12 वर्ष का संघर्ष छात्र हित में ऐतिहासिक: आर एस ए

12 वर्ष का संघर्ष छात्र हित में ऐतिहासिक: आर एस ए

Chhapra: आर एस ए का 12 वॉ स्थापना दिवस कोरोना संक्रमण को देखते हुए वर्चुअल मोड में मनाया गया। जिसमें तीनों जिले के सभी महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं, स्नातकोत्तर विभाग जयप्रकाश विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं हजारों ऑनलाइन से जुड़े हुए थे ।इस बार का स्थापना दिवस बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। आर एस ए के प्रधान कार्यालय से छात्रा इकाई के पदाधिकारी दीप प्रज्वलित कर एवं केक काटकर एवं मंगलाचरण करते हुए कार्यक्रम का शुभारंभ कि।

प्रधान कार्यालय से शिवानी पांडे, नेहा सिंह , रिशु राज,जिया सिंह, पूनम कुमारी, स्नेह लता ,मुमताज ,पूर्णिमा आदि थी। कार्यक्रम का संचालन संगठन के संयोजक प्रमेंद्र सिंह कुशवाहा ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संगठन के संरक्षक मनीष पांडे मिंटू ने की कार्यक्रम में प्रमुख रूप से विवेक कुमार विजय, अर्पित राज गोलू,उज्ज्वल सिंह, गुलशन यादव , विशाल सिंह,रुपेश यादव ,भूषण सिंह ,विकास सिंह सेंगर, गोलू कुमार, सौरभ कुमार गोलू ,छोटू कुमार, प्रवीण कुमार ,अमरेश सिंह राजपूत, विवेक सिंह ,स्वाधीनता, मनीष सिंह, अभिषेक सिंह, चंदन कुमार चौहान, रुचि सिंह, सरफराज अली,नितेश पांडे,चंदन सिंह परमार,अमन प्रताप,कुंदन पासवान,अरमान खान , भानु प्रताप समेत सभी महाविद्यालय के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी गण ऑनलाइन जुड़े हुए थे करीब 21 महाविद्यालय एवं स्नातकोत्तर विभाग से 1000 छात्र छात्राएं स्थापना दिवस में शामिल हुए छात्र नेताओं ने कहा कि 12 वर्ष के संघर्ष ऐतिहासिक है। संगठन ने स्थापना काल में ही कहा था कि भ्रष्टाचार से किसी से भी समझौता नहीं होगा। उसी पर आज तक हम लोग कायम है ।ठीक करेंगे चार काम प्रवेश पढ़ाई परीक्षा और परिणाम इसके लिए लगातार हम लोग संघर्ष कर रहे हैं ।वर्तमान जयप्रकाश विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है ।इसके खिलाफ बड़ी लड़ाई की तैयारी संगठन कर रहा है । स्थापना दिवस के अवसर पर संगोष्ठी में रखी गई थी जिसका विषय छात्रों के लिए डिजिटल शिक्षा कितना महत्वपूर्ण वक्ताओं ने कहा कि

आज सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में PPT’s, विडिओ प्रेजेंटेशन्स, ई-लर्निंग तरीके, ऑनलाइन प्रशिक्षण और अन्य डिजिटल पद्धतियों के इस्तेमाल को महत्व दिया जा रहा है। इस वजह से कक्षा में सिखाना ज्यादा संवादात्मक (इन्टरेक्टिव) होती जा रही है।

वो दिन अब नहीं रहे, जब कक्षा में शिक्षा का मतलब किताबें पढ़ना, शिक्षकों का चीजें समझाने के लिए ब्लैकबोर्ड पर लिखना और छात्रों का नोट्स लिखना, इन्हीं चीजों तक सीमित था। टेक्नॉलॉजी यानी सिर्फ ऑनलाइन गेम्स खेलना और एनिमेटेड वीडियोज देखना नहीं है। शिक्षा प्रभावी करने के लिए बच्चे, पालक और शिक्षक टेक्नोलॉजी किस तरह इस्तेमाल करते हैं, इस बात पर उसके फायदे निर्भर करते हैं। जब टेक्नोलॉजी शैक्षिक उद्देश्यों के लिए अच्छी तरह इस्तेमाल की जाती है, तब शिक्षा का अनुभव ज्यादा असरदार होने में मदद मिलती है और छात्र उसमें ज्यादा शामिल होते हैं। आज सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में PPTs, वीडियो प्रेजेंटेशन्स, ई-लर्निंग तरीके, ऑनलाइन प्रशिक्षण और अन्य डिजिटल पद्धतियों के इस्तेमाल को महत्व दिया जा रहा है। इस वजह से कक्षा में सिखाना ज्यादा संवादात्मक (इन्टरेक्टिव) होती जा रही है। बच्चों को बुनियादी (बेसिक), चुनौती (चैलेंजर) और तेजतर्रार (एक्सलरेटर) ऐसे तीन स्तरों पर सिखाना चाहिए। उन्हें गेम्स खेलने के बजाय ज्ञान पाने के लिए इंटरनेट का उपयोग करने के लिए बढ़ावा देना चाहिए। इन दिनों ऑनलाइन के जरिए बच्चे निजी तौर पर कई बातें सीख सकते हैं। उन्हें ऑनलाइन खतरों से बचते हुए अपनी शिक्षा, समझ और हुनर विकसित करते रहना चाहिए।
कार्यक्रम को धन्यवाद ज्ञापन राम जयपाल महाविद्यालय छात्र संघ के सचिव पूनम कुमारी ने की।

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