छपरा: ग्लोबल स्तर की तेज गति वाली इन्टरनेट की सुविधा अब सारणवासियों को उपलब्ध हो सकेगी. स्थानीय सांसद सह केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के प्रयास से ऐसा संभव होगा.

रेलटेल की नई ब्रॉडबैंड सेवा से छपरा भी अब प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया योजना से जुड़ जायेगा और सन 2022 में प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया की परिकल्पना को साकार करने में अहम सहयोगी होगा. इसके लिए केन्द्रीय दूरसंचार विभाग ने रेलटेल नेटवर्क से सहयोग लेते हुए सात करोड़ की राशि भी आवंटित कर दी है.

सारण के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील सांसद सह केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी से केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने मुलाकात की. केन्द्रीय मंत्री रूडी श्री रूडी ने कहा कि इस सुविधा से छपरा भी दूरसंचार के क्षेत्र में अन्य महानगरों के जैसा समृद्ध हो जायेगा.

बैठक में भारत संचार निगम के चेयरमैन अनुपम श्रीवास्तव, मंत्री के निजी सचिव कुंदन कुमार सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे.

रिलायंस इंडस्ट्रीज के द्वारा लांच की गयी जियो ने इन दिनों टेलीकॉम इंडस्ट्री में बड़ा धमाका कर दिया है. जिंदगी भर के लिए मुफ्त वॉयस कॉल के साथ जियो नेटवर्क पर मौजूदा टेलीकॉम ऑपरेटर की तुलना में बेहद ही किफायती 4जी डेटा रेट का भी ऐलान किया गया है.

रिलायंस जियो की 4जी सेवाएं ‘जियो वेलकम ऑफर’ के तहत 31 दिसंबर 2016 तक मुफ्त में मिलेंगी. इसके बाद ग्राहकों को सिम इस्तेमाल करने के लिए कंपनी द्वारा घोषित टैरिफ प्लान में से किसी एक को चुनना होगा.

ऐसे लुभावने ऑफर के बाद कई यूज़र ने तो जियो नेटवर्क पर स्विच करने की योजना भी बना ली है. जिसके लिए रिलायंस जियो स्टोर्स के बाहर बड़ी संख्या में लोगों की कतारें देखी जा रही है. CT

हम आपको बताने जा रहे है कि कैसे बिना आप अपना मोबाइल नंबर बदलें जियो नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकेंगे. इसके लिए आपको मोबाइल नंबर पोर्टिब्लिटी (एमएनपी) का इस्तेमाल करना होगा. पिछले साल जुलाई महीने में टेलीकॉम विभाग ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटर के लिए एमएनपी सेवा को अनिवार्य कर दिया था. इसकी मदद से यूज़र कंपनी या जगह बदलने के बावजूद भी अपने पुराने नंबर को चालू रख सकते हैं.

एमएनपी सेवा की मदद से देशभर में एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और अन्य टेलीकॉम कंपनियों के ग्राहक रिलायंस जियो को चुन सकते हैं. नंबर भी नहीं बदलेगा, और साथ में मुफ्त प्रिव्यू ऑफर का फायदा भी मिलेगा. CT

ऐसे करें पोर्ट

एमएनपी के लिए सबसे पहले आपको अपने मौजूदा टेलीकॉम ऑपरेटर को नंबर पोर्ट आउट करने की जानकारी देनी होगी.

(1) इसके लिए आपको PORT लिखकर 1900 पर एसएमएस करना होगा.
(2) इसके जवाब में आपको 1901 नंबर से यूनीक पोर्टिंग कोड मिलेगा. इसकी वैधता 15 दिन की होगी.
(3) अब किसी रिलायंस मोबाइल स्टोर या रिटेलर के पास जाएं.
(4) कस्टमर एप्लिकेशन फॉर्म भरने के दौरान आपको पोर्टिंग कोड भी डालना होगा.
(5) इसके साथ ज़रूरी कागज़ात (आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ और एक पासपोर्ट फोटो) जमा करवाएं.

इसके बाद आपको रिलायंस की ओर से एक रिलायंस जियो सिम कार्ड दिया जाएगा. जो एक्टिवेट होने के बाद यह सिम भी आपके पुराने नंबर का इस्तेमाल करेगा और आपका पुराना सिम हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. रिलायंस जियो सिम को एक्टिवेट होने में 7 दिन का वक्त लग सकता है. इसके अलावा आपको 19 रुपये का चार्ज लगेगा. ध्यान रहे कि नंबर पोर्ट करवाने के 90 दिनों तक आप किसी और टेलीकॉम ऑपरेटर में फिर से पोर्ट नहीं कर सकते.

CT Desk से प्रभात किरण हिमांशु की रिपोर्ट

छपरा: गर्मी में सर्दी की चाह रखने वाले लोग ज्यादातर कुल्लू मनाली या शिमला की बर्फीली वादियों की सैर करने जाते हैं वहीँ शांति और ध्यान की चाह लिए लोग अक्सर धार्मिक स्थलों पर जाते हुए देखे जाते हैं, पर बिहार में इन दिनों चर्चा का केंद्र बने छपरा शहर के लोग आजकल एक खास चीज़ की तलाश में बिहार-यूपी बॉर्डर का चक्कर लगाते देखे जा रहे हैं, और उस ख़ास तलाश का नाम है ‘इंटरनेट’.

जी हाँ बात सुनने में जरूर अटपटी लगती हो पर है सोलह आने सच. आज कल छपरा जिले के लोग इंटरनेट की खोज में छपरा से सटे बिहार-यूपी बॉर्डर या अन्य सीमावर्ती जिलों का भ्रमण कर रहे हैं.

छपरा में पिछले 5 अगस्त की मध्यरात्री से ही इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद है,कारण सर्वविदित है. वायरल हुए वीडियो के बाद हंगामे की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने जिले में धारा 144 लगाते हुए इंटरनेट सेवा को ठप कर दिया है. हालांकि इस दौरान हंगामा भी खूब हुआ,पर हंगामों से इतर इंटरनेट के जरिये फेसबुक और व्हाट्सऐप इस्तेमाल करने वाले लोग इंटरनेट की तालाश में काफी परेशान दिख रहे हैं.
छत की मीनार से लेकर खुले मैदान में लोगों को इंटरनेट की खोज करते देखना इन दिनों आम बात हो गई है.

बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद जिले के लोगों का शराब की तलाश में सीमावर्ती राज्यों में भटकने की ख़बरें तो अक्सर सुनने को मिल रही थीं पर 21वीं सदी में संचार क्रांति के इस सुनहरे दौर में इंटरनेट का बंद होना क्षेत्र के लोगों को इमरजेंसी के दौर की याद दिलाती है.

डिजिटल इंड़िया से लेकर स्किल इंडिया की बात आज भले ही पूरे देश में जोर-शोर से हो रही हो पर पर देश में युवा शक्ति को आधार बनाकर सोशल नेटवर्किंग के जरिये राजनीतिक सफ़र तय करने वाले राजनेताओं और उनके रहनुमाओं की विफलता का ही परिणाम है की देशरत्न और लोकनायक जैसे पुराधाओं की धरती फिर से विषमता के उस कठिन राह पर आकर खड़ी हो चुकी है.

ये खबर पढ़ने में आपको जरूर थोड़ी अटपटी सी लग रही होगी पर बिहार में बाहर और बदलते देश की परिकल्पना को साकार करने वाले नेताओं के लिए छपरा की घटना एक बड़ा सबक है. इंटरनेट सेवा फिर से बहाल कर दी जाएगी, स्थिति दिन-प्रतिदिन सामान्य होते जाएगी पर रोजमर्रा के जरूरतों में शामिल बिजली, पानी और उससे भी जरूरी बन चुके संचार माध्यमों को बंद करना समस्या का निदान नहीं होगा. आत्ममंथन और आत्मचिंतन के साथ खोखली  राजनीति से परे गंगा-यमुना तहजीब को बरक़रार रखने की जरूरत है.

प्रभात किरण हिमांशु

छपरा: छपरा के इतिहास में शनिवार 6 अगस्त के दिन  जो भी हुआ उसे लंबे समय तक याद किया जाएगा. आगजनी, तोड़फोड़, हंगामा, रोड़ेबाजी और पुलिसिया कारवाई के बीच लोगों ने खौफ का जो मंजर देखा और अपने दिलों में महसूस किया उसने भूलना छपरा के लोगों के लिए संभव नहीं है.

प्रदर्शनकारियों के हंगामे को अफवाहों ने भले चाहे जो भी दिशा देने की कोशिश की हो पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का डर उम्रदराजों से लेकर छोटे बच्चों को भी सताता रहा.
‘पापा शहर को क्या हुआ है’, बाजार क्यों बंद है, सड़क पर क्यों न खेलें’. ऐसे मासूम सवालों ने अभिभावकों के अंतरआत्मा पर ऐसी गहरी चोट पहुंचाई है जिसके जख्म को भरना इतनी जल्दी सम्भव नहीं है.

वायरल वीडियो को लेकर शुरू हुए हंगामे की चिंगारी इतना उग्र रूप ले लेगी ऐसा सोंचा भी नहीं गया था. 5 अगस्त को मकेर में हुआ हंगामा पुलिस ने जैसे-तैसे शांत तो करा दिया पर विरोध का स्वर छपरा बंद के रूप में फूट पड़ा. बंद के दौरान जो कुछ हुआ उससे सभी वाकिफ है. दुकाने जलीं, तोड़फोड़ हुआ और जवाबी कारवाई में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. शाम तक शहर में कर्फ्यू से हालात पैदा हो गए और छपरा पूरी तरह छावनी में तब्दील हो गया.

पुलिस दो दिनों तक हालात पर काबू पाने के दावे करती रही पर दावे और वादों के बीच आम लोगों ने जो झेला वो छपरा के लिए काला दिन साबित हुआ. अफवाहों पर बंदिश लगे इसके लिए इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद कर दी गई. बामुश्किल मोबाइल फोन ही अपनों का हाल जानने का एक मात्र जरिया बना. हर कोई परिचितों का हाल जानने के लिए परेशान दिखा.

हालाँकि गंगा-यमुना तहजीब को बरकरार रखने की जो सफल कोशिश की गई वो पुलिस के सजगता का ही परिणाम है वहीं आम लोगों ने भी सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने के हर संभव प्रयास किये हैं. कुछ शरारती तत्वों ने भले ही माहौल बिगाड़ने का काम किया हो पर छपरावासियों ने धैर्य और संयम का सर्वश्रेष्ठ उद्धाहरण प्रस्तुत किया है.

फिलहाल जिला प्रशासन के हवाले से छपरा में पूरी तरह से शांति बहाल है. सुरक्षा कारणों से अगले आदेश तक धारा 144 लागू है और इंटरनेट सेवा पर भी पाबंदी जारी है. इन सब के बीच लोग आम जिंदगी में वापस लौट रहे हैं, पर छपरा में जो स्थिति बनी उसने आम से लेकर खास सबके बीच एक कठिन सवाल छोड़ दिया है.