सीवान: पत्रकारिता के क्षेत्र में डिजिटल मीडिया के बढ़ते कदम को लेकर स्थानीय अधिवक्ता सभागार में डिजिटल मीडिया कॉन्क्लेव 2016 का आयोजन किया गया. इंडो-गल्फ सोशल वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन आख़र के संपादक संजय कुमार सिंह, मनोज कुमार सिंह, रविंद्र पाठक, अभिमन्यु सिंह, नन्द प्रसाद सिंह, राकेश कुमार सिंह, सरवर जमाल ने दीप प्रज्वलित कर किया.

अपने संबोधन में पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष नन्द प्रसाद चौहान ने कहा कि सशक्त युग में आधुनिकता की आवश्यकता है और डिजिटल मिडिया इसका उदाहरण है. कम समय में यह मिडिया क्षेत्र काफी बुलंदियों पर है. आज सभी जगहों पर डिजिटल बनने की सलाह दी जा रही है जिससे देश आगे बढ़ेगा.उन्होंने सोशल माध्यमो के जरिये सकारात्मकता को बढ़ावा देने तथा नकारत्मकता को दरकिनार करने का आह्वान किया. digit

वही बीजेपी जिलाध्यक्ष अभिमन्यु सिंह ने कहा कि वर्त्तमान समय में डिजिटल मिडिया एक सशक्त माध्यम बन गया है. खबरों को त्वरित रूप से प्रसारित करने की बदौलत आज डिजिटल मीडिया अपने इस मुकाम पर है. हालांकि कभी दुष्परिणाम भी निकलता है लेकिन इसके लिए सकारात्मक पहल कर लोगों की लाभ के लिए प्रयोग किया जा सके.

वही पूर्व विधान पार्षद मनोज कुमार सिंह ने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष की लड़ाई होती है और उस समय जो अपनी पहचान बना लेते है वो आखिरी समय तक काबिज़ रहते है. डिजिटल मिडीया खबरों को तेजी से जन जन तक पहुँचाने का माध्यम बनता जा रहा है. उन्होंने दूसरे देशों के विकास से समन्वय करते हुए कहा कि डिजिटल रूप से विकसित देश आज विकाशील है.उन्होंने कहा कि अच्छे कार्यो की हमेशा सराहना होनी चाहिए चाहे वह देश की हो या प्रदेश की.

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कॉन्क्लेव को संबोधित करते छपरा टुडे डॉट कॉम के संपादक सुरभित दत्त

इसके अलावे कार्यक्रम को चम्पारण न्यूज वेब पोर्टल के प्रबंध संपादक अतुल कश्यप, छपरा टूडे के संपादक सुरभित दत्त, खबर भोजपुरी न्यूज वेब पोर्टल के प्रबंध संपादक अनुराग रंजन, चम्पारण न्यूज व श्रीनारद मीडिया के राजेश पाण्डेय सहित कई गणमान्य लोगो ने संबोधित किया. 

इस मौके पर डा० सुधीर कुमार सिंह,  विनत कुमार, देवेन्द्र जी, अर्जुन भारतीय, प्रमोद कुमार, दुर्गा दत्त पाठक, मनोकामना सिंह, संजय सुमन, रविदत्त, विकास तिवारी,  गरिमा मीडिया के प्रबंध निदेशक अभय कुमार, बिहार कथा न्यूज वेब पोर्टल के राजेश कुमार राजू, छपरा टूडे डॉट कॉम के सह-संपादक संतोष कुमार  बंटी, संवाददाता कबीर अहमद, रेडियो स्नेही के राणा प्रताप सिंह, मनीष कुमार,  प्रोफेसर अवधेश शर्मा, रवि रंजन श्रीवास्तव सहित दर्जनों की संख्या में विभिन्न न्यूज वेब पोर्टल से जुड़े पत्रकार, अन्य मीडियाकर्मी व शहर के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन नवीन सिंह परमार ने किया.

CT Desk से प्रभात किरण हिमांशु की रिपोर्ट

छपरा: गर्मी में सर्दी की चाह रखने वाले लोग ज्यादातर कुल्लू मनाली या शिमला की बर्फीली वादियों की सैर करने जाते हैं वहीँ शांति और ध्यान की चाह लिए लोग अक्सर धार्मिक स्थलों पर जाते हुए देखे जाते हैं, पर बिहार में इन दिनों चर्चा का केंद्र बने छपरा शहर के लोग आजकल एक खास चीज़ की तलाश में बिहार-यूपी बॉर्डर का चक्कर लगाते देखे जा रहे हैं, और उस ख़ास तलाश का नाम है ‘इंटरनेट’.

जी हाँ बात सुनने में जरूर अटपटी लगती हो पर है सोलह आने सच. आज कल छपरा जिले के लोग इंटरनेट की खोज में छपरा से सटे बिहार-यूपी बॉर्डर या अन्य सीमावर्ती जिलों का भ्रमण कर रहे हैं.

छपरा में पिछले 5 अगस्त की मध्यरात्री से ही इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद है,कारण सर्वविदित है. वायरल हुए वीडियो के बाद हंगामे की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने जिले में धारा 144 लगाते हुए इंटरनेट सेवा को ठप कर दिया है. हालांकि इस दौरान हंगामा भी खूब हुआ,पर हंगामों से इतर इंटरनेट के जरिये फेसबुक और व्हाट्सऐप इस्तेमाल करने वाले लोग इंटरनेट की तालाश में काफी परेशान दिख रहे हैं.
छत की मीनार से लेकर खुले मैदान में लोगों को इंटरनेट की खोज करते देखना इन दिनों आम बात हो गई है.

बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद जिले के लोगों का शराब की तलाश में सीमावर्ती राज्यों में भटकने की ख़बरें तो अक्सर सुनने को मिल रही थीं पर 21वीं सदी में संचार क्रांति के इस सुनहरे दौर में इंटरनेट का बंद होना क्षेत्र के लोगों को इमरजेंसी के दौर की याद दिलाती है.

डिजिटल इंड़िया से लेकर स्किल इंडिया की बात आज भले ही पूरे देश में जोर-शोर से हो रही हो पर पर देश में युवा शक्ति को आधार बनाकर सोशल नेटवर्किंग के जरिये राजनीतिक सफ़र तय करने वाले राजनेताओं और उनके रहनुमाओं की विफलता का ही परिणाम है की देशरत्न और लोकनायक जैसे पुराधाओं की धरती फिर से विषमता के उस कठिन राह पर आकर खड़ी हो चुकी है.

ये खबर पढ़ने में आपको जरूर थोड़ी अटपटी सी लग रही होगी पर बिहार में बाहर और बदलते देश की परिकल्पना को साकार करने वाले नेताओं के लिए छपरा की घटना एक बड़ा सबक है. इंटरनेट सेवा फिर से बहाल कर दी जाएगी, स्थिति दिन-प्रतिदिन सामान्य होते जाएगी पर रोजमर्रा के जरूरतों में शामिल बिजली, पानी और उससे भी जरूरी बन चुके संचार माध्यमों को बंद करना समस्या का निदान नहीं होगा. आत्ममंथन और आत्मचिंतन के साथ खोखली  राजनीति से परे गंगा-यमुना तहजीब को बरक़रार रखने की जरूरत है.

प्रभात किरण हिमांशु

छपरा: छपरा के इतिहास में शनिवार 6 अगस्त के दिन  जो भी हुआ उसे लंबे समय तक याद किया जाएगा. आगजनी, तोड़फोड़, हंगामा, रोड़ेबाजी और पुलिसिया कारवाई के बीच लोगों ने खौफ का जो मंजर देखा और अपने दिलों में महसूस किया उसने भूलना छपरा के लोगों के लिए संभव नहीं है.

प्रदर्शनकारियों के हंगामे को अफवाहों ने भले चाहे जो भी दिशा देने की कोशिश की हो पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का डर उम्रदराजों से लेकर छोटे बच्चों को भी सताता रहा.
‘पापा शहर को क्या हुआ है’, बाजार क्यों बंद है, सड़क पर क्यों न खेलें’. ऐसे मासूम सवालों ने अभिभावकों के अंतरआत्मा पर ऐसी गहरी चोट पहुंचाई है जिसके जख्म को भरना इतनी जल्दी सम्भव नहीं है.

वायरल वीडियो को लेकर शुरू हुए हंगामे की चिंगारी इतना उग्र रूप ले लेगी ऐसा सोंचा भी नहीं गया था. 5 अगस्त को मकेर में हुआ हंगामा पुलिस ने जैसे-तैसे शांत तो करा दिया पर विरोध का स्वर छपरा बंद के रूप में फूट पड़ा. बंद के दौरान जो कुछ हुआ उससे सभी वाकिफ है. दुकाने जलीं, तोड़फोड़ हुआ और जवाबी कारवाई में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. शाम तक शहर में कर्फ्यू से हालात पैदा हो गए और छपरा पूरी तरह छावनी में तब्दील हो गया.

पुलिस दो दिनों तक हालात पर काबू पाने के दावे करती रही पर दावे और वादों के बीच आम लोगों ने जो झेला वो छपरा के लिए काला दिन साबित हुआ. अफवाहों पर बंदिश लगे इसके लिए इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद कर दी गई. बामुश्किल मोबाइल फोन ही अपनों का हाल जानने का एक मात्र जरिया बना. हर कोई परिचितों का हाल जानने के लिए परेशान दिखा.

हालाँकि गंगा-यमुना तहजीब को बरकरार रखने की जो सफल कोशिश की गई वो पुलिस के सजगता का ही परिणाम है वहीं आम लोगों ने भी सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने के हर संभव प्रयास किये हैं. कुछ शरारती तत्वों ने भले ही माहौल बिगाड़ने का काम किया हो पर छपरावासियों ने धैर्य और संयम का सर्वश्रेष्ठ उद्धाहरण प्रस्तुत किया है.

फिलहाल जिला प्रशासन के हवाले से छपरा में पूरी तरह से शांति बहाल है. सुरक्षा कारणों से अगले आदेश तक धारा 144 लागू है और इंटरनेट सेवा पर भी पाबंदी जारी है. इन सब के बीच लोग आम जिंदगी में वापस लौट रहे हैं, पर छपरा में जो स्थिति बनी उसने आम से लेकर खास सबके बीच एक कठिन सवाल छोड़ दिया है.