पद्मश्री ‘उमाशंकर पांडेय’ ने कहा-अगर तिरंगे को बचाना है तो जल संरक्षित करना होगा

पद्मश्री ‘उमाशंकर पांडेय’ ने कहा-अगर तिरंगे को बचाना है तो जल संरक्षित करना होगा

भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित जल योद्धा ‘उमाशंकर पांडेय’ का आगमन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के बिसनखेड़ी परिसर में हुआ। अपने एकदिवसीय प्रवास के दौरान पत्रकारिता के छात्रों के बीच उन्होंने अपने 36 साल के अनुभव को साझा किया। बातचीत के दौरान अपने सफर को याद करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे एक छोटे से गाँव ‘जखनी’ से निकल कर राष्ट्रपति भवन तक पहुँचे। आगे उन्होंने बताया कि मैं माता की आज्ञा का पालन करता हूं और आचार्य विनोवा भावे का अनुयायी हूँ। आगे अपने संघर्षशील सफर को याद करते हुए ‘उमाशंकर पांडेय’ ने बताया कि जखनी गाँव की सड़कें अच्छी नहीं थी। 90 प्रतिशत युवा गाँव छोड़ कर परदेश चले गए थे। उनकी माता जी ने कहा कि गाँव में पानी भी नहीं है। माता जी ने कहा कि अगर मेरा कर्ज़ उतारना है तो गाँव में पानी का प्रबंध करो ताकि गाँव के लोगों का बेहतर जीवनयापन हो सके।

साल 1978 को याद करते हुए ‘उमाशंकर पांडेय’ बताते हैं कि ‘बाँदा’ जनपद के तत्कालीन जिलाधिकारी ‘ब्रजबल्लभ पांडेय’ थे। उन्होंने जिलाधिकारी से मिलकर गाँव को आदर्श बनाने की माँग की। जिलाधिकारी ने कहा कि इसके लिए ग्राम प्रधान से कहिए। ग्राम प्रधान ने इस विषय पर सकारात्मक परिणाम ना देते हुए ये कह कर बात को टाल दिया कि हमारे पास फंड नहीं है। इसके पश्चात जिलाधिकारी ने कहा कि अगर प्रधान नहीं कर पाएंगे तो आप प्रधानमंत्री से मिलिए। तब उमाशंकर पांडेय ने जिलाधिकारी को कहा कि आप झंडी दिखाइए हम प्रधानमंत्री से मिलने जाएंगे। साइकिल से 28 दिन की यात्रा पूरी करते हुए उमाशंकर पांडेय अपने जत्थे के साथ दिल्ली पहुँचे। उनकी प्रधानमंत्री से मुलाक़ात हुई। ‘जल योद्धा’ ने प्रधानमंत्री से कहा कि जखनी को आदर्श ग्राम बनाना है। तब प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे नहीं पता कि कब और कैसे आदर्श बनेगा, हालांकि मैं यह जरूर कह सकता हूं कि ‘जखनी’ एक दिन देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में अपना नाम करेगा।

प्रधानमंत्री से मुलाक़ात का सकारात्मक प्रभाव दिखा। जिसके पश्चात उमाशंकर पांडेय और उनके साथ के 10 – 12 नवयुवकों को प्रधानमंत्री ने नई साइकिल, प्रशस्ति पत्र और कुछ धनराशि भी दिया। इसके बाद ‘जल योद्धा उमाशंकर पांडेय’ अपनी टीम के साथ फावड़ा और डलिया लेकर गाँव के रोड को बनाने निकल गए। बैलगाड़ी से बिजली के खंभे लाना शुरू कर दिया। पानी रोकने का तरीका अपनाते हुए खेत में मेड़ बनाना शुरू किया। इन सबको देखते हुए गाँव के कुछ लोगों ने उन्हें पागल कहना भी शुरू कर दिया।

उमाशंकर पांडेय बताते है कि बादल को विस्थापन करने का बल विज्ञान के पास नहीं है यद्यपि हमारे और आपके पुरखों के पास है। एक पिता के भांति पेड़ अपने पास बादल को लाते हैं। कभी पिता नहीं चाहता कि मेरा बेटा मुझसे दूर रहे।

‘जल योद्धा’ ने बताया कि हमारे देश मे 22 लाख करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा के रकबे में खेती की जाती है। विश्व की आबादी में भारतीयों की आबादी 18 प्रतिशत है तथा जमीन पौने चार प्रतिशत है। तथा पानी 2 प्रतिशत जिसमें एक प्रतिशत मीठा व एक प्रतिशत खड़ा और दूषित है। 2014 के बाद ‘जल जीवन मिशन’, ‘हर घर नल’ बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम है। सबसे प्राचीन चिकित्साओं में से एक जल चिकित्सा भी है।

गाँव से राष्ट्रपति भवन तक की यात्रा पर जवाब देते हुते उमाशंकर पांडेय ने कहा कि प्राचीन काल के समय हमारे देश में पांच जल योद्धा थे। सबसे पहले जल योद्धा ‘महाराज भागीरथ’ थे। जिन्होंने 60 हज़ार लोगों के साथ मिलकर माता गंगा को धरती पर लाया था। दूसरी जल योद्धा ‘माता अनुसूइया’ ने मंदाकिनी नदी को धरातल पर लाया। तीसरी जल योद्धा के रूप में भोपाल के राजा ‘ भोज’ रहे थे। जिन्होंने 65 हज़ार बावड़ियों को मिलाकर दुनिया का सबसे बड़ा 65 हज़ार हेक्टेयर का तालाब भोपाल में बनवाया। चौथी जल्द योद्धा कालिंजर की महारानी ‘दुर्गावती’ ने दस हज़ार तालाबों का निर्माण करवाया। पँचवी जल्द योद्धा इंदौर की महारानी ‘अहिल्याबाई होल्कर’ ने बिहार के ‘गया’ में फल्गु नदी के किनारे तलाब बनवाया, जिसमें आज भी ‘गया जी’ तीर्थ जाने वाले व्यक्ति द्वारा पिंड दान किया जाता है।

उमाशंकर पांडेय ने आगे बताया कि शुरुआत में बाँदा जनपद की 470 ग्राम पंचायतों ने ‘जखनी मॉडल’ को लागू किया। अगले कुछ सालों में उत्तरप्रदेश की समस्त 58000 ग्राम पंचायतों में ‘जखनी मॉडल’ को अपनाया। इसके पश्चात नीति आयोग ने पूरे देश में इस मॉडल को लागू किया। हमारे ही मॉडल से प्रेरित हो कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी ग्राम प्रधानों को जल संरक्षण के संदर्भ में पत्र लिखा। हमनें गुजरात के द्वारिका जिले के आखरी ग्राम पंचायत में जल संवर्धन के रूप में कार्य किया है। द्वारिका जिले की आखरी पंचायत इसलिए भी अहम थी क्योंकि वहां राशन कार्ड से पानी मिलती थी।

‘जल योद्धा’ आगे बताते हैं कि आज से 2 – 3 साल पहले देश में 35 – 40 जल ग्राम थे। आज की तारीख में ‘जखनी मॉडल’ पर आधरित देश के 1050 जल ग्राम हो चुके है। हमारे मॉडल ग्राम का दौरा 2019 में जल शक्ति मंत्रालय के तत्कालीन सचिव ‘यू पी सिंह’ ने किया था।

जल शक्ति मंत्रालय के पास जल योद्धा पुरस्कार के लिए देश भर से लगभग 1500 आवेदन पहुँचे थे। लेकिन, उमाशंकर पांडेय ने आवेदन नहीं किया। क्योंकि, उन्हें विश्वास था कि मंत्रालय में पुरस्कार देने के लिए व्यक्ति को चुनने वाले अच्छे लोग बैठे हैं। वर्ष 2019 में ‘उमाशंकर पांडेय’ को तत्कालीन उपराष्ट्रपति के हाथों देश के पहले जल योद्धा का राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। आगे उन्होंने बताया कि ‘जखनी मॉडल’ को देखने के लिए जापान, इजराइल, यूएसए, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के वैज्ञानिकों ने दौरा किया तथा हमारे उक्त देशों में कार्यक्रम भी आयोजित हुए।

आखिर में युवाओं को सन्देश के रूप में ‘उमाशंकर पांडेय’ ने कहा कि जैसे माता पिता अपनी संतान को धन और जायदाद दे कर जाते हैं उसी प्रकार हमें अपनी संतानों को पानी दे कर जाना है। आगे उन्होंने कहा कि अगर हमें तिरंगे से प्यार है तो जल को संरक्षित करना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि पानीदार बनना है तो पेड़ लगाए।

 

रिपोर्ट : कुलदीप तिवारी और अभिनंदन द्विवेदी, छात्र, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल

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