प्रभात किरण हिमांशु
छपरा: छपरा के इतिहास में शनिवार 6 अगस्त के दिन जो भी हुआ उसे लंबे समय तक याद किया जाएगा. आगजनी, तोड़फोड़, हंगामा, रोड़ेबाजी और पुलिसिया कारवाई के बीच लोगों ने खौफ का जो मंजर देखा और अपने दिलों में महसूस किया उसने भूलना छपरा के लोगों के लिए संभव नहीं है.
प्रदर्शनकारियों के हंगामे को अफवाहों ने भले चाहे जो भी दिशा देने की कोशिश की हो पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का डर उम्रदराजों से लेकर छोटे बच्चों को भी सताता रहा.
‘पापा शहर को क्या हुआ है’, बाजार क्यों बंद है, सड़क पर क्यों न खेलें’. ऐसे मासूम सवालों ने अभिभावकों के अंतरआत्मा पर ऐसी गहरी चोट पहुंचाई है जिसके जख्म को भरना इतनी जल्दी सम्भव नहीं है.
वायरल वीडियो को लेकर शुरू हुए हंगामे की चिंगारी इतना उग्र रूप ले लेगी ऐसा सोंचा भी नहीं गया था. 5 अगस्त को मकेर में हुआ हंगामा पुलिस ने जैसे-तैसे शांत तो करा दिया पर विरोध का स्वर छपरा बंद के रूप में फूट पड़ा. बंद के दौरान जो कुछ हुआ उससे सभी वाकिफ है. दुकाने जलीं, तोड़फोड़ हुआ और जवाबी कारवाई में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. शाम तक शहर में कर्फ्यू से हालात पैदा हो गए और छपरा पूरी तरह छावनी में तब्दील हो गया.
पुलिस दो दिनों तक हालात पर काबू पाने के दावे करती रही पर दावे और वादों के बीच आम लोगों ने जो झेला वो छपरा के लिए काला दिन साबित हुआ. अफवाहों पर बंदिश लगे इसके लिए इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद कर दी गई. बामुश्किल मोबाइल फोन ही अपनों का हाल जानने का एक मात्र जरिया बना. हर कोई परिचितों का हाल जानने के लिए परेशान दिखा.
हालाँकि गंगा-यमुना तहजीब को बरकरार रखने की जो सफल कोशिश की गई वो पुलिस के सजगता का ही परिणाम है वहीं आम लोगों ने भी सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने के हर संभव प्रयास किये हैं. कुछ शरारती तत्वों ने भले ही माहौल बिगाड़ने का काम किया हो पर छपरावासियों ने धैर्य और संयम का सर्वश्रेष्ठ उद्धाहरण प्रस्तुत किया है.
फिलहाल जिला प्रशासन के हवाले से छपरा में पूरी तरह से शांति बहाल है. सुरक्षा कारणों से अगले आदेश तक धारा 144 लागू है और इंटरनेट सेवा पर भी पाबंदी जारी है. इन सब के बीच लोग आम जिंदगी में वापस लौट रहे हैं, पर छपरा में जो स्थिति बनी उसने आम से लेकर खास सबके बीच एक कठिन सवाल छोड़ दिया है.







