जम्मू, 14 अप्रैल (हि.स.)। वार्षिक अमरनाथ यात्रा इस साल 29 जून से शुरू होगी। अमरनाथ यात्रा का पंजीकरण सोमवार से शुरू होगा।

अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने रविवार को कहा कि अमरनाथ यात्रा 2024 इस साल 29 जून से शुरू होगी। इसमें कहा गया कि 50 दिवसीय यात्रा 19 अगस्त को समाप्त होगी, जबकि पंजीकरण 15 अप्रैल से शुरू होगा।

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– 15 से 18 अप्रैल तक के बीच के ऑनलाइन बने सभी पास किये गए निरस्त
– ट्रस्ट की अपील राम लला के जन्मोत्सव पर मोबाइल लेकर ना आएं मन्दिर

अयोध्या,14 अप्रैल (हि.स.)। रामनवमी पर श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में रामलला का वीआईपी दर्शन नहीं हो पायेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की ओर से रामलला के 15 से 18 अप्रैल तक वीआईपी दर्शन को पूर्ण रूप से प्रतिबंध किया गया है। इस दौरान किसी भी तरह के वीआईपी दर्शन और पहले से बने वीआईपी पास पर रोक लगा दी गई है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार को गाइडलाइन जारी किया है। जिसमें 15 अप्रैल से 18 अप्रैल तक किसी भी तरह के वीआईपी दर्शन और वीआईपी पास पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया है। इस दौरान श्रद्धालु सुगम दर्शन पास और आरती के पास का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। 15 अप्रैल से 18 अप्रैल तक के बीच के ऑनलाइन बना लिए गए पास निरस्त किये गए हैं।

ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने लोगों से अपील किया है कि राम लला के जन्मोत्सव के मौके पर मोबाइल लेकर राम जन्मभूमि ना आएं। साथ ही रामलला के दर्शन को लेकर जारी पूर्व पास को राम मंदिर ट्रस्ट ने निरस्त किया।

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इशुआपुर के पुरसौली छठ घाट पर व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया

Isuapur: कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, उगही हे सूरज देव अरग के बेरा, मोर घाटे दुबिया उपज गइले… जैसे पारंपरिक गीतों के साथ रविवार को शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न नदी व तालाब घाटों पर आस्था की अंजुरी से व्रतियों ने छठी माता व सूर्य देव को अर्घ्य दान किया।

चैत छठ के पावन अवसर पर अस्ताचलगामी सूर्य को महिला पुरुष व्रतियों ने पूरी आस्था के साथ अर्घ्य दिया व सुखी व शांतिमय जीवन की कामना की। घाटों पर अर्द्धदान के लिए व्रती व परिजन जुटे। सभी ने छठी मैया से जीवन की मंगल कामना की और आशीर्वाद मांगा। नदी घाटों पर ही नहीं बल्कि पोखड़े और घरों में बने अस्थाई तालाबों में व्रतियों ने अर्द्ध अर्पण किया। अमूमन हर जगह छठ की अनुपम व मनोहारी छटा दिखी।

चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन इस पर्व में डूबते सूर्य को देख अर्घ्य देने के लिए व्रतियों और उनके परिजनों का ताता दोपहर बाद ही घाटों पर लगने लगा। शाम 4:30 बजे तक सभी घाट वर्तीयों और उनके परिजनों से भर गया। बच्चे उत्साहित थे और बड़े बुजुर्ग पर्व की आस्था में नहाए दिख रहे थे।

इशुआपुर के पुरसौली छठ घाट पर भी वर्तीयों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर सुखी और शांतिमय जीवन की कामना की।

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Chhapra:  चैत्र नवरात्रि के छठे दिन रविवार को माता कात्यायनी की पूजा की गई। मां दुर्गा के इस स्वरूप का अवतार कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में हुआ था, इसलिए इन्हें माता कात्यायनी कहा जाता है।

मां कात्यायनी को शहद और पीले रंग का भोग अत्यंत प्रिय है। कात्यायनी मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है। कात्यायनी मां शेर पर सवार चार भुजाएं वाली हैं, इनके बायें हाथ में कमल, तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा लिए हुए हैं। माता कात्यायनी की पूजा में पीले रंग के वस्त्र पहनने की मान्यता है।

मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था। महिषासुर का संहार करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी महिसासुरमर्दिनी कहा जाता है। नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करें। सुबह नहाने के बाद पीले रंग का वस्त्र धारण करें। मंदिर या पूजा की जगह को गंगाजल से शुद्ध कर लें। पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प लें।

मां को फूल अर्पित करें। इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार चढ़ाएं। फिर मां कात्यायनी को प्रिय भोग शहद-मिठाई इत्यादि का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं और माता की आरती करें। मां कात्यायनी की पूजा करने से रोग-शोक, कष्ट और भय दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही इनकी पूजा से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। जिन लोगों की शादी में देर हो रही है, उन्हें शीघ्र विवाह या प्रेम संबंधी मामलों के लिए चैत्र नवरात्रि के छठे दिन शाम को मां कात्यायनी को हल्दी की तीन गांठ चढ़ाएं। सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए पीले फूल चढ़ाते हुए ‘ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।। मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने पर विवाह के योग बनेगा।

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Chhapra: नहाये-खाये के साथ आज से चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो गया।

चैती छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में 13 अप्रैल को खरना, 14 अप्रैल को सांध्य अर्घ्य और 15 अप्रैल को उदयागामी भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ चैती छठ संपन्न हो जाएगा।

चैती छठ महापर्व को लेकर बाजारों में फल, दउरा, सूप, नारियल, गन्ना के दुकान सज गए हैं।

चैती छठ पूजा को लेकर विभिन्न पूजा घाटों की साफ सफाई को भी शुरू कर दिया गया है। नगर निगम क्षेत्र के सरोवरों के सफाई व्यवस्था के लिए आयुक्त और महापौर ने निरीक्षण भी किया है।

 

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ईद की नमाज अदा कर मांगी अमन चैन की दुआ

Chhapra: रमजान के पाक महीने में चांद के दीदार के बाद गुरूवार को जोश के साथ ईद का त्यौहार मनाया गया. ईद पर शहर के साढा ढाला स्थित ईदगाह में नमाज़ अदा की गई. इस अवसर पर नमाजियों ने देश में अमन चैन और खुशियों की इबादत की.

वही शहर के अन्य मस्जिदों में भी ईद की नमाज अदा की गई. शहर के अलावे खैरा, नगरा, मढ़ौरा, इसुआपुर, मशरक और अन्य प्रखंड के ईदगाह में भी ईद की नमाज अदा कर लोगों ने अमन चैन की दुआ मांगी. साथ ही साथ एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारक बाद भी दी.

ईद को लेकर छोटे बच्चों में खासा उत्साह देखा गया. रंग बिरंगे आकर्षक परिधान में बच्चें एक दूसरे को गले लगाकर ईद की बधाई दे रहे थे.

जिला प्रशासन द्वारा सभी ईदगाह और मस्जिदों के बाहर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम थे. सभी ईदगाह और मस्जिदों के बाहर दंडाधिकारी के साथ पुलिस कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई थी.

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नई दिल्ली, 09 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस के साथ आज से आदि शक्ति मां दुर्गा की आराधना का महापर्व प्रारंभ हो गया। देशभर की शक्तिपीठों में मां के दर्शन के लिए सुबह से लंबी कतारें लगी हुई हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के छतरपुर मंदिर, झंडेवालान मंदिर और कालकाजी मंदिर में सुबह की आरती के साथ मां के दर्शन शुरू हो गए।

असम में मां कामाख्या, मुंबई में मुंबा देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश में ज्वालाजी, नयनादेवी, मध्य प्रदेश के मैहर में मां शारदा पीठ और उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में रामगिरी शक्तिपीठ और विंध्याचल शक्तिपीठ में उपासक पवित्र नदियों में स्नान के बाद दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं। देश के सभी देवालयों में भी आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा है।

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस सर्वार्थ सिद्धि और अमृत योग है। वैदिक ज्योतिष में इन इन दोनों योग में की गई पूजा को बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। प्रयागराज में श्रद्धालुओं ने गंगा और यमुना नदी में पवित्र डुबकी लगाकर जलदेवियों की पूजा-अर्चना की। प्रसिद्ध गायक जुबिन नौटियाल ने चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की।

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Chhapra: स्थानीय काठ की देवी माता भुवनेश्वरी देवी जी के मंदिर से जलभरी यात्रा निकाली गई। सनातन हिंदू नव वर्ष संवत्सर 2081का आगमन सामूहिक पूजा पाठ से प्रारंभ किया गया। लगभग 400 वर्षों पुरानी मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया । माता भुवनेश्वरी देवी के दर्शन मात्र से आपकी मनोकामना पूर्ण होती है ।

इस अवसर पर नव वर्ष शुक्ल प्रतिपदा को जल -भरी यात्रा बाजे गाजे के साथ निकल गई जो गुदरी राय चौक सत्यनारायण मंदिर सांवलिया मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर होते हुए छपरा शहर के प्रधान धर्मनाथ मंदिर तक गई। धर्मनाथ मंदिर में पूजन कर नव वर्ष का स्वागत सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ के साथ किया गया।

इस अवसर पर धर्म प्रसार जिला प्रमुख विश्व हिंदू परिषद अरुण पुरोहित ने महामंत्र श्री राम जय राम जय जय राम के पाठ के साथ शुरुआत की नव वर्ष के विषय में माताओं एवं बहनों को जानकारी दी ।

ब्रह्मा के सृष्टि का प्रथम दिन आज कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि के दिन सनातन धर्मावलंबी नववर्ष के रूप में मनाते हैं । अपने घरों पर भगवान ध्वज फहराएं संध्याकालीन कम से कम पांच पांच दीप अपने घरों और घर के पास मंदिरों में प्रज्वलित कर उत्सव मनावें। घर पर नाना प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगावे और प्रसाद पावें। अपने बच्चों और कुटुंब को नव वर्ष के बारे में बताएं ।

9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक भगवान राम का जन्म उत्सव मनावें। नव वर्ष के रोज दीप प्रज्वलित करने से घर में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है आपकी काया (शरीर) निरोग रहती है। इस अवसर पर हजारों की संख्या में महिलाएं पुरुष एवं बच्चों ने भाग लिया।

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बसंत नवरात्रि चैत्र माह के शुक्लपक्ष के प्रतिपदा तिथि से लगातार 9 दिनों तक चलने वाला त्योहार है. ऐसे तो साल में चार नवरात्रि होता है लेकिन दो नवरात्रि को विशेष रुप से मनाया जाता है. लेकिन उसमें बसंत नवरात्रि का महत्वपूर्ण ज्यादा रहता है.

नवरात्रि में माँ के नव रूपों का पूजन होता है।  इस वर्ष वसंत नवरात्री पर विशेष योग भी बन रहा है।  सर्वार्थ सिद्ध योग तथा अमृत सिद्धि योग इस विशेष योग में माता के नौ रूपों का पूजन करने से आपके उपर पारिवारिक कष्ट बना हुआ है वह दूर होगा। जिन लोगों को चंद्रमा का दोष बना हुआ है बसंत नवरात्रि में माँ भगवती का पूजन शक्ति प्रदान करने वाली होती है। विधि विधान से इसका पूजन करने से आपके ऊपर कई गुना आशीर्वाद बढ़ जाता है। बसंत नवरात्रि के दिन से नया संवत्सर का आरम्भ होता है।  इस साल नवरात्रि 09 अप्रैल से आरम्भ होगा और 17 अप्रैल तक चलेगा।

कलश स्थापना कौन से मुहुर्त में नहीं करे

कलश स्थापना करने से देवी शक्ति का एक विशेष पूजन है।  इसका पूजन करने से हमें शक्ति प्रदान होता है। लेकिन कलश स्थापना अगर शुभ मुहूर्त में नहीं हो देवी पूजन का लाभ नही
मिलता है। इस वर्ष कलश स्थापना करने के लिए विशेष मुहुर्त है।  कलश स्थापना अनुचित समय पर करने से देवी शक्ति का प्रकोप होता है।  अमावस्या तथा वैधृत योग एवं चित्रा नक्षत्र में कलश की स्थापना नहीं करे इससे परेशानी बढ़ जाती है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

09 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार समय सुबह 11:15 से 12:24 दोपहर तक.

प्रतिपदा तिथि का आरम्भ 08 अप्रैल 2024 रात्रि 11:55 से
प्रतिपदा तिथि का समाप्त 09 अप्रैल 2024 रात्रि 09:43 तक.

अभिजित मुहूर्त 09 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार समय सुबह 11:15 से 12:24 दोपहर तक.

वैधृत योग का आरंभ 08 अप्रैल 2024 संध्या 06:16 से

वैधृत योग का समाप्त 09 अप्रैल 2024 संध्या 03:18 तक

सर्वार्थ सिद्ध योग का आरम्भ 09 अप्रैल 2024 सुबह 07:32 से
सर्वार्थ सिद्ध योग का समाप्त 10 अप्रैल 2024 सुबह 05:06 तक

अमृत सिद्ध योग का आरम्भ 09 अप्रैल 2024 सुबह 07:32 से
अमृत सिद्ध योग का समाप्त 10 अप्रैल 2024 सुबह 05:06 तक

कलश स्थापना कैसे करे .
मिट्टी के चौड़े मुंह का वर्तन रखे उसके निचे सप्तधान्य रखे यानि सप्तधान्य के ऊपर मिट्टी से बना कलश रखे कलश में जल भरे ,कलश को लाल कपड़ा से लपेटे कलश के गर्दन में
कलावा बांधे कलश में आम का पल्लव को कलश के ऊपर रखे उसके बाद लाल कपड़ा में नारियल को लपेटकर कलश के ऊपर रखे ,कलश में सुपारी,एक पैसा डाले ,दूर्वा ,रोली,
सिंदूर, पान के पता ,कलश पर चढ़ाए कलश स्थापना होने के बाद माँ भगवती का पूजन करे.

वसंत नवरात्रि में माता का घोड़े पर सवार होकर आयेगी.

इस वर्ष नवरात्रि का आरम्भ मंगलवार के दिन से आरम्भ होगा मंगलवार के दिन नवरात्रि आरंभ होने से माता घोड़े पर सवार होकर आएगी भगवती को घोड़ा पर आना ठीक नहीं होता है
घोड़ा का सवारी करते हुए आती है देश में प्राकृतिक आपदा , महामारी ,सीमावर्ती क्षेत्र में तनाव बनेगा .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्लपक्ष के प्रतिपदा तिथि से होगी। नए संवत्सर 2081 का नाम पिंगल है, नए वर्ष के राजा मंगल तथा मंत्री शनि रहेंगे। मंगल और शनि इन दोनो ग्रह को एक साथ रहना ठीक नहीं होता है.

09 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार से नया साल का आरम्भ होगा. ज्योतिष गणना के अनुसार इस साल नए की शुरूआत सर्वार्थ सिद्धि योग तथा अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है।  इस दिन से नए हिन्दू पंचांग की शुरुआत होती है .

इस तिथि से व्रत त्योहार हिन्दू पंचांग के अनुसार आरंभ हो जाता है. संवत के धन के स्वामी मंगल रहेंगे. दुर्गेश शनि, धान्येश चंद्रमा, फलेस शुक्र, रसेश गुरु, नीरसेश मंगल, मेघेशो शनि रहेंगे। नए संवत्सर के पहले दिन रेवती नक्षत्र तथा शुभ योग रहेगा। जो बहुत ही शुभ है। इस दिन चंद्रमा गुरु की राशि मीन में रहेंगे शनि, चन्द्रमा, सूर्य, शुक्र ग्रह की युति मीन राशि में बन रहा है। इस दिन को अलग अलग नाम से भी जाना जाता है। 

इस दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। साथ ही सतयुग का आरम्भ भी इसी दिन से हुआ था. भगवान राम का राज्याभिषेक भी हुआ था. इस दिन से बसंत नवरात्रि का आरंभ हो जाता है। इसलिए इस तिथि को अत्यंत महतवपूर्ण माना जाता है। सभी शुभ कार्य का आरंभ इस दिन से करते है.

कैसा रहेगा नया संवत्सर
नए संवत् में शनि और मंगल एक साथ होने से एक दुसरे से मतभेद बना रहेगा। छोटी -छोटी बात पर एक दुसरे को खिचाव करेगे, लेकीन लोग पूजा -पाठ में ध्यान रखेगे। इस समय व्यक्ति के बौधिक क्षमता का विकाश होगा. राजनितिक क्षेत्र में एक दुसरे पर आरोप -प्रति आरोप लगा रहेगा. राज्य अधिकारो को लेकर मतभेद बनेगा. सीमाओं को लेकर विवाद बन सकता है. शेयर बाजार में वृद्धि होगा अर्थव्यवस्था अनुकूल स्थिति में रहेगा. मौसम ठीक नहीं रहेगा लेकिन बीच बीच  में पठारी भागो में आपदा होगा.

नए संवत्सर में क्या करे
नए संवत्सर के दिन अपने घर की सफाई करे। स्नान करके अपने आराध्य देव तथा कुल देवता का पूजन करे। घर में मुख्य दरवाजे पर तोरण लगाए साथ ही स्वस्तिक बनाये. अपने घर पर केशरी रंग का धर्म का ध्वजा विधिपूर्वक पूजा पाठ करके घर की आगे लगाये. इस दिन घर में हवन करने से वास्तुदोष के साथ ही ग्रहों का दोष बना हुआ था वह दूर होगा, ब्राह्मण को भोजन कराए, तिलक लगाए आपके सभी रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे.

नए संवत्सर के दिन क्या नहीं करे

नए संवत्सर के दिन सयम से रहे शुद्ध भोजन करे इस दिन किसी से पैसा का लें देन नहीं करे.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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उज्जैन, 23 मार्च (हि.स.)। देश भर में इन दिनों होली की धूम देखने को मिल रही है। परम्परा के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा पर देश में सबसे पहले रविवार, 24 मार्च को शाम 7.30 बजे विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में होलिका दहन किया जाएगा तथा 25 मार्च को धुलंडी का पर्व मनाया जाएगा। अगले दिन सोमवार, 25 मार्च को धुलेंडी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन तड़के चार बजे भस्म आरती में अवंतिकानाथ भक्तों के साथ हर्बल गुलाल से होली खेलेंगे। वहीं, 26 मार्च से गर्मी की शुरुआत मानते हुए भगवान को ठंडे जल से स्नान कराने का क्रम शुरू होगा। प्रतिदिन होने वाली पांच में से तीन आरती का समय भी बदलेगा।

मंदिर प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने शनिवार को बताया कि देश में सभी त्योहारों की शुरुआत भगवान महाकाल के आंगन से होती है। इसी परम्परा के अनुसार हर साल की तरह इस बार भी होली का पर्व भी देशभर में सबसे पहले भगवान महाकाल के मंदिर में मनाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि रविवार को मंदिर परिसर में श्री ओंकारेश्वर मंदिर के सामने होली बनाई जाएगी। शाम को भगवान महाकाल की संध्या आरती के बाद पुजारी वैदिक मंत्रोच्चार के साथ होलिका का पूजन करेंगे। पुजारी परिवार की महिलाओं के द्वारा भी होलिका का पूजन किया जाएगा। इसके बाद होलिका का दहन होगा। फिर फाग उत्सव मनाया जाएगा। अगले दिन सोमवार को धुलेंडी पर भस्म आरती में रंगोत्सव मनाया जाएगा। पुजारी, पुरोहित व भक्त भगवान महाकाल के साथ होली खेलेंगे।

उन्होंने बताया कि मंदिर की पूजन परंपरा में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। प्रतिपदा 26 मार्च को है, इसलिए भगवान की दिनचर्या में बदलाव होगा। सर्दी के दिनों में भगवान को गर्म जल से स्नान कराया जा रहा था। अब चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से शरद पूर्णिमा तक अगले छह माह भगवान शीतल जल से स्नान करेंगे। इस अवधि में आरती का समय भी बदलेगा।

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पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार की प्रसाद योजना के तहत आमी मंदिर परियोजना सारण का हुआ शुभारंभ

Chhapra: इंडिया टूरिज्म पटना, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार, पर्यटन विभाग, भारत सरकार के सहयोग से बिहार सरकार ने पर्यटन मंत्रालय की प्रसाद योजना के तहत “आमी मंदिर परियोजना का शुभारंभ” कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार ( 07.03.2024) को आमी (अंबिका) मंदिर परिसर, सारण, बिहार में किया।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने “पर्यटन के माध्यम से परिवर्तन” विषय के तहत इस परियोजना को श्रीनगर से लॉन्च किया है।इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारत के पर्यटन स्थलों के विकास के लिए मंत्रालय की स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना के तहत एक साथ पूरे भारतवर्ष में आज कुल 53 योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।

यह कार्यक्रम बिहार के सारण जिले के आमी (अंबिका) मंदिर परिसर में भी आयोजित किया गया। इस अवसर पर स्थानीय प्रतिनिधि एवं केन्द्रीय एवं राज्य पर्यटन विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में 500 से अधिक लोगों ने भाग लिया और लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से वर्चुअल मोड पर श्रीनगर से प्रधानमंत्री के लाइव संबोधन को देखा।भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने प्रसाद योजना के तहत आमी मंदिर परिसर के कायाकल्प और विकास के लिए लगभग रु. 20 करोड़ अनुदान देने की घोषणा की। नीरज शरण सहायक महानिदेशक, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय, अजीत लाल,पर्यटन अधिकारी औरबीएसटीडीसी के जीएम अभिजीत कुमार कार्यक्रम में मौजूद थे।

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