स्कूलों में भोजन नही बनने से बच्चें रहे भूखे, आज से मिलना था पका पकाया भोजन, कई स्कूलों में खिचड़ी के साथ मिला संतरा

स्कूलों में भोजन नही बनने से बच्चें रहे भूखे, आज से मिलना था पका पकाया भोजन, कई स्कूलों में खिचड़ी के साथ मिला संतरा

Chhapra: विभागीय उदासीनता के कारण करीब दो वर्ष बाद भी सरकारी स्कूलों में पीएमपोषण योजना के तहत मिलने वाला मध्याह्न भोजन शुरुआत के पहले ही दिन बच्चों को नही मिला पाया. सरकार के निदेश के बावजूद जिले के सैकड़ों विद्यालयों में बुधवार को चूल्हा भी नही जल पाया.

दो वर्षों बाद बुधवार को भोजन के इंतेज़ार में बैठे स्कूली बच्चों को भूखे रहना पड़ा. हालांकि जिले के कुछेक स्कूलों में चूल्हा जला बच्चों को खिचड़ी और चोखा के साथ संतरे बांटे गए. जिससे वहां के बच्चे खुश थे. लेकिन जिले के लगभग सभी स्कूलों में हालात एक समान थे.

भोजन नही बनाने के रहे हजार बहाने

स्कूलों में भोजन नही बनने का बहाना भी एक से बढ़कर एक था. इस बाबत जिले के कई स्कूलों में विभाग द्वारा चावल वितरण नही किये जाने का मामला रटा रटाया दिखा. वही विभाग द्वारा नए नियमों के तहत राशि को लेकर भी टालमटोल शुरू थी. वही कई विद्यालयों में चावल की उपलब्धता के बावजूद भी भोजन नही बनाना जिसके लिए भी अपने अपने बहाने थे. कुल मिलाकर पूरा दोष विभाग पर मढ़ते हुए अपनी छवि स्वच्छ रखते हुए आख़िरकार भोजन नही बना.

कोविड के बाद बुधवार से मिलना था पका पकाया भोजन

बताते चले कि कोविड को लेकर सरकारी विद्यालयों में भोजन बनाने का कार्य बंद था. बच्चों को उनके खाते में राशि तथा चावल का वितरण किया जा रहा था. लेकिन इसीबीच कोविड के पूरी तरह नियंत्रण में आने के बाद 1 मार्च से पीएमपोषण योजना के तहत एक बार फिर बच्चों को पका पकाया भोजन देने का निदेश दिया गया था. 1 मार्च को विद्यालय बंद होने के कारण इसकी शुरुआत 2 मार्च यानी बुधवार से शुरू होने वाली थी. लेकिन 2 मार्च को भी स्कूलों में भोजन नही बना. जिससे छात्रों को भोजन नही मिला और उन्हें भूखे रहना पड़ा.

वेंडर को देना है राशन का सामान, राशि भी बढ़ी

पीएमपोषण योजना के तहत जहां एक ओर बच्चों को दी जाने वाली भोजन और फल के राशि मे बदलाव हुआ है वही इसके संचालन में बदलाव हुआ है. अब योजना की राशि वेंडर के खाते में जाएगी. स्कूलों को उसी वेंडर से सामान क्रय करना है. लेकिन इस योजना के शुरू होने के साथ ही इसमें शामिल तिक्रमबाजी शुरू हो गयी है. जिससे कि भोजन बनाने की राशि का गबन हो सकें.

पका पकाया भोजन के साथ फल भी रहा ग़ायब, भर्ष्टाचार की सुगबुगाहट

पका पकाया भोजन को लेकर कई स्कूलों में अबतक चावल नही पहुंच पाया है. जिससे कि वहां भोजन नही बन पाया, वही चावल उपलब्धता के बावजूद भी राशि का अभाव दिखाकर भोजन नही बनाया गया जबकि इस योजना में राशि वेंडर को दी जानी है जहां से स्कूलों को सिर्फ भोजन का सामान लेना है. जिसके लिए पूर्व में ही विद्यालय प्रधान ने वेंडर का नाम और एकरार नामा भी दिया है.ऐसे में सबकुछ होने के बावजूद भोजन नही बनना समझ से परे है. योजना के तहज छात्रों को फल एवं अंडा दिया जाना है जिसके लिए भी राशि का प्रावधान है, कई स्कूलों में सिर्फ संतरा देकर भोजन की शुरुआत हुई तो लगभग सभी विद्यालयों में यह भी नदारद दिखा. आलम यह है कि सरकार और विभाग की सुस्ती, भर्ष्टाचार की सुगबुगाहट ने बच्चों की थाली तक ना खिचड़ी पहुंचने दिया और ना ही उन्हें फलों का स्वाद चखा.

ऐसे में अब देखना यह होगा कि 2 मार्च से कितने विद्यालयों में भोजन नही बनने के बावजूद कागजों पर भोजन बनाकर अपना रिपोर्ट दिया है.

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