पटना, 07 जनवरी (हि.स.)। चीन में फैले एचएमपीवी वायरस को लेकर बिहार में अलर्ट जारी कर दिया गया है। इस वायरस से निपटने के लिए कोविड-19 की तर्ज पर सभी स्वास्थ्य संस्थानों में इंतजाम करने का निर्देश दिया गया है।

बिहार स्वास्थ्य विभाग ने केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के बाद सभी जिलों के जिलाधिकारियों, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य एवं अधीक्षक, सिविल सर्जनों को इस वायरस से बचाव के लिए कोरोना की तर्ज पर ही इंतजाम करने का निर्देश दिया है।

स्वास्थ्य सचिव संजय सिंह ने निर्देश दिया है कि सभी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा इंफ्लूएंजा के समान बीमारी एवं सिवियर एक्यूट रिसपेरेट्री न्यूमोनिया (सारी) का सर्विलांस सुनिश्चित करते हुए इसको आईएचआईपी पोर्टल पर प्रतिदिन रिपोर्ट दी जाए।

स्वास्थ्य सचिव ने निर्देश दिया है कि कोविड-19 से संबंधित दवा, किट, वेटिलेटर, ऑक्सीजन और मास्क इत्यादि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इसके ट्रेंड पर ध्यान रखने और इसके बढ़ने की स्थिति में सभी अस्पतालों में फ्लूकॉर्नर को सक्रिय करने को कहा है। साथ ही सभी अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण गतिविधियों की सघन निगरानी करने, अस्पताल मेंगंभीर रूप से भर्ती सारी के मामले के सैंपल को पूणे स्थित राष्ट्रीय लैब में भेजकर जांच कराने को कहा है ताकि एचएमपीवी का लैब में पुष्टि हो सके।

बीमारी के शुरुआती लक्षण

शुरुआती लक्षण खांसी-जुकाम, तेज बुखार और गंभीर मामलों में सांस लेने में परेशानी हो सकती है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, किडनी, हृदय, लिवर जैसे कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को इसका ज्यादा खतरा।

स्वास्थ्य सचिव के निर्देश

-सभी अस्पतालों में एनफ्लुएंजा लाइक इलनेस व सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी निमोनिया या इंफेक्शन को चिह्नित कर पोर्टल पर प्रतिदिन रिपोर्ट अपलोड करना।
-कोविड-19 संबंधी दवाएं, किट्स, वेंटिलेटर, आक्सीजन, माक्स आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
-मिलते-जुलते लक्षण के मामले बढ़ने पर सभी अस्पतालों में फ्लू कार्नर बनाकर जांच शुरू की जाए।
-चिकित्साकर्मियों को एचएमपीवी से बचाव के बारे में प्रशिक्षित किया जाए।
-सभी अस्पतालों में इंफेक्शन कंट्रोल प्रैक्टिसेस की सघन निगरानी शुरू की जाए।
-सांस लेने में परेशानी और बुखार वाले रोगियों के उपचार के लिए अस्पताल में विशेष व्यवस्था करते हुए वार्ड एवं बेड निर्धारित किए जाएं।

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नई दिल्ली, 6 जनवरी (हि.स.)। देश में ह्यूमन मेटान्योमो वायरस (एचएमपीवी) के दो मामलों की पुष्टि हो चुकी है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को कर्नाटक से एक तीन महीने की बच्‍ची और एक 8 महीने के बच्‍चे को एचएमपीवी वायरस से संक्रमित पाए जाने की पुष्टि की है। 3 महीने की बच्ची को बेंगलुरु के बैप्टिस्ट अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है, उसे ब्रोंकोप्न्यूमोनिया की शिकायत है। दूसरी आठ महीने की बच्ची का इलाज चल रहा है और वो अब स्वस्थ्य हो रही है। इसके बाद गुजरात से भी एक मामला सामने आया है। इन खबरों के बीच केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। सरकार स्थिति पर कड़ी नजर बनाए हुए है।

केन्द्रीय स्वास्थय मंत्री नड्डा ने एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा कि विशेषज्ञों के मुताबिक एचएमवीपी कोई नया वायरस नहीं है। यह भारत में 2001 में पहली बार पहचाना गया था। एचएमपीवी हवा के माध्यम से फैलता है। यह ज्यादा सर्दी के मौसम में फैलता है। चीन और आसपास के देशों में फैले एचएमवीपी की स्थिति पर नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद( आईसीएमआर)और स्वास्थ्य मंंत्रालय गहन नजर बनाए हुए हैं। आईसीएमआर के डेटा के अनुसार मौजूदा समय में एचएमपीवी के मामलों में कोई तेज बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। संयुक्त निगरानी समिति ने 4 जनवरी को स्थिति की समीक्षा की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है और उनसे इस संबंध में जानकारी साझा करने का अनुरोध किया गया है। लोगों को किसी बात की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञआईसीएमआर के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन आर. गंगाखेडकर ने बताया कि एचएमपीवी भारत में लंबे समय से मौजूद है। इस संक्रमण से चार से पांच दिनों तक सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। अनावश्यक रूप से चिंता जताना उचित नहीं होगा, क्योंकि यह वायरस हमेशा से ही मौजूद रहा है। उन्होंने कहा कि जागरुकता औऱ सावधानी जरूरी है। जिस तरह करोना में लोगों ने हैंड हाइजीन का ख्याल रखा उसी तरह से इस वायरस में भी लोगों को अपने हाइजीन का ख्याल रखना चाहिए।

एम्स दिल्ली के डॉ. नीरज निश्चल ने कहा कि इसकी (एचएमपीवी) तुलना कोविड-19 से नहीं करना चाहिए क्योंकि वह पूरी तरह से नया वायरस था और हममें से किसी में भी इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता नहीं थी। एचएमपीवी को 2001 से भारत में है। इससे 10 साल की उम्र तक, अधिकांश बच्चे इसके खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित कर लेते हैं। घबराने वाली बात नहीं है लेकिन सावधानी बरती जानी चाहिए।

एचएमपीवी के लक्षण

तेज बुखार,

सांस लेने में कठिनाई

त्वचा, होंठ या नाखूनों का नीला पड़ना

सर्दी-जुकाम जैसे हल्के लक्षण

कभी-कभी निमोनिया को ट्रिगर कर सकता

पुरानी श्वसन स्थितियों को बढ़ा सकता है।

खांसी या घरघराहट हो सकती है

नाक बहना,

गले में खराश होना लक्षणों में शामिल है।

बचाव के लिए क्या करें

एक्सपर्टस के मुताबिक एचएमपीवी एक पुराना वायरस है और इसके मामले पहले भी आए हैं। इससे बचने के लिए भीड़-भाड़ वाले और बंद जगहों पर मास्क पहनना चाहिए।

खांसी और छींक आने पर मुंह को ढंक ले

अपने हाथों को नियमित रूप से साफ करें ।

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स्वास्थ्य मंत्री ने किया अखंड ज्योति लैब्स का शुभारंभ, कहा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सपने को साकार करने में जुटा है यह अस्पताल

अखंड ज्योति लैब्स का शुभारंभ: विजन 2030 के लक्ष्यों को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

Chhapra : अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल ने अपने महत्वाकांक्षी विजन 2030 की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए, अखंड ज्योति लैब्स का शुभारंभ किया, जिसका उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के हाथों संपन्न हुआ। यह अत्याधुनिक नेत्र अनुसंधान प्रयोगशाला नेत्र स्वास्थ्य के क्षेत्र में शोध और साक्ष्य आधारित सेवाओं को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का संकल्प है।

इस ऐतिहासिक अवसर पर, बिहार सरकार के माननीय स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मुख्य अतिथि के रूप में अखंड ज्योति के प्रयासों की सराहना की और कहा, “यह प्रयोगशाला बिहार के नेत्र स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम करेगी और इसे पूरे देश में एक उदाहरण के रूप में देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार का आभार व्यक्त करता हूं, जो स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से राष्ट्र की सेवा को संकल्पित हैं। इनके द्वारा सुदूर देहात में 500 बेड का यह अस्पताल सराहनीय है, जिसका लाभ ना सिर्फ बिहार बल्कि दूसरे प्रदेशों के लोगों को भी मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि आज मुझे इस अस्पताल में नए लैब के उद्घाटन का सौभाग्य मिला है। यहां यकीनन बेहतर परीक्षण होगा और यह अस्पताल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य समाज के सपने पर खड़ा उतरने का काम कर रहा है। साथ ही यहां आयुष्मान योजना का भी लाभ गरीबों को मिल रहा है।” उद्घाटन के उपरांत मंत्री ने इस क्षेत्र में आई सेंटर स्थापित करने का भी सुझाव दिया और कहा कि इसमें जो भी मदद की जरूरत होगी, उसके लिए बिहार सरकार तत्पर है।

आपको बता दें कि अखंड ज्योति लैब्स में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, हिस्टोपैथोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री और हेमेटोलॉजी जैसी उन्नत परीक्षण सुविधाएँ उपलब्ध हैं। यह प्रयोगशाला नेत्र स्वास्थ्य में साक्ष्य आधारित उपचार को बढ़ावा देगी और विजन 2030 के तहत हर साल 50 शैक्षणिक शोध पत्र प्रकाशित करने की क्षमता विकसित करेगी।

पिछले सप्ताह अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल ने अपने ऐतिहासिक विजन 2030 की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य है बिहार को अंधता मुक्त बनाना और लाखों लोगों की आँखों की रोशनी लौटाना। उस अवसर पर गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की 50 फीट ऊँची जागृत प्रतिमा का अनावरण भी किया गया था।

अखंड ज्योति लैब्स विजन 2030 के उन लक्ष्यों को साकार करने का एक सशक्त माध्यम बनेगी, जिनमें उच्च गुणवत्ता वाली नेत्र स्वास्थ्य सेवाएँ, साक्ष्य आधारित उपचार और नेत्र अनुसंधान को बढ़ावा देना शामिल है।

अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल के इस प्रयास का उद्देश्य न केवल बिहार के नेत्र स्वास्थ्य में सुधार लाना है, बल्कि इसे पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनाना है। इस लैब के माध्यम से नेत्र स्वास्थ्य अनुसंधान को नई दिशा दी जाएगी और ग्रामीण बिहार को विश्व स्तरीय चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी।

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Chhapra: जिला के सभी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं आम लोगों को मिले, इसके लिये प्रशासन लगातार प्रयासरत है। कुछ प्रखंड स्वास्थ्य सेवाओं के विभिन्न इंडिकेटर में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं तो कुछ प्रखण्डों का प्रदर्शन कमतर है। जिलाधिकारी ने कमतर प्रदर्शन करने वाले छः प्रखंडों- सदर, नगरा, रिविलगंज, लहलादपुर, दिघवारा एवं मशरख के एमओआईसी, बी एच एम , बी सी एम आदि के साथ बैठक किया।

जिलाधिकारी ने पंचायत की आबादी के अनुरूप समानुपातिक तरीके से स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने हेतु प्रयास करने को कहा। ऐसे गाँव/पंचायतों की पहचान करें, जहाँ से निकटतम स्वास्थ्य सुविधा औसत से अधिक दूरी पर स्थित है। यहाँ अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना हेतु पहल की जायेगी। जहाँ भी अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता है, इसके बारे में जानकारी दें। ताकि आवश्यकतानुसार स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जा सके।

उन्होंने सभी अस्पतालों में सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही शत प्रतिशत दवाओं की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा। इसके लिए बी एच एम प्रतिदिन दवाओं के स्टॉक की मॉनिटरिंग करेंगे तथा ससमय आवश्यक दवाओं का डिमांड (इंडेंट) भेजना सुनिश्चित करेंगे।

सभी एमओआईसी रेंडमली जाँच करेंगे कि डॉक्टर मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिख रहे हैं कि नहीं। अगर जेनेरिक दवा नहीं लिख रहे हैं, तो उसका स्पष्ट कारण लिखा गया है या नहीं।

एएनसी कवरेज को बढ़ाने के लिये कार्रवाई करने को कहा गया। निजी अस्पतालों में प्रसव कराने वाली महिलाओं की आशावार सूची तैयार कर इसकी समीक्षा करने को कहा गया।

बैठक में सिविल सर्जन, डीपीएम सहित स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न जिला स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

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Chhapra: फाइलेरिया को जड़ से मिटाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इसको लेकर विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। हर साल फाइलेरिया से बचाव के लिए सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है।

सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम से पूर्व जिले में नाइट ब्लड सर्वे किया जाता है। जिससे माइक्रो फाइलेरिया के बारे में पता लगाया जाता है। फिर से जिले में नाइट ब्लड सर्वे किया जाना है।

इसको लेकर जिले के प्रत्येक प्रखंड में एक सेंटिनल साइट तथा एक रैंडम साइट बनाया गया है। जिले में कुल 42 साइट चयनित किया गया है। जहां नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 20 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का ब्लड सैंपल लिया जायेगा।

इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर सदर अस्पताल स्थित जीएनएम स्कूल परिसर में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें सीएचओ और एएनएम को प्रशिक्षण दिया गया।

रात में हीं शरीर में एक्टिव होता है माइक्रो-फाइलेरिया:

प्रशिक्षण देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के जोनल कोर्डिनेटर डॉ. माधुरी ने बताया कि सामान्य व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान रात में ही हो सकता है। क्योंकि रात में ही किसी व्यक्ति का शरीर आराम की अवस्था में रहता है। ऐसे समय में ही शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया खून में एक्टिव अवस्था में होते हैं। इस समय जांच करने से उनमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है. जिसे मेडिकल सहायता प्रदान करते हुए सुरक्षित किया जा सकता है।

मुखिया-चौकदार और जनप्रतिनिधियों का लिया जायेगा सहयोग:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे से पहले सोशल मोबलाइजेशन आवश्यक है। इसको लेकर पंचायत के मुखिया, वार्ड सदस्य, चौकीदार, विकास मित्र के सहयोग जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। इसके साथ हीं आशा कार्यकर्ता और आंगनबाडी सेविका द्वारा घर-घर जाकर नाइट ब्लड सर्वे की जानकारी दी जायेगी। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग साइट पर आकर अपना ब्लड सैंपल दे सके। उन्होने बताया कि इसके लिए 5 सदस्यीय टीम का गठन किया जायेगा। जिसमें लैब टेक्निशियन, एएनएम, बीसीएम, सीएचओ, आशा कार्यकर्ता शामिल होंगी। साथ हीं प्रखंड स्तर पर माइक्रो प्लान तैयार किया गया है। सोशल मोबलाइजेशन में सीएचओ की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। साथ हीं सुपरविजन के लिए जिलास्तर पर टीम गठित किया जायेगा। टीम की जिम्मेदारी होगी कि क्षेत्रों में जाकर जांच करेगी कि नाइट ब्लड सर्वे बेहतर ढंग से चल रहा है या नहीं।

प्रत्येक प्रखंड में बनाया गया दो-दो साइट:

जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने बताया कि जिले में प्रत्येक प्रखंड में 1 सेंटिनल तथा 1 रैंडम साइट बनाया गया है। यह साइट माइक्रो- फाइलेरिया के मरीजों के संख्या के आधार पर बनाया गया है। प्रत्येक साइट पर 300 लोगों का सैंपल लिया जाना है। चार दिनों में प्रत्येक साइट पर 20 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का सैंपल कलेक्शन किया जायेगा और जांच किया जायेगा कि उनके शरीर में माइक्रो- फाइलेरिया है या नहीं। इस मौके पर जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेशचंद्र कुमार, एनसीडीओ भूपेंद्र नारायण सिंह, वीडीसीओ अनुज कुमार, पिरामल के डीएल हरिशंकर कुमार, प्रोग्राम लीड अरविन्द पाठक, पीओसीडी पंकज शर्मा, सीफार के डिविजनल प्रोग्राम कोर्डिनेटर गनपत आर्यन, प्रोग्राम एसोसिएट कृष्णा सिंह समेत सभी सीएचओ, एएनएम, वीबीडीएस मौजूद थे।

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– 20 नवंबर से अगले 30 नवंबर तक चलेगा कालाजार रोगी खोज अभियान
– कालाजार प्रभावित प्रखंडों में कालाजार मरीजों के घर के 500 मीटर के परिधि में रोगी की होगी खोज

Chhapra: जिले में कालाजार मरीजों की खोज के लिए अभियान चलाया जाएगा। अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की खोज करेंगी। स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार कालाजार उन्मूलन के लिए वर्ष में चार चक्र में घर-घर कालाजार के संभावित रोगों की खोज करने का प्रावधान है। जिसके तहत जिले में यह अभियान 20 नवंबर से 30 नवंबर तक संचालित की जाएगी। आशा कार्यकर्ता के द्वारा घर-घर जाकर कालाजार रोगियों की खोज की जाएगी. अभियान वर्ष 2020, 21, 22 एवं 23 एवं सितंबर 2024 में कालाजार प्रभावित प्रखंडों में प्रतिवेदित कालाजार मरीजों के घर के 500 मीटर के परिधि में (200 से 250 घर ) अवस्थित घर घर जाकर वीएल /एचआईवी +पीकेडीएल रोगी की खोज जाएगी। क्षेत्र में अभियान की सफलता को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

हर पीएचसी पर मुफ्त जांच सुविधा उपलब्ध :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है। कालाजार की किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है। हर सेंटर पर कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हैं।

सरकार द्वारा रोगी को मिलती है आर्थिक सहायता :

सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है।

कालाजार के कारण :
कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस (बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है।

कैसे होगी कालाजार रोगियों की पहचान:

वैसे मरीज कालाजार के रोगी हो सकते हैं जिन्हें
•15 दिन से ज्यादा से बुखार हो
•जिन्हें भूख नहीं लगती हो, उदर बड़ा हो रहा हो
•जिनका वजन लगातार कम हो रहा हो
•शरीर का काला पड़ रहा हो
•वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार न हो पर उनके शरीर पर दाग हो और पूर्व में कालाजार के रोगी रह चुके हों

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बिहार के बोधगया को बुद्धिस्ट सर्किट से जोड़ा जाएगा: सतपाल महाराज

-पटना में दो दिवसीय ‘यात्रा एवं पर्यटन मेला (टीटीएफ)’ शुरू

पटना:  बिहार के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे उत्तराखंड सरकार ने पर्यटन धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने आज यहां कहा कि बोधगया (जहां भगवान बुद्ध को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था) को बुद्धिस्ट सर्किट से और पटना साहिब गुरुद्वारा को पोंटा साहिब से जोड़ने का प्रयास होगा।

बिहार सरकार की मेजबानी में दो दिवसीय ‘यात्रा एवं पर्यटन मेला (टीटीएफ)’ के शुभारंभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महाराज ने कहा कि देश एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का अहम योगदान होता है। पर्यटन के माध्यम से ही हमें नई जगह की संस्कृति और वहां के इतिहास का पता चलता है। हमारे देश के ऋषि मुनियों ने भी पर्यटन को प्रथम महत्व दिया है। प्राचीन गुरुओं, ब्राह्मणों, ऋषियों और तपस्वियों ने कहा है कि बिना पर्यटन मानव अन्धकार प्रेमी होकर रह जायेगा। पाश्चात्य विद्वान आगस्टिन ने कहा है कि बिना विश्व दर्शन ज्ञान ही अधूरा है।

महाराज ने कहा कि बिहार स्थित गंगा की सहयक नदी पुनपुन और गया को, जहां पिंड दान करने का महत्व है उसे बद्रीनाथ धाम में स्थित ब्रह्मकपाल से जोड़ते हुए देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम को भी उत्तराखंड स्थित केदारनाथ से जोड़ा जाएगा ताकि श्रद्धालुओं को इनके पौराणिक और धार्मिक महत्व की जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सुव्यवस्थित मास्टर प्लान के तहत केदारनाथ धाम एवं बद्रीनाथ धाम के साथ ही जागेश्वर धाम, महासू, टिम्मरसैण आदि का विकास कर रही है। इस वर्ष अभी तक लगभग 42.00 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आ चुके हैं।

महाराज ने कहा कि हमारी सरकार राज्य में शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सीमांत गांवों, दूरस्थ गतंव्यों में केंद्र सरकार की वाईब्रेंट विलेज योजना के तहत पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय निवासियों के पलायन की समस्या को रोकने की दिशा में कार्य कर रही है। उत्तराखण्ड पर्यटन द्वारा शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने के लिए एक नई पहल शुरू की गयी है, जिसमें यात्रियों, श्रद्धालुओं को हैली के माध्यम से भगवान शिव के निवास स्थान आदि कैलाश तथा ऊँ पर्वत के दर्शन कराये जा रहे हैं। इसके अलावा राज्य में खगोलीय पर्यटन (एस्ट्रो टूरिज्म) को बढ़ावा दिये जाने के लिए कार्य किया जा रहा है।

महाराज ने कहा कि उत्तराखंड में एस्ट्रो टूरिज्म गंतव्यों की बहुतायत है। उत्तराखंड अपने विशाल वन क्षेत्र, प्रकृति आधारित पर्यटन और होम-स्टे के साथ एस्ट्रो टूरिस्ट की पसंद बनने के लिए विशिष्ट स्थिति में है। उत्तराखण्ड पर्यटन द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों पर नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) का आयोजन शुरू किया गया है, जो भारत का पहला वार्षिक अभियान है। उत्तराखण्ड पर्यटन द्वारा आयोजित प्रथम दो नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) की अपार सफलता को देखते हुए अब 08 से 10 नवम्बर तक बेनीताल, चमोली में तृतीय नक्षत्र सभा (एस्ट्रो टूरिज्म) का आयोजन होगा।

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नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (हि.स.)। हरियाणा के बहादुरगढ़ के रहने वाले एक 24 वर्षीय फैक्ट्री कर्मचारी का कटा हुआ हाथ दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने माइक्रोवैस्कुलर तकनीक से सफल ऑपरेशन कर जोड़ दिया। सर्जरी के बाद मरीज अब बिलकुल ठीक है। नौ घंटे चले इस ऑपरेशन में सर्जरी टीम में वरिष्ठ निवासी डॉ. सोनिका, डॉ. सुकृति, डॉ. धवल, डॉ. बुली और डॉ. विग्नेश और ऑर्थोपेडिक्स से डॉ. मंजेश और डॉ. शुभम शामिल थे।

घटना के अनुसार 29 सितंबर को 24 वर्षीय फैक्ट्री कर्मचारी का लेजर वुडकटर मशीन पर काम करते हुए दाहिना हाथ पूरी तरह से कट कर अलग हो गया। कर्मचारी ने खुद अपना कटा हुआ हाथ उठाया और स्थानीय अस्पताल पहुंचा। वहां से उसे दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां उसे तुरंत प्लास्टिक सर्जरी विभाग में भर्ती किया गया। मरीज की हालत देख प्रोफेसर डॉ. मुकेश शर्मा के नेतृत्व में एक टीम ने तुरंत एनेस्थीसिया टीम को सतर्क किया। ओटी, ऑर्थोपेडिक टीम, ओटी नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ, ब्लड बैंक और लैब और उन्हें तुरंत ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और हड्डियों और टेंडन को ठीक करके और माइक्रोस्कोप के तहत धमनियों, नसों और नसों को जोड़कर हाथ को फिर से लगाने में लगभग 9 घंटे लग गए।

आरएमएल अस्पताल के निदेशक प्रोफेसर डॉ. समीक भट्टाचार्य ने बताया कि यदि कटे हुए हिस्से को छह घंटे से कम समय में अस्पताल लाया जाता है तो सफल पुनर्रोपण की अच्छी संभावना होती है। उन्होंने कहा कि कटे हुए हिस्से को पानी से साफ किया जाना चाहिए या, एक सीलबंद वॉटरटाइट बैग में रखा जाना चाहिए। फिर बैग को आइस बॉक्स में रखना चाहिए।

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स्वच्छता पखवाड़ा के अन्तर्गत अंतरगर्त छपरा जंक्शन पर फूड स्टॉल और पेंट्री कार को किया गया चेक

Chhapra: पूर्वोत्तर रेलवे पर ‘स्वच्छ भारत मिशन‘ की 10 वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘स्वभाव स्वच्छता – संस्कार स्वच्छता‘ थीम पर चलाये जा रहे स्वच्छता ही सेवा अभियान के अन्तर्गत आज 29 सितम्बर, 2024 को तेरहवें दिन मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव के निर्देशन एवं वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजिनियर अभिषेक राय के नेतृत्व में पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल पर चल रहे स्वच्छता पखवाड़ा के अन्तर्गत अंतरगर्त छपरा जंक्शन पर फूड स्टॉल और ट्रेन नं. 12565 के पेंट्री को चेक किया गया, सभी वेंडर का मेडिकल चेक किया गया , वेंडरों को हेल्थ हाइजिन को लेकर हेल्थ एजुकेशन दिया गया और विक्रय हेतु रखें सामानों का एक्सपायरी चेक किया गया जिसमें कूड़ा कूड़ेदान में ही डालने के लिए बताया गया, जागरूक किया गया की गीला कचरा हरा रंग के डस्टबिन में डालें और सूखा कचरा ब्लू कलर के डस्टबिन में डालें तथा हजार्ड वेस्ट को येलो कलर के डस्टबिन में डालें. खाना पैक करते समय हाथ साफ सुथरे हो नाखून बड़े न हो और न ही गंदे हो , खाना हमेशा ढाका होना चाहिए और मक्खियां नहीं लगनी चाहिए।

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एक पेड़ मां के नाम ” अभियान के अंतर्गत किया गया पौधा रोपण

Chhapra; मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव के निर्देशन एवं वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजिनियर अभिषेक राय के नेतृत्व में पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल पर 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक “स्वच्छता ही सेवा” पखवाड़ा “स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता” की थीम पर विभिन्न कार्यक्रम मनाया जा रहा है ।

“स्वच्छता ही सेवा” के पांचवें दिन 21 सितम्बर को वाराणसी मंडल के सभी 116 स्टेशनों पर स्वच्छता ही सेवा अभियान के पांचवें दिन की शुरुआत “एक पेड़ मां के नाम ” अभियान के अंतर्गत पौधा रोपण किया गया और जनमानस को जागृत करते हुए यह संदेश दिया गया कि सभी व्यक्ति अपने आस पास खाली जगह पर, सड़क के किनारे, स्कूल के खाली जगह पर एक पेड़ अपने मां के नाम जरूर लगाए जिससे बढ़ते तापमान और जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अपना योगदान दे सके और आने वाले भविष्य में अपने बच्चों के लिए स्वच्छ सुंदर वातावरण उपलब्ध करा सके। “सेल्फी पॉइंट”लगाकर रेल कर्मचारी और यात्रियों के द्वारा सेल्फी लेकर मनोविनोद किया गया। साथ ही जन मानस के बीच यह संदेश भी दिया गया कि कोई भी काम हम सभी मिलकर करें तो असंभव काम भी संभव हो जाता है। “स्वच्छता कैंपेन” चला कर जन मानस को जागृत करते हुए “स्वच्छता रैली “का आयोजन किया गया जिसमें यात्रियों को कूड़ा कुडेदान में ही डालने के लिए प्रेरित गया एवं उन्हें जागरूक किया गया कि गीला कचरा हरा रंग के डस्टबिन में डालें और सूखा कचरा नीले रंग के डस्टबिन में डालें तथा हजार्ड वेस्ट को पीले रंग के डस्टबिन में डालें ।

इसके साथ ही साथ मंडल के प्रमुख स्टेशनों पर रेल यात्रियों में स्वच्छता के प्रति जनजागरूकता लाने हेतु सार्वजनिक जागरूकता कार्यशाला, सेल्फी पॉइंट लगाकर, सामूहिक श्रमदान, human chain,Youth Connect, वृक्षारोपण, स्वच्छता मित्र सुरक्षा शिविर, इत्यादि का आयोजन किया गया ।

इसी क्रम में आज दिनांक 21.09.2024 को स्वच्छता ही सेवा अभियान 24 “एक पेड़ माँ के नाम”कार्यक्रम के अंतर्गत छपरा जं. ‘ के प्लेटफार्म क्रमांक 04/05 के पश्चिमी दिशा में स्थित उधान के अंदर स्टेशन- मास्टर राजन कुमार , मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक नीरज कुमार शर्मा, सुमन कुमार, सुधीर कुमार निराला, सुरभि कुमारी, कोचिंग डीपो प्रभारी अरुण कुमार,भारती सुरक्षा परियोजना प्रबंधक सरजेश सिंह और सफाई मित्रों के द्वार वृक्षा रोपण किया गया, स्वच्छ्ता जागरुकता सेल्फी प्वाइंट पर यात्रीयों , स्टेशन मास्टर,स्वास्थ्य निरीक्षको,सफाई मित्रो और बच्चों का फोटो लिया गया, और अपने आस-पास गन्दगी नहीं करने की कसम ली गई ,तथा CTU 03 पर श्रमदान किया गया I

इसी क्रम में एक पेड़ मां के नाम

सoमoसिoदूoईo/छपरा द्वारा सीनियर सेक्शन इंजीनियर/ सिगनल /छपरा के कार्यालय में लगाया गया । उक्त अवसर पर सभी कर्मचारीगण सामूहिक रूप से सीनियर सेक्शन इंजीनियर/सिगनल/ छपरा कार्यालय की साफ-सफाई किये।

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स्वच्छता के प्रति लोगों को किया गया जागरूक

Chhapra : मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव के निर्देशन एवं वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजिनियर अभिषेक राय के नेतृत्व में पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल पर 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक “स्वच्छता ही सेवा” पखवाड़ा “स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता” की थीम पर विभिन्न कार्यक्रम मनाया जा रहा है ।

“स्वच्छता ही सेवा” के तृतीय दिवस 19 सितम्बर को वाराणसी मंडल के बनारस, वाराणसी सिटी, गाजीपुर सिटी,प्रयागराज रामबाग, बलिया, बेल्थरारोड, मऊ, आजमगढ़, भटनी, देवरिया सदर,मैरवां,सीवान एवं छपरा रेलवे स्टेशनों पर और सभी प्रमुख स्टेशनों पर (Marathon/Walkathon/Cyclothon) तेज कदम चाल एक तय दूरी की यात्रा करके स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया ।

इसके साथ ही मंडल के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर रेल यात्रियों में स्वच्छता के प्रति जनजागरूकता लाने हेतु सार्वजनिक जागरूकता कार्यशाला, सामूहिक श्रमदान, मानव श्रृंखला, वृक्षारोपण, स्वच्छता मित्र सुरक्षा शिविर, स्वच्छ खाद्य के अंतर्गत दुकानों पर सफाई अभियान का आयोजन किया गया ।

इसी क्रम में आज दिनांक 19.09.2024 को स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत छपरा जंक्शन पर Walkathon का आयोजन किया गया और सभी कर्मचारियों द्वारा CTU एरिया में श्रमदान किया गया। इसमें Sr.DMO डॉ विष्णु प्रभाकर, मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक नीरज कुमार शर्मा, मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक सुधीर कुमार निराला, स्वास्थ्य निरीक्षक सुमन कुमार, स्टेशन अधीक्षक राजन कुमार, मंडल वाणिज्य निरीक्षक गणेश यादव,IPF मुकेश कुमार सिंह, वरिष्ठ खंड अभियंता (कार्य ) राकेश कुमार, कोचिंग डिपो प्रभारी अरूण कुमार एवं अन्य रेल कर्मचारी गण भाग लिए। छपरा स्टेशन पर स्वच्छता ही सेवा पखवाड़ा स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता की थीम पर मानव श्रृंखला बनाकर श्रमदान किया गया तथा स्वभाव स्वच्छता-संस्कार स्वच्छता की थीम पर रैली निकालकर आम जं को जागरूक किया गया ।

इसके अतिरिक्त वाराणसी मंडल पर स्वच्छता से जुड़ी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रहीं है । जिसमें बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान, कचरे की सफाई के साथ सेल्फी प्वाइंट बनाना, रेलवे की वेबसाइट पर ‘स्वच्छता ही सेवा’ लोगो/बैनर लगाना, ट्रेनों/स्टेशनों में कचरे के उचित निपटान के सम्बन्ध में यात्रियों को जागरूक करने के लिए नियमित घोषणा करना, जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘‘स्वच्छ रेल स्वच्छ भारत‘‘ के नारे के साथ प्रभात फेरी निकालना, यात्रियों को जागरूक करने के लिए रेलवे स्टेशनों पर गैर सरकारी संगठनों, धार्मिक निकायों और स्कूली बच्चों की मदद से नुक्कड़ नाटक आयोजित करना आदि शामिल है।

इस अभियान में रेल अधिकारी, कर्मचारी एवं सफाई कर्मचारी अपना योगदान कर रहे हैं।

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एनिमिया जागरूकता सह जाँच गतिविधि का हुआ आयोजन

Chhapra:  जिला हब फॉर एम्पॉवर्मेंट ऑफ वुमेंन् सारण महिला एवं विकास निगम तथा ICDS एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान मे 100 दिवस कैलेंडर गतिविधि के तहत एनिमिया जागरूकता सह जाँच गतिविधि का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी इसुआपुर, MOIC तूलिका कुमारी, डीपीएम प्रेम प्रकाश, डीएमसी निभा कुमारी एवं अन्य के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया गया।

इस अवसर पर वहां उपस्थित सभी गर्भवती धात्री महिलाओं एवं किशोरियों तथा सामान्य महिलाओं को एनीमिया की जांच कराने हेतु समझाया गया एवं साथ ही यह बताया गया कि एनीमिया की जांच करवाना क्यों आवश्यक है। एनीमिया क्या है और इसके लक्षण क्या है और इसके क्या-क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं।

डीपीएम महिला एवं बाल विकास निगम प्रेम प्रकाश ने कहा कि आयरन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो शरीर में विशेष तत्व हीमोग्लोबिन के निर्माण में योगदान देता है। आहार में आयरन की कमी के कारण रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाती है जिससे शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। ऐसी स्थिति को ही एनीमिया कहते हैं।

डीएमसी निभा कुमारी ने कहा कि एनीमिया से पीड़ित होने की स्थिति खून में हीमोग्लोबिन के स्तर की जांच के आधार पर ही की जा सकती है। फिर भी हम कुछ लक्षणों के आधार पर स्वयं भी एनीमिया की पहचान कर सकते हैं। जैसे त्वचा का पीला पड़ना, हाथों का पीलापन, जल्दी थक जाना, सांस फूलना, पढ़ाई में मन नहीं लगना, किसी भी अन्य कार्य में मन नहीं लगा, सुस्ती और नींद आते रहना, जल्दी-जल्दी बीमार पड़ना इसके अन्य लक्षण है। जिनके आधार पर एक सामान्य इंसान भी एनीमिया की पहचान कर सकता है। एनीमिया के कारण अनुचित मातृ स्वास्थ्य एवं प्रजनन का दुष्परिणाम भी होता है। जैसे समय से पहले बच्चे का जन्म। जन्म के समय बच्चे का कम वजन, मातृ एवं नवजात शिशु की मृत्यु इत्यादि पहले या दूसरी तिमाही में गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने से यह खतरा और भी बढ़ जाता है।

एनीमिया से बचने के लिए हमें हरी साग सब्जियां और फल अनाज जैसे रागी, मडुवा, गेहूं, ज्वार, बाजरा, अंकुरित चना, मूंगफली तिल, गुड, ड्राई फ्रूट्स अंडा, मछली मांस और विटामिन सी की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए।

बताया गया कि इसके लिए सभी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 की छात्राओं के लिए गुलाबी गोली तथा नीले रंग की गोली दी जाती है। साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से भी इसकी गोली बटवाई जाती है। जो भी किशोरी या स्कूल जाने वाली या प्रजनन आयु वर्ग की है उन्हें अवश्य आयरन की गोली को खानी चाहिए तथा समय-समय पर अपना एनीमिया का जांच भी करवाते रहना चाहिए।

इस कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं महिला पर्यवेक्षिका आदि उपस्थित थीं।

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