खनुला नाला जीर्णोद्धार कार्य का डीएम ने किया निरीक्षण, बाधाओं को दूर कर समय पर पूरा करें

Chhapra: जिलाधिकारी राजेश मीणा द्वारा शुक्रवार को शहर में चल रहे खनुआ नाला के जीर्णोद्धार के कार्य का निरीक्षण किया. डीएम श्री मीणा ने बी सेमिनरी में BSEB के क्षेत्रीय भवन, श्री नंदन पथ, मौना चौक सहित खनुआ नाला जीर्णोद्धार किये जाने वाले कई चिन्हित स्थलों का निरीक्षण किया गया.

इस दौरान उन्होंने निर्माण कार्य मे अवरोध को जाना साथ ही उसके समाधान को लेकर निर्माण कंपनी के तकनीकी कर्मियों से सुझाव लेकर प्रशासनिक स्तर से उनके जल्द से जल्द निराकरण का निर्देश दिया.

उन्होंने सबसे मुख्य समस्या जल निकासी को लेकर निर्माण कंपनी के अधिकारियों से बात की. निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने अन्य कई विकास योजनाओं के निर्माण की अद्यतन स्थिति की जानकारी लेते हुए सभी कार्यो को निर्धारित अवधि के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया. निरीक्षण के मौके पर जिलाधिकारी के साथ एडीएम एवम कई प्रशासनिक अधिकारी के साथ पुल निर्माण, खनुआ नाला निर्माण के इंजीनियर और अधिकारी मौजूद रहे.

Chhapra: मानसून के आने में अभी महीनों बाकी है. अलबत्ता शहर में मानसून को लेकर की गई तैयारियों की पोल खुल गयी है. बुधवार की देर रात से अचानक हो रही बारिश ने शहर को झील में तब्दील कर दिया है. शहर की कोई भी सड़क इससे अछूता नही है. शहर में करोड़ों रुपये साफ सफाई पर खर्च होते है लेकिन उस साफ सफाई की पोल हल्की बारिश में खुल जाती है. जनप्रतिनिधि से लेकर शासन और प्रशासन तक चिर निद्रा में सोए रहते है जब बारिश होती है तो उनकी निद्रा टूटती है.

गुरुवार को हुई बारिश से मौना चौक से साहेबगंज, साढा ढाला, करीम चक, नगरपालिका चौक, मालखाना चौक, कटहरी बाग, गुदरी बाजार हर तरफ सिर्फ पानी ही पानी नज़र आ रहा है. मुख्य सड़कें तालाब बनी है वही गली गलियारों में तो यह नदी के रूप में दिख रही है.हालात यह है कि अगर सरकार का लॉक डाउन नही लगा होता तो सड़कों पर पैदल कौन कहे गाड़ियों का चलना भी दूभर था.

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करीब 11.51 करोड़ की लागत से दो से तीन वर्ष पहले बनी थी सड़क

सबसे दयनीय स्थिति थाना चौक से नगरपालिका चौक होते हुए योगिनियां कोठी की है. सड़कों पर एक से डेढ़ फीट पानी है. पैदल चलना तो दूर की बात बाइक और छोटी हाइट की कार वालो को भी मुस्किलो का सामना करना पड़ रहा है. करीब 11 करोड़ को लागत से थाना चौक से लेकर नगरपालिका चौक योगिनियां कोठी होते हुए कचहरी स्टेशन तक इस सड़क का निर्माण दो वर्ष पूर्व हुआ था. सड़क निर्माण के साथ दोनों ओर नाला का निर्माण एवं डिवाइडर भी बना लेकिन निर्माण के बाद से ही यह सड़क हल्की बारिश में तालाब बन जाती है. सबसे विकट स्थिति जिलाधिकारी कार्यालय से लेकर नगरपालिका चौक से हरिमोहन दवाखाना, माधो बिहारी लेन तक बनी रहती है.

प्रतिवर्ष बारिश में शहर तालाब बन जाता है लेकिन इसका ठोस निष्कर्ष नही निकाला जाता है. जलजमाव के बाद प्रशासन जागता है और सड़कों से पानी निकलने के बाद सो जाता है. शहर की जल निकासी के लिए लाइफ लाइन करीम चक से लेकर सांढा ढाला तक खनुआ नाला की साफ सफाई का कार्य महीनों से ठप्प है वही पुरानी गुरहट्टी से लेकर छपरा कोर्ट होते हुए बी सेमिनरी तक खनुआ नाला का पुनर्निर्माण कार्य भी अब अधर में है. आनन फानन में शुरू हुए इस दोनो प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने के कुछ महीनों के बाद विराम लग चुका है. लेकिन प्रशासन का इस ओर ध्यान नही है.

बहरहाल मानसून की दस्तक बाकी है. जनता की परेशानियों का निदान प्रशासन करेंगे कि जनप्रतिनिधि यह आने वाले बारिश के मौसम में पता चलेगा. फिलहाल जनता तालाब और नदियों में सैर सपाटा करने की आदि है और सारणवासी इस आदत को अपने जीवनशैली में ढाल चुके है.

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Chhapra: NGT के आदेश के बाद बुधवार को नगर आवास विभाग के विशेष सचिव संजय दयाल छपरा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने खनुआ नाले के उन्नयन योजना को लेकर निरीक्षण किया. साथ ही उन्होंने खनुआ नाले की सफाई के साथ इसपर फैले अतिक्रमण व इसके उन्नयन योजना को लेकर छपरा नगर निगम पदाधिकारियों के साथ बैठक की.

 

खनुआ नाले से अवैध निर्माण को हटाने की कवायद:

उन्होंने कहा कि खनुआ नाला शहर की जल निकासी का मुख्य नाला है. विशेष सचिव ने छपरा नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस खनुआ नाले पर जितने भी अवैध कब्जे तथा अवैध निर्माण हैं, उन्हें हटाया जाय. इसके लिए नगर निगम अमीन से नापी करा कर सीईओ को लेटर भेज तुरंत अवैध निर्माण हटाए.

निर्माण से पूर्व अतिक्रमणमुक्त होगा खनुआ नाला

खनुआ नाले पर अतिक्रमण को लेकर नगर निगम द्वारा बताया गया कि अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध छपरा नगर निगम के द्वारा कार्रवाई करते हुए इसे अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है. तथा अस्थाई रूप से अभी भी कुछ लोगों ने खनुआ नाले पर अतिक्रमण कर रखा है. नाला निर्माण से पूर्व खनुआ नाले को अतिक्रमण मुक्त करा लिया जाएगा

हर दिन 40 मज़दूर कर रहे खनुआ खनुआ नाले की सफाई 

नगर निगम ने कहा कि खनुआ नाले की सफाई के लिए प्रत्येक दिन 40 कि संख्या में सफाई कर्मी लगाकर विशेष रूप से सफाई कराई जा रही है. इस दौरान यदि कोई नाले पर अस्थाई अतिक्रमण करता है. उसके लिए प्रत्येक 4 दिन पर नगर निगम द्वारा अतिक्रमण निरोधक टीम भेजकर वहां से अतिक्रमण हटाया जायेगा.

छपरा (संतोष कुमार बंटी): छपरा शहर के कई क्षेत्र नदी के पानी से जलमग्न हो चुके है. गंगा,सोन और सरयु नदी के जलस्तर में हो रही वृद्धि के कारण शहर के निचले इलाको के बाद बाढ़ के पानी ने शहर का रुख किया है. शहर की हृदयस्थली नगरपालिका चौक, थाना चौक पर बाढ़ का पानी पहुँचना शहरवासियों के लिए शुभ संकेत नहीं है. उपर से सरकारी चेतावनी लोंगो को और सोचने पर मजबूर कर रही है. flood

प्रशासन इस आपदा से निपटने के लिए पिछले कई महीनो से योजना का निर्माण कर रही है लेकिन पानी बढ़ने के साथ ही उनकी योजनाओ और कार्यो की पोल खुल गयी है. जिसके कारण अब शहर भी लोंगो के लिए सुरक्षित नही दिख रहा है.

शहर में यहाँ तक पंहुचा बाढ़ का पानी

शहर के सबसे रिहायशी इलाके साहेबगंज में पानी पहुँच चुका है. सोनारपट्टी, करीम चक,राहत रोड, कटहरी बाग़, बुटनबाड़ी, दहियांवा, धर्मनाथ मंदिर, गुदरी, सरकारी बाजार, तिनकोंनिया यहाँ तक कि नगरपलिका चौक, थाना चौक और मौना चौक तक पानी पहुँच चुका है. नदियों में जिस तरह से वृद्धि हो रही है उसी तरह पानी दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा में आगे बढ़ रहा है.

 

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नगरपालिका चौक पर लगा बाढ़ का पानी

किन कारणों से शहर में रुका बाढ़ का पानी

नदी के जलस्तर में हुई बढ़ोतरी से निचले इलाको का प्रभावित होना स्वाभाविक है. लेकिन शहर के रिहायशी इलाकों में पानी का लगना प्रशासनिक और सरकारी विफलता का कारण है. 

कई दशक बाद नदी के जलस्तर में इतनी बढ़ोतरी हुई है. लेकिन कई वर्षो पूर्व ऐसी स्थिति को देख चुके लोंगो का कहना है कि चंवर पूरी तरह से खाली है ऐसे में शहर में बाढ़ का पानी आना चिंता का विषय है.

 

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अपनी किश्मत पर रोता खनुआ नाला, कचड़े से जाम

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पंकज कुमार अग्रवाल का कहना है कि एक समय था जब नदी से लेकर मौना चौक होते हुए नाले में नाव चला करती थी. बाढ़ का पानी इन्ही रास्तो से होकर चंवर में चला जाता था जिससे खेती होती थी. नाला को ख़त्म कर सुरक्षा के मद्देनजर पाइप लगाया गया. समय बदला और उस पाइप को हटा कर पुनः नाला बना दिया गया. लेकिन नगर परिषद् ने खनुआ नाला पर दुकान बना दिया. खनुआ नाला की आज तक कभी सफाई नही की गई जिससे आज शहर में बाढ का पानी आ गया है.

गोपाल प्रसाद का कहना है कि 70-90 के दशक में नदी का जलस्तर बढ़ता था. उस समय खनुआ नाला से पानी दो रास्ते से होकर जाता था. उन्होंने बताया कि सरकारी बाजार के समीप यह नाला दो भागो में बंट जाता था. एक सीधे मौना चौक के रास्ते होकर रामनगर के चंवर में जाता था और दूसरा तिनकोनिया, सिविल कोर्ट, नगरपालिका चौक, श्रीनंदन लाईब्रेरी के रास्ते जगदम कालेज के नजदीक रेलवे नाला में जाता था.

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प्राथमिक विद्यालय, ब्रहमपुर के प्रांगन में भरा बाढ़ का पानी
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सड़क पर खटिया लगा कर बैठे बच्चे, तस्वीर ब्रहमपुर की है.

नदी का पानी इन रास्तो से होकर ही सिविल कोर्ट पोखरा और शिल्पी पोखरा में जाता था. लेकिन यह रास्ता प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब अतिक्रमण कर लिया गया है. नाला पर कई लोगों ने दुकान तो कितनों ने घर बना लिया है.वही शिल्पी पोखरा का अस्तित्व अतिक्रमण से अब समाप्त होने के कागार पर है.  

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ऐसे में अगर नदी के जलस्तर में जब भी वृद्धि होगी तो अब शहर की सड़कों पर बाढ़ आना स्वाभाविक है. इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन को पहले जल निकासी के लिए खनुआ नाला की सफाई करनी होगीं साथ ही साथ शहर और उनसे सटे क्षेत्रो में बने पोखर को अतिक्रमण मुक्त कर सफाई करानी होगी.