Chhapra: कोविड-19 की रोकथाम के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है. कोरोना प्रसार के मद्देनजर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने भी बच्चों को घरों में रहने की बात कही है. इस समय यह जरुरी है कि जब बच्चे घरों में रह रहे हैं तब माता-पिता का उनके प्रति व्यवहार भी काफी संयमित, उत्साहवर्धक एवं सुरक्षात्मक हो. इसे ध्यान में रखते हुए आईसीसीडीएस ने भी बेहतर दिनचर्या के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास की पहल की है. इसको लेकर आईसीडीएस के निदेशक आलोक कुमार ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को पत्र लिखकर इस संबंध में विस्तार से दिशा निर्देश दिया है.

दैनिक गतिविधि कैलेंडर बच्चों के माता-पिता को करेगा सचेत
डीपीओ वंदना पांडेय ने बताया कि कोरोना संकटकाल के कारण हुए देशव्यापी लॉकडाउन में स्कूल बंद है एवं बच्चों को घरों पर रहने की हिदायत दी गयी है. ऐसे में बच्चों की बेहतर दैनिक दिनचर्या से कोरोना संकट काल में उन्हें शारीरिक स्वास्थ्य लाभ मिलेगा एवं रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न रहने के कारण उनका उत्साहवर्धन भी होता रहेगा. इसके लिए आईसीडीएस ने दैनिक गतिविधि कैलेंडर तैयार की है. साथ ही आईसीडीएस के सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को निर्देशित किया गया है कि यह कैलेंडर व्हाट्सएप एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सभी महिला पर्यवेक्षकाओं एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं को भेज दें. आंगनबाड़ी सेविकाएँ गृह-भ्रमण के दौरान बच्चों के माता-पिता को दैनिक गतिविधि कैलेंडर के विषय में जानकारी देंगी ताकि वे आसानी से अपने घरों में बच्चों के साथ गतिविधि कर सके.

इन विषयों को ध्यान में रखते हुए दैनिक गतिविधि कैलेंडर का किया गया निर्माण
नियमित दिनचर्या बनाये रखने की कोशिश

वर्तमान स्थिति में जब आंगनबाड़ी केंद्र बंद है. बच्चे घर पर ही हैं. इसलिए यह जरुरी है कि बच्चों के लिए ऐसी दैनिक दिनचर्या बनायी जा सकती है, जो बच्चों के लिए मनोरंजक, स्वास्थ्यकर एवं बच्चे खेल-कूद में कुछ सीख सकें.

• बच्चों के साथ संवाद जरुरी
इस महामारी के दौरान बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं. इसलिए यह जरुरी है कि बच्चों से बात करने के क्रम में सकारत्मक दृष्टिकोण और ईमानदार रहना बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें माता-पिता एवं देखभाल करने वाले महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं.

बच्चे का कुशल नेतृत्व
कुछ बच्चों को गतिविधि करने में उत्सुकता नहीं होती है. ऐसी स्थिति में बच्चे को गतिविधि में शामिल करने के लिए दवाब नहीं बनायें. उन्हें स्वतंत्र रूप से अपना
फैसला लेने की छूट दें एवं जब उनकी इच्छा हो तभी उन्हें गतिविधि में शामिल करें.

बच्चों को विकासात्मक-रचनात्मक गतिविधियों में शामिल कर दिनचर्या का निर्माण
बच्चों को ऐसी गतिविधि में शामिल करने की जरूरत है ताकि उनका स्वास्थ्य एवं सर्वांगीण विकास संभव हो सके. जिसमें नियमित व्यायाम, उमुक्त खेल-कूद, चित्र बनाना, कहानी सुनाना, गीत गाना, रोल प्ले आदि क्रियाओं को उत्साहवर्धक बनाया जा सकता है. इससे बच्चों को राहत महसूस होगी कि वे एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण में हैं.

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Chhapra: इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी की छपरा इकाई की ओर से रविवार को वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने तथा बचाव के लिए काम कर रहे योद्धाओं के बीच शीतल पेय पदार्थ का वितरण किया गया.

इस मौके पर सोसायटी के सचिव जीनत जरीना मसीह ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में रेड क्रॉस सोसाइटी समाज के हर जरूरतमंदों के साथ है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में अपना योगदान कर रहे योद्धाओं का उत्साहवर्धन करना और उनका ख्याल रखना हम सभी का नैतिक दायित्व है. भीषण धूप और गर्मी के इस मौसम में कोरोना योद्धाओं के बीच शीतल पेय पदार्थ का वितरण उनके प्रति संवेदनशीलता का परिचायक है.

उन्होंने कहा कि चिकित्साकर्मी, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, मीडियाकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना के खिलाफ जंग लङ रहे हैं. उन्होंने बताया कि सोसायटी की ओर से 4950 बोतल शीतल पेय पदार्थ जिला प्रशासन को भी उपलब्ध कराया है. जिसको प्रशासन अपने स्तर से जिले के 20 प्रखण्डों में कोरोना योद्धाओ के बीच तीन दिनों के अंदर वितरित करेगा.

वितरण कार्यक्रम युवा इकाई के जिला सचिव अमन राज के नेतृत्व में छपरा कचहरी स्टेशन से किया गया. इस मौके पर संजीव कुमार चौधरी तथा युवा इकाई के सदस्य अमन सिंह आदि थे.

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Chhapra: कोरोना संक्रमण की रोकथाम में सरकार महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है. एक तरफ जहाँ संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन एवं दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी कामगारों एवं अन्य लोगों की घर वापसी जैसे अत्यंत जरुरी निर्णयों से सरकार ने कोरोना के खिलाफ मजबूती से लड़ने की मंसा व्यक्त की है. तो वहीँ लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए प्रवासी कामगारों एवं गरीब परिवारों की आर्थिक मदद एवं उनके लिए खाद्य सामग्री की उपलब्धता भी सुनिश्चित करा रही है. इसी कड़ी में यूनिसेफ, एनएचएम एवं डब्ल्यूएचओ ने संयुक्त मार्गदर्शिका जारी कर समाज के विशेष वर्गों(गर्भवती, धात्री माताएं, बुजुर्गों सहित बच्चों एवं किशोरों) को कोरोना काल में सतर्क रहने की जानकारी दी है.

गर्भवती महिला एवं धात्री माता रखें अपना ख्याल
कोरोना के इस दौर में गर्भवती एवं धात्री माताओं को भी अधिक सचेत एवं सतर्क रहने की जरूरत है. इसके लिए गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन, समय से टीका, प्रसव पूर्व जांच एवं आराम का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी गयी है. वहीं धात्री माताओं को साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखते हुए मास्क पहनकर बच्चे को दूध पिलाने की बात बतायी गयी है.

किशोरी एवं बच्चे का करें अच्छे से देखभाल
कोरोना के बढ़ते प्रसार के कारण बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो सकते हैं. इसके लिए मार्गदर्शिका में बच्चों की बेहतर देखभाल करने की हिदायत दी गयी है. जिसमें माता-पिता को बच्चों को सरल भाषा में कोरोना बीमारी से बचने के उपायों को बताने, छोटे बच्चों के साथ हमेशा कोई बड़े व्यक्ति के साथ रहने एवं बच्चों को उनकी पढाई जारी रखने में सहयोग करने की बात बताई गयी है. वहीं किशोरियों को माहवारी के समय पैड या साफ़ कपडे इस्तेमाल करने की सलाह दी गयी है.

बुजुर्गों एवं अन्य रोग ग्रसित लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत
60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, किडनी की बीमारी, कैंसर या मधुमेह जैसी समस्याओं से ग्रसित लोगों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दें एवं इनका विशेष रूप से अलग रहना सुनिश्चित करायें.

सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं का जरुर उठायें लाभ
कोरोना के मद्देनजर सरकार ने प्रवासी कामगारों एवं गरीब परिवारों की आर्थिक मदद के साथ उनके लिए सरकारी योजनाओं के तहत खाद्य सामग्री भी उपलब्ध करा रही है. 1 मई से खाद्य पदार्थ वितरण के दौरान पुराने राशन कार्ड धारकों के साथ नए राशन कार्ड धारकों को भी राशन उपलब्ध कराया जा रहा है. जिसमें अंत्योदय कार्ड धारकों को 20 किलोग्राम गेहूं एवं 15 किलोग्राम चावल उपलब्ध होगा . अन्य श्रेणी के लाभार्थियों जैसे मनरेगा श्रमिक, पंजीकृत निर्माण श्रमिक, ठेला, खुमचा लगाने वाले, रिक्शा एवं ई-रिक्शा चालक आदि को 3 किलोग्राम गेहूं एवं 2 किलोग्राम चावल उपलब्ध होगा.

प्रवासियों को घर भेजे जाने से पहले उन्हें राशन किट दिए जाने का प्रावधान किया गया है, जिसमें उन्हें10 किलोग्राम गेहूं, 10 किलोग्राम चावल ,2 किलोग्राम दाल , 5 किलोग्राम आलू, 2 किलोग्राम भुने चने, 1 किलोग्राम नमक, 250 ग्राम पीसी हुयी हल्दी, 250 ग्राम पिसा हुआ धनिया, 250 ग्राम पिसा हुआ लाल मिर्च एवं 1 लीटर रिफाइंड एवं सरसों का तेल मिलेगा.

आर्थिक मदद एवं आश्रय की व्यवस्था
कोरोना संक्रमणकाल के मद्देनजर पंजीकृत श्रमिकों को सरकार की ओर से 1000 रूपये दिए जा रहे हैं. जिन श्रमिकों का पंजीकरण नहीं हुआ है, उनका पंजीकरण नगर निगम, नगर पंचायतों एवं बीडीओ द्वारा किया जाएगा. साथ ही लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों एवं प्रवासियों के लिए आश्रय की भी व्यवस्था की गयी है. जहाँ उनके लिए पर्याप्त भोजन, पेयजल, साफ़ शौचालय एवं अलग से बिस्तर एवं चिकित्सा की व्यवस्था है.

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Chhapra: इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी ने कोरोना योद्धाओ के लिए 4950 पेय पदार्थ की बड़ी बोतल कोका कोला कम्पनी से प्राप्त की. यह योद्धा जो पिछले कई दिनों से रात दिन जनता की सेवा, जागरूकता कार्यक्रमो में अपना पूर्ण समय दे रहे है. उन्हें प्रोत्साहित करने की एक प्रयास है.

जिला सचिव रेड क्रॉस सोसाइटी जीनत जरीना मसीह ने बताया कि अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स अन्य कर्मचारी बिना अपने परवाह किये निरंतर सेवा में जूटे है. पुलिस कर्मी भी अपनी ड्यूटी काफी निष्ठा से निभा रहे है. प्रशासन चौबीस घंटे कार्यरत है. रेड क्रॉस भी अपनी क्षमता के अनुसार अपना पूर्ण योगदान दे रहा है.
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जागरूकता के किये मास्क, डिजिटल वीडियो, पोस्टर का प्रयोग किया जा रहा है. सूखा खाद्य पदार्थ भी असहायों को दिया गया. प्रशासन को प्रथम बार 46000 की राशि एवं द्वितीय बार 12000 हजार की राशि इस कोरोना से संबंधित कार्य के लिए दिया गया. जिसका खर्च मास्क सैनिटाइजर, सूखा खाद्य पदार्थ एवं कोरेनटीन सेंटर पर किया गया.

यह पेय पदार्थ प्रशासन को दे दी गयी है. जिसको वह अपने माध्यम से जिला एवं प्रत्येक प्रखण्ड में कोरोना के योद्धाओ को आपूर्ति की जाएगी. यह कार्य दो से तीन दिनों में सम्पन्न हो जाएगा.

इस कार्य में डॉ० सुरेश प्रसाद सिंह, अभिजीत मसीह, नरेन्द्र (प्रतिनिधि कोका कोला), रविश जिला नाजिर एवं अन्य उपस्थित थे.

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Chhapra: वैशिक महामारी कोरोना वायरस से जहाँ देश संकट की स्थिति में घिरा हुआ है. वही छपरा के युवा क्रांति रोटी बैंक के सदस्य श्रीनिवास चंदवंशी ने रक्त से जूझती एक माँ को रक्तदान कर जिंदगी बचाई है. सामाजिक दूरी बनाते हुए सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्तदान किया गया.

रक्तदाता श्री चंदवंशी ने कहा कि मुझे मेरे दोस्त सुजीत गुप्ता के माध्यम से खबर मिली कि मेरे मोहल्ले की एक महिला को AB+ ब्लड की अत्यंत आवश्यकता है और डिलेवरी के कारण रक्त की जरूरत है तो फ़ोन से बात कर मै ब्लड बैंक में रक्तदान करने का संकल्प लिए और रक्तदान किया.

वही युवा क्रांति रोटी बैंक के संस्थापक विजय राज ने कहा कि हर समय हमलोग सदस्यों के साथ साथ औरों को भी रक्तदान करने को प्रेरित करते रहते है. जैसे ही मेरे सदस्य सुजीत गुप्ता के द्वारा हमे मालूम हुआ तभी हम लोगो के द्वारा विभिन्न सदस्यों से मालूम किया गया कि किस के पास AB+ ब्लड है और तब चंदवंशी जी से संपर्क कर उनसे मदद मांगी गई और ब्लड बैंक में आकर ब्लड डोनेट कर रक्तदान कर एक माँ की ज़िंदगी बचाई गयी. युवा क्रांति रोटी बैंक की पूरी टीम ने चंदवंशी जी को धन्यवाद दिया.

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Chhapra: कोविड-19 कोरोना वायरस के तीसरे चरण के लॉकडाउन की वजह से लोगों को काफी परेशानी बढ़ गयी है. दो माह से हुए लॉकडाउन की वजह देश की आर्थिक व्यवस्था भी चरमा गयी. सरकार द्वारा कुछ छूट मिलने के बाद अभी लोगों को राहत नहीं मिली है. इसके लिए पूर्णतः लॉकडाउन टूटने के बाद ही कुछ हो सकता है. उक्त बातें समाजसेवी धर्मेंद्र सिंह ने कही. समाजसेवी धर्मेन्द्र सिंह ने रिविलगंज प्रखंड के सिताबदियारा में पहुंच सैकड़ों गरीब परिवारों के बीच खाद्य सामग्री का वितरण किया. यह वितरण प्रशासन अनुमति व देखरख में प्रभुनाथनगर दक्षिणवारी चक्की बैजुटोला पंचायत में किया गया.

उन्होने कहा कि कोरोना के बढ़ते मरीजों की सांकेतिक आंकड़ा के मुताबिक लोगों को सोशल डिस्टेंसीग का ध्यान रखते हुए उन्हें दो मीटर की दूरी पर राशन दी गयी. पूर्व में कई पंचायत व वार्डों में राशन का वितरण समाजसेवी द्वारा किया जा चुका है. पैकेट की थैली में पैकेट में आटा, चावल, आलू, प्याज, तेल, मसाला, मास्क, ग्लब्स, साबुन, सेनेटाइजर व अन्य जरूरी सामग्री शामिल है.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से आग्रह है कि बाहर से आ रहे प्रवासी लोगों की समुचित व्यवस्था कराए जाय. कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक और क्वारंटाइन सेंटर में पैक प्रवासी लोगों ने बताया कि खाने-पीने का कोई व्यवस्था ठीक ढंग से नहीं है.

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Chhapra: लॉकडाउन एवं कोरोना वैश्विक महामारी के कारण परेशान ज़रूरतमंद परिवारों के बीच सारण ज़िला मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा सुखा राशन का पैकेट तैयार कर लगातार वितरण किया जा रहा है. रविवार को इसी कड़ी में मुबारकपुर इनई पंचायत रिविलगंज में पुन: 500 राशन का पैकेट तैयार कर शेखपुरा, पचपतरा, कचनार, फिदर बाज़ार इत्यादि गाँवों में सैकड़ों ज़रूरतमंद परिवारों को राशन उपलब्ध कराया गया.

हाजी आफ़ताब आलम खान ने सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए बताया कि सारण ज़िला मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा हर मजबूर ज़रूरतमंद इंसान तक राशन पहुँचाने का भरपूर प्रयास जारी है एवं सारण ज़िला में शहर एवं गाँव स्तर पर मुस्लिम समाज के लोग काफ़ी सक्रिय रूप से राशन वितरण कार्य में लगे हुए हैं और ख़ास तौर पर युवा वर्ग रोज़ा रखकर काफ़ी परिश्रम के साथ घर-घर राशन पहुँचा रहे है जो काफ़ी सराहनीय कार्य है. राशन वितरण में परवेज़ आलम खान, बाबूजान, टुन्ना, मेराज खान, महताब अख़्तर, मो नसीम अख़्तर हसरत खान, सरदार एकराम खान, आफाक अहमद खान एवं हाजी आफ़ताब आलम खान अध्यक्ष अहमद रज़ा वेलफ़ेयर ट्रस्ट छपरा मुख्य रूप से शामिल थें.

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Chhapra: इन दिनों भिक्षुओं, फुटपाथ पर जीवन व्यतीत करने वाले, झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले, गरीब मजदूर ठेला, रिक्शा, खोमचा खींचने वाले गरीब-असहायों की इस तीसरे चरण यानी डेढ़ माह से हुए लॉकडाउन में इनकी मदद के लिए समाजसेवी धर्मेंद्र सिंह आगे आये है. जो समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं.

शहर में घूम कर लोगों की मदद कर रहे समाजसेवी धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि मैं निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रहा हूं. सभी वार्डों के गरीब- असहायों व भिखारियों की चिन्हित कर उनकी मदद कर रहा हूँ. प्रतिदिन सभी वार्डों के अलग- अलग संगठन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता के साथ जुड़कर घर-घर व सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए एक जगह सभी लोगों बुलाकर पारी-पारी से वितरण कर रहा हूँ. उन्होंने कहा कि सड़क व फुटपाथ पर जीवन व्यतीत करने वाले भिक्षुओं की भी मदद कर रहा हूँ. सूखा खाद्य सामग्री के साथ आर्थिक मदद भी कर रहा हूँ.

बुधवार को समाजसेवी धर्मेन्द्र सिंह ने सड़क पर घूम रहे भिखारियों को उनकी हालात को देख उन्होंने वही रुक कर भिखारियों को खाद्य सामग्री का थैला दिया जाता है. आर्थिक रूप से पांच सौ रुपये दिया और उनसे हाल-चाल भी पूछा. इस दौरान भिक्षुओं ने समाजसेवी को आशिर्वाद दिया.

इस दौरान समाजसेवी धर्मेन्द्र सिंह ने कहा कि लॉकडाउन को देखते हुए प्रतिदिन हर वार्ड के गरीबों को चिन्हित कर उनतक खाद्य सामग्री का वितरण किया जाएगा, जो अपना भरण-पोषण कर सके.

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Chhapra: कोरोना वायरस को लेकर lockdown में शहर के चौक चौराहे पर पुलिसकर्मी खड़े रहकर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.

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अंतरराष्ट्रीय संस्था लायंस क्लब द्वारा जज़्बे को नमन करते हुए इन कोरोना योद्धाओं को सम्मानित किया है, और उनके प्रति विनम्रता का भाव प्रकट किया. सदस्यों के माध्यम से घरों की बनी हुई चाय इन कोरोना वारियर्स को प्रतिदिन उपलब्ध कराई जा रही है.

लायंस क्लब छपरा सिटी के अध्यक्ष लायन आदित्य अग्रवाल एवं लायन सदस्यों द्वारा सोशल डिस्टेंस को फॉलो करते हुए शहर के मौना चौक, नेहरू चौक और नेवाजी टोला चौक पर कार्यरत पुलिसकर्मी को अंगवस्त्र देकर सम्मान प्रदान किया गया.

मौके पर डॉ राजेश डाबर, अधिवक्ता दीनदयाल प्रसाद, सुजीत सिंह राठौड़ उपस्थित थे.

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Chhapra: भारत में एक मई को 1923 को मजदूर दिवस मनाना शुरू किया गया था. इसकी शुरूआत भारती मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी. इसी उपलक्ष्य में वर्षों से एक मई को मजदूर (श्रमिक दिवस) मानते आ रहे हैं. मजदूर भारत निर्माण के रीढ़ है. उनके बगैर देश निर्माण संभव नहीं हैं. किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारों और किसानों पर निर्भर करती है. मज़दूरों और किसानों का देश भर में राज प्रबंध में बड़ा योगदान है. उक्त बातें समाजसेवी धर्मेन्द्र सिंह ने रसलपुरा गांव में अपने आवास परिसर में मजदूर दिवस पर मजदूरों-गरीबों के बीच खाद्य सामग्री वितरण करते हुए कही.

उन्होंने लॉकडाउन का पालन करते हुए डोरीगंज थाना की देखरेख में सोशल डिस्टेंस बनाकर कामगारों के लिए खाद्य सामग्री आटा, चावल, आलू, प्याज, नमक, तेल व अन्य जरूरी सामान दो सौ गरीब मजदूरों के बीच वितरण किया. उन्होंने लोगों से लॉकडाउन का पालन करने बल दिया और कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए सरकार की मदद करें. सरकार जारी आदेश का पालन कर घर में रहे तो हम सुरक्षित है. आवश्यकता होने पर ही घर से बाहर निकले अन्यथा न निकलें. राज्य सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिहार में सराहनीय कार्य रहा जो बाहर फंसे प्रवासियों की आने के लिए केंद्र सरकार से पहल की. इस सरकार में विकास चहुंमुखी होती रही है. इस मौके पर कई सामाजिक लोग भी शामिल हुए.

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Chhapra: रेड क्रॉस सोसाइटी सारण के द्वारा इसुआपुर निवासी अवधेश सिंह को 1 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराई गई. अवधेश सिंह जिनका होमोग्लोबिन अचानक कम हो जाने के बाद छपरा सदर अस्पताल में भर्ती लिये थे. जहां डॉक्टरों ने उन्हें ब्लड चढ़ाने की बात कही.

अमन राज ने बताया कि अवधेश सिंह के बेटे ने रेड क्रॉस सोसाइटी छपरा इकाई के सचिव जीनत जरीना मसीह से संपर्क किया.
दो युवा स्वयंसेवको भुनेश्वर कुमार और राहुल प्रजापति के साथ ब्लड बैंक पहुँचे. राहुल प्रजापति के डोनर कार्ड से ब्लड उपलब्ध कराई.

ब्लड उपलब्ध हो जाने के बाद मरीज के परिजन ने रेड क्रॉस संस्था को धन्यवाद दिया. जिला सचिव जीनत मसीह ने बताया कि इस लॉक डाउन में भी रेड क्रॉस के युवा स्वयंसेवको इस पुनीत कार्य मे अपनी भागीदारी निभा रहे है, जो काफी सराहनीय है.

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Chhapra: लॉक डाउन के बीच छपरा में बन रहे भारत के सबसे लंबे डबल डेकर पुल का निर्माण करीब एक महीने बाद पुनः शुरू हो गया है. बता दें कि लॉक डाउन की घोषणा होने के बाद से डबल डेकर पुल का निर्माण कार्य पूरी तरह बंद हो गया था. सरकार के निर्देश के बाद अब पुल का निर्माण कार्य फिर से शुरू कर दिया गया है.

निर्माण कार्य में जुटे इंजीनियर, तकनीक पदाधिकारियों व अन्य श्रमिको का स्वास्थ्य पर खासा ध्यान रखा जा रहा है. साइट पर काम करने आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक दिन दिन में तीन बार टेम्परेचर स्क्रीनिंग किया जा रहा है. पुल निर्माण निगम के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार ने बताया कि निर्माण कार्य स्थल पर सैनिटाइजर, पानी मास्क आदि की भी व्यवस्था की गई है ताकि मजदूरों को किसी भी प्रकार से कोई परेशानी ना हो.

लॉक डाउन होने की वजह से आधा से अधिक श्रमिक काम पर नहीं लौटे हैं, जिसके कारण पुल का निर्माण कार्य अभी बेहद धीमी गति से हो रहा है. होली के बाद से ही कुछ दिनों बाद लॉक डाउन हो गया था, जिस वजह से मजदूर वापस काम पर नहीं लौट सके. वहीं कई श्रमिक कोरोनावायरस के संक्रमण के भय से काम पर नहीं आए हैं. इसी बीच आधे मजदूरों के साथ ही पुल का धीमी गति से निर्माण कार्य चालू है. पहले फेज में फाइलिंग का कार्य पूरा करके पिल्लर देने का कार्य किया जा रहा है. वहीं दूसरे फेज में अलियर स्टैंड पोखरा से नगरपालिका चौक तक पाइलिंग का कार्य संपन्न किया जा रहा है.

लगभग 370 करोड़ की लागत से बनने वाले डबल डेकर पुल का निर्माण कार्य 2022 तक पूरा करना है. पुल के निचले डेक की लंबाई 2500 मीटर है, वहीं ऊपरी डेक
की लंबाई 3520 मीटर है. यह डबल डेकर पुल भिखारी चौक, गांधी चौक, मौना चौक, नगरपालिका चौक होते हुए बस स्टैंड तक बन रहा है.

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