Chhapra: “माँ से मातृभाषा तक…” का उल्लेख करती ‘प्रमिला’ पत्रिका का विमोचन शहर के प्रिंट मीडिया के पत्रकारों द्वारा किया गया।
प्रमिला पत्रिका के प्रधान संपादक अभिनंदन द्विवेदी ने कहा कि पत्रिका का उद्देश्य अपने शहर के अतीत को दिखाना है। साथ ही प्रिंट मीडिया के विश्वसनीयता को दिखाना है।
कार्यक्रम में छपरा के पहले साहित्यिक वेबसाइट ‘rachnakosh.in’ का भी लॉन्चिंग किया गया। वेबसाइट के तकनीकी रूप की दिशा को आशीष सिंह द्वारा दिया जा रहा है। वेबसाइट का उद्देश्य शहर के साहित्यकारों की रचना को संजोना है। पत्रिका में खास तौर पर भोजपुरी भाषा को समाहित किया गया है। पत्रिका में भोजपुरी भाषा को याद करते हुए लेखक ‘सरोज कुमार मिश्रा’ ने शैलेंद्र को याद करते अपने लेख से भोजपुरी भाषा की शुद्धता को दर्शाया है। इसके साथ ही पत्रिका के पहले संस्करण में छपरा के एतिहासिक धरोहरों पर लेख को प्रकाशित किया गया है।
अभिनंदन पाण्डेय ने छपरा के ऐतिहासिक धरोहर पटेढा स्थित ‘गढ़देवी मंदिर’ का उल्लेख करते हुए मंदिर के इतिहास को दिखाने का प्रयास किया है। विक्की कुमार ने शहर के प्राचीन ‘बहुरिया कोठी’ की भव्यता को अपने लेख से दिखाने का प्रयास किया है। इसके साथ ही शुभम कुमार ने अतीत से अर्थव्यवस्था की अवधारणा देने की कोशिश की है। सिताबदियारा का बदलता स्वरूप लेख के साथ आकांक्षा ने वहां के वर्तमान चेहरा हरिवंश को याद किया है। पत्रिका के चौथे और आखरी पृष्ट पर साहित्य को स्थान दिया गया है। जिसमे प्रखर पुंज, डॉ० ज्ञानेश्वर गुंजन, अनीश कुमार देव, सोनू किशोर, प्रेम शंकर, सन्नी सिन्हा, श्वेता सिंह और रितेश आदर्श की रचनाओं ने पत्रिका से साहित्यिक पाठकों को जोड़ा है। कार्यक्रम में युवा साहित्यकार ‘प्रखर पुंज’ ने कहा कि भीड़ पीछे चलती है नेतृत्वकर्ता अकेले चलता है। इतिहास चार दिवारी के अंदर रची जाती है।
पत्रिका का विमोचन करते हुए पत्रकार हिमांशु ने कहा कि ये कदम सराहनीय है। पत्रिका में युवाओं और गाँव की बात है। मेरा पुराना लगाओ पत्रिका से रहा है। आज कल के युवा पत्रिका से जुड़ रहें हैं ये अच्छी बात है। पत्रकार हिमांशु का कहना है कि युवा अपनी भावनाओं को लिखे और उसे rachnakosh.in पोर्टल के माध्यम से लोगों तक पहुँचाये।
पत्रकार मोहम्मद आयूब ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में कदम रखना सराहनीय है। साहित्य और पत्रकारिता सीखने की कला है। सारण की धरती ने देश को दिशा देने का काम किया है। ‘प्रमिला’ पत्रिका में युवाओं को सहभागिता देने की जरूरत है। उन्होंने पत्रकारिता के इतिहास को याद करते हुए कहा कि अगर कोई कार्यक्रम होता था और उस खबर को बस, गाड़ी या किसी ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भेजा जाता था तब वो खबर तीन दिन बाद छप के आता था। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है और आज पत्रकारिता में व्यवसायीकरण हो गया है।
पत्रकार अमृतेश ने कहा कि वर्तमान समय में प्रिंट की दुनिया में पत्रिका निकालना जोखिम भरा काम है। आज के युवाओं को अपनी पढ़ाई के साथ – साथ अख़बार पढ़ना भी जरूरी है। पत्रकारिता के वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए उन्होंने कहा कि अखबार को समय के साथ बदलते रहने की जरूरत है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में चित्रांश श्रीवास्तव ने अहम योगदान दिया। साथ ही कार्यक्रम में अलबेला, शाश्वत, रोहित, शिवम, आदित्य, अंकित, प्रियांशु आदि मौजूद रहें।
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