कीड़ा भारती ने हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा का किया आयोजन

Chhapra: क्रीडा भारती सारण के जिला कार्यकारिणी द्वारा श्री हनुमान जी महाराज के जन्मोत्सव पर खेल एवं खिलाड़ियों के मंगलकामना हेतु सामुहिक रूप से पूजा पाठ किया गया. उक्त सामूहिक कार्यक्रम अमरेंद्र कुमार सिंह के अध्यक्षता में हरि मोहन गली में किया गया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि श्री हनुमान जी महाराज विश्व के सभी खिलाड़ियों के आदर्श है. सभा को संबोधित करते हुए प्रांत कार्यकारिणी सदस्य डॉ सुरेश प्रसाद सिंह ने बताया कि हनुमान जी महाराज के जन्मदिन के अवसर पर अखिल भारतीय स्तर पर खेल एवं खिलाड़ियों के लिए समर्पित कीड़ा भारती संस्था का स्थापना किया गया था.

इस अवसर पर श्री हनुमान जी महाराज के तैलचित्र पर कार्यक्रम प्रमुख सुशील कुमार के मार्गदर्शन में विधिवत पूजन किया गया. मौके पर जिला मंत्री पंकज कश्यप, नरेंद्र कुमार हिमांशु कुमार, पंकज कुमार, सूरज कुमार, शंभू कुमार, राकेश कुमार उपस्थित रहे.

सभी आगंतुक का स्वागत जिला अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार सिंह द्वारा किया गया. साथ ही आने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की सफलता हेतु सूरज को जिम्मेदारी दी गई.

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नई दिल्ली, 17 अप्रैल (हि.स.)। देश में आज रामनवमी की धूम है। सुबह से मंदिरों के बाहर लोग मंदिरों के बाहर कतारबद्ध हैं। दिल्ली के झंडेवालान मंदिर, कालकाजी शक्ति पीठ और छतरपुर मंदिर में लोग मां दुर्गा के रूपों की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। अयोध्याधाम में 500 साल के लंबे इंतजार के बाद प्रभु श्रीराम के जन्म स्थान बने भव्य-दिव्य मंदिर में रामनवमी का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है।

अयोध्याधाम में सूर्यवंशी भगवान श्रीराम के माथे पर स्वयं सूर्यदेव तिलक करेंगे। भगवान रामलला के ललाट पर सूर्य किरण 12 बजकर 16 मिनट पर करीब पांच मिनट तक पड़ेगी। इसके लिए महत्वपूर्ण तकनीकी व्यवस्था की गई है। वैज्ञानिक इस अलौकिक पल को पूरी भव्यता से प्रदर्शित करने के लिए जुटे हुए हैं। आज रामलला भक्तों को 19 घंटे दर्शन देंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सिर्फ राम जन्मोत्सव के दिन यानी 17 अप्रैल को ही दर्शन की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया है। सुबह 3:30 बजे से भक्तों को दर्शन कराए जा रहे हैं। रात 11 बजे तक शृंगार, राग-भोग और दर्शन साथ-साथ चलेंगे।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सुबह श्री राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला का दिव्य अभिषेक किया। बेंगलुरु में रामनवमी के अवसर पर कोदंड राम स्वामी मंदिर में विशेष पूजा की गई है। गुजरात में सूरत के मंदिरों में भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं। ओडिशा के पुरी में रामनवमी के अवसर पर रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने रेत से भगवान राम की मूर्ति बनाई। हरियाणा में पंचकूला के मनसा देवी मंदिर में लंबी कतार लगी हुई है। कटरा में माता वैष्णो देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की शक्तिपीठों में भी लोग मां के दर्शन कर रहे हैं।

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अयोध्या,16 अप्रैल (हि.स.)। श्रीराम लला का सूर्य किरणों से महामस्तकाभिषेक की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कई बार के ट्रायल के बाद जो समय निश्चित किया गया है वह दोपहर सवा बारह बजे का है। मंदिर व्यवस्था से जुड़े लोग इसे विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय मानते हैं। यह जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र संवाद केन्द्र से मंगलवार को प्राप्त हुई।

दरअसल, वैज्ञानिकों ने बीते करीब बीस वर्षों की पृथ्वी की गति के हिसाब से अयोध्या के आकाश में सूर्य की सटीक दिशा आदि का निर्धारण करके ऊपरी तल पर मिरर स्थापित करने की जगह और कोण तय किया। कुछ अलग करने की सोच का ही परिणाम है कि लंबे विमर्श के बाद रुड़की की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च संस्थान के वैज्ञानिकों ने सूर्य तिलक की व्यवस्था करने का बीड़ा उठाया।

ट्रस्ट के एक पदाधिकारी ने बताया कि सूर्य रश्मियों को घुमा फिराकर राम लला के ललाट तक पहुंचाने में कहीं भी बिजली का प्रयोग नहीं किया गया है।आप्टोमैकेनिकल सिस्टम के तहत उच्च गुणवत्ता वाले दर्पण और लेंस के साथ पीतल की वर्टिकल पाइपिंग की व्यवस्था की गई। सूर्य की किरणें ऊपरी तल के मिरर पर पड़ेंगी, उसके बाद तीन लेंस से होती हुई दूसरे तल के मिरर पर आपतित होंगी।

अंत में सूर्य की किरणें राम लला के ललाट पर 75 मिलीमीटर के टीके के रूप में दैदीप्तिमान होंगी और लगभग चार मिनट तक टिकी रहेंगी। यह समय भी पृथ्वी की गति के दृष्टिगत सूर्य की दिशा पर निर्भर है। मंदिर की व्यवस्था से जुड़े लोग सूर्य तिलक के ट्रायल की सफलता से आह्लादित हैं और इसे विज्ञान एवं अध्यात्म का समन्वय मानते हैं।

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मीरजापुर, 16 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि को महागौरी स्वरूपा मां विंध्यवासिनी के दर्शन को विंध्यधाम में आस्था का संगम दिखा। दर्शन-पूजन कर भक्तों ने पुण्य की कामना की। मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हुआ, जो अनवरत चलता रहा।

चैत्र नवरात्र के अष्टमी तिथि को मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के लिए गैर प्रांतों के श्रद्धालु मंगलवार की रात ही विंध्यधाम पहुंच गए थे। विंध्यधाम के होटलों और अतिथि गृहों में विश्राम के बाद दर्शनार्थी भोर में ही गंगा स्नान कर विंध्यवासिनी के दर्शन को मंदिर की तरफ निकल पड़े और गर्भगृह के सामने कतारबद्ध हो गए। सुबह जैसे-जैसे दिन ढलता गया, श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई।

सोमवार की रात महानिशा पूजा होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु विंध्यधाम पहुंचे। मां विध्यवासिनी, मां काली व मां अष्टभुजा के दर्शन के बाद शिवपुर स्थित रामेश्वरम मंदिर और तारा मंदिर में दर्शन-पूजन कर त्रिकोण परिक्रमा पूरी की। त्रिकोण मार्ग पर सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था रही।

शमशान घाट, तारा मंदिर व भैरो कुंड में हुई तंत्र साधना

महानिशा की रात तंत्र साधना के लिए विंध्यधाम के विभिन्न स्थलों पर तांत्रिकों का जमावड़ा लग गया था। मान्यता है कि विंध्यधाम में वाम मार्गी और दक्षिण मार्गी दोनों साधक अपनी-अपनी साधना विधि से तंत्र साधना कर सकते हैं। साधकों को अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। इसलिए यहां दोनों मार्गों के साधक फल की प्राप्ति के लिए तंत्र साधना के लिए महानिशा की पूजा में जुटते हैं। विंध्यधाम के शिवपुर स्थित रामगया श्मशान घाट, तारा मंदिर, अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित भैरो कुंड समेत अन्य साधना स्थलों पर तंत्र साधकों ने साधना कर अपने ईष्ट को प्रसन्न करने का उपक्रम किया। तंत्र साधना के मद्देनजर विभिन्न साधना स्थलों के आसपास पुलिस का कड़ा पहरा रहा।

महानिशा में तंत्र साधना का महत्व

महानिशा में विंध्यधाम में तंत्र साधना का अपना अलग ही महत्व है। रामगया श्मशान घाट, तारा मंदिर, काली खोह, भैरो कुण्ड, चितवा खोह, मोतिया तालाब, गेरुआ तालाब आदि स्थानों पर साधक साधना में जुटे रहे।

विंध्य पर्वत पर रही रौनक

चैत्र नवरात्र के अष्टमी के दिन विंध्य पर्वत पर रौनक रही। त्रिकोण करने वाले भक्तों की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा दोगुनी रही। कालीखोह मंदिर से अष्टभुजा मंदिर होते हुए तारा मंदिर जाने वाले मार्ग पर पूरे दिन भक्तों की टोली दिखी।

मां विंध्यवासिनी के पताका (ध्वज) का महत्व

मान्यता है कि नवरात्र में मां भगवती नौ दिनों तक मंदिर की छत के ऊपर पताका में ही विराजमान रहती हैं। सोने के इस ध्वज की विशेषता यह है कि यह सूर्य चंद्र पताकिनी के रूप में जाना जाता है। यह निशान सिर्फ मां विंध्यवासिनी के पताका में ही होता है।

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अयोध्या,15 अप्रैल (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने सोमवार को प्रेसवार्ता कर रामनवमी पर्व के सम्बंध में कुछ नयी व्यवस्थाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि श्री राम जन्मभूमि मन्दिर में मंगला आरती के पश्चात ब्रह्म मुहूर्त में अति-प्रातः 3:30 बजे से अभिषेक श्रृंगार एवं दर्शन साथ-साथ चलते रहेंगे। श्रृंगार आरती प्रातः 5 बजे होगी। श्री रामलला का दर्शन एवं सभी पूजा विधि यथावत साथ-साथ चलती रहेगी। उन्होंने बताया कि दर्शन का समय बढ़ाकर 19 घंटे कर दिया गया है,जो मंगला आरती से रात 11 बजे तक चलेगा। भगवान को चार बार भोग लगाने के लिए सिर्फ पांच-पांच मिनट ही पर्दा बंद रहेगा।

उन्होंने श्रद्धालुओं से निवेदन किया है कि पर्दा बन्द रहने के समय धैर्य बनाकर रहें एवं श्री राम नाम संकीर्तन तथा प्रभु का भजन करते रहें। उन्होंने बताया कि रात्रि 11 बजे तक दर्शन का क्रम पूर्ववत चलता रहेगा। तत्पश्चात परिस्थिति अनुसार भोग एवं शयन आरती होगी। शयन आरती के पश्चात प्रसाद मन्दिर निकास मार्ग पर मिलेगा।

ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताया कि दर्शनार्थी अपना मोबाइल, जूता, चप्पल, बड़े-बैग एवं प्रतिबंधित सामग्री आदि जितना दूर सुरक्षित रखकर आएंगे, दर्शन में उतनी ही अधिक सुविधा होगी। संभवतः ये सभी सामान आदि अपने गुरू स्थान आदि में रखें तो सुगमता रहेगी। उन्होंने बताया कि दर्शन मार्ग पर यात्री सुविधा केंद्र पर रेल आरक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि 16, 17, 18 एवं 19 अप्रैल को सुगम दर्शन पास, वी.आई.पी. दर्शन पास, मंगला आरती पास, श्रृंगार आरती पास एवं शयन आरती पास नहीं बनेंगे अर्थात किसी भी प्रकार के पास जारी नहीं किए जाएंगे। अर्थात उपरोक्त दिनों में सभी सुविधाएँ निरस्त रहेगी।

उन्होंने कहा कि सुग्रीव किला के नीचे, बिड़ला धर्मशाला के सामने, श्री रामजन्मभूमि प्रवेश द्वार पर ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ द्वारा यात्री सेवा केन्द्र बनाया गया है। जिसमें जन-सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

उन्होंने बताया कि श्री राम जन्मभूमि मन्दिर में संपन्न होने वाले सभी कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण अयोध्या नगर निगम क्षेत्र में लगभग 80 से 100 स्थानों पर एल.ई.डी. स्क्रीन लगाकर दिखाया जाएगा। यह कार्य प्रसार भारती द्वारा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किया गया है। इसका सीधा प्रसारण उपलब्ध रहेगा।

उन्होंने सभी सम्मानित श्रद्धालुओं से अनुरोध किया कि केवल रामनवमी के दिन सभी कार्यक्रमों का आनन्द घर बैठे अथवा जो जहां हो, मोबाइल पर, टेलीविजन पर और स्थान-स्थान पर लगी हुई एल.ई.डी. स्क्रीन पर देखकर, प्रभु श्री राम जी की कृपा प्राप्त कर, जीवन धन्य करें और राम नवमी के पश्चात अपनी सुविधानुसार अयोध्या धाम आकर प्रभु श्री रामलला जी के दर्शन लाभ कर, प्रसाद ग्रहण करें। उन्होंने कहा कि राम नवमी के दिन अनावश्यक भाग-दौड़ और परेशानी से बचें।

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Chhapra:  चैत्र मास में मनाया जाने वाला चैती छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। सोमवार की सुबह उगते सूर्य का छठव्रतियों ने लोक परम्परा के अनुसार पूजा अर्चना की और भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान किया।

घाट, नहर के साथ ही पोखर में छठव्रतियों ने पूजा अर्चना की और भगवान भास्कर की अराधना करते हुआ अर्घ्य प्रदान किया। मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा हुए थे।

प्रकृति को समर्पित प्राकृतिक समानों के साथ घर में बने पकवान को सूप में लेकर जल में खड़े होकर छठव्रतियों ने पूजा अर्चना की। लोक आस्था का महापर्व छठ की छटा अब चैत्र मास को मनाए जाने वाले चैती छठ को लेकर बढ़ रही है। बड़ी संख्या में चैती छठ भी छठव्रती करने लगे हैं। पूजा उपरांत लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

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जम्मू, 14 अप्रैल (हि.स.)। वार्षिक अमरनाथ यात्रा इस साल 29 जून से शुरू होगी। अमरनाथ यात्रा का पंजीकरण सोमवार से शुरू होगा।

अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने रविवार को कहा कि अमरनाथ यात्रा 2024 इस साल 29 जून से शुरू होगी। इसमें कहा गया कि 50 दिवसीय यात्रा 19 अगस्त को समाप्त होगी, जबकि पंजीकरण 15 अप्रैल से शुरू होगा।

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– 15 से 18 अप्रैल तक के बीच के ऑनलाइन बने सभी पास किये गए निरस्त
– ट्रस्ट की अपील राम लला के जन्मोत्सव पर मोबाइल लेकर ना आएं मन्दिर

अयोध्या,14 अप्रैल (हि.स.)। रामनवमी पर श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर में रामलला का वीआईपी दर्शन नहीं हो पायेगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की ओर से रामलला के 15 से 18 अप्रैल तक वीआईपी दर्शन को पूर्ण रूप से प्रतिबंध किया गया है। इस दौरान किसी भी तरह के वीआईपी दर्शन और पहले से बने वीआईपी पास पर रोक लगा दी गई है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रविवार को गाइडलाइन जारी किया है। जिसमें 15 अप्रैल से 18 अप्रैल तक किसी भी तरह के वीआईपी दर्शन और वीआईपी पास पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया है। इस दौरान श्रद्धालु सुगम दर्शन पास और आरती के पास का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। 15 अप्रैल से 18 अप्रैल तक के बीच के ऑनलाइन बना लिए गए पास निरस्त किये गए हैं।

ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने लोगों से अपील किया है कि राम लला के जन्मोत्सव के मौके पर मोबाइल लेकर राम जन्मभूमि ना आएं। साथ ही रामलला के दर्शन को लेकर जारी पूर्व पास को राम मंदिर ट्रस्ट ने निरस्त किया।

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इशुआपुर के पुरसौली छठ घाट पर व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया

Isuapur: कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, उगही हे सूरज देव अरग के बेरा, मोर घाटे दुबिया उपज गइले… जैसे पारंपरिक गीतों के साथ रविवार को शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न नदी व तालाब घाटों पर आस्था की अंजुरी से व्रतियों ने छठी माता व सूर्य देव को अर्घ्य दान किया।

चैत छठ के पावन अवसर पर अस्ताचलगामी सूर्य को महिला पुरुष व्रतियों ने पूरी आस्था के साथ अर्घ्य दिया व सुखी व शांतिमय जीवन की कामना की। घाटों पर अर्द्धदान के लिए व्रती व परिजन जुटे। सभी ने छठी मैया से जीवन की मंगल कामना की और आशीर्वाद मांगा। नदी घाटों पर ही नहीं बल्कि पोखड़े और घरों में बने अस्थाई तालाबों में व्रतियों ने अर्द्ध अर्पण किया। अमूमन हर जगह छठ की अनुपम व मनोहारी छटा दिखी।

चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन इस पर्व में डूबते सूर्य को देख अर्घ्य देने के लिए व्रतियों और उनके परिजनों का ताता दोपहर बाद ही घाटों पर लगने लगा। शाम 4:30 बजे तक सभी घाट वर्तीयों और उनके परिजनों से भर गया। बच्चे उत्साहित थे और बड़े बुजुर्ग पर्व की आस्था में नहाए दिख रहे थे।

इशुआपुर के पुरसौली छठ घाट पर भी वर्तीयों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर सुखी और शांतिमय जीवन की कामना की।

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Chhapra:  चैत्र नवरात्रि के छठे दिन रविवार को माता कात्यायनी की पूजा की गई। मां दुर्गा के इस स्वरूप का अवतार कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में हुआ था, इसलिए इन्हें माता कात्यायनी कहा जाता है।

मां कात्यायनी को शहद और पीले रंग का भोग अत्यंत प्रिय है। कात्यायनी मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है। कात्यायनी मां शेर पर सवार चार भुजाएं वाली हैं, इनके बायें हाथ में कमल, तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा लिए हुए हैं। माता कात्यायनी की पूजा में पीले रंग के वस्त्र पहनने की मान्यता है।

मां कात्यायनी ने महिषासुर का वध किया था। महिषासुर का संहार करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी महिसासुरमर्दिनी कहा जाता है। नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करें। सुबह नहाने के बाद पीले रंग का वस्त्र धारण करें। मंदिर या पूजा की जगह को गंगाजल से शुद्ध कर लें। पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प लें।

मां को फूल अर्पित करें। इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार चढ़ाएं। फिर मां कात्यायनी को प्रिय भोग शहद-मिठाई इत्यादि का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं और माता की आरती करें। मां कात्यायनी की पूजा करने से रोग-शोक, कष्ट और भय दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही इनकी पूजा से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। जिन लोगों की शादी में देर हो रही है, उन्हें शीघ्र विवाह या प्रेम संबंधी मामलों के लिए चैत्र नवरात्रि के छठे दिन शाम को मां कात्यायनी को हल्दी की तीन गांठ चढ़ाएं। सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए पीले फूल चढ़ाते हुए ‘ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।। मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने पर विवाह के योग बनेगा।

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Chhapra: नहाये-खाये के साथ आज से चैती छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो गया।

चैती छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान में 13 अप्रैल को खरना, 14 अप्रैल को सांध्य अर्घ्य और 15 अप्रैल को उदयागामी भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ चैती छठ संपन्न हो जाएगा।

चैती छठ महापर्व को लेकर बाजारों में फल, दउरा, सूप, नारियल, गन्ना के दुकान सज गए हैं।

चैती छठ पूजा को लेकर विभिन्न पूजा घाटों की साफ सफाई को भी शुरू कर दिया गया है। नगर निगम क्षेत्र के सरोवरों के सफाई व्यवस्था के लिए आयुक्त और महापौर ने निरीक्षण भी किया है।

 

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ईद की नमाज अदा कर मांगी अमन चैन की दुआ

Chhapra: रमजान के पाक महीने में चांद के दीदार के बाद गुरूवार को जोश के साथ ईद का त्यौहार मनाया गया. ईद पर शहर के साढा ढाला स्थित ईदगाह में नमाज़ अदा की गई. इस अवसर पर नमाजियों ने देश में अमन चैन और खुशियों की इबादत की.

वही शहर के अन्य मस्जिदों में भी ईद की नमाज अदा की गई. शहर के अलावे खैरा, नगरा, मढ़ौरा, इसुआपुर, मशरक और अन्य प्रखंड के ईदगाह में भी ईद की नमाज अदा कर लोगों ने अमन चैन की दुआ मांगी. साथ ही साथ एक दूसरे को गले लगाकर ईद की मुबारक बाद भी दी.

ईद को लेकर छोटे बच्चों में खासा उत्साह देखा गया. रंग बिरंगे आकर्षक परिधान में बच्चें एक दूसरे को गले लगाकर ईद की बधाई दे रहे थे.

जिला प्रशासन द्वारा सभी ईदगाह और मस्जिदों के बाहर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम थे. सभी ईदगाह और मस्जिदों के बाहर दंडाधिकारी के साथ पुलिस कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई थी.

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