छपरा: चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो गयी है. दिवाली ख़त्म होते ही लोग छठ पूजा के तैयारियों ने जुटे हुए है. इस वर्ष छठ पूजा की तिथि चार नवंबर से लेकर सात नवंबर तक है. महापर्व छठ पूजा में उपयोग में आने वाली सभी चीजों के दुकानों पर भारी भीड़ देखी जा रही है.

दउरा और सूप बनाने में जुटे कारीगर
शहर के हवाई अड्डा के मुख्य सड़क के किनारे कारीगर बांस से दउरा, सूप, डलिया आदि बनाने में जुटे है. छपरा टुडे संवाददाता से बात करते हुए कारीगर ने बताया कि हम लोग दुर्गा पूजा के बाद से ही इस कार्य में लग जाते है, छठ पूजा तक बांस के बने सभी सामानों को बेचते है.

पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दामों में वृद्धि हुई है. एकहरा दउरा प्रति पीस 250 रूपये, दोहरा दउरा प्रति पीस 300 रूपये, सूप 60 रूपये, डलिया 50 रूपये और एकहरा दउरा (बड़ा, जिसमे सात कलसूप) प्रति पीस 550 रूपये का बिक रहा है.chhath

बताते चलें कि महापर्व छठ पूजा कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाई जाती है. यह चार दिवसीय महापर्व है जो चौथ से सप्तमी तक मनाया जाता है. इसे कार्तिक छठ पूजा कहा जाता है.

छपरा: लोक आस्था का महापर्व चैती छठ उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया. सुबह सवेरे नदियों के घाटों पर पहुँच भगवान् भास्कर के दर्शन देने का इतजार किया. भगवान् भास्कर के दर्शन देते ही व्रतियों द्वारा अर्घ्य दिया गया.  

इस से पहले मंगलवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को व्रतियों ने अर्घ्य दिया. शहर से लेकर गाँव तक सभी तालाबों, नदियों के किनारे व्रतियों ने अर्घ्य दिया.

Live: शहर के राजेंद्र सरोवर से छठ पूजा लाइव #छठ चैती छठ के अवसर पर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने राजेंद्र सरोवर पर पहुंची व्रती

Posted by Chhapra Today on Tuesday, April 12, 2016

चैत्र के महीने में मनाए जाने वाले इस पर्व का खास महत्व है. कार्तिक में मनाए जाने वाले छठ के समान चैती छठ भी काफी लोकप्रिय है. नहाय-खाय से शुरू होकर खरना और उसके बाद संध्याकालीन अर्घ्य और फिर प्रातः काल में भगवान सूर्य की आराधना तक श्रद्धा और समर्पण के साथ इस पर्व को मनाया जाता है.

छठ-पर्व को लेकर बाजारों में बढ़ी रौनक

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लोकआस्था के इस पर्व को लेकर बाजारों में रौनक बढ़ गई है. कलसुप, नारियल, फल-मूल, आम की लकड़ियाँ, ईख इत्यादि से पूरा बाजार काफी सुन्दर और त्यौहारमय दिख रहा है. 

कलसुप 50 रुपये तो 80 रुपये बिक रहा नारियल 

छठ पूजा के सामानों की बिक्री बाज़ारों में हो रही है.  कलसुप 50 से 60 रूपए जोड़ा, नारियल 80 से 100 रूपए जोड़ा की कीमत से बेचा जा रहा है वहीं आम की लकड़ी 70 से 100 रूपए पसेरी (प्रति 5 किलो) की दर से बिक रही है.  20160410204855

कच्चे फलों को उनकी ताजगी के अनुसार कीमत लगाकर बेचा जा रहा है. ईख की कीमत 30 से 40 रूपए जोड़ा, अंगूर 100 से 120 रूपए प्रति किलो और सेब 70 से 80 रूपए प्रति किलो है.  ch

छठ घाटों की हो रही साफ़-सफाई

चैती छठ के लिए शहर के विभिन्न घाटों की साफ़-सफाई की जा रही है. छठ-पूजा समिति के कार्यकर्ताओं ने छठ-घाटों की साफ़-सफाई और व्यवस्था को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. 

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आज जब सब तरफ लोग पुराने रीती-रिवाजो को भुल कर एक नई संस्कृति की गाथा रचने में लगे पड़े है. ऐसे में जब भी यह विचार आता है की वह कौन सा व्रत, पर्व या आयोजन है जो आने वाले कई दशकों तक अपनी संस्कृति और महत्ता बनाये रखने में कामयाब होगा?

तो स्वतः ही ध्यान लोक समन्वय तथा आस्था के महापर्व छठ की तरफ आ टिकता है. सालों से देखता आ रहा हूँ. कई पर्वो के आयोजन के तरीके बदल गए. लोग टुकड़ो में बट कर आयोजन करने लगे. लेकिन जब बात छठ पर्व पर आकर टिकती है तो नजारा खुद-ब-खुद बदल जाता है. कोई किसी को ईख पहुँचा रहा होता है. तो कोई किसी के लिए बाजार से पूजन सामग्री ला देता है, चौतरफा मदद के हाथ खड़े दिखाई देते है.

सारे भेदभाव और मतभेद भुलाकर लोग छठ पर्व की गूँज को प्रत्येक वर्ष और भी दुर तक पहुचाने की हरसंभव प्रयास करते है. लाखों की संख्या में परिजन घर को पहुँचते है तो सिर्फ छठ के आयोजन के लिए. छठ एकमात्र ऐसा त्यौहार है,जहाँ जानी दुश्मनी तक को परे रखकर आपसी सद्भाव का परिचय प्रस्तुत किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा.

अत: लोक समरसता के इस पर्व की असीम शुभकामनाये. इस आशा और विश्वास के साथ की अगले वर्ष छठ पर्व की धमक और आभा और फैलेगी. एक बार फिर शुभकामनाये एवम् बधाईया.

यह लेखक के अपने विचार है 

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अनुराग रंजन

छपरा (मशरख)