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छपरा: सुहाग की लंबी आयु के लिए किया जाने वाला हरितालिका तीज व्रत इस बार बुधवार को मनाया जाएगा. तीज व्रत को लेकर बाजारों में रौनक बढ़ गयी है. तीज पर्व के दौरान दान में दिए जाने वाले सामग्रियों की दुकानें सज गयी है वही दूसरी ओर साड़ी तथा श्रृंगार प्रसाधन के दुकानों में भी महिलाओं की भीड़ देखी जा रही है. इस बार हरतालिका तीज 12 सितम्बर दिन बुधवार को मनाई जाएगी. इस बार पूजन मुहूर्त प्रात काल 6:15 से 9:20 तक है.

भाद्रपद मास की शुक्ल तृतीया तिथि को मनाए जाने वाले इस हरतालिका तीज व्रत को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह रहता है. सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना को लेकर व्रत का अनुष्ठान कर पूजा अर्चना करती है.

क्या है तीज की मान्यता

मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती जी की आराधना करने, व्रत रखने से सुहागिन स्त्रियों को अपने सुहाग की लंबी आयु और अविवाहित कन्याओं को मनोवांछित वर प्राप्त होने का वरदान मिलता है.

यह भी माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती की सहेलियां उनका हरण कर उन्हें जंगल में ले गई थीं. जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था.

कथा हरतालिका तीज व्रत

शिव जी ने माता पार्वती जी को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था. मां गौरा जी ने सती जी के रूप में अवतार लेने के बाद माता पार्वती जी के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था. बचपन से ही माता पार्वती जी शिव जी को वर के रूप में पाना चाहती थी और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया. 12 वर्षों तक निराहार रह करके तप किया. एक दिन नारद जी ने उन्हें आकर कहा कि पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं. नारद मुनि की बात सुनकर महाराज हिमालय बहुत प्रसन्न हुए. उधर भगवान विष्णु के सामने जाकर नारद मुनि बोले कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती से आपका विवाह करवाना चाहते हैं. भगवान विष्णु ने भी इसकी अनुमति दे दी.

फिर माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है. यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुई उन्होंने अपनी सखियों से अनुरोध कर उसे किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाने को कहा. माता पार्वती की इच्छानुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आईं. यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की. संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की. इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया.

उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया. उधर माता पार्वती जी के पिता अपनी भगवान विष्णु जी से पार्वती जी के विवाह का वचन दिए जाने के पश्चात पुत्री के घर छोड़ देने से व्याकुल थे. पार्वती जी को ढूंढते हुए वे उस स्थान तक आ पंहुचे इसके पश्चात माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया और भगवान शिव से विवाह करने के अपने संकल्प और शिव द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया. तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हुए.

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Chhapra: रविवार को शहर के जन्नत पैलेस में विजयादशमी समारोह समिति की बैठक आयोजित की गयी. जिसकी अध्यक्षता सत्य प्रकाश यादव ने की. बैठक में विभिन्न कमिटीयों के संयोजक तथा सह संयोजकों से तैयारी से सम्बन्धित समीक्षा की गई तथा उन्हें कार्य वितरण किया गया.

कार्यक्रम के उद्धघाटन की जिम्मेवारी सुरेश प्रसाद सिंह को दीं गई तथा मुख्य द्वार की जिम्मेवारी सत्य प्रकाश यादव तथा अवधेश्वर सहाय को दी गई तथा शोभायात्रा की जिम्मेवारी ओमप्रकाश श्रीवास्तव को दीं गई एवम प्रचार-प्रसार की जिम्मेवारी श्याम बिहारी अग्रवाल तथा चन्द्र कान्त द्विवेदी को दीं गई.

विजयादशमी समारोह समिति के उपाध्यक्ष श्याम बिहारी अग्रवाल ने बताया इस वर्ष समारोह को आकर्षण बनाने के लिए शंखनाद की व्यवस्था की जाएगी तथा आतिशबाजी को और ज्यादा आकर्षित किया जाएगा. इस वर्ष दर्शकों को मेघनाथ तथा रावण-दहन के बाद भी आतिशबाजी का शो देखने के लिए मिलेगा.

इस मौके पर सर्व सम्मति से निर्णय लिया गया की विजयादशमी समारोह समिति में इस वर्ष नए सदस्यों को जोड़ा जाएगा सभी सदस्य अपनें स्तर से सदस्यों में बढ़ोतरी करनें का प्रयास करेंगे.

कार्यक्रम का संचालन महामंत्री विभूति नारायण शर्मा ने किया तथा स्वागत राजू नयन गिरि ने किया साथ ही धन्यवाद ज्ञापन डाॅक्टर राज नाथ सिंह ने किया.

बैठक में विजयादशमी समारोह समिति के मुख्य परामर्शी अवधेश्वर सहाय, उपाध्यक्ष सत्य प्रकाश यादव, श्याम बिहारी अग्रवाल, महामंत्री विभूतिनारायण शर्मा तथा सुरेश प्रसाद सिंह के साथ अन्य सदस्य उपस्थित रहे.

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Chhapra: शहर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज से शुरू हो जाएगा. पंचांगों और पंडितों के अनुसार 2 और 3 सितंबर को श्रीकृष्णाष्टमी मनायी जायेग. जिसमें गृहस्थ आश्रम वाले 2 सितंबर को और वैष्णव मत वाले 3 सितंबर को व्रत व पूजन करेंगे. इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस धूम धाम स मनाया जायेगा. श्रद्धालु भगवान का व्रत पूजन करेंगे.

शहर के विभिन्न मंदिरों में जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाने की तैयारी है. बल दाऊजी मंदिर, बाबा बटुकेश्वर नाथ मंदिर के साथ भगवान बाजार पँचमन्दिर, सवलिया जी मंदिर को सजाया गया है. जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूम धाम स मनाया जायेगा.

गुलजार रहेंगे मंदिर
जन्माष्टमी को लेकर शहर के विभिन्न कृष्ण मंदिरों में तैयारी लगभग पूरी कर ली गयी है. भक्तों की भीड़ से मंदिर दो दिनों तक गुलजार रहेंगे.

 

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नई दिल्‍ली: हम सब के प्‍यारे नटखट नंदलाल, राधा के श्‍याम और भक्‍तों के भगवान श्रीकृष्‍ण के जन्‍मदिन की तैयारियां पूरे देश में चल रही हैं. इस बार श्रीकृष्‍ण की 5245वीं जयंती है. मान्‍यता है कि भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी को हुआ था. हालांकि इस बार कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं. इस बार जन्‍माष्‍टमी दो दिन पड़ रही है क्‍योंकि यह त्‍योहार 2 सितंबर और सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा. वहीं, वैष्‍णव कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 3 सितंबर को है. अब सवाल उठता है कि व्रत किस दिन रखें? जवाब है 2 सितंबर यानी कि पहले दिन वाली जन्माष्टमी (Janmashtami) मंदिरों और ब्राह्मणों के घर पर मनाई जाती है. 3 सितंबर यानी कि दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं.

जन्‍माष्‍टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी.
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 को रात 08 बजकर 47 मिनट.
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 3 सितंबर 2018 को शाम 07 बजकर 20 मिनट.

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 2 सितंबर की रात 8 बजकर 48 मिनट.
रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट.

निशीथ काल पूजन का समय: 2 सितंबर 2018 को रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक.

व्रत का पारण: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 05 मिनट के बाद.

वैष्‍णव कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी 3 सितंबर को है और व्रत का पारण अगले दिन यानी कि 4 सितंबर को सूर्योदय से पहले 6:13 पर होगा.

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Chhapra: शहर के स्थानीय बटुकेश्वर नाथ मंदिर में 5 दिवसीय कृष्ण झूलोनत्सव का समापन सोमवार को हुआ. इस अवसर पर बाल कलाकारों ने भजन व सांस्कृतिक कार्यक्रम से लोगों का मन मोह लिया. जिसके बाद रोटरी क्लब छपरा द्वारा बाल कलाकरों को मेंडल देकर सम्मानित किया गया.

इस अवसर पर डॉ दिप्ति सहाय ने कहा कि बच्चों की मनमोहक प्रदर्शन देखकर मैं भावविभोर हो रही हूं. बच्चों के चहरे पर मुस्कान बनी रहे. इसके लिये रोटरी क्लब कई क्षेत्रों मे कार्य करता रहेगा.

वहीं पूर्व गवर्नर डॉक्टर राकेश प्रसाद ने कहा कि यवाओं के लिए भी रोटरी कार्य करती है. रोटरी यूथ मंथ का आयोजन कर उनकी कैरियर काँसेलिंग करती है.

इस दौरान बिहार और झारखंड के पूर्व गवर्नर डॉ राकेश प्रसाद, रोटरी छपरा की अध्यक्ष डॉक्टर दिप्ति सहाय, सुधांशु शर्मा तथा मधुरंजन सिन्हा ने भगवान कृष्ण की प्रतिमा का पूजा एवं अर्चना की.

इस अवसर पर रोटेरियन शहज़ाद आलम, रोटेरियन सुशील शर्मा, रोटेरियन ज्ञान प्रकाश अग्रवाल, सचिव पुनितेश्वर, रोटेरियन करुणा सिन्हा, रोटेरियन विणा शरण, सावित्री शर्मा, रोटेरिन अर्चना रस्तोगी सभी ने बच्चों के मनमोहक प्रदर्शन की सराहना की.

 

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Chhapra: बहन-भाई के स्नेह का त्योहार रक्षा बंधन आज धूमधाम से मनाया जा रहा है.

सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाये जाने वाले इस त्योहार में बहनें अपने भाईयों के कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं. वहीं भाई अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेते है.

रक्षाबंधन की पूर्व संध्या पर शहर के सभी बाजार गुलजार रहे. देर शाम तक बहनों ने भाई के लिए मिठाई और राखियों की खरीदारी की. जबकि भाई बहनों के लिए उपहार आदि की खरीदारी करते नजर आए.

छपरा टुडे डॉट कॉम की टीम की ओर से सभी पाठकों को रक्षाबंधन की शुभकामनायें!

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Chhapra: भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक रक्षाबंधन को लेकर शहर से लेकर गांव तक बाजारों में जगह-जगह राखी की दुकानें सज गईं हैं. इन दुकानों पर ग्राहकों की मांग के अनुसार आम से लेकर खास तक के लिए अलग-अलग कीमतों की आकर्षक और डिजाइनर राखियां उपलब्ध हैं.

भाइयों की हाथों पर सजने के लिए मोतियों से पिरोई राखी के साथ स्टोन नगों की राखी की इस बार बाजार में डिमांड है. इसके अलावा चांदी और सोने की राखियों की इस बार लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र हैं.

शहर के प्रमुख जे अलंकार, प्रकाश औरनामेंट्स सहित अन्य ज्वलेर्स शॉप में चांदी की राखियों को डिमांड के अनुसार बनाया जा रहा है. इन राखियों के दाम भी आम आदमी के बजट को ध्यान में रखते हुए रखे गए हैं. ऑर्डर देने के एक से दो दिन बाद सोने की राखी को ग्राहकों को उपलब्ध कराया जा रहा है. जबकि चांदी की राखी हाथों हाथ बिक्री के लिए काउंटर में सजाई गईं हैं.

शहर के हर चौराहे पर लगा स्टॉल

शहर के प्रमुख बाजार साहेबगंज, हथुआ मार्केट, नगरपालिका चौक, भगवान बाजार, सांढा ढाला, गुदरी बाजार, गांधी चौक, सरकारी बाजार समेत अन्य प्रमुख इलाके में राखियों के स्टॉल सजाए गए हैं.

जैसे-जैसे पर्व नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे दुकानों में भीड़ बढ़ रही है. बाजार में अपने भाइयों के लिए राखी की खरीदारी करने के लिये बहनों की भीड़ सभी दुकानों पर देखने को मिल रही है.

नगरपालिका चौक के दुकानदार संजीव कुमार ने बताया कि बाजार में दस रुपये से लेकर 200 रुपये तक की राखियां हैं. दस रुपये में धागे से बनी राखी हैं, जबकि 20 रुपये में रेश्मी और सूती धागों के अलावा फैंसी डोरियां भी मिल रही हैं.

महंगी राखियां में 80 और 100 रुपये में मोतियों और स्टोन से पिरोई गई राखियां हैं. ग्राहकों के पॉकेट के मुताबिक, हर कीमत में राखियां उपलब्ध हैं.

बच्चों के लिए उनके मुताबिक राखियां

नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए आकर्षक राखियां भी बाजार में उपलब्ध हैं. बच्चों को लुभाने के लिए स्पाइडरमैन, बाल हनुमान, बाल गणेश, छोटा भीम,मोटू-पतलू, छुटकी की प्रतिमाएं हैं. इसके अलावा जोकर, बेबी डॉल, शेर, जैसी आकृति भी लगाई गई हैं. उच्च वर्ग के लिए ज्वैलर्स की दुकानों पर चांदी व सोने की भी राखियां है.

इन कीमतों पर मिल रही है राखी

चांदी से बनी राखी : 250 से 1000 रुपये

सोने की राखी : 10 हजार से शुरू (3 से 4 ग्राम)

सामान्य राखी : 10-20 रुपये से शुरू

रेश्मी धागा : 20- 100 रुपये

चंदन राखी : 50- 200 रुपये

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Chhapra: कुर्बानी का पर्व ईद-उल-जुहा (बकरीद) मनाया जा रहा है. जिसको लेकर जोर-शोर से तैयारी चल रही है. 12 अगस्त को चाँद का दीदार हुआ था. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार साल के 12वें महिना के 10 तारीख को ईद-उल-जुहा (बकरीद) मनाई जाती है.

त्याग और बलिदान का यह त्योहार कई मायनों में खास है और एक विशेष संदेश देता है. इस त्योहार को रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है. हजरत इब्राहिम द्वारा अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तत्पर हो जाने की याद में इस त्योहार को मनाया जाता है.

इस्लाम के विश्वास के मुताबिक अल्लाह हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने उनसे अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए कहा.

हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. बेटा नहीं, बल्कि दुंबा था जब उन्होंने पट्टी खोली तो देखा कि मक्का के करीब मिना पर्वत की उस बलि वेदी पर उनका बेटा नहीं, बल्कि दुंबा था और उनका बेटा उनके सामने खड़ा था. जानवरों की कुर्बानी विश्वास की इस परीक्षा के सम्मान में दुनियाभर के मुसलमान इस अवसर पर अल्लाह में अपनी आस्था दिखाने के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं.

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Chhapra: सावन के अंतिम सोमवारी पर शहर के विभिन्न शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. इस मौके पर शहर के धर्मनाथ मंदिर में हजारों की संख्या में शिव भक्त जलाभिषेक करने पहुंचे. इस दौरान मंदिर में सुबह से ही जल चढ़ाने के लिए श्रदालु पहुंचने लगे.

जय शिव के नारों से गूंज उठा मंदिर

अंतिम सोमवारी के दिन मन्दिरो में भक्तों ने बेलपत्र, भांग, धतूरे आदि से शिव लिंग पर अभिषेक किया. इन दौरान जय शिव के नारों से मंदिर गुंजायमान हो उठा.

इसके अलावें शहर के बटुकेश्वर नाथ मंदिर, उमानाथ मंदिर, मशुमेश्वर नाथ में लोगों ने जलाभिषेक किया. साथ ही साथ जिले के श्री ढोढ नाथ मन्दिर, सोनपुर स्थित हरिहरनाथ मंदिर में शिव भक्तों का तांता लगा रहा.

 

 

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Chhapra: सावन माह के तीसरे सोमवारी पर शिवालय जय शिव, बोल बम के जय घोष से गूंज रहे है.

सुबह से श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में पहुँच रहे है. शहर के धर्मनाथ मंदिर, उमानाथ मंदिर, मसूमेश्वर नाथ मंदिर, शिव शक्ति मंदिर समेत तमाम मंदिरों में लम्बी लम्बी कतारों में लग कर लोग जलाभिषेक कर रहे है.

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Chhapra: स्थानीय रामकृष्ण मिशन आश्रम में सोमवार को संपन्न राम कृष्ण कथा सरोवर तथा व्याख्यान देते हुए बेलूर मठ से आए वरिष्ठ सन्यासी स्वामी शशांकानंद जी महाराज ने कहा कि श्री रामकृष्ण के दैनिक जीवन से शिक्षा के प्रति जो संदेश मिलता है उसे अपनाने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि उनकी बाल लीला का अवलोकन करने से पता चलता है.

उन्होंने विद्यालय शिक्षा का त्याग करके उस बात पर बल दिया कि बच्चों को वही शिक्षा दी जानी चाहिए जिसमें उनकी रुचि है. ऐसा होने से बच्चा महान कार्य कर पाएगा.

उदाहरण देते हुए स्वामी जी ने कहा की चित्रकारी, कला लेखन, नाटक मंचन, भजन कीर्तन, संगीत जैसे विषय भी लाभकारी हो सकते हैं.

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