छपरा: समेकित बाल संरक्षण योजना के अन्तर्गत प्रखंड एवं ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति के गठन एवं सुदृढीकरण हेतु प्रमंडल स्तरीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का उदघाटन मंगलवार को जिलाधिकारी दीपक आनंद ने किया.
इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण समिति का कार्य बच्चों के बचपन को सुरक्षित, संरक्षित एवं हिंसामुक्त बनाना है. पंचायत और प्रखंड स्तर पर बाल संरक्षण समिति के गठन से बाल अपराधों से बच्चों को मुक्त करने, इसके प्रति जन जागरूकता लाने एवं त्वरित पहुंच सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. इसके स्थानीय जन प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया गया है जिससे बाल अधिकारों को दिलाने में सहुलियत होगी. समिति का गठन सबसे प्रमुख दायित्व होगा. इसके बाद समिति के सभी सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाएगा.
उन्होंने यूनिसेफ प्रतिनिधि सुनील कुमार झा को बालकों को सरल भाषा में बाल अधिकारों को समझाने हेतु पुस्तिका, काॅमिक आदि विकसित करने का सुझाव दिया. लघु वाटिका, होर्डिंग आदि के माध्यम से बचपन को बचाने का प्रयास करना चाहिए. जिला पदाधिकारी ने कहा कि बचपन आज स्मार्टफोन के कारण खोता चला जा रहा है. बच्चों को इसके इस्तेमाल का तरीका सिखाया जाना चाहिए. स्मार्टफोन का सीमित और उचित इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
जिलाधिकारी ने कहा कि बाल विवाह, बाल श्रम, बाल दुव्र्यापार, बाल यौन शोषण तथा अन्य बाल अपराधों के विरूद्ध अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए समुदाय और पंचायती राज संस्थाओं के सहयोग से प्रत्येक प्रखंड, पंचायत और वार्ड स्तर पर बाल संरक्षण समितियों का गठन किया जायेगा. यह बच्चों के लिए सुरक्षित, संरक्षित एवं हिंसा रहित बचपन की परिकल्पना को साकार करेगा. उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण समितियों के गठन एवं क्रियान्वयन से न केवल अपराधो के प्रति जनजागरूकता आयेगी, बल्कि सूचना तंत्र विकसित होगा तथा जोखिम ग्रस्त बच्चों तक त्वरित पहंुच सुनिश्चित हो सकेगी. इसके लिए अलग से कोई मानव संसाधन नहीं होगा बल्कि पूर्व से प्रखंड, पंचायत एवं वार्ड स्तर पर उपलब्ध मानव संसाधन का उपयोग किया जाय. इसमें समुदाय के गणमान्य व्यक्तियों स्वयंसेवी तथा एन0जी0ओ0 की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी. उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण समिति को प्रखंड, पंचायत एवं वार्ड स्तर पर गठित किया जाना आवश्यक है. बच्चे ही हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत और भविष्य है. वे अपनी मांग खुद नहीं रख सकते है. सुरक्षित, संरक्षित एवं हिंसा रहित बचपन के लिए राज्य एवं जिला स्तर के साथ-साथ पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर भी गठित किया जाना आवश्यक है.
इस प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में सारण, सीवान तथा गोपालगंज के छह-छह मास्टर ट्रेनर प्रशिक्षण ले रहे है. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूनिसेफ एवं प्लान इंडिया सहयोग कर रही है. बाल संरक्षण समिति के गठन से Child in conflict with law (CCL) Children in need of care and protection (C.N.C.P) में कमी आयेगी.
इस अवसर पर सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई भाष्कर प्रियदर्शी, सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई सीवान द्विवेश कुमार शर्मा, यूनिसेफ के प्रतिनिधि सुनिल कुमार झा एवं मानस के प्रतिनिधि देवेश दीक्षित उपस्थित थे.
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