महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का एक महान पर्व है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष को यह पर्व मनाया जाता है. इस दिन भोलेनाथ के भक्त मंदिर में शिव लिंग पर पूजा करते है। पूजन में बेलपत्र, फूलमाला, धतुर चढ़ाकर भगवान शिव को पूजन करते है तथा रात्रि में जागरण करते है.
इस दिन पूजन करने पर सभी मोनोरथ पूर्ण होते है। इस दिन विशेष सामग्री से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते है। इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवास करते है।
इस दिन भोलेनाथ तथा माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसका वर्णन गरुड़ पुराण, शिवपुराण, अग्निपुराण में व्याख्या मिलता है। जिनके विवाह होने में परेशानी हो रही हो इस दिन शिव अभिषेक करे।
इस शिवरात्रि में बन रहा है दुर्लभ संयोग
इस दिन शनिवार है जिसे शनि प्रदोष भी है। प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है। शनि प्रदोष करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इस तिथि को अत्यंत ही शुभ बताया गया है। महाशिरात्रि के समय सूर्य उतरायण हो चुके होते है चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा कमजोर स्थिति में आ जाते है। भगवान शिव चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किये है। जिनके कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, कालसर्प दोष है वह इस दिन भगवान शिव का पूजन करे सभी दोष दूर होंगे एवं आपको शक्ति मिलेगी।
कब है महाशिवरात्रि तथा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुशार महाशिवरात्रि का व्रत 18 फ़रवरी 2023 दिन शनिवार को मनाई जाएगी
निशिता काल पूजा समय: रात्रि 11:38 से 12 :28 सुबह 19 फरवरी तक
पारण: 19 फ़रवरी 2023 सुबह 6 :22 के बाद
पूजा विधि :
सूर्योदय के पहले उठ जाये स्न्नान करने के बाद साफ स्वच्छ कपड़ा पहने
पूजा स्थल का सफाई करे तथा गंगाजल छिड़के
लोटे में दूध या पानी भरकर उसमे बेलपत्र, धतुरा, फूल चावल डालकर भगवान शिव को चढ़ाये
शिवपंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करे।
पौराणिक कथा :
माता पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी उसके बाद इस दिन विवाह हुआ । यही कारण है कि इस दिन को महत्वपूर्ण तथा पवित्र माना जाता है।