गांव-गांव में कैंप लगाकर टीबी मरीजों की जांच, महादलित बस्तियों पर विशेष फोकस

गांव-गांव में कैंप लगाकर टीबी मरीजों की जांच, महादलित बस्तियों पर विशेष फोकस

• जिले में टीबी मरीजों की खोज के लिए चल रहा है अभियान
• आशा- कार्यकर्ता घर-घर जाकर कर रही मरीजों की खोज

सीवान: जिले में टीबी उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसको लेकर जन-आंदोलन के रूप में अभियान चलाया जा रहा है। एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जिले के सभी प्रखंडों में गांव-गांव में जाकर कैंप लगाया जा रहा है। कैंप के माध्यम से चिकित्सकों व एएनएम तथा एलटी के द्वारा टीबी की स्क्रीनिंग कर सैंपल कलेक्शन किया जा रहा है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह न बताया कि एनपीसीडीसीएस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रतिवेदित सभी डायबिटीज, गुर्दा रोग से पीड़ितों एवं अन्य उच्च जोखिम युक्त समूहों की लाइनलिस्टिंग करना एवं आशा / एएनएम के माध्यम से ऐसे रोगियों में टीबी लक्षणों की पहचान की जायेगी । जिले एवं अनुमण्डल स्तर के कारागृह, सुधारगृह, बाल संरक्षण गृह, पोषण पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती बच्चों में टीबी की स्क्रीनिंग तथा जाँच करना सुनिश्चित करेंगे। शहरी मलिन वस्तियों, महादलित टोला, नव निर्मित कार्यस्थलों पर काम कर रहे श्रमिकों में टी.बी. की स्क्रीनिंग तथा जाँच सुनिश्चित की जायेगी । टीबी का लक्षण दिखे तो जांच आवश्यक कराएं। टीबी का हल्का-सा भी लक्षण दिखे तो जांच कराने स्वास्थ्य केंद्र जाएं। जांच में पुष्टि हो जाने के बाद आपको मुफ्त में दवा मिलेगी। साथ में भोजन के लिए भी पैसे मिलेंगे। जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था है। इसलिए अगर लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं। मरीजों को निःशुल्क दवा उपलब्ध कराई जाती है। साधारण टीबी और एमडीआर टीबी दोनों में से किसी भी तरह के मरीज हों, अपनी दवाओं का नियमित सेवन करें।
दुर्गम व कठिन क्षेत्रों में किया जायेगा विशेष फोकस
टीबी एचआईवी समन्वयक दिलीप कुमार ने बताया कि दूरस्थ एवं चिह्नित कठिन क्षेत्रों में आशा एवं अन्य सामुदायिक उत्प्रेरक की दो सदस्यीय घर-घर विजिट टीम का गठन किया गया है। प्रतिदिन कम कम 50 घर का भ्रमण द्वारा संभावित टीबी रोगियों की पहचान की जा रही है। स्थानीय निकटतम बलगम जाँच केन्द्र अथवा ट्रूनेट लैब में सैम्पल की जाँच हो रही है। सभी पंजीकृत टीबी रोगियों का घर भ्रमण कर सम्पर्क में रहने वाले 5 वर्ष तक के बच्चों एवं व्यस्कों में टीबी की स्क्रीनिंग करेंगे तथा योग्य बच्चों, एचआईवी व्यस्कों एवं बच्चों की लाइन लिस्टिंग की जा रही है।
दिवाल लेखन व आईईसी के माध्यम से किया जायेगा जागरूक
टीबी से बचाव के प्रति लोगों में जागरूकता लायी जायेगी । इसके लिए विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रसार किया जायेगा। दिवाल लेखन, बैनर-पोस्टर के माध्यम से जागरूकता संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जायेगा। इसके साथ सामुदायिक बैठक में भी लोगों को जागरूक किया जायेगा। इस बैठक में हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जायेगा।
टीबी मरीजों को प्रोत्साहन राशि
विभाग की ओर से टीबी मरीजों को खुराक भत्ता भी दिया जाता और टीबी मरीज को जो अस्पताल तक पहुंचाता है, उसे भी 500 रुपये मेहनताना दिया जाता है। एक्टिविटी के तहत विभाग की ओर से सर्वे और उसके बाद टीबी के मरीजों को ढूंढ कर उनका इलाज और आसपास के लोगों को टीबी को लेकर जागरूक भी किया जाएगा। टीबी रोग इलाज योग्य है, इसलिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की सलाह अनुसार इसका इलाज हो सकता है।

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