लहलादपुर: बीमार मरीजो का ईलाज करने वाले अस्पताल को आज खुद ईलाज की जरूरत आन पड़ी है. जिससे वह स्वस्थ्य होकर लोगो का ईलाज कर सकें. लेकिन इस बीमार अस्पताल का ईलाज करेगा कौन, यह सबसे बड़ी समस्या है. क्योकि इसके इलाज के पूर्व इसमें लगने वाले खर्चे की माप तौल होती है. फिर जाकर बाकायदा एक इस्तेहार चिपकता है कि इस अस्पताल का इलाज कराना है, प्रक्रिया आगे बढ़ती है. तब जाकर डॉ यानी ठेकेदार काम शुरू करता है.हालांकि प्रक्रिया बहुत लंबी है. तबतक स्वयं ही अस्पताल के कर्मी इसका इलाज कर रहे है.
लहलादपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित पीएचसी की वर्तमान हालात देखकर किसी के मुँह से आह निकल जाए. तीन दिनों से लगातार हो रही वर्षा के कारण इसका छत्त अब चूने लगा है जिससे यहा पानी भरा पड़ा है. इसमें रखे सारे कीमती सामान भींगकर बर्बाद हो रहे हैं.
मरीजो को बेड पूरी तरह से गीले हो चुके है. अलबत्ता लेबर रूम का कार्य जेनरल रूम में निपटाया जारहा है. हालांकि जेनेरल रूम भी दुरुस्त नहीं है.लेकिन किसी तरह काम हो रहा है.
इस पीएचसी की हालत देखकर किसी को भी रुलाई आ जायेगी. इसके छत्त चूने से जरूरी कागजातें नष्ट होने के कगार पर है. जिसे पॉलीथिन (प्लास्टीक के चादर) से ढंककर बचाया जा रहा है. आखिर कब तक और कहाँ-कहाँ प्लास्टीक का उपयोग किया जायेगा. जबकि बरसात का मौसम अभी शुरू ही हुआ है. इस पीएचसी का पूरी छत्त एवं दीवाल जर्जर है.
इसके कई जगहों से सीमेंट झड़ रहे हैं तथा छत्त से सीमेंट का टुकड़ा किसके सिर पर कब गिरकर जख्मी कर देगा, यह कोई नही जानता.
पीएचसी की जर्जर एवं दयनीय स्थिति से स्टाफ हो या रोगी, सभी परेशान नजर आ रहे हैं. यदि शीघ्र ही इसका मरम्मत नहीं कराया गया तो भविष्य में कभी भी गंभीर घटना को यह जर्जर भवन अंजाम दे सकता है.