याद तू आये मन हो जाये भीड़ के बीच अकेला, नहीं रहे मशहूर गीतकार गोपालदास ‘नीरज’

याद तू आये मन हो जाये भीड़ के बीच अकेला, नहीं रहे मशहूर गीतकार गोपालदास ‘नीरज’

New Delhi: शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब, चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है, लिखे जो ख़त तुझे, ऐ भाई, ज़रा देख कर चलो, ‘दिल आज शायर है’, ‘फूलों के रंग से, दिल को कलम से’ जैसे गीतों को लिखने वाले जाने माने गीतकार, कवि, पदमश्री और पदमभूषण से सम्मानित गोपालदास “नीरज” का 94 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया.

गोपालदास नीरज लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मंगलवार को उन्‍हें सांस लेने में दिक्‍कत हो रही थी. इसके चलते उन्हें आगरा के अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तबीयत बिगड़ने के बाद गोपाल दास नीरज को दिल्ली के एम्स अस्पताल में लाया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.

साल 1991 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. इसके बाद उन्हें साल 2007 में पद्मभूषण दिया गया. यूपी सरकार ने यशभारती सम्मान से भी नवाजा. ‘कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे’ जैसे मशहूर गीत लिखने वाले नीरज को उनके बेजोड़ गीतों के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला है.

उनका जन्म 4 जनवरी, 1924 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुए था.

गोपाल दास नीरज की कविता के अंश
स्वप्न झरे फूल से,
मीत चुभे शूल से,
लुट गए सिंगार सभी बाग के बबूल से,
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे।
कारवाँ गुज़र गया, गुबार देखते रहे!

0Shares
A valid URL was not provided.

छपरा टुडे डॉट कॉम की खबरों को Facebook पर पढ़ने कर लिए @ChhapraToday पर Like करे. हमें ट्विटर पर @ChhapraToday पर Follow करें. Video न्यूज़ के लिए हमारे YouTube चैनल को @ChhapraToday पर Subscribe करें