Chhapra: दीपावली, लक्ष्मी पूजा और लोक आस्था का महापर्व छठ के अवसर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समाहरणालय सभागार में विधि-व्यवस्था को लेकर बैठक की गयी. जिसमें पुलिस अधीक्षक श्री हरकिशोर राय के साथ-साथ जिलास्तरीय पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी आदि उपस्थित थे.

जिलाधिकारी ने कहा कि छठ पूजा के महातम्य को देखते हुए सभी छठ घाटों का का निरिक्षण करने और खतरनाक घाटों को चिन्हित करते हुए इनकी सूचना स्थानीय लोगों को पहले देने का निर्देश दिया. उन्होंने माइकिगं भी कराने का निर्देश दिया. चिन्हित घाटों ओएर पोस्टर या फ्लैक्स लगा के निर्देश दिए.

छठ घाटों की वैरिकेटिंग के कराने के निर्देश
साथ ही जिन घाटों पर छठ किया जाना है वहाँ वैरिकेटिंग कराकर लाल झण्डे़ का निशान लगाने और नाव एवं गोताखोरों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए साथ ही गोताखोरों का नाम और मोबाइल नम्बर पहले ही प्राप्त कर लिया जाय.

घाटों पर करें पर्याप्त लाइटिंग व्यवस्था
घाटों पर पूजा समितियों से वार्ता कर पर्याप्त लाइटिंग की व्यवस्था करायी जाय. वैसें घाट जहाँ बड़ी संख्या में भीड़ एकत्रित होती है वहाँ पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगायी जाय. वहाँ के लिए एस डी आर एफ की टीम व्यवस्था भी करायी जा रही है.

छठ घाटों पर आतिशबाजी पूर्णतः प्रतिबंधित
छठ घाटों पर आतिशबाजी पूर्णतः प्रतिबंधित करने का जिलाधिकारी ने निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि वैसे तलाब जो ज्यादे गहरे है अगर वहाँ छठ पूजा की जानी है तो वहा भी वैरिकेटिंग करायी जाय.

कालीपूजा के संबंध में जिलाधिकारी द्वारा निदेश दिया गया कि थाना स्तर पर शांति समितियों की बैठक कर लिया जाय एवं कालीपूजा के लिए स्थापित किये जाने वाले मूर्ति हेतु अनुज्ञप्ति दिया जाय तथा मूर्ति के विसर्जन का मार्ग तथा समय निर्धारित कर दिया जाय. इन अवसर पर डीजे पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा. केवल लाउडस्पीकर का उपयोग किया जाय.

रात्रि के 10 बजे के बाद नहीं होगी पटाखाबाजी
पर्व त्योहार के अवसर पर किये जाने वाले पटाखाबाजी के संदर्भ में जिलाधिकारी ने कहा कि पटाखाबाजी रात्रि के 10 बजे के बाद नहीं किया जाय इसे सभी थाना प्रभारी सुनिश्चित करायें. पटाखा दुकान खुले स्थान पर हो पतली गली में नही हो यह भी सुनिश्चित करायी जाय. पटाखा भण्डारण का जगह भी भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में नहीं होना चाहिए यह भी देखें. वैसे पटाखे जिसे प्रतिबंधित कर दिया गया है उसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए.

पुलिस अधीक्षक हर किशोर राय ने कहा कि रात्रि में पुलिस बाधा दी गयी है. सुनसान इलाको में विशेष व्यवस्था रखी जा रही है. होटल, वस स्टैण्ड एवं अन्य सार्वजनिक सथलों की जाँच की जा रही है. पर्व-त्योहार के अवसर पर यातायात को सुचारू रखने की व्यवस्था की गयी है. उन्होने कहा कि छपरा जंक्शन से पुलिस के द्वारा रात्रि बस सेवा उपलब्ध करायी जा रही है यात्रिगण उसका भी उपयोग कर सकते है.

Chhapra: चैती छठ नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया. छठ पूजा को लेकर घाटों के निर्माण में जुटें समितियों के लिए नदी घाटों के नजदीक पानी नहीं होने से परेशनी हो रही है. छठ घाटों का निर्माण कृत्रिम तरिके से किया जा रहा है. इसके लिए जेसीबी की सहायता से रेत इकठ्ठा कर घाटों का निर्माण स्थानीय लोगों के द्वारा कराया जा रहा है.\

शहर के सभी नदी घाटों का बमुश्किल यही हाल है. व्रतियों को परेशानी ना हो इसके लिए समितियों के द्वारा अपने स्तर से तैयारियां करायी जा रही है. छठ पूजा में नदी घाटों के आलावे लोग छतों और तालाबों के किनारे भी पूजा करते है.

छपरा शहर के पूर्वी भाग स्थित नदी घाटों में छठ पूजा के लिए चल रही तैयारियों का हमारे संवाददाता कबीर ने जायजा लिया.

देखिये यह रिपोर्ट

Chhapra: आस्था के महापर्व के जश्न में सभी गोते लगा रहे है. चार दिवसीय महापर्व के तीसरे दिन संध्या पहर में अस्ताचलगामी भगवान को अर्घ्य दिया गया.

वही छठ घाटो से वापसी के बाद व्रतियों ने अपने अपने घरों में कोसी भरी गयी. घर के सभी सदस्यों के साथ व्रतियों ने कोसी भरी. इस अवसर पर व्रतियों और महिलाओं ने पारंपरिक छठ गीतों को भी गाया जा रहा था.

ऐसी मान्यता है कि अपने मन्नतों की पूर्ति होने के बाद छठ व्रती अनुष्ठान के तीसरे दिन प्रथम अर्घ्य देने के बाद अपने घर के आँगन एवं छत पर कोसी भराई की विधि पूरी की जाती है. दूसरे दिन प्रातः अनुष्ठान के चौथे दिन छठ घाट पर पुनः इन कोसी को भरा जाता है. जिसके बाद उदयीमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया जाता है.

Chhapra: आस्था के महापर्व छठ को लेकर चार दिवसीय अनुष्ठान रविवार से प्रारंभ हो गया है. मंगलवार को व्रती अपने तीसरे अनुष्ठान के तहत अस्ताचल गामी भगवान् को अर्घ देंगे. भगवान को अर्घ देने के लिए मंगलवार को प्रातः से ही व्रतियों ने अपने परिवार के सहयोग से प्रसाद बनाया.

वहीं अर्घ्य के लिए कलसूप को भी सजाया है. कलसूप में रखे जाने वाले फल फूल की खरीदारी को लेकर बाजारों में पूरी रौनक है.

अर्घ्य को लेकर सरोवर, तालाब एवं नदी घाटों को आकर्षक रूप से सजाया गया है. कई घाटों पर व्रतियों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई है, जिससे कि उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हो.

शहर से सटे सरयू नदी के किनारे एक दर्जन से अधिक अर्घ्य को लेकर घाट बनाए गए हैं. जहां व्रती अनुष्ठान के तीसरे दिन भगवान को अर्घ्य देंगे.

शहर से सटे साहेबगंज के समीप चचरी पुल बनाया गया है. नदी में पानी की कमी को लेकर आयोजकों द्वारा चचरी पूल का निर्माण किया गया है जिससे कि व्रती और उनके परिवार वाले नदी के उस पार जाकर छठ पर्व को कर सके.

साथ ही इस घाट पर बालू से मां गंगा की छवि बनाई गई है. कलाकार ने मां गंगा की छवि बनाते हुए लोगों से अपील की है कि वह गंगा को स्वच्छ बनाएं, पेड़ लगाएं जिससे कि हमारी मां गंगा भविष्य में भी अपनी निर्मलता से सभी को लाभ पहुंचाए.

उनका कहना है कि सिर्फ छठ के मौके पर ही हम लोग नदी घाटों की सफाई करते हैं. अन्यथा अन्य दिनों में अपने घर का सभी कूड़ा कचरा इसी मां गंगा में प्रवाहित कर देते हैं, जिससे मां गंगा की निर्मलता समाप्त हो रही है. साथ ही साथ नदी के जल स्तर में भी कमी आ रही है.ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने और स्वच्छ रखने से यह कमी पूरी हो जाएगी.

इसके अलावे उमानाथ मंदिर, धर्मनाथ मंदिर घाट, सीढ़ी घाट सहित सभी छठ घाटों के साथ शहर के राजेंद्र सरोवर में व्रतियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है.

यहां जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के मद्देनजर अधिकारियों एवं पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति की गई है. विशेष रूप से गोताखोरों की नियुक्ति की गई है. जिससे कि महापर्व के दौरान कोई अप्रिय घटना ना हो सकें.

Chhapra: आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है. अनुष्ठान के दूसरे दिन सोमवार को व्रतियों ने नदी, सरोवर एवं तालाबों में स्नान कर पूजा अर्चना की. स्नान ध्यान के बाद व्रति अब संध्या में भोजन की तैयारी करेगी.

व्रत के दूसरे दिन व्रती गुड़ की खीर, रोटी, पराठा एवं केला से खरना विधि को पूरा करती है. खरना विधि के साथ ही सूर्य आरधना के महापर्व छठ को लेकर 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारम्भ हो जाएगा.

Chhapra: दूर देश-विदेशों रहने वालों को हर समय अपनी मिट्टी की याद आती है. खासकर त्योहारों में तो अपने शहर देश से दूर रहना सभी को खलता है. ऐसे में जो जहाँ है वही से त्योहारों से जुड़ना चाहते है. डिजिटल क्रांति के इस युग में सोशल साइट्स ने दूरियाँ कम की है. लोग अपने शहर और वहां के त्योहारों को देख पा रहे है और उनसे जुड़ भी रहे है.

देश से दूर रहने वाले कई लोगों के छपरा टुडे डॉट कॉम को छठ के गीत अपनी आवाज़ में गाकर भेजें है. कनाडा के टोरंटो में रहने वाली सुमिता सिन्हा उनमे से एक है.

सुमिता ने भोजपुरी स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के गाए कई गीतों को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड कर हमें भेजा है. सुमिता कनाडा में आईटी कंसल्टेंट् है और मूल रूप से सारण की रहने वाली है. उनके पिता इंजिनियर व गाडा के चेयरमैन रह चुके है. वही उनके दादाजी छपरा के जाने माने वरिष्ठ अधिवक्ता थे.

कई वर्षों से अमेरिका में रहने के बावजूद अपने लोगों और अपनी संस्कृति से उनका जुड़ाव बना हुआ है. छठ पूजा के गीतों को गाकर उन्होंने अपने संस्कृति और परंपरा को जीवंत रखने की कोशिश की है. अपनी परंपराओं और संस्कृति से जुड़े रहना अपने आप में सराहनीय है.  

आप भी सुनिए (वीडियो साभार: Sumita Sugandha)

उन्होंने बताया कि मैथिली भाषा में छठ पूजा का एक पारंपरिक गाना गाने की कोशिश की है. यह गीत सुबह के अर्घ्य में गाया जाता है.

आप भी सुनिए.

 

Chhapra: छठ पूजा की महिमा और इसकी लोकप्रियता सर्वविदित है. दूर देश रहने वाले लोग भी छठ में अपने घर आते है और परिवार वालों के साथ छठ पूजा करते है.

लोक आस्था के इस महापर्व की शुरुआत आज से हो रही है. व्रतिया आज नहाय खाय के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत करेंगी.

नहाय-खाय पर व्रती स्नान आदि कर छठ का प्रसाद बनाएंगी और ग्रहण करेंगी.

छठ पूजा को लेकर बाज़ारों में भी रौनक बढ़ गयी है. सालों भर घर से दूर रहने वाले भी छठ में घर पहुंचे है और इस महापर्व को मनाने में जुटे है.

chhapratoday टीम की ओर से आप सभी को महापर्व छठ की हार्दिक शुभकामनायें.

Chhapra: लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान प्रारंभ हो चुका है. अनुष्ठान के दूसरे दिन व्रतियों ने गंगा स्नान कर खरना का व्रत किया.

खरना व्रत को लेकर सुबह से ही व्रती एवं उनके परिवार के सदस्य तन्मयता के साथ लगे हुए थे. संध्या पहर में व्रती के द्वारा गुड़ की खीर, आटे की रोटी एवं केले के साथ पूजा ध्यान करते हुए खरना का व्रत किया गया.

खरना व्रत संपन्न होने के साथ ही व्रतियों का निर्जला व्रत प्रारंभ हो गया है. शुक्रवार को व्रती अस्ताचलगामी भगवान को अर्घ्य देंगे.

वही शनिवार को प्रातः सूर्योदय समय मे भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय अनुष्ठान छठ व्रत समाप्त हो जाएगा.

बताते चलें कि वर्ष में तीन बार आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है. आमतौर पर कार्तिक मास के छठ पर्व में व्रतियों की ज्यादा संख्या होती है, जबकि चैत्र एवं भादो मास के छठ को करने वाले व्रतियों की संख्या कम है.

Chhapra/Doriganj:  चार दिवसीय सूर्य उपासना के पावन पर्व छठ व्रत के पहले दिन नहाय खाए के अवसर पर छठ व्रतियों ने गंगा के पावन जल मे स्नान किया. इस अवसर पर डोरीगंज के विभिन्न घाटों बंगाली बाबा घाट, तिवारी घाट, महुआ घाट, रहरिया घाट, डोरीगंज घाट सहित सभी घाटों पर हजारों छठ व्रतियों ने गंगा मे स्नान कर भगवान सूर्य को जल अर्पित किया.

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नहाय खाए पर गंगा मे स्नान को विशेष महत्व दिया गया है. जिसे देखते हुए दूर दराज के गाँवों के साथ साथ छपरा शहर से भी हजारों की संख्या मे छठ व्रती गंगा मे स्नान को पहुँचे थे. सभी घाटों पर मेले सा नजारा था. खासकर बंगाली बाबा घाट पर व्रतियों की खासी भीड़ देखी गयी.

नहाय खाए के साथ ही छठ पर्व की शुरुआत हो गयी है. इसके बाद 22 को खरना 23 को पहला अर्ध्य एवं 24  मार्च को परना यानि उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ छठ व्रत की समाप्ति हो जाएगी.

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वैसे तो यह पर्व पूरे देश मे मनायी जाती है लेकिन बिहार मे यह पर्व खासी उत्साह एवं श्रद्धा के साथ मनायी जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सारे कष्ट दैहिक, दैविक एवं भौतिक सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है एवं शरीर मे एक नई उर्जा का संचार होता है.

पटना: आस्था का महापर्व चैती छठ नहाय खाय के साथ बुधवार से प्रारंभ हो गया. चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान के पहले दिन व्रतियों ने नदी, तालाबों में स्नान कर ही भोजन करती है. अगले दिन से व्रतियों द्वारा निर्जला व्रत की प्रक्रिया शुरू हो जाती है.

गुरुवार की शाम में खरना पूजा करने के बाद अगले दिन शुक्रवार को सभी व्रती भगवान सूर्य के अस्ताचलगामी स्वरुप को अर्घ्य देंगी. रात्रि में पूजा अर्चना एवं मंगल गीत के साथ तीसरे दिन का व्रत समाप्त होता है.

चौथे दिन शनिवार को उदयीमान भगवान भास्कर को दूध, फल, पकवान का अर्घ्य देते हुए अपने परिवार की खुशहाली की कामना के साथ यह पावन पर्व समाप्त हो जायेगा.

छत पर्व के प्रति लोगों की प्रगाढ़ आस्था है.

 

(सुरभित दत्त)

छठ पूजा की परंपरा दूर देश रहने वाले लोगों को उनके घर की ओर खींचती है. सालों भर अपने घर से दूर रह जीवन यापन करने वाले लोग छठ पर्व के अवसर पर घर जरूर आते है. छठ पूजा अपनी संस्कृति और परम्पराओं से परिचय कराती है. नई पीढ़ी को परंपरा से अवगत कराती है.

छठ पर्व पर रिश्तों को जोड़ने का एक मौका होता है जब घर का हर सदस्य, पड़ोसी सभी द्वेष मिटा कर एक साथ घाट पर पूजा करने पहुंचते है और एक दूसरे की मदद भी करते है. दूर-देश और विदेश में रहने वाले लोग भी अपने गांव देहात तक पहुंचते है और आस्था के महापर्व छठ में सम्मिलित होते है. कई महीनों से छुट्टी मिलने का इंतज़ार कर रहे लोग छुट्टी मिलते ही अपनी मिटटी से जुड़े इस महान पर्व में शामिल होने पहुंचते है.

छठ पूजा के चार दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. जिसके पूर्व लोग तैयारियों में जुटे जाते है.
आम हो या खास सभी छठपूजा में घर पहुंच कर चार दिवसीय इस अनुष्ठान में सम्मिलित होना चाहते है. शहर से लेकर गांव तक पूजा की रौनक देखते ही बनती है. बाज़ारों में सजे फल के दुकानों से लेकर सुप और दउरा तक. संध्या अर्घ्य और फिर प्रातःकाल में भगवान भास्कर को अर्घ्य समर्पित किया जाता है. तब जाकर यह पर्व संपन्न होता है.  

महापर्व छठ: अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य संपन्न

बदलते दौर में छठ पूजा ने भी व्यापक रूप ले लिया है. गांव और शहर के नदी, पोखर के घाटों पर होने वाला छठ पूजा अब महानगरों तक पहुंच चुका है. वैसे लोग जो छठ पूजा में घर नही आ सकते वे जहां है वही पूजा कर रहे है. छठ पूजा की महिमा को जानने के बाद अन्य राज्यों के लोग भी छठ पूजा करने लगे है. दिल्ली हो या अमेरिका का टेक्सास हर जगह बिहार के लोग है और वे सभी छठ के महत्व को समझते हुए पूजा करने में व्यस्त होते है.


आधुनिक दौर में छठ पर्व की महत्ता विधमान है. आज भी लोग छठ पूजा को सभी त्योहारों से उपर मानते है. इस पूजा में साक्षात भगवान् भास्कर की पूजा की जाती है. नदियों घाटों पर अर्घ्य देने के लिए शाम और फिर सुबह में लोग पहुंचते है. इसे लेकर साफ़ सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. सभी लोग साफ़ सफाई में मदद करते है, चाहे वह किसी भी धर्म के हो.

छठ पूजा अपनी संस्कृति से जोड़े रखने और उसका महत्त्व बताने का एक महान पर्व है. तो आइये हम सब भी जुड़े अपनी संस्कृति से और छठ के इस महान पर्व में शामिल हो.

||जय छठी मैया||

(सुरभित दत्त)
छठ पूजा बिहार और उत्तरप्रदेश के साथ साथ अब सम्पूर्ण भारत और विश्व मे भी मनाया जाने लगा है. छठ पूजा पर बिहार में खास रौनक होती है. परंपरा को निभाने के लिए सभी अपने घर पहुंचते है. जो किन्ही कारणों से नही पहुंच सकते है वे वही छठ पूजा करते है. यहाँ तक की विदेशों में भी लोग छठ करने लगे है.

महापर्व छठ पूजा के महत्व को लेकर पिछली बार के जैसा इस बार भी Neo Bihar की टीम ने नितिन नीरा चंद्रा के निर्देशन में छठ पूजा का एक शॉर्ट फिल्म बनाया है. ‘कबहुँ ना छूटी छठ’ के नाम से जारी इस फिल्म की पटकथा छठ पूजा पर आधारित है.

यहाँ देखे  

फ़िल्म में मुख्य भूमिका में क्रांति प्रकाश झा और क्रिस्टिन जेडक है. अलका याग्निक और भरत शर्मा व्यास के भोजपुरी गीत की मिठास लिए इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि गर्भावस्था में होने के कारण पत्नी छठ नही कर सकती. छठ पर्व के महत्व और परंपरा को खत्म ना होने देने के लिए पति खुद छठ करने को तैयार हो जाता है. छठ के बैकग्राउंड गीत और संगीत इस फ़िल्म को अलग पहचान दे रही है.

फिल्म का प्रोडक्शन नीतू एन चंद्रा, नितिन नीरा चंद्रा और विशाल दुबे ने किया है. संगीत आशुतोष सिंह, गीत अशोक शिवपुरी के है. छठ लोगों की आस्था और भावना से जुड़ा बेहद महत्वपूर्ण पर्व है. छठ पूजा में सभी एक दूसरे की मदद करते है. भगवान भास्कर को अर्घ्य देते है.

यहाँ देखें पिछले साल का वीडियो:  VIDEO: जब विदेश में बहुरिया ने किया छठ

आपको बता दें कि पिछले साल भी Neo Bihar ने छठ पर्व पर एक वीडियो जारी किया था. जिसे खूब पसंद किया गया था.