छपरा: अमृत योजना के तहत छपरा नगर निगम क्षेत्र में जलापूर्ति विभाग द्वारा बिछाये जा रहे हैं पानी की पाइप लाइन के कार्यों में पिछले दिनों तेजी तो आई है. लेकिन इससे लोगों की परेशानियां भी बढ़गयी हैं. फिल्हाल शहर के गुदरी बाजार में पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है. इस दौरान टककर मोड़ से लेकर गुदरी बाजार जाने वाली सड़क को भी बंद कर दिया गया है. जिससे चार चक्के वाहन व अन्य वाहनों की इस रास्ते से आवजही बंद हो गयी है. जब तक इस इलाके में पाइप लाइन बिछ नहीं जाता तब तक सड़क पर गाड़ियों का आवागमन ठप ही रहने की उम्मीद है.

अच्छी-अच्छी सड़कें व गालियाां हो गईं खराब:
शहर में पाइप लाइन बिछाने के लिए विभाग द्वारा सड़कों को फोड़कर पानी की पाइप बिछाया जा रहा है. जिससे शहर में जो अच्छी स्थिति में सड़कें हैं वो टूट कर खराब होने लगी हैं.

गुदरी बाजार में भी सड़क को किनारे से फोड़कर कार्य किया जा रहा है. लोग भी कह रहे हैं कि इस योजना के चक्कर मे सड़क भी खराब हो रही है. गुदरी बाज़ार के साथ कुछ दिनों पहले नयी बाजार इलाके में भी पाइप लाइन बिछाने के दौरान पक्की सड़क भी किनारे से खराब हो गयी.

गलियों की स्थिति और भी ख़राब 
ज्यादा परेशानी तो गलियों में हो रही हैं. जहां हाल फिलहाल में बनी पतली सड़क भी पाइपलाइन के चक्कर में टूट कर खत्म हो गई. शहर में सैकड़ो ऐसी गलियां है जहां पाइप लाइन बिछाई जा रही है. शुरुआत में लोगों ने कार्य रोकने की भी कोशिश की थी.  अब लोग कह रहे हैं कि पाइप लाइन बिछने के बाद इन गलियों की हालत फिर से पुरानी जैसी हो गयी है.

लीकेज की भी शिकायत 

पानी की पाइपलाइन को बिछाने के लिए सड़कों को तोड़कर 5 फीट नीचे पानी की पाइप लाइन बिछाई जा रही है. इसके बाद लोगों के लिए यह परेशानी का विषय बन गया है. बीते कुछ दिनों में शहर के कई इलाकों में पानी के पाइप लाइन बिछाने के बाद लीकेज की शिकायत आई थी. महीनों तक यह परेशानी दूर नहीं हो पाई थी.

आम लोगों की परेशानी यह है कि बनी बनायी सड़कें भी खराब हो रही है. वहीं इसकी मरम्मत भी नहीं की जा रही है. निगम के अनुसार इस योजना के कार्य के दौरान जहां भी सड़कें खराब हो रहीं है. वहां विभाग को की मरम्मती करना है. इसके बावजूद टूटे सड़कों की मरम्मती नहीं हो रही है.

अधिकतर लोगों ने करा लिया है बोरिंग:
बहुत सारे आम लोगों का कहना है कि पानी की समस्या से निपटने के लिए उन्होंने अपने घरों में पहले से बोरिंग करा रखी है. कुछ घर ही ऐसे हैं जहां पानी की समस्या है.

कई महीनों से चल रहा है कार्य

गौरतलब है कि शहर में कई महीनों से पानी का पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है. इसके अंतर्गत सभी 45 वार्डों को नौ ज़ोन बांटकर पानी की पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया जा रहा है. इसके तहत 72 किलोमीटर लंबी दूरी की पाइप लाइन बिछाई जा रही है. पहले चरण में 28 वार्ड मैं काम शुरू किया गया था.

Chhapra: महापर्व छठ पूजा में भी छपरा नगर निगम क्षेत्र में सफाई व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ है. यह तस्वीर छपरा नगर निगम के वार्ड 14 की है. जहां भगवान बाज़ार थाने के समीप गन्दगी का अंबार पड़ा है. यहीं नहीं इसी वार्ड के गुदरी राय चौक पर भी गन्दगी पसरा हुआ है. त्योहार में भी नगर निगम की सफाई व्यवस्था फेल नज़र आ रही है. पूजा पाठ के दिन में भी सफाई नहीं होने से लोगों में भी नाराजगी है.

आपको बता दें कि त्योहार को लेकर छपरा नगर निगम स्टैंडिंग कमिटी की विशेष बैठक बुलायी गयी थी. जिसमे सफाई सफाई व्यवाथा पर विशेष रूप से ध्यान देने के लिए निर्देश जारी किये गए थे. जिसमें वार्ड पार्षदों को अपने मुहल्लों में अपनी देखरेख में साफ सफाई करवानी है. लेकिन इनकी अनदेखी से त्योहार में भी शहर में गन्दगी नज़र आ रही है.

हालांकि मुख्य सड़कों पर एनजीओ द्वारा लगातार सफाई की जा रही है. फिरभी शहर में ऐसे कई स्थान हैं जहां गन्दी पसरा हुआ है. त्योहार में बाहर से आने वाले लोग भी इस गंदगी से परेशान हैं.

छपरा: त्योहारों को लेकर शहर में सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ कराने हेतु छपरा नगर निगम में एक और नया कदम उठाया है. अब आपके एक फोन कॉल पर आपके आसपास पसरी गंदगी को नगर निगम के सफाई कर्मी द्वारा साफ कराया जायेगा. इसके तहत अगर किसी भी व्यक्ति को मोहल्ले में या फिर आसपास गंदगी नजर आती है. तो वह अपने संबंधित वार्ड पार्षद को फोन करके सफाई के लिए शिकायत करा सकता है. इसके बाद वार्ड पार्षद सफाई कर्मियों को बुलाकर उस स्थान को गंदगी से मुक्त करायेंगे.

इस सम्बंध ने नगर निगम में सभी 45 वार्ड पार्षदों के फोन नंबर उपलब्ध हैं. त्योहारों में नगर निगम के इस प्रयास से लोगों को गंदगी से समस्या से निजात मिलेगा. इसके तहत नगर निगम द्वारा सभी वार्ड पार्षदों को निर्देश भी दिए गए हैं.

गौरतलब है कि छपरा नगर निगम के विभिन्न क्षेत्रों में फैली गंदगी से लोग भी परेशान रहते हैं. लेकिन कई बार लोगों को जानकारी के अभाव में साफ सफाई कराने में मुश्किल होती है. नगर निगम ने सभी वार्ड पार्षदों को मोबाइल नंबर भी जारी कर दिए गए हैं. इसके तहत लोग निगम से वार्ड पार्षदों के नंबर भी ले सकते हैं. अगर वार्ड पार्षद शिकायत के बाद भी सफाई नहीं होती है. तो उसकी शिकायत नगर निगम में मेयर या संबंधित अधिकारी से कर सकते हैं. छपरा को गंदगी मुक्त कराने के लिए नगर निगम का प्रयास कारगर साबित होता दिख रहा है.

सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए लगातार नगर निगम प्रयास कर रहा है. इसके अलावा दीपावली छठ में शहर में साफ सफाई को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए गए हैं. जिसके बाद शहर में विभिन्न स्थानों पर लगातार साफ सफाई युद्ध स्तर पर की जा रही है. शहर को साफ-सुथरा बनाने के लिए नगर निगम ने हाल ही में बोर्ड की हुई बैठक में कई अहम फैसले लिए थे. उसमें त्योहारों को शहर में कचरे उठाव से लेकर सफाई को लेकर वार्ड पार्षदों को भी निर्देश दिए गए थे. उसके तहत मोहल्लों की सफाई वार्ड पार्षदों की जिम्मे दी गयी है. साथ ही मुख्य सड़कों की सफाई एनजीओ की जिम्मेदारी है.

मेयर प्रिया सिंह ने बताया कि त्योहार में बाहर से लोग आते हैं.शहर में सफाई को हमारी प्राथमिकता हमेशा से रहेगी. कहीं भी गन्दगी दिखे तो लोग वार्ड पार्षद से शिकायत करें. लोगों को भी इसमें सहयोग करना होगा और गन्दगी फैलाने से बचना होगा.

Chhapra: बीते कुछ दिनों से शहर में बढे डेंगू के प्रकोप से कई लोग इसकी इसकी चपेट में आ गए हैं. शहर के कई मुहल्लों में दर्जनों लोग इसके चपेट में आने से बीमार हो गए हैं. तेजी से फैल रहे इस खतरनाक बीमारी से अबतक छपरा के दो लोगों की मौत भी हो चुकी है. जिसमें एक चिकित्सक भी शामिल हैं.

शहर के रामलीला मठिया मुहल्ले में डेंगू के सबसे ज्यादा मरीज मिले हैं. बावजूद इसके सरकारी तंत्र इन सबसे बेखबर है. स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ शहर की सफाई और मच्छरों को मारने के लिए फोगिंग के लिए नगर निगम भी उदासीन दिख रहा है. निगम के द्वारा जो फोगिंग करायी भी जा रही है वो कुछ खास इलाकों के सड़कों तक ही सिमित है. लोगों के घरों गलियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. फोगिंग के नाम पर निगम केवल औपचारिकता ही पूरा कर रहा है.  

कछुए की चाल से हो रही फॉगिंग

शहर में लगातार बढ़ते ड़ेंगू के प्रकोप के बाद भी नगर निगम द्वारा शहर में कराई जा रही फॉगिंग काफी सुस्ती से की जा रही है. इसके लिये निगम द्वारा जो रोस्टर तैयार किया गया है. उसमे प्रत्येक दिन शहर के दो वार्डों में फोगिंग करनी है. कूल मिलाकर शहर में 45 वार्ड हैं. प्रत्येक दिन दो-दो वॉर्डों में फोगिंग करते करते 22 से 23 दिन लग जाएंगे. जो लोगों के लिए चिंता का विषय है.

लोगों में है ड़ेंगू का डर
निगम कर्मियों के अनुसार बीते 11 अक्टूबर से शहर में फोगिंग शुरू की गई है. इसके तहत शहर के प्रत्येक गली में मोटरसाइकल पर मशीन रखकर फोगिंग करनी है. लेकिन लोगों का कहना है कई इलाकों में यह फोगिंग नही हो रही है. जिससे उन्हें भी ड़ेंगू का डर सताने लगा है.

पांच में 2 मशीनों से ही हो रही फॉगिंग
नगर निगम के पास फॉगिंग के लिए पांच मशीनें उपलब्ध हैं. लेकिन इनमें से मात्र दो को ही शहर में शाम के वक़्त फोगिंग के लिए भेजा रहा है. साथ ही साथ निगम के पास सड़कों पर फोगिंग के लिए एक बड़ा सा मशीन भी है. लेकिन किसी कारणवश वह मशीन निगम परिसर में ही रखा हुआ है. अगर निगम सभी मशीनों को शहर में भेजता है. तो ड़ेंगू के के प्रकोप को कम किया जा सकता है.

 

छपरा: अपनी मांगों को निगम द्वारा पूरा कराने के उद्देश्य से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गये नगर निगम के सफाई कर्मियों ने हड़ताल कब तीसरे दिन तो सारी हदें पार कर दी. कानून को ताक पर रखते हुए सफाई कर्मियों ने सबसे पहले शहर के मुख्य सड़कों पर कूड़ा-कचरा फैला दिया. इस दौरान आक्रोशित सफाईकर्मियों ने जिलाधिकारी आवास के बाहर सड़क पर भी गंदगी फैलाई. साथ मे जमकर नारेबाजी भी की. इससे से भी बौखलाए सफाईकर्मियों का मन नही भरा तो वे पूजा पांडालों के समीप कचरा फैलाने लगे. इस दौरन हड़तालियों ने नगरपालिका चौक पर बन रहे पूजा पंडाल के समीप कचरे का ढेर फैला दिया.

नगर आयुक्त कार्यालय के बाहर मृत कुत्ते को लटकाया

मांगे नहीं पूरी होने पर नगर निगम में प्रदर्शन कर रहे दैनिक सफाईकर्मियों में से कुछ लोगों ने अमानवीय हरकत करते हुए एक मृत कुत्ते को निगम भवन के पहली मंजिल पर स्थित नगर आयुक्त अजय सिन्हा के कार्यालय के दरवाजे से सटाकर रस्सी से बांध दिया. जिसके बाद उसकी दुर्गंध बाहर तक आने लगी. 

जिसके बाद अन्य सरकारी कार्यालयों में भी इसकी चर्चा होने लगी. इस दौरान दैनिक सफाई कर्मियों ने नगर निगम परिसर में जमकर बवाल काटा. मांग पूरी नहीं होने से गुस्साए कर्मियों ने निगम परिसर में भी बाहर से लाकर कूड़ा पसार दिया. इस दौरान निगम की सीढ़ियों व अन्य जगहों पर पूरा कचरा फैला दिया गया. इसके अलावें तीसरे दिन में निगम में कोई कार्य नहीं हो सका और निगम कार्यालय में ताला लटका रहा.

दोषियों पर होगी कार्रवाई: सदर एसडीओ, चेतनारायण राय
मृत कुत्ते को सरकारी अधिकारी के कार्यालय के बाहर लटकाने की सूचना मिलने पर सदर एसडीओ ने कहा कि अगर नगर आयुक्त अजय सिन्हा शिकायत करते हैं तो दोषियों पर कार्यवाई की जाएगी. साथ ही मांगो को लेकर उन्होंने कहा कि उनकी मांगे अपनी जगह है. वो नगर निगम का आंतरिक मामला है लेकिन हड़ताल के दौरान इस तरह की हरकरत करना सही नहीं है.

आखिर क्यों हो रहा है इतना बवाल
नगर निगम के दैनिक सफाई कर्मी अपनी विभिन्न मंगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का आह्वाहन किया था. इस दौरान उन्होंने छपरा नगर निगम से मानदेय बढ़ाने, बकाये वेतन का भुगतान करने, सफाईकर्मियों के लिए ड्रेस, सफाई के लिए उपकरण, 7 वां वेतन लागू करना, अनुकम्पा पर बहाली शुरू करना, पेंशन नीति बदलाव की मांग की है. इन मंगों को पूरा करने के लिए निगम को 6 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया गया था. जिसे पूरा करने में निगम नाकामयाब रहा. उसके बाद से 10 अक्टूबर से ये कर्मी बिहार लोकल बॉडीज के क्षेत्रीय मंत्री सियाराम सिंह के आह्वाहन पर हड़ताल पर चले गए है. इस दौरान शहर में सफाई व्यवस्था भी चौपट हो गयी है. आज हड़ताल का तीसरा दिन था. जिसके बाद सफाईकर्मियों ने जमकर प्रदर्शन किया.

दैनिक सफाई कर्मियों के हड़ताल पर चले जाना नगर निगम अधिकारियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. एक तरफ जहां पर्व त्योहार का मौसम चल रहा और शहर में सफाई नहीं हो रही. वहीं दूसरी तरफ सफाई कर्मी शहर में गंदगी फैलाने पर तुले हुए हैं. त्योहार में घर आने वाले लोग शहर की सूरत देखकर हैरान हैं. शहर में बढ़ी गंदगी से लोग भी परेशान हो गए हैं.

निगम के अधिकारियों का कहना है कि कुछ मंगों को बोर्ड की बैठक में रखा जायेगा. लेकिन कुछ मांगे ऐसी हैं जो सिर्फ विभाग से ही पूरी कराई जा सकती हैं. आखिर देखने वाली बात यह है कि त्योहारों में शहर के कबतक सफाई व्यवस्था ठप रहती है.

छपरा: छपरा नगर निगम के दैनिक कर्मचारियों अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से नगर निगम में दूसरे दिन भी सभी कार्य ठप रहे. हड़ताल के दूसरे दिन सफाई कर्मियों ने निगम परिसर में जमकर नारेबाजी की और निगम के विरोध में रैली निकाली. इस दौरान कर्मचारियों ने निगम कार्यालयों में ताला जड़ दिया साथ ही साथ अन्य कमरों में काम कर रहे कर्मियों को भी कार्यालय से बाहर निकाल दिया. साथ ही साथ सफाई कर्मियों ने मेयर, उप मेयर के साथ साथ नगर आयुक्त के भी कार्यालय में तालाबंदी कर दी. हड़ताल के दूसरे दिन भी नगर निगम में किसी भी प्रकार का कार्य नहीं हो पाया.

बाहर बैठे रहे कर्मी:
निगम में कार्य करने गए कर्मियों को सफाईकर्मियों द्वारा बाहर निकाले जाने के बाद कनीय अभियंता, सिटी मैनेजर के साथ किरानी भी निगम परिसर के बाहर बैठे नजर आए.

बिहार लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के बैनर तले हड़ताल कर रहे सफाई कर्मियों का कहना आश्वासन के बाद भी उनका मानदेय नहीं बढ़ाया गया.

इस दौरान नगर निगम के सभी सफाई ट्रैक्टर्स को गाड़ियां नगर निगम में पड़ी रहे साथ ही साथ शहर में किसी भी प्रकार का सफाई कार्य पर बुरा असर पड़ा है. इस दौरान निगम परिसर में सफाई की गाड़ियां व ट्रक्टर्स खड़ी रहीं.

नवरात्र में शहर का हुआ बुरा हाल:
सफाई कर्मचारियों का हड़ताल नगर निगम के लिए सिरदर्द बना हुआ है. एक तरफ जहां पूरे शहर में नवरात्रि की धूम है वहीं दूसरी तरफ छपरा नगर निगम के सफाई कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने स शहर में साफ सफाई व कचरा उठाने का कार्य लगभग बन्द हो गया है. शहर में ऐसे कई स्थान हैं जहां कचरे का अंबार लगा हुआ है. सफाई नहीं होने से लोग निगम के अधिकारियों को कोस रहे हैं. त्योहार के समय शहर में बढ़ी गंदगी से आम लोग परेशान हो गए हैं. साथ ही साथ शहर के विभिन्न वार्डों में भी सफाई व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है. देखना यह होगा कि आखिर कबतक नगर निगम सफाई कर्मियों को मनाने में कामयाब रहता है और दोबारा शहर में सफाई व्यवस्था सुचारू रूप से शुरू होती है.

जब तक मांग नही होगी पूरी तब तक होगा हड़ताल: कर्मचारी संघ

बिहार लोकल बॉडीज एम्प्लॉयीज फेडरेशन के क्षेत्रीय मंत्री सियाराम सिंह ने बताया कि निगम से दैनिक सफाई कर्मियों के वेतन बढ़ाने की बात हुई थी. लेकिन छपरा नगर निगम द्वारा उनके वेतन नहीं बढ़ाए गए. इसके अलावा उन्होंने बताया कि पिछले महीने 2 दिनों के हड़ताल के बाद निगम द्वारा कर्मियों पर दंडात्मक कार्यवाई नहीं करने की बात कही गयी थी. इसके बावजूद उन्हें दंडित किया गया.

400 रुपय मानदेय देने की हो रही है मांग.

कर्मियों की मांग है कि अभी उन्हें 243 रुपय मानदेय दिया जाता है . इसे बढाकर 400 किया जाय. वहीं जामदारों के लिए यह राशि बढाकर 500 की जानी चाहिए. इसके अलावें सहायक व अन्य टेक्निकल कर्मियों को 600 रुपया प्रतिदिन दिया जाय. तभी यह हड़ताल थमेंगी.

नगर आयुक्त की वार्ता रही विफल:
जिसके बाद नगर आयुक्त अजय सिन्हा ने हड़ताल कर रहे सफाई कर्मियों से वार्ता की. उन्होंने 23 अक्टूबर को निगम बोर्ड के बैठक में उनकी मांगों को रख पास कराने का आश्वासन दिया. लेकिन कर्मी अपनी मांग पर अड़े रहे और हड़ताल को अनिश्चित काल के लिए जारी रखा है.

नियमित सफाई कर्मी करेंगे कार्य: कनीय अभियंता
नगर निगम के कनीय अभियंता ने बताया कि यह हड़ताल दैनिक कर्मियों ने की है. जो भी नियमित सफाईकर्मी हैं वो काम मे लगे हुए हैं. विभिन्न वार्डो में उन्हें सफाई के लिए भेजा रहा है. हालांकि सवाल यह उठता है की सभी गाड़ियां व सफाई वाले ट्रक्टर्स को हड़तालियों द्वारा निगम से बाहर नही निकलने दिया जा रहा तो शहर में किस तरह सफाई होगी.

Chhapra: जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर शहरवासियों को स्थानीय कार्यालय के बार बार चक्कर लगाने पर रहे हैं. फिर भी भी लोगों के प्रमाण पत्र बनने में काफी देरी हो रही है. आलम यह है कि पिछले कई महीनों से नगर निगम में 500 से अधिक आवेदन पड़े हुए हैं. लेकिन जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के रजिस्टार की लापरवाही से अभी तक इनका निपटारा नहीं हो सकता है. प्रमाण पत्र नहीं बनाए जाने से कई लोगों का कार्य अटका पड़ा है. साथ ही साथ लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है.

लोगों ने मेयर से की शिकायत:

जन्म मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने को लेकर बार बार चक्कर लगा रहे एक आवेदनकर्ता ने हाल ही में जमकर हंगामा किया था. जिसके बाद उसने अफसरों की शिकायत मेयर प्रिया सिंह से भी की. इसपर संज्ञान लेते हुए मेयर प्रिया सिंह ने तुरंत जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले कर्मियों से पूछताछ की तो इसमें अफसरों की लापरवाही इसमें सामने आई.

महीनों से चक्कर लगा रहे लोग
आवेदनकर्ता के अनुसार वह बीते 4 महीनों से कार्यालय का चक्कर लगा रहा है. फिरभी उसका अभी तक कार्य नहीं हुआ. जब भी पूछताछ के लिए वह आता है उसे हर बार 15 दिन बाद आने को कहा जाता है. जिससे वहां कार्य कर रहे कर्मियों से उसकी बकझक हो गयी.

गौरतलब है कि इसी वर्ष जून माह में जन्म मृत्यु रजिस्ट्रार का तबादला हो गया. जिसकी जगह डॉ फिरोज कमर को इस का प्रभार सौंपा गया है. कमर ने विभिन्न आवेदनों पर जो हस्ताक्षर किए हैं. उनका मिलान नहीं होने से सदर वीडियो में सभी आवेदनों पर रोक लगा दिया. जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड रहा है. जिससे लोगों में काफी नाराजगी है.

वहीं लोगों का कहना है कि रजिस्ट्रार द्वारा उनसे कागजों का एफिडेविट मांगा जाता है. जबकि इसका कोई प्रावधान नहीं है. जब भी लोग पूछताछ के लिए कार्यालय आते हैं. उन्हें यह कहकर लौटा दिया जाता है कि साहब ब्लॉक गये हैं.

इस मामले पर मेयर प्रिया सिंह ने कहा कि रजिस्ट्रार द्वारा कार्य मे लापरवाही पायी है. उन्होंने बताया कि नगर आयुक्त अजय सिन्हा को इस मामले से अवगत करा दिया गया है .अब रजिस्टार पर नगर आयुक्त के निर्देश पर कार्रवाई की जाएगी.

 

छपरा: बिहार लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के बैनर तले छपरा नगर निगम कर्मचारी संघ के सफाई कर्मी दोबारा से अनिश्चितकालीन पर चले गए हैं. यह कर्मी कई महीनों से छपरा नगर निगम से मानदेय बढ़ाने व पिछले 3 महीने से बकाये वेतन के भुगतान की मांग कर रहे हैं. इन कर्मियों के हड़ताल पर जाने के बाद शहर में एक बार फिर से विभिन्न वार्डों में सफाई व्यवस्था ठप हो गयी है. साथ ही साथ बुधवार को नगर निगम कार्यालय में भी टाला लटका रहा और सभी कार्य ठप हो गए.

त्योहारों में शहर में बढ़ेगी गंदगी:

नवरात्रि की शुरआत होते ही नगर निगम कर्मचारी संघ के हड़ताल पर चले जाने से शहर में नालों की सफाई, वार्डों में कचड़े का उठाव का कार्य लगभग ठप्प हो गया है. जिससे कुछ दिनों शहर में गन्दगी भी बढ़ने की आशंका है. त्योहारों के मौसम में कर्मियों के हड़ताल से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. बीते 8 अक्टूबर को निगम स्टैंडिंग कमिटी की बैठक के दौरान नवरात्रि में शहर में विशेष सफाई को लेकर नगर आयुक्त अजय सिन्हा द्वारा विशेष नीति बनाई गई थी. जो अब बेअसर साबित हो रहा है.

ये हैं मांगे:

गौरतलब है कि बिहार लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के क्षेत्रीय मंत्री सियाराम सिंह के निर्देश पर कर्मियों ने यह अनिश्चित हड़ताल की है. सियाराम सिंह ने बताया कि निगम ने विभिन्न कर्मियों की मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया. जिससे अब सभी सफाई कर्मी अनिश्चित हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.

इससे पूर्व पिछले माह में निगम सफाईकर्मी महासंघ के आह्वाहन पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे. लेकिन 2 दिन बाद मेहर प्रिया सिंह के आश्वासन के बाद हड़ताल को खत्म कर दिया गया था. महासंघ के क्षेत्रीय मंत्री सियाराम सिंह का कहना है कि उन्होंने निगम से 42 सफाईकर्मियों के बकाया वेतन के भुगतान की मांग की थी. लेकिन 3 महीने का बकाया वेतन अभी तक निगम द्वारा भुगतान नहीं किया जा सका है. साथ ही साथ दैनिक मजदूरों को जूता, कपड़े तथा सफाई उपकरण भी नहीं दिए गए हैं. जिससे कर्मी खुद के स्वास्थ्य को जोखिम में डालकर कार्य करते हैं. निगम ने अभी तक इन्हें न तो कपड़े उपलब्ध कराय है और ना ही कोई उपकरण.

सियाराम सिंह ने अपनी मांग रखते हुए कहा कि निगम में कई महीनों से अनुकम्पा पर बहाली लंबित है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों के लिए भी सातवां वेतन लागू होना चाहिए जो अब तक लंबित है. साथ ही साथ उन्होंने निगम पर आरोप लगाया कि नगर निगम में पेंशन धारियों को 5 वर्ष बाद पारिवारिक पेंशन बंद कर दिया जाता है. 10 वर्ष बाद उनके भी पेंशन बंद कर दिए जाते हैं जबकि आसपास के नगर में निगम आजीवन पेंशन मिलने का प्रावधान है.

क्या बोलीं मेयर:
सफाई कर्मियों को वापस काम पर बुलाने की कोशिश की जा रही है. बकाये वेतन भी कल तक भुगतान कर दिए जाएंगे. मानदेय बढ़ोत्तरी को लेकर भी बोर्ड में फैसला पास कराया जाएगा. सफाई उपकरण व सफाई के लिए ड्रेस जल्द उपलब्ध करा दिए जाएंगे. अन्य मांगे विभाग से ही पूरी की जा सकती हैं.

Chhapra: सोमवार को छपरा नगर निगम की मेयर प्रिया सिंह के कार्यालय मेंस्टैंडिंग कमिटी की बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में मेयर प्रिया सिंह के साथ उप मेयर अमितांजली सोनी, नगर आयुक्त अजय सिन्हा, वार्ड पार्षद उदय प्रताप सिंह, वार्ड पार्षद नरगिस बानो, अभियंता एसके श्रीवास्तव ने हिस्सा लिया.

बैठक के बारे में नगर आयुक्त अजय सिन्हा ने बताया कि बैठक में आवास योजना की समीक्षा की गई है. साथ ही जो भी बचे हुए लाभुकों की सूची हैं उसे जल्द से जल्द भेजी जायेगी.

साथ ही साथ शहर में चल रहे शौचालय योजना की भी समीक्षा की गयी. साथ ही छपरा नगर निगम को को जल्द से जल्द ओडीएफ घोषित करने पर चर्चा की गयी. जिसमें खुले में शौच करने वालों को शौचालय निर्माण के लिए आवेदन को प्रेरित किया जायेगा.

25 जमादारों की होगी बहाली: 

बैठक की जानकारी देते हुए नगर आयुक्त अजय सिन्हा ने बताया कि नगर निगम जल्द ही शहर के विभिन्न वार्डों के लिए जमादारों की बहाली करेगा. इसके तहत निगम द्वारा शहर में 25 जामदारों की नियुक्ति की जायेगी. जो विशेष रूप से सम्बंधित वार्डों में सफाई व्यवस्था को देखेंगे. गौरतलब है कि जमादारों की कमी के कारण कई वार्डों में सफाई व्यवस्था सही नहीं है. इनकी बहाली के बाद इन वार्डों में सफाई व्यवस्था सुदृढ़ हो जाएगी. नगर आयुक्त अजय सिन्हा ने बताया कि जमादारों को बोर्ड की बैठक के बाद बहाल किया जाएगा.

डेंगू के मरीज मिलने के बाद हरकत में आया निगम

शहर में डेंगू के मरीज मिलने के बाद नगर निगम भी हरकत में आ गया है. नगर आयुक्त ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग से इस बारे में निगम को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी गई है. लेकिन निगम द्वारा शहर के सभी वार्डों में वार्ड पार्षदों की देख रेख में नियमित में से लगातार फॉगिंग कराई जाएगी.

दशहरा के पहले साफ होगा शहर
दशहरा से पहले शहर की साफ सफाई में तेज़ी तेजी लाने के लिए सफाईकर्मियों व एनजीओ को विशेष रूप निगम द्वारा निर्देशित किया गया है. साथ ही शहर में निकलने वाले मूर्ति जुलूसों के रास्ते मे पड़ने वाले पुलियों की मरम्मती के भी आदेश दिए गए हैं.

 

 

छपरा: छपरा नगर निगम की मेयर प्रिया सिंह ने गुरुवार को
शहर के वार्ड संख्या 38 में चलाय जा रहे विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों का अचौक निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने वार्ड 38 के 4 विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया. इन चार आंगनबाड़ी केंद्रों में सेे 2 में ताला लटका मिला. वहीं अन्य दो केंद्रों पर सहायिका अनुपस्थित पायी गयी. साथ ही साथ इन केंद्रों पर बच्चों की संख्या आधा दर्जन से भी कम थी. इस निरीक्षण के दौरान मेयर के साथ उप मेयर अमितांजली सोनी व वार्ड 38 की पार्षद नरगिस बानो भी मौजूद रही.

वहीं जब मेयर में आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन को लेकर आसपास के लोगों व बच्चों के अभिभावकों से बात की तो लोगों ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है. साथ ही लोगों ने इन केंद्रों में हो रही अनियमितता को लेकर मेयर से शिकायत भी की.

निरीक्षण के बाद मेयर प्रिया सिंह ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन से करके इन केंद्रों पर उचित कार्यवाई करने की बात कही है.

Chhapra: विभाग के निर्देश के बाद भी छपरा नगर निगम क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त नही हो पाया है. छपरा को खुले में शौच से मुक्त कराने के लिए विभाग ने नगर निगम को 2 अक्टूबर तक का समय दिया था. जिसके बाद 2 अक्टूबर बीत जाने के बाद भी छपरा को खुले में शौच से मुक्त नहीं कराया जा सका है. शौचालय के अभाव में अब भी निगम क्षेत्र के विभिन्न वार्डों के लोग खुले में शौच के लिए जा रहे हैं. सबसे ज्यादा तो वार्ड 12, 14 के साथ अन्य वार्डों के लोग दियारा इलाक़ों में खुले में शौच के लिए जा रहे हैं.

नगर निगम की सुस्ती के कारण नहीं खत्म हुई समस्या

इस क्षेत्र में होने वाले कार्य में नगर निगम लगातार सुस्ती दिखा रहा है. जिस कारण छपरा खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाया है. इससे पहले छपरा नगर निगम के 28 वार्डों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था. जिसके बाद 2 अक्टूबर तक 7 और वार्डों को ओडीएफ घोषित किया गया है. अभी भी शहर के 10 वार्ड ओडीएफ घोषित होने का इन्तेजार कर रहे हैं.

छपरा को खुले में शौच से मुक्त करने की दिशा में नगर निगम ने सामुदायिक शौचालय बनवाने की बात कही गयी थी. इसके तहत वैसे लोग जिनके घरों में शौचालय बनवाने के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है. उनके लिए सामुदायिक शौचालय बनाने की बात कही गयी थी. लेकिन तय समय सीमा बीत जाने के बाद भी शहर में एक भी सामुदायिक शौचालय नहीं बनवाया जा सका है.

इसके अलावें शहर में पहले से मौजूद सामुदायिक शौचालयों का हाल बेहद खराब है. नगर निगम की अनदेखी के कारण कई शौचालय जजर्र हो गए है. इनकी मरम्मती तक भी नहीं करायी गयी है. इसके अलावें कुछ सामुदायिक शौचालय अतिक्रमण का भी शिकार हो गए हैं.

नही खरीदे एक भी नये मोबाइल टॉयलेट

इसके अलावा नगर निगम द्वारा शहरवासियों के लिए बड़ी संख्या में मोबाइल टॉयलेट खरीदने की बात कही गई थी. लेकिन 2 अक्टूबर बीत जाने के बाद भी एक भी नये मोबाइल टॉयलेट नहीं खरीद पाया है. वही पहले से मौजूद मोबाइल टॉयलेट इस्तमाल करने को लेकर लोगों को जागरूक भी नहीं किया गया. ये मोबाइल टॉयलेट लावारिस हालात में इधर उधर पड़े हुए हैं.

गौरतलब है कि छपरा नगर निगम द्वारा कराय गये सर्वे में 6500 से अधिक परिवारों में शौचलय नहीं होने की बात सामने आयी थी. जिसके बाद हज़ारों परिवारों से आवेदन लेकर उन्हें दो मुश्त में शौचालय बनाने की राशि दी जानी थी. निगम कर्मचारियों का कहना है कि लगभग लोगों को पहली किश्त व दूसरी किश्त राशि भेज दी गयी है. कुछ ही लोगों को ये रकम भजेना बाकी है. साथ ही शौचालय बनवाने के लिए नये आवेदन अब नहीं आये हैं. देखने वाली बात यह होगी कि आखिर कब तक छपरा नगर निगम खुले में शौच से मुक्त हो पाता है.क्या बोलीं मेयर: शौचालय की समस्या को लेकर छपरा नगर निगम की मेयर प्रिया सिन्हा का कहना है कि शौचालय से सम्बन्धित कार्य नगर आयुक्त देखते हैं. आगामी बोर्ड की बैठक में नगर आयुक्त से इस बारे में सवाल किया जाएगा.

Chhapra: जनता से टैक्स के रूप में लिए गए पैसे कैसे सरकार और उसके अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण बर्बाद होते है उसका उदाहरण है यह तस्वीर. तस्वीर शहर के साहेबगंज से मौना चौक जाने वाले रास्ते में बने डिवाइडर की है. जहाँ कुछ साल पहले विकास ने नाम पर और ट्रैफिक को सही करने के उद्देश्य से डिवाइडर तो बनाया गया. डिवाइडर बनाने की परमिशन देने वाले अधिकारियों को पूरी तरह से पता था की सड़क बेहद संकरी है और इसमें डिवाइडर बनाने से और भी संकरी हो जाएगी. बावजूद इसके टेंडर निकला और फिर निर्माण कार्य भी पूरा किया जाने लगा. वही किसी ने इसकी शिकायत कोर्ट में भी कर दी. यह इलाका काफी घनी आबादी वाला है और कई बार आग आदि लगने की घटनाओं में डिवाइडर के कारण अग्निशमन वाहन को पहुँचने में दिक्कतें भी हुई. अब जब जनता का लाखों रूपया इसको बनाने में लग चूका है. इसको तोड़ने के आदेश जारी हुआ और रविवार रात्रि नगर निगम के बुलडोजर ने इसके नामोनिशान को मिटा दिया.

इन इन बातों का निष्कर्ष सिर्फ इतना है कि जनता के टैक्स के पैसे से बिना समुचित प्लानिंग के निर्माण और फिर अब उसे तोड़ देना जनता के पैसे की बर्बादी है. सरकार के अधिकारी अपने फायदे के लिए कैसे आम लोगों के टैक्स के पैसे को बर्बाद करते है या उसका एक उदहारण मात्र है.