एनिमिया जागरूकता सह जाँच गतिविधि का हुआ आयोजन

एनिमिया जागरूकता सह जाँच गतिविधि का हुआ आयोजन

एनिमिया जागरूकता सह जाँच गतिविधि का हुआ आयोजन

Chhapra:  जिला हब फॉर एम्पॉवर्मेंट ऑफ वुमेंन् सारण महिला एवं विकास निगम तथा ICDS एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान मे 100 दिवस कैलेंडर गतिविधि के तहत एनिमिया जागरूकता सह जाँच गतिविधि का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी इसुआपुर, MOIC तूलिका कुमारी, डीपीएम प्रेम प्रकाश, डीएमसी निभा कुमारी एवं अन्य के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया गया।

इस अवसर पर वहां उपस्थित सभी गर्भवती धात्री महिलाओं एवं किशोरियों तथा सामान्य महिलाओं को एनीमिया की जांच कराने हेतु समझाया गया एवं साथ ही यह बताया गया कि एनीमिया की जांच करवाना क्यों आवश्यक है। एनीमिया क्या है और इसके लक्षण क्या है और इसके क्या-क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं।

डीपीएम महिला एवं बाल विकास निगम प्रेम प्रकाश ने कहा कि आयरन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है जो शरीर में विशेष तत्व हीमोग्लोबिन के निर्माण में योगदान देता है। आहार में आयरन की कमी के कारण रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाती है जिससे शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। ऐसी स्थिति को ही एनीमिया कहते हैं।

डीएमसी निभा कुमारी ने कहा कि एनीमिया से पीड़ित होने की स्थिति खून में हीमोग्लोबिन के स्तर की जांच के आधार पर ही की जा सकती है। फिर भी हम कुछ लक्षणों के आधार पर स्वयं भी एनीमिया की पहचान कर सकते हैं। जैसे त्वचा का पीला पड़ना, हाथों का पीलापन, जल्दी थक जाना, सांस फूलना, पढ़ाई में मन नहीं लगना, किसी भी अन्य कार्य में मन नहीं लगा, सुस्ती और नींद आते रहना, जल्दी-जल्दी बीमार पड़ना इसके अन्य लक्षण है। जिनके आधार पर एक सामान्य इंसान भी एनीमिया की पहचान कर सकता है। एनीमिया के कारण अनुचित मातृ स्वास्थ्य एवं प्रजनन का दुष्परिणाम भी होता है। जैसे समय से पहले बच्चे का जन्म। जन्म के समय बच्चे का कम वजन, मातृ एवं नवजात शिशु की मृत्यु इत्यादि पहले या दूसरी तिमाही में गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने से यह खतरा और भी बढ़ जाता है।

एनीमिया से बचने के लिए हमें हरी साग सब्जियां और फल अनाज जैसे रागी, मडुवा, गेहूं, ज्वार, बाजरा, अंकुरित चना, मूंगफली तिल, गुड, ड्राई फ्रूट्स अंडा, मछली मांस और विटामिन सी की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए।

बताया गया कि इसके लिए सभी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 की छात्राओं के लिए गुलाबी गोली तथा नीले रंग की गोली दी जाती है। साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से भी इसकी गोली बटवाई जाती है। जो भी किशोरी या स्कूल जाने वाली या प्रजनन आयु वर्ग की है उन्हें अवश्य आयरन की गोली को खानी चाहिए तथा समय-समय पर अपना एनीमिया का जांच भी करवाते रहना चाहिए।

इस कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं महिला पर्यवेक्षिका आदि उपस्थित थीं।

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