Chhapra: शहर में बीती शाम से देर रात तक हुई बारिश ने आम से खास सबको पानी पानी कर दिया है. नगर निगम, जिला परिषद, नगर थाना, अभियंता जिला परिषद, डीडीसी आवास यहां तक कि जज कॉलोनी में भी जलजमाव की स्थिति है.जब ख़ास लोगों के कार्यालय से लेकर ऑफिस तक जलजमाव है तो आएम जनता कैसे अपनी जिंदगी के लिए जूझ रही है आप अन्दाजा लगा सकते है.

गरीबो के लिए बुधवार की रात कयामत की रात

बुधवार को शाम करीब 6 बजे से प्रारंभ हुई बारिश देर रात 2 बजे तक बरसी है. कभी कम कभी ज़्यादा ऊपर से आकाशीय बिजली की आवाज़ गरीब ने अपने सीने पर ही हाथ रख रात गुजारी है. सड़कों के किनारे रहने और अपना जीवन गुजार बसर करने वाले लोगों के लिए बुधवार की रात कयामत की रात थी.

डीएम, एसपी आवास से लेकर जज आवास की सड़क पर था एक फिट जलजमाव

रात के 10 बजे शहर के दरोगा राय चौक से लेकर, सदर अस्पताल, जिला अधिकारी आवास, पुलिस अधीक्षक आवास, डीडीसी आवास, जिला परिषद अध्यक्ष आवास, नगर थाना, समाहरणालय, नगरपालिका चौक, जोगिनिया कोठी सड़क हर तरफ सड़कों पर एक फिट से ज्यादा पानी था.सदर अस्पताल में घुटना तक पानी

गुरुवार की सुबह कई आवासों, मुख्य सडकों से पानी निकल चुका है. लेकिन इसके बावजूद भी नगर निगम, जिला परिषद आवास, डीडीसी आवास, नगर थाना, दरोगा राय चौक के साथ मुख्य रूप से छपरा सदर अस्पताल में घुटने तक पानी है. मरीज और उनके परिजन अपनी जान बचाने के लिए उसी घुटने तक पानी मे आने जाने को विवश है.

जलजमाव से सदर अस्पताल में संक्रमण का ख़तरा

सबसे ज्यादा विकट परिस्थिति सदर अस्पताल की है. जहां मुख्य द्वार के साथ परिसर में घुटने तक पानी है. इमरजेंसी वार्ड के सामने लबालब पानी मे ही मरीज आ रहे है. वही बगल के सुलभ शौचालय का पानी, मलमूत्र जलजमाव में घुलमिल गया है और परिसर में फैला है.सुबह सुबह ही जज कॉलोनी से पंप के सहारे निकला पानी

जज कॉलोनी से सुबह सुबह जलजमाव को हटाने के लिए पंप चलाया गया. लेकिन अस्पताल से जलजमाव को हटाने के लिए प्रशासन चिर निद्रा में सोई रही. 10 बजे तक ना अस्पताल के सफाई कर्मचारी थे ना नगर निगम के कर्मी जिससे कि जलजमाव हटाया जा सके पंप तो दूर की बात है.

बहरहाल चुनावी वर्ष में सड़कों पर जनता का सेवक बनने का दम भर रहे भावी जनप्रतिनिधि इस विपदा में नदारद है. 

 

छपरा: कोरोना संक्रमण के मद्देनजर संदिग्ध मरीजों को उनके घर से अस्पताल लाने ले जाने की सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में एंबुलेंस को लगाया गया है. इस वजह से गर्भवती महिलाओं को अस्पताल लाने में काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. राज्य में एंबुलेंस को लेकर हो रही असुविधा के मद्देनजर राज्य स्वास्थ्य समिति ने जरूरी फैसला लिया है. इस फैसले के तहत एंबुलेंस की सुविधा नहीं उपलब्ध होने पर अब गर्भवती महिला को उसके परिजन किसी अन्य वाहन से अस्पताल ला सकते हैं. इसके लिए तत्काल 500 रुपये का भुगतान स्वास्थ्य विभाग की ओर से किया जायेगा.

डीबीटी के माध्यम से होगा 500 रुपये का भुगतान

राज्य स्वास्थ्य समिति ने इस निर्देश के आलोक में पत्र जारी किया है. पत्र के माध्यम से कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए 102 एंबुलेंस का उपयोग संदिग्ध या संक्रमित मरीजों के लिए बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. इस वजह से राज्य में गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में आने जाने के लिए 102 एंबुलेंस की सेवा प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है. इस स्थिति को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य समिति ने यह निर्णय लिया है कि 31 मई तक 102 एंबुलेंस की अनुपलब्धता के कारण यदि कोई गर्भवती महिला संस्थागत प्रसव के भाड़े के वाहन से सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में आती हैं तो उसे तत्काल आने जाने के लिए 500 रुपये का भुगतान किया जायेगा. रशि का भुगतान नेशनल हेल्थ मिशन के फ्री रेफरल ट्रांसपोर्ट से उसके बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से किया जायेगा.

भाड़े पर वाहन रखने का भी लिया गया है निर्णय

वहीं पत्र के माध्यम से राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध या संपुष्ट मरीजों के परिवहन के लिए एक पूर्ण रूप से सेनेटाइज्ड एंबुलेंस को चिन्हित कर उसी विशेष चिन्हित एंबुलेंस से कोविड 19 के संदिग्ध या संपुष्ट मरीजों का परिवहन करने हेतु सभी संबंधित को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं ताकि साधारण मरीज एवं गर्भवती महिलाओं में संक्रमण फैलने की संभावना नहीं रहे. इसके साथ ही 102 एंबुलेंस सेवा के तहत चिन्हित एंबुलेंस के अतिरि​क्त कोविड 19 से संबंधित कार्यों के लिए जिलों व मेडिकल कॉलेजों द्वारा आवश्यकतानुसार भाड़े पर वाहन रखने का निर्णय लिया गया है जिसका भुगतान कोविड 19 से संबंधित नेशनल हेल्थ मिशन के खाते से किया जायेगा.

Chhapra: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इण्डिया फाईट्स कोरोना अभियान को गति प्रदान करते हुए स्थानीय सांसद सह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने सांसद निधि से एक करोड़ की राशि अपने संसदीय क्षेत्र सारण में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने, वेंटिलेटर आदि की व्यवस्था के लिए दी है.

उन्होंने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर और राशि उपलब्ध कराई जा सकती है. कोविड-19 की महामारी और उसके प्रति बढ़ती चिंताओं के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रुडी की इस पहल से सारण में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा सकता है. इस राशि से सारण के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ-साथ अनुमंडल स्तरीय अस्पतालों को लगभग 15 लाख मूल्य के वेंटिलेटर उपलब्ध कराये जायेंगे. इसके लिए सांसद ने छपरा के सिविल सर्जन और जिलाधिकारी से बात की है.कोरोना की महामारी को रोकने के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने रोकथाम के प्रयासों को आगे बढ़ाने का काम किया है. इसके लिए पूरे देश में 21 दिनों का लॉक डाउन भी किया गया है. बीमार संदिग्धों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में हो रहा है पर इस बीमारी से गंभीर मरीज जिन्हें सांस लेने में परेशानी होती है उनके लिए पीएचसी मे वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. इसी को देखते हुए सांसद श्री रुडी ने अपने सांसद निधि से सारण लोकसभा संसदीय क्षेत्र के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो को वेंटिलेटर देने की पहल की है. इसके लिए सांसद ने जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन को पत्र भी लिखा है.

सांसद ने कहा कि कोरोना से बचाव के उपायों के लिए उनकी सांसद निधि से आवश्यकतानुसार धनराशि अवमुक्त की जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि यदि लगता है कि इसके लिए और राशि की आवश्यकता है तो वे पूरी धनराशि भी खर्च कर सकते हैं.

इस संदर्भ में सांसद श्री रुडी ने कहा कि क्षेत्र में गंभीर बीमारी से पीड़ित और सांस लेने में जिनको ज्यादा तकलीफ होगी उनको वेंटिलेटर पर रखना अनिवार्य है.

लहलादपुर: बीमार मरीजो का ईलाज करने वाले अस्पताल को आज खुद ईलाज की जरूरत आन पड़ी है. जिससे वह स्वस्थ्य होकर लोगो का ईलाज कर सकें. लेकिन इस बीमार अस्पताल का ईलाज करेगा कौन, यह सबसे बड़ी समस्या है. क्योकि इसके इलाज के पूर्व इसमें लगने वाले खर्चे की माप तौल होती है. फिर जाकर बाकायदा एक इस्तेहार चिपकता है कि इस अस्पताल का इलाज कराना है, प्रक्रिया आगे बढ़ती है. तब जाकर डॉ यानी ठेकेदार काम शुरू करता है.हालांकि प्रक्रिया बहुत लंबी है. तबतक स्वयं ही अस्पताल के कर्मी इसका इलाज कर रहे है.

लहलादपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित पीएचसी की वर्तमान हालात देखकर किसी के मुँह से आह निकल जाए. तीन दिनों से लगातार हो रही वर्षा के कारण इसका छत्त अब चूने लगा है जिससे यहा पानी भरा पड़ा है. इसमें रखे सारे कीमती सामान भींगकर बर्बाद हो रहे हैं.


मरीजो को बेड पूरी तरह से गीले हो चुके है. अलबत्ता लेबर रूम का कार्य जेनरल रूम में निपटाया जारहा है. हालांकि जेनेरल रूम भी दुरुस्त नहीं है.लेकिन किसी तरह काम हो रहा है.

इस पीएचसी की हालत देखकर किसी को भी रुलाई आ जायेगी. इसके छत्त चूने से जरूरी कागजातें नष्ट होने के कगार पर है. जिसे पॉलीथिन (प्लास्टीक के चादर) से ढंककर बचाया जा रहा है. आखिर कब तक और कहाँ-कहाँ प्लास्टीक का उपयोग किया जायेगा. जबकि बरसात का मौसम अभी शुरू ही हुआ है. इस पीएचसी का पूरी छत्त एवं दीवाल जर्जर है.

इसके कई जगहों से सीमेंट झड़ रहे हैं तथा छत्त से सीमेंट का टुकड़ा किसके सिर पर कब गिरकर जख्मी कर देगा, यह कोई नही जानता.

पीएचसी की जर्जर एवं दयनीय स्थिति से स्टाफ हो या रोगी, सभी परेशान नजर आ रहे हैं. यदि शीघ्र ही इसका मरम्मत नहीं कराया गया तो भविष्य में कभी भी गंभीर घटना को यह जर्जर भवन अंजाम दे सकता है.

Patna:बिहार स्वास्थ्य विभाग सूबे के जिला अस्पताल व स्वास्थ्य केन्द्रों में मरीज की बढ़ती संख्या को देखते हुए टोकन सिस्टम को लागू करने की योजना बना रहा है. इसके तहत अस्पतालों में मरीजों के भीड़ नियंत्रित करने में भी आसानी होगी, साथ ही मरीजों को भी घंटों लाइन में नही लगाना पड़ेगा. जिसमें अस्पताल में मरीजों को रजिस्ट्रेशन कराते ही टोकन मिल जाएगा. जिसके बाद डिस्प्ले पर टोकन का नंबर आते ही मरीज डॉक्टर के पास इलाज के लिए जा सकेंगे.

साथ ही अस्पताल में ओपीडी रजिस्ट्रेशन अब ऑनलाइन होगा, ताकि मरीजों को अधिक से अधिक सुविधा मिल सके. वैसे जो मरीज घर बैठे ही ओपीडी का रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे, उन्हें भी रजिस्ट्रेशन के बाद टोकन दिया जाएगा.

छपरा: सदर अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए सीक न्यू बॉर्न केअर यूनिट आईसीयू का उद्घाटन क्षेत्रीय स्वास्थ्य अपर निदेशक डॉ बी.के. उपाध्याय द्वारा किया गया.

इस न्यू बॉर्न केअर यूनिट के माध्यम से नवजात शिशुओं के गहन उपचार के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. करीब 4 करोड़ की लागत से स्थापित यह आईसीयू 24 घंटे लगातार कार्य करेगा वहीं 16 चिकित्साकर्मियों की टीम को इसके क्रियान्वयन के लिए पदस्थापित किया गया है.

विदित हो कि जन्म के बाद नवजात शिशुओं के गहन उपचार के लिए सदर अस्पताल में समुचित सुविधा मौजूद नहीं रहने के कारण अभिभावक उन्हें पटना, मुजफ्फरपुर या बनारस ले जाते थे और कई बार तो समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण कुछ बच्चों की रास्ते में ही मृत्यु हो जाती है. छपरा में इस सुविधा के शुरू होने से नवजात शिशुओं के मृत्यु दर में कमी आएगी.

आईसीयू में मिलने वाली प्रमुख सुविधाएं:-

#वार्मर थेरोपी

#फ़ोटो थेरोपी

#सैक्शन मशीन

#ऑक्सीजन

#पैथोलॉजिकल जाँच

#वातानुकूलित भवन

#100 केवी का साउंडलेस जेनेरेटर

#चार वरीय चिकित्सक

#12 ए ग्रेड नर्स

इसके अतिरिक्त एक्स-रे, पैथोलॉजी एवं अतिरिक्त वार्ड की भी व्यवस्था इस आईसीयू में की गई है.