता है.   

सिताबदियारा: सारण के रजत ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय स्तर की परीक्षा के मैकेनिकल ट्रेड में प्रथम स्थान प्राप्त कर बिहार का नाम रौशन किया है. जेपी के गाँव सिताबदियारा के लाला टोला निवासी अरुण कुमार सिंह के पुत्र रजत कुमार ने यह मुकाम हासिल किया है. रजत अब जूनियर वैज्ञानिक के तौर पर इसरो में अपना योगदान देंगे.

रजत के सफलता की सूचना जैसे ही उनके गाँव सिताबदियारा पहुंची, पूरा गाँव ख़ुशी से झूम उठा. इस सफलता के बाद रजत के परिवार
वालों ने भी ख़ुशी का इज़हार किया है. पिता अरुण कुमार सिंह और माता मीरा देवी का कहना है कि उनका सपना साकार हो गया.


रजत ने अपनी पढाई सिताबदियारा के उसी विद्यालय से शुरू की थी, जहाँ कभी लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की थी.  मिडिल स्कूल लाला टोला में आठवीं तक पढने के बाद रजत अपने माता पिता के साथ मुरादाबाद चला गया जहाँ उसने आगे की पढाई की.

सिताबदियारा में रजत के दादा प्रभुनाथ सिंह जेपी के भी संगी रहे हैं. रजत की सफलता के बारे में सूचना मिलते ही उनके आँखों में आंसू आ गये. सारण के लाल के अंतरिक्ष विज्ञान में पहली बार कदम कदम रखने पर उनके गाँव में लोगों के बीच मिठाई बंटवाई गयी.

 

 

सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र से बुधवार को ISRO के PSLV C-34 के उड़ान भरने के साथ ही भारत ने एक नए कीर्तिमान को हासिल कर लिया. 

भारत ने अंतरिक्ष में नई छलांग लगाते हुए रिकॉर्ड 20 उपग्रहों को एक साथ उनकी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया.
इस सफल प्रक्षेपण से हर भारतवासी गर्व महसूस कर रहा है. आइये देखते है प्रक्षेपण का पूरा वीडियो:

वीडियो साभार: डीडी नेशनल

श्रीहरिकोटा: भारत ने अंतरिक्ष में नई उड़ान भरी है. बुधवार को ISRO ने PSLV C-34 के माध्यम से रिकॉर्ड 20 उपग्रहों को उनकी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया.

PSLV के जरिये भारत, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया 20 उपग्रहों को सफलतापूर्वक उनके कक्षा में स्थापित किया गया. इनमे 17 विदेशी उपग्रह शामिल है. इस यान का कुल भार 1288 किलोग्राम था.

फोटो: डीडी नेशनल

नई दिल्ली/श्रीहरिकोटा: अंतरिक्ष में भारत ने नयी उड़ान तय की है. गुरुवार को ISRO ने IRNSS-1G का सफल प्रक्षेपण किया. इस सफल प्रक्षेपण के बाद भारत दुनिया के उन देशों में शुमार हो गया है जिनके पास अपना नेविगेशन सिस्टम है. अमेरिका, रूस, चीन के बाद अब भारत के पास भी अपना नेविगेशन सिस्टम मिल गया है. भारत को अब GPS तकनीक के इस्तेमाल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. ISRO

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रक्षेपण नजर रखी. सफल प्रक्षेपण  के बाद उन्होंने कहा कि नविगेशन के क्षेत्र में हम आज आत्मनिर्भर हुए है. प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों और टीम को शुभकामनायें दी. MODI

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्पेस साइंस का लोगों के जिंदगी के बदलाव में अहम योगदान है. उन्होंने इस उपग्रह को ‘NAVIC’ नाम से संबोधित करते हुए कहा कि ये सेटेलाइट अब देश को नाविकों के समान दिशा दिखाने का कार्य करेगी. 


स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली, स्थलीय हवाई और समुद्री नेविगेशन, वाहन ट्रैकिंग और बेड़े प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, मानचित्रण और भूगणितीय डेटा पर कब्जा, ड्राइवरों के लिए दृश्य और आवाज नेविगेशन सहायता करेगा.

IRNSS सीरीज का ये 7वां और आखिरी उपग्रह है. इससे पहले वर्ष 2013 से लेकर अबतक कुल 6 उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित किया जा चूका है. भारत ने महज 3 वर्षों में इतनी बड़ी कामयाबी हासिल कर देश को गौरवान्वित किया है.