Chhapra: छपरा नगर निगम क्षेत्र के विस्तार का निर्णय बिहार मंत्रिमंडल से मंजूर होने पर स्थानीय सांसद सह पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने चिंता जताई है।
उन्होंने कहा कि अभी तो पंचायत चुनाव के परिणाम आये है और इस निर्णय से प्रभावित लगभग ग्राम पंचायतों के जन प्रतिनिधियों ने शपथ भी नहीं लिया है। ऐसे समय में यह निर्णय कहीं से भी उचित प्रतीत नहीं हो रहा है।
विदित हो कि कुछ नगर निगम के क्षेत्र विस्तार, कुछ नगर पंचायतों को नगर परिषद में प्रोन्नत करने और कुछ ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत में तब्दील करने का निर्णय बिहार सरकार ने लिया है। विगत दिनों राज्य मंत्रिमंडल ने जो निर्णय लिया उससे छपरा नगर निगम क्षेत्र भी प्रभावित है। छपरा नगर निगम के क्षेत्र का विस्तार करते हुए गरखा, रिविलगंज और छपरा सदर प्रखंड की लगभग 15 ग्राम पंचायतों को नगर निगम क्षेत्र में शामिल करने की मंजूरी कैबिनेट ने दी है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता रुडी ने कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह निर्णय समयानुकूल प्रतीत नहीं होता है क्योंकि, अभी जिन पंचायतों को नगर निगम क्षेत्र में शामिल करने का निर्णय लिया गया है वहां की जनता ने ग्राम पंचायत के चुनाव में हिस्सा लिया, मुखिया और सरपंच के लिए मतदान किया और अपने पंचायत प्रतिनिधियों को चुना है। इस चुनावी प्रक्रिया पर सरकार का करोड़ों रुपया भी खर्च हुआ। यदि यही निर्णय राज्य सरकार को लेना था तो यह चुनाव के पूर्व ही लेना चाहिए था जिससे उन क्षेत्रों में संपन्न चुनावों पर खर्च हुए करोड़ों रुपये की बचत होती।
रुडी ने कहा कि हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों में मुखिया, पंचायत समिति, सरपंच, वार्ड सदस्य आदि नव निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का अभी शपथ भी नहीं हुआ है। अब इन सब को नगर निगम के वार्ड पार्षद के लिए चुनाव नये सिरे से लड़ना होगा। महीनों तक इस क्षेत्र की जनता स्थानीय स्तर पर अप्रतिनिधित्व का दंश झेलेगी। उन्होंने जिन पंचायत प्रतिनिधियों को चुना वे उनकी सेवा कर ही नहीं पायेंगे। साथ ही जो पंचायत प्रतिनिधि चुने गये वे जन सेवा कार्य किये बगैर ही पद से हटे हुए माने जायेंगे।
इस प्रक्रिया से अब प्रभावित ग्राम पंचायतों का विकास प्रभावित होगा साथ ही दुबारा करोड़ों रूपये खर्च कर चुनाव कराना होगा। यदि यह व्यवस्था अभी लागू होती है तो ये ग्राम पंचायतें विकास से वंचित होंगी। सरकार को यदि यह निर्णय लेना ही था तो उसे दो माह पूर्व ही ले लेना चाहिए था जिससे इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को कठिनाई नहीं होती।
उन्होंने कहा कि फिर भी सरकार को इस तरह की व्यवस्था करनी चाहिए कि पंचायत के माध्यम से होने वाले विकास कार्य बाधित न हो, स्थानीय नागरिक जन सुविधाओं से वंचित न हो और इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में आमजन को किसी प्रकार की कठिनाई न हो।