Chhapra: कोविड-19 संक्रमण काल के बीच IIT और नीट की परीक्षा टालने के लिए छपरा के युवक के साथ देशभर विभिन्न राज्यों के 11 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका के जरिए सितंबर महीने में होने वाले IIT  और नीट की परीक्षा को टालने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं में छपरा के रहने वाले मानस चंद्र भी शामिल है.

मानस चंद्र मेडिकल की तैयारी कर रहे थे और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट की टालने की मांग की है. परीक्षा टालने की याचिका डालने का मुख्य कारण कोरोनावायरस महामारी है. मानस के अनुसार बिहार में कोविड-19 तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में छात्रों के सामने स्वास्थ्य को लेकर बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है. मानस कहते हैं कि लाखों की संख्या में छात्र और छात्राएं नीट और आईआईटी की परीक्षाएं देंगे. ऐसे में खतरा बढ़ जाएगा.

आपको बता दें कि  देश भर में आईआईटी के लिए 11 लाख छात्रों ने फ़ॉर्म भरे हैं. जबकि नीट की परीक्षा के लिए 16 लाख छात्रों ने आवेदन किया है. COVID-19 को देखते हुए पहले भी 3 बार IIT और NEET की परीक्षाओं की तारीख़ को बढ़ाया जा चुका है. अब जो तारीख आई है उसके अनुसार IIT परीक्षा 1 से लेकर 6 सितंबर तक और NEET की परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित की जाएगी

हालांकि छात्रों का मानना है कि कोरोना संक्रमण काल में जहां देशभर में परीक्षाओं को टाला जा रहा है ऐसे में आईआईटी और नीट की परीक्षाओं को भी टालना जरूरी है. देशभर में लाखो छात्र IIT और NEET की परीक्षा देंगे, ऐसे में संक्रमण बढ़ने का खतरा बढ़ जाएगा .

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Chhapra: बिहार राज्य सरकार की शिक्षा व्यवस्था के प्रति उदासीनता जग जाहिर है. वास्तविकता किसी से छुपी नहीं है. इसका दंश हमारे समाज को लगातार झेलना पड़ रहा है. शिक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता के कारण ऐसे में सबसे अधिक पीड़ा छात्रों को सहना पड़ रहा है. उक्त बातें एआईएसएफ के राज्य -पार्षद अमित नयन ने कही.

उन्होने का कि आईटीआई उत्तीर्ण छात्रों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है. बिहार के किसी भी विश्वविद्यालय में आईटीआई पास स्टूडेंट स्नातक में नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पा रहे हैं. राज्य -पार्षद ने बताया कि आवेदन फॉर्म में आईटीआई उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए कोई ऑप्शन नहीं दिया गया है. जिसके कारण बिहार बोर्ड से आईटीआई उत्तीर्ण विद्यार्थी काफी परेशान हैं. ज्ञात हो कि 2019 में बिहार बोर्ड ने आईटीआई पास छात्रों को अलग से इंटरमीडिएट की परीक्षा देने की जरूरत को खत्म कर दिया था. आईटीआई में हिंदी और अंग्रेजी शामिल नहीं होता है, इसलिए उन्हें सिर्फ हिंदी और अंग्रेजी की परीक्षा देने पर राज्य सरकार की मुहर लगी थी. पिछले साल बिहार बोर्ड ने इंटरमीडिएट के समकक्ष सर्टिफिकेट इन छात्रों को दिया था. इन सभी छात्रों को गणित विषय से इंटरमीडिएट सफल माना गया था. लेकिन इस वर्ष आईटीआई पास छात्रों का किसी भी विश्वविद्यालय में नामांकन के लिए दाखिले का आवेदन नहीं हो पा रहा है. जिससे छात्र काफी परेशान हैं.

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Chhapra: सारण जिले के छपरा में स्थित सुप्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान “विवेकानंद इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल” को उचित गुणवत्त्ता वाले मापदंडों के आधार पर सबसे कम समयावधि में CBSE द्वारा उच्चतर माध्यमिक शिक्षा की मान्यता प्रदान की गई है. यह जानकारी VIPS के निदेशक राहुल राज ने दी है. इसके साथ ही विद्यालय को सेंट्रल बोर्ड की ओर से पंजीकृत कोड भी प्रदान किया गया है. विद्यालय का पंजीयन कोड- 330778 है. अब माध्यमिक बोर्ड से उतीर्ण छात्र-छात्रा पूर्ण विश्वसनीयता के साथ ग्यारहवीं कक्षा में किसी भी संकाय से चाहे वह कला हो, विज्ञान हो या वाणिज्य, इस विद्यालय में नामांकन ले कर अपनी उच्च शिक्षा के जरिये अपने भविष्य को एक बेहतर आयाम दे सकते हैं.

जिसके अंतर्गत अर्थशास्त्र, भौतिकी, रसायन शास्त्र, गणित, अंग्रेजी, शारीरिक शिक्षा, राजनीति शास्त्र इत्यादि जैसे तमाम चयनित विषयो के साथ अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं.

डॉ राहुल राज ने कहा कि अत्यंत गर्व की बात तो यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चो के लिए यह एक सुखद अवसर होगा जो कि उन्हें उनके आवास के समीप ही उच्चतर माध्यमिक की बेहतरीन शिक्षा मिल सकेगी, जिसके लिए उन्हें अपने घरों से दूर भी नही जाना पड़ेगा.


CBSE से मान्यता मिलने की सूचना प्राप्त होते ही पूरे विद्यालय परिवार सहित अभिभावकों और शिक्षकों में खुशी का माहौल कायम हो गया. निदेशक सह रिविलगंज प्रखंड प्रमुख ने अपने सभी सहयोगियों और समर्थकों का तहे दिल से आभार व्यक्त करते हुए उनका धन्यवाद किया तथा उन्होंने कहा कि विद्यालय स्थापित होने के महज चार वर्ष के इस अल्प समयावधि में CBSE के मापदंडों पर खड़ा उतरने में हमारे सभी कर्मयोगी, निष्ठावान शिक्षक-शिक्षिकाओं, कर्मचारियों, आदरणीय अभिभावकों एवं प्रिय छात्र-छात्राओं का सहयोग एवं सुझाव सराहनीय रहा है.

उन्होंने कहा कि विद्यालय ऐसे ही निरंतर ऊँचाइयों को छुए, उसके लिए आप सभी का सहयोग अपेक्षित है. विद्यालय के अध्यक्ष सह रिविलगंज पूर्व प्रखंड प्रमुख विपिन कुमार सिंह का इस विद्यालय को स्थापित करने के साथ-साथ प्रारम्भ काल से यही प्रयास रहा है कि ग्रामीण परिवेश में भी होने के बावजूद एवं छोटे शहरों में रहने वाले बच्चों को भी बड़े शहरों के तर्ज पर अत्याधुनिक शिक्षा एवं शैक्षणिक संसाधन एवं सुविधा उपलब्ध हो सके और उनका यह उद्देश्य सफलता की ओर अग्रसर है.

विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को कुशल एवं सुयोग्य शिक्षकों द्वारा आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ कंप्यूटर नॉलेज, स्मार्ट क्लास एवं अतिरिक्त बौद्धिक विकास हेतु “डे-बोर्डिंग” की सुदृढ़ व्यवस्था भी उपलब्ध करायी गयी है. शिक्षा के हर एक पहलू से उन्हें अवगत कराया जाता है ताकि भविष्य में उन्हें आने वाली समस्याओं को हल करने में भ्रमित न होना पड़े.


विद्यालय की प्रधानाध्यापिका महोदया ने इस अवसर पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि सही दिशा में किया गया निरंतर प्रयास का ही यह परिणाम है कि “विवेकानंद इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल” जिले का पहला स्कूल है जो चार साल के इस अल्प समयावधि में भी सी0बी0एस0ई0 के मानक को पूर्ण कर मान्यता प्राप्त कर लिया.

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Chhapra: ज़िले के तमाम कॉलेजों में बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट में एडमिशन शुरू हो गया है. दसवीं पास छात्रों को एडमिशन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसके तहत छात्रों को कॉलेजों की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा. जानकारी के अनुसार इंटरमीडिएट में नामांकन 12 अगस्त तक चलेगा.

छपरा के राजेंद्र महाविद्यालय में भी इंटर का नामांकन ऑनलाइन लिया जा रहा है. इसके लिए छात्रों को www.online.rajendracollege.org पर जाकर रजिस्टर करना होगा . वहीं से नामांकन की सारी जानकारी भरी जाएगी तथा प्रथम वर्ष का शुल्क भी ऑनलाइन जमा होगा. पूरी प्रक्रिया हो जाने के बाद छात्रों को फीस रसीद के साथ एप्लीकेशन फॉर्म डाउनलोड करना होगा तथा उसका प्रिंट अपने पास रखना होगा.

सभी दस्तावेज के भौतिक सत्यापन के उपरांत महाविद्यालय उनका नामांकन कंफर्म करेगा. दस्तावेज के भौतिक सत्यापन हेतु छात्रों को महाविद्यालय द्वारा सूचित किया जाएगा. वैश्विक महामारी को देखते हुए इस प्रक्रिया को अपनाया गया है ताकि छात्रों को सहज हो.

छात्रों को ऑनलाइन फॉर्म भरने के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी गई है. प्राचार्य प्रमेंद्र रंजन सिंह ने बताया है कि ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा छात्र हित में लाभदायक है. सारी जानकारी महाविद्यालय के नोटिस बोर्ड, सोशल मीडिया पेज और वेबसाइट पर पोस्ट कर दी गई है.

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सीवान निवासी ऋचा रत्नम ने मंगलवार, चार अगस्त को आए यूपीएससी – 2019 के फाइल परिणाम में 274वां स्थान हासिल किया है. ऋचा ने इंजीनियरिंग बैकग्रांउड के बावजूद हिंदी माध्यम से परीक्षा में सफलता पायी है. परीक्षा में उनका मुख्य विषय इतिहास था. ऋचा को यह सफलता पांचवें प्रयास में हासिल हुआ है, इससे पहले वे मुख्य परीक्षा तक पहुंची थीं.

ऋ़चा सीवान के जय प्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा में इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष डाॅ शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव की बेटी हैं. डाॅ श्रीवास्तव राजेंद्र काॅलेज, छपरा में भी इतिहास विभाग के अध्यक्ष रहे हैं. ऋचा की माता शशिकला श्रीवास्तव गृहिणी हैं. इनका पैतृक गांव सीवान जिले के आंदर प्रखंड के खेड़ाय में है. उनका पूरा परिवार पढाई से जुड़ा रहा है.

ऋचा रत्नम ने आरंभिक शिक्षा सीवान के महावीर सरस्वती विद्या मंदिर से प्राप्त किया था. वहीं से उन्होंने सीबीएसइ बोर्ड से दसवीं व बारहवीं की पढाई पूरी की और फिर जयपुर स्थित विवेकानंद इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी कंप्यूटर साइंस में बीटैक किया.

ऋचा 2014 से सिविल सर्विस की तैयार कर रही थीं. उन्होंने फुल टाइम कोचिंग कहीं से नहीं की. हालांकि दिल्ली के फोरम आइएएस से गाइडेंस व टेक्स्ट स्टडी मैटेरियल लिया. वे कहती हैं कि सीसैट लागू होने से हिंदी माध्यम वालों के लिए परीक्षा थोड़ी टफ हुई है, लेकिन रणनीतिक ढंग से पढाई करने पर यह बहुत मुश्किल नहीं है. वे सिविल सर्विस की परीक्षा देने वालों को यह संदेश देती हैं कि वे सीसैट की भी तैयारी कर लें, उससे डरने की जरूरत नहीं है.

ऋचा रत्नम कहती हैं कि हिंदी में अच्छी अध्ययन सामग्री की कमी है. द हिंदू जैसा अखबार भी नहीं है. उन्होंने बताया कि वे अध्ययन सामग्री अंगे्रजी का ही पढती थीं. वीडियो फार्मेट में वे उन्हें सुनती व देखती थीं. वे इग्नू का लैक्चर आॅनलाइन सुनती थीं. उनका कहना है कि आठ से दस घंटे की नियमित पढाई यूपीएससी की परीक्षा के लिए पर्याप्त है. पढाई में नियमितता जरूरी है. जब आप तैयारी कर रहे हों तो पर्व-त्यौहार व सामाजिक आयोजन में आपको अपना समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं है.

ऋचा रत्नम आध्यात्म से भी जुड़ी हैं. वे अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता व ईश्वर को देती हैं.

़ऋचा रत्नम यूपीएससी की तैयारी के दौरान मानसिक तनाव को कम करने के लिए एसएन गोयनका के बताए गए विपस्यना के तरीकों का भी आजमाती थीं. वे यूपीएससी में चयनित होने के बाद प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी के रूप में समाज के निचले तबके लिए बेहतर काम करना चाहती हैं.

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Chhapra: छपरा इंजिनीरिंग कॉलेज को एमएचआरडी, भारत सरकार के द्वारा टेक्विप के तहत विश्वबैंक सम्पोषित संस्थानो में से बेस्ट परफार्मिंग इंस्टीटूट के रूप में चुना गया है. संस्थान के टेक्विप कोऑर्डिनेटर प्रो.ज़फर अयूब अंसारी ने ये जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान को बेस्ट परफार्मिंग इंस्टिट्यूट्स में शामिल किए जाने के कारण पूर्व से आवंटित ग्यारह करोड़ राशि के अलावे संस्थान को एक करोड़ दस लाख की अतिरिक्त राशि आवंटित की गई है.

उन्होंने कहा कि संस्थान को पूर्व में भी बेस्ट परफॉर्मिंग इंस्टिट्यूट में शामिल किया गया था, जिसके तहत पूर्व में भी एक करोड़ की अतिरिक्त राशि आवंटित की गई थी. संस्थान का अकैडमिक ऑडिट आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर विनोद कुमार के द्वारा कराई गई थी और उसी ऑडिट के ग्रेडिंग के आधार पर संस्थान को चिन्हित किया गया है.
प्रो.अंसारी ने बताया कि टेक्विप के तहत, छपरा इंजिनीरिंग कॉलेज विगत तीन वर्षों से विश्व बैंक सम्पोषित है, जिसके फलस्वरूप संस्थान के अकैडमिक और ढाँचागत स्थिति में अभूतपूर्व बदलाव आए हैं.
इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत संस्थान को प्रतिभाशाली शिक्षकों के साथ साथ लैब-सृजन के लिए भारत सरकार द्वारा समुचित मात्रा में वित्तीय राशि प्रदान की गई है. विगत वर्षों में संस्थान ने सतत रूप से सभी मापदंडों पे बेहतरीन प्रदर्शन की है जिसके फलस्वरूप संस्थान को इस पुरस्कार से नवाजा गया है.

संस्थान के छात्रों ने संस्थान के इस उपलब्धि पर हर्ष जताते हुए कहा कि वे लोग संस्थान में रेगुलर सेमेस्टर क्लासेज के साथ साथ लगातार चल रहे शार्ट टर्म कोर्सेज, एक्सपर्ट लेक्चर, वर्कशॉप, इंडस्ट्रियल विजिट एवं इंटर्नशिप कोर्सेस का लाभ उठा रहे हैं, जिसमें वे संस्थान के शिक्षकों के साथ साथ, औद्योगिक क्षेत्र एवम देश विदेश व आईआईटी जैसे प्रतिष्टित संस्थानों के विशेषज्ञों और विद्वानों से ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं.
संस्थान के प्राचार्य डॉ.श्रीनारायण शर्मा ने अपार हर्ष जताते हुए कहा कि ये उपलब्धि संस्थान के शिक्षकों एवं छात्रों के लगन से ही संभव हो पाया है. उन्होंने संस्थान के मेंटर इंस्टीटूट आईआईटी पटना के टेक्विप कोऑर्डिनेटर प्रो.सुमंता को उनके योगदान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने विश्वास जाहिर करते हुए कहा कि वे संस्थान के भविष्य में सफलता के और नए आयाम छूने के प्रति आशान्वित हैं.

उन्होंने परचेज कमिटी एवं टेक्विप शेल के फाइनैंस ऑफिसर प्रो.सौरभ प्रियदर्शी, प्रोग्राम मैनेजर सोमा श्रीवास्तव, मो०निशार, ब्रजेश कुमार सिंह के साथ साथ पूर्व में कार्यरत दीपक कुमार और प्रभांशु रंजन के कठिन परिश्रम की सराहना की.

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Chhapra/Garkha: UPSC (सिविल सेवा परीक्षा) का परिणाम घोषित हो चुका है, इस बार सारण प्रमंडल के प्रतिभाओं ने सिविल सेवा की परीक्षा में जलवा बिखेरा है. सारण के गरखा के
केवानी गांव की अन्नपूर्णा सिंह सिविल सेवा की परीक्षा में 194वां रैंक हासिल किया है. अन्नपूर्णा की इस सफलता पर उनके गांव केवानी में खुशी का माहौल है.

अन्नपूर्णा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पीजी की डिग्री हासिल की है. उनके पिता आर एन सिंह दिल्ली में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल प्रिंसिपल बेंच के सदस्य हैं.

अन्नपूर्णा शुरू से ही सिविल सेवा में जाना चाहती थीं. मेहनत और लगन से उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की है और पूरे देश में उन्होंने 194 वां रैंक लाकर सारण का नाम गौरवान्वित करने का कार्य किया है.

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UPSC ने सिविल सेवा परीक्षा 2019 के परिणामों की घोषणा कर दी है. प्रदीप सिंह ने इस बार सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया है. वही दूसरे स्थान पर जतिन किशोर, तीसरे स्थान पर प्रतिभा वर्मा, हिमांशु जैन ने चौथा स्थान प्राप्त किया है.

बता दें कि UPSC ने सितंबर 2019 में आयोजित सिविल सेवा की लिखित परीक्षा और फरवरी-अगस्त 2020 में आयोजित हुए पर्सनल इंटरव्यू के परिणाम के आधार पर चयनित उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी कर दी है. वहीं, 11 उम्मीदवारों के परिणाम को रोक दिया गया है.

यूपीएससी परीक्षा 2019 के परिणाम संघ लोक सेवा की आधिकारिक वेबसाइट upsc.gov.in पर जारी किए गए हैं. यहां जाकर परिणाम देखा जा सकता है.

टॉप 20 लिस्ट यहां देखें

6303184 – प्रदीप सिंह
0834194 – जितन किशोर
6417779 – प्रतिभा वमा
0848747 – हिमांशु जैन
0307126 – जयदेव सी एस
5917556 – विशाखा यादव
4001533 – गणेश कुमार भार
0418937 – अभिषेक सर्राफ
6303354 – रवि जैन
0712529 – संजित महापात्रा
5813443 – नुपुर गोयल
0214364 – अजय जैन
0631338 – रौनक अवाल
0405090 – अनमोल जैन
0515674 – भोसले नेहा प्रकाश
6419694 – गुंजन सिंह
0876541 – स्वाति शर्मा
0833281 – लविश ओर्डिया
0830832 – श्रेष्ठ अनुपम
5806038 – नेहा बनर्जी

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Chhapra: कोविड-19 महामारी को देखते हुए छपरा के कैलाश कैरियर पॉइंट द्वारा आठवीं से 12वीं तक की पढ़ाई निःशुल्क शुरू की गई है. संस्थान के निदेशक मनीष सिंह और गौरव सिंह ने बताया कि छात्रों की परेशानियों को हम अच्छी तरह से समझते हैं. छात्र अभी आर्थिक समस्या से जूझ रहे हैं, इसलिए हम सभी छात्रों को  निशुल्क Online पढ़ा रहे हैं

फ्री ऑनलाइन क्लासेस के लिए काल करें: 9142094846, 8969559729,

बता दें कि कैलाश करियर पॉइंट में IIT और NIT जैसे देश के सम्मानित संस्थानों से पढ़े हुए शिक्षकों द्वारा IIT, NEET, NTSE, OLYMPIAD की तैयारी कराई जाती है.

पढ़ाई के साथ स्कॉलरशिप भी

पढ़ाई के साथ छात्रों को लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब, सेंटर पर आने जाने के लिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा दी जाएगी. इसके अलावा जिन छात्रों के 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 90% से अधिक अंक प्राप्त होंगे उन्हें ट्यूशन फी में 100 प्रतिशत स्कॉलरशिप दी जाएगी. जिन्होंने 85% से अधिक अंक लाए हैं उन्हें 80% स्कॉलरशिप और 80% से अधिक अंक लाने वाले को 60% स्कॉलरशिप प्रदान की जाएगी.

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नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, इसे समझें. अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा.

इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12). इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं.

नई श‍िक्षा नीति के कुछ खास प्वाइंट्स

-शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर.

-प्रत्येक छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी.

-वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा.

-छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा.

-नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंंगी.

नई शिक्षा नीति के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू

2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को मल्टी सब्जेक्ट इंस्टिट्यूशन बनाना होगा जिसमें 3000 से अधिक छात्र होंगे.

-2030 तक हर जिले में या उसके पास कम से कम एक बड़ा मल्टी सब्जेक्ट हाई इंस्टिट्यूशन होगा.

-संस्थानों का पाठ्यक्रम ऐसा होगा कि सार्वजनिक संस्थानों के विकास पर उसमें जोर दिया जाए.

-संस्थानों के पास ओपन डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन कार्यक्रम चलाने का विकल्प होगा.

-उच्चा शिक्षा के लिए बनाए गए सभी तरह के डीम्ड और संबंधित विश्वविद्यालय को सिर्फ अब विश्वविद्यालय के रूप में ही जाना जाएगा.

-मानव के बौद्धिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षमताओं को एकीकृत तौर पर विकसित करने का लक्ष्य.

नई शिक्षा नीति में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे. स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी. एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगी, छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा किया जाएगा. 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फीसदी शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा. गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनेगा, इसका संबंध देश के सारे विश्वविद्यालय से होगा.

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नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है, इसे समझें. अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला गया है. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा.

इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12). इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं.

नई श‍िक्षा नीति के कुछ खास प्वाइंट्स

-शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर.

-प्रत्येक छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना प्राथमिकता होगी.

-वैचारिक समझ पर जोर होगा, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा मिलेगा.

-छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई कठिनाई, अलगाव नहीं होगा.

-नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होंंगी.

नई शिक्षा नीति के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पहलू

2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को मल्टी सब्जेक्ट इंस्टिट्यूशन बनाना होगा जिसमें 3000 से अधिक छात्र होंगे.

-2030 तक हर जिले में या उसके पास कम से कम एक बड़ा मल्टी सब्जेक्ट हाई इंस्टिट्यूशन होगा.

-संस्थानों का पाठ्यक्रम ऐसा होगा कि सार्वजनिक संस्थानों के विकास पर उसमें जोर दिया जाए.

-संस्थानों के पास ओपन डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन कार्यक्रम चलाने का विकल्प होगा.

-उच्चा शिक्षा के लिए बनाए गए सभी तरह के डीम्ड और संबंधित विश्वविद्यालय को सिर्फ अब विश्वविद्यालय के रूप में ही जाना जाएगा.

-मानव के बौद्धिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षमताओं को एकीकृत तौर पर विकसित करने का लक्ष्य.

नई शिक्षा नीति में संगीत, दर्शन, कला, नृत्य, रंगमंच, उच्च संस्थानों की शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल होंगे. स्नातक की डिग्री 3 या 4 साल की अवधि की होगी. एकेडमी बैंक ऑफ क्रेडिट बनेगी, छात्रों के परफॉर्मेंस का डिजिटल रिकॉर्ड इकट्ठा किया जाएगा. 2050 तक स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणाली के माध्यम से कम से कम 50 फीसदी शिक्षार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा में शामिल होना होगा. गुणवत्ता योग्यता अनुसंधान के लिए एक नया राष्ट्रीय शोध संस्थान बनेगा, इसका संबंध देश के सारे विश्वविद्यालय से होगा.

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Chhapra: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, देश की आकाँक्षाओं के अनुरूप आधुनिक भारत को गढ़ने में महत्वपूर्ण बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के कदम का हार्दिक स्वागत करती है. भारत का प्रबुद्ध नागरिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के क्षेत्र में बडे परिवर्तनों की अपेक्षा लंबे समय से कर रहा था. भारतीय शिक्षा व्यवस्था में ज्ञान आधारित, रोजगारोन्मुख, तकनीक युक्त तथा विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास में सहायक शिक्षा के अनुरूप सुधार हो यह भारत का आम नागरिक भी चाहता था. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, आम भारतीय के उपर्युक्त अपेक्षाओं के अनुरूप उतरेगी. उक्त बातें संयोजक रवि पाण्डेय ने कही.

अभाविप छपरा के विश्वविद्यालय संयोजक रवि पाण्डेय ने कहा कि भारतीय मूल्यों के अनुरूप तथा वैश्विक मानकों पर खरा उतरने योग्य शिक्षा नीति की आवश्यकता देश को लंबे समय से थी, जिन बड़े सुधारों की आवश्यकता भारत की जनता लंबे समय से कर रही थी, उन सुधारों पर सरकार ने ध्यान दिया है. हम आशा करते हैं कि ये परिवर्तन करोड़ों की संख्या वाले भारतीय छात्र समुदाय के सपनों को पंख देगा. सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि बिना किसी देरी के नए सुधार जमीनी स्तर पर संभव‌ हों. राष्ट्रीय शिक्षा नीति हेतु अहर्निश कार्य करने वाले समिति के सभी सदस्यों तथा भारत सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद तथा अभिनन्दन है.

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