पाकिस्तान की जेल में 14 साल रहे ‘भारतीय जासूस’ को 10 लाख रुपये देने का सुप्रीम आदेश

पाकिस्तान की जेल में 14 साल रहे ‘भारतीय जासूस’ को 10 लाख रुपये देने का सुप्रीम आदेश

नई दिल्ली, 13 सितंबर (एजेंसी): सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो उस व्यक्ति को दस लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करे, जिसने दावा किया कि उसे एक गुप्त मिशन के लिए पाकिस्तान भेजा गया था। वहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया और 14 साल तक जेल में रखा गया। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश जारी किया।

राजस्थान निवासी महमूद अंसारी ने दायर याचिका में कहा था कि उसे 1966 में डाक विभाग में नियुक्त किया गया था। भारत सरकार के स्पेशल ब्यूरो ऑफ इंटेलिजेंस ने उन्हें 1972 में राष्ट्र के प्रति अपनी सेवाएं देने का प्रस्ताव किया, जिसके बाद उसे गुप्त ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान में प्रतिनियुक्त किया गया था।

याचिकाकर्ता के मुताबिक उसने सौंपे गए काम को दो बार पूरा किया। हालांकि जब तीसरी बाद पाकिस्तान भेजा गया तो दुर्भाग्य से उसे पाकिस्तानी रेंजरों ने पकड़ लिया। 23 दिसंबर, 1976 को उसे जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उसकी गिरफ्तारी के बाद उसका कोर्ट मार्शल किया गया और पाकिस्तानी आफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धारा 3 के तहत मुकदमा चलाया गया। उसे 14 साल की सश्रम कैद की सजा सुनाई गई। 1989 में जब उसे पाकिस्तान की जेल से रिहा किया गया तो उन्होंने अपनी सेवाओं को फिर से शुरू करने के लिए अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया कि उनकी सेवाओं को 31 जुलाई, 1980 को समाप्त कर दिया गया था, जिसे वे समय पर चुनौती नहीं दे सके।

कैट ने भी 2000 में उनकी बहाली और वेतन के भुगतान की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। 2017 में राजस्थान हाई कोर्ट ने भी काफी देर होने और अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं होने का हवाला देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी। उसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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