पटना, 26 मई (हि.स.)। बिहार के गया स्थित अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रविवार को पहले दिन 320 हज यात्रियों का पहला जत्था दो विमानों से मक्का के लिए रवाना हुआ। पहली फ्लाइट में 74 पुरुष, 85 महिला और दूसरी फ्लाइट में 92 पुरुष और 69 महिला सहित कुल 320 हज यात्री मक्का के लिए रवाना हुए। ये यात्रा एक जून तक संचालित होगी।

हज यात्रियों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट के बाहरी परिसर में वॉटरप्रूफ जर्मन हैंगर पंडाल का निर्माण आवासन के लिए किया गया है। इसके साथ महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग नमाजगाह की भी व्यवस्था की गई है। एयरपोर्ट परिसर में वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था है। साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था को नियंत्रण रखने के लिए ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की भी प्रतिनियुक्ति की गई है।

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-धाम में हेली सेवा, घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी से पहुंच रहे श्रद्धालु

देहरादून, 18 मई (हि.स.)। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के धाम पहुंच रहे हैं। बीते आठ दिनों में 2,15,930 श्रद्धालुओं ने श्रीकेदारनाथ के दर्शन किए हैं।

इसमें से 10 हजार 70 श्रद्धालुओं ने हेली सेवा के माध्यम और 47 हजार 806 श्रद्धालुओं ने घोड़े-खच्चरों के माध्यम से दर्शन किए। इसके अलावा 1428 श्रद्धालुओं ने डंडी एवं 1851 श्रद्धालुओं ने कंडी के माध्यम से श्रीकेदार के दर्शन किए। एक लाख 54 हजार 775 श्रद्धालु अब तक पैदल ट्रैक रूट से श्रीकेदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं।

श्रीकेदारनाथ धाम में सुगम, सुरक्षित एवं निर्बाध यात्रा के लिए राज्य सरकार, जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की ओर से सभी आवश्यक व्यवस्थाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। पैदल मार्ग पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। यात्री के बीमार या घायल होने की स्थिति में सूचना प्राप्त होते ही सुरक्षा बलों की टीमें घटनास्थल पर पहुंच तत्काल तीर्थयात्रियों को उपचार के लिए नजदीकी एमआरपी में पहुंचा रहे हैं। गंभीर स्थिति के तीर्थयात्रियों को हायर सेंटर उपचार के लिए रेफर किया जा रहा है।

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-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे , सेना बैंड की मधुर धुनों से गूंजा परिसर

श्री केदारनाथधाम, 10 मई (हि.स.)। हिमालय में बिराजे विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग बाबा केदारनाथ के कपाट विधि-विधान के साथ आज सुबह छह माह के लिए खोल दिए गए। इस दौरान हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। सेना की ग्रेनेडियर रेजीमेंट के बैंड की सुमधुर धुनों से केदारधाम परिसर गूंज उठा। इसी के साथ चारधाम यात्रा प्रारंभ हो गई। इस अवसर के 10 हजार से अधिक श्रद्धालु साक्षी बने। पुण्य अवसर पर मौसम साफ रहा। मंदिर को लगभग 20 क्विंटल फूलोंं से सजाया गया। मुख्य सेवक भंडारा कार्यक्रम समिति ने सभी के भंडारा आयोजित किए हैं।

प्रातः चार बजे श्री केदारनाथधाम परिसर में कतारबद्ध चारधाम यात्रियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ।कुझ समय बाद बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय, रावल भीमाशंकर लिंग, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, पुजारी, धर्माचार्य, वेदपाठी, केदार सभा के पदाधिकारी और जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरवार पूरब द्वार से मंदिर पहुंचे। फिर पूजा शुरू हुई। इसके बाद भगवान भैरवनाथ और भगवान शिव के आह्वान के साथ ठीक सुबह सात बजे श्रीकेदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए।

कपाट खुलने के बाद भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप से शृंगार रूप दिया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने दर्शन शुरू किए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कपाट खुलने के अवसर पर मौजूद रहे। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए देश-प्रदेश की खुशहाली की कामना की। उन्होंने कहा कि इस बार चारधाम यात्रा कीर्तिमान बनाएगी। प्रदेश सरकार तीर्थयात्रियों की सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सभी को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस बार रिकार्ड तीर्थ यात्री श्रीकेदारनाथ धाम पहुंचेंगे। कार्यक्रम के अनुसार छह मई को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान भैरवनाथ की पूजा हुई थी। भगवान केदारनाथ की पंचमुखी भोगमूर्ति नौ मई को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से विभिन्न पड़ावों से होते हुए केदारनाथ धाम पहुंची थी।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया गया कि 11 मई को श्री केदारनाथ धाम में भकुंट भैरव मंदिर के द्वार खुलने के साथ केदारनाथ मंदिर में नित्य प्रति आरतियां एवं संध्याकालीन आरतियां शुरू हो जाएंगी। मान्यता है कि बाबा केदारनाथ छह महीने समाधि में रहते हैं। मंदिर के कपाट बंद होने के अंतिम दिन चढ़ावे के बाद सवा क्विंटल भभूति चढ़ाई जाती है। कपाट खुलने के साथ ही बाबा केदारनाथ समाधि से जागते हैं। इसके बाद भक्त दर्शन करते हैं। यमुनोत्री के कपाट 10ः29 बजे और गंगोत्री के कपाट आज दोपहर बाद 12 बजकर 20 मिनट पर खुलेंगे। बदरीनाथ के कपाट 12 मई को सुबह छह बजे खुलेंगे।

आज यहां कपाट खुलने के समय हक-हकूकधारी सहित केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग, पुजारी शिवशंकर लिंग, संस्कृति एवं कला परिषद के उपाध्यक्ष मधु भटृट मंदिर समिति सदस्य श्रीनिवास पोस्ती,वीरेंद्र असवाल, , मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, कार्याधिकारी आरसी तिवारी, धर्माचार्य औंकार शुक्ला, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी, स्वयंबंर सेमवाल, प्रदीप सेमवाल, अरविंद शुक्ला, कुलदीप धर्म्वाण, देवानंद गैरोला आदि मौजूद रहे।

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देहरादून, 10 मई (हि.स.)। उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध पवित्र चारधाम यात्रा की शुरुआत के लिए चारधाम में से तीन के कपाट विधि-विधान से खुलने हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस पवित्र यात्रा के शुरू होने से कुछ समय पहले आज सुबह एक्स हैंडल पर बाबा केदार का जयघोष किया है। उन्होंने एक्स पोस्ट में इस पावन अवसर पर दो फोटो भी साझा किए हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने लिखा है, ”जय बाबा केदार! आप सभी भक्तजनों का चारधाम यात्रा 2024 में हार्दिक स्वागत और अभिनंदन। आप सभी से अनुरोध है कि यात्रा के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग करने से बचें। हमारी सरकार द्वारा चारधाम आने वाले बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।”

उन्होंने लिखा है, ”आज अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्री केदारनाथधाम, श्री यमुनोत्रीधाम एवं श्री गंगोत्रीधाम के कपाट पूर्ण विधि-विधान के साथ दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। आप समस्त श्रद्धालुओं का चारधाम यात्रा हेतु हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !” एक अन्य एक्स पोस्ट में कल शाम उन्होंने कहा, ”केदारपुरी है तैयार, जय श्री केदार !”

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सनातन धर्म में वैशाख मास को अत्यंत पुण्यमय माना जाता है। इस मास में भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है। सनातन धर्मावलंबियों का प्रमुख त्योहार अक्षय तृतीया इस साल 10 मई को रोहिणी नक्षत्र और मृगशिरा नक्षत्र के युग्म संयोग में मनाया जाएगा। इस दिन रवियोग का भी सुखद संयोग रहेगा।

अक्षय पुण्य की प्राप्ति:

ज्योतिष शास्त्र में अक्षय तृतीया को “अबूझ मुहूर्त” कहा गया है। इस दिन स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान, शुभ कार्य आदि करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

महिलाओं का व्रत और पूजा:

10 मई को अक्षय तृतीया पर महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए भगवान श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और माता गौरी की पूजा करेंगी और व्रत रखेंगी। इस दिन भगवान नारायण और लक्ष्मी देवी को कमल पुष्प, श्वेत फूल, कमलगट्टा, इत्र, अभ्रक, खीर का भोग, घी का दीपक आदि अर्पित कर श्रीसूक्त और कनकधारा का पाठ करने से अक्षय पुण्य लाभ और वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

दान का पुण्य:

अक्षय तृतीया पर सत्तू, जल, गुड़, छाता, चरण पादुका, अन्न, ऋतुफल, भोजन सामग्री, वस्त्र आदि का दान करना और बेजुबानों को भोजन-पानी देना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

स्वर्ण खरीदारी का महत्व:

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग, शुभ योगों के महासंयोग, सर्वसिद्ध मुहूर्त और अबूझ मुहूर्त में स्वर्ण, मोती, रत्न, स्थिर संपत्ति आदि खरीदने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण, रजत, धातु, रत्न और अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि, संपन्नता में वृद्धि, अक्षय लाभ और लक्ष्मी माता का वास होता है।

मिट्टी के पात्र का महत्व:

शास्त्रों में भारत भूमि की तुलना स्वर्ण से भी बढ़कर बतायी गयी है। अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी का पात्र, मिट्टी का दीपक, कसोरा, कलश की खरीदारी करने से भी स्वर्ण के बराबर शुभ फल प्राप्त होता है।

भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव:

इसके अलावा, भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव भी इसी दिन मनाया जाएगा।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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अक्षय तृतीया इस बार 10 मई को मनायी जायेगी. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस तिथि को जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है, इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, लेकिन वैशाख माह की तृतीया तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है.

अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व रखता है इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों, घर, भूखंड, वाहन की खरीददारी कर सकते हैंं. इस दिन दान देने, पूजन करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहते हैं. यह तिथि चिरंजीवी तिथि भी कहलाती है. इस बार वाहन व भूमि खरीदने का शुभ मुहूर्त सुबह 11.45 से शाम में 05.07 तक है, वहीं ज्वेलरी की खरीदारी दोपहर 12.08 से रात्रि 09.15 मिनट तक है. इस दौरान खरीदारी की जा सकती है.

अक्षय तृतीया से जुड़ी पौराणिक महत्व की कई कहानियां

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन कई पौराणिक घटनाएं हुईं थीं. इसलिये इसे एक अबूझ मुहूर्त के तौर पर माना जा जाता है. इसे युगादि तिथि भी माना जाता है. कहते हैं कि सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन ही हुई थी. भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था. भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था. इसी दिन बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं. यही वह पवित्र दिन है जब वृंदावन में बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होते हैं.

मान्यता है कि इस दिन ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था, जिसमें भी भी भोजन समाप्त नहीं होता था. महाभारत और विष्णु पुराण के अनुसार परशुराम नाम का मूल नाम राम था, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें जब अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम पड़ गया. मान्यता है कि परशुराम का जन्म जिस दिन हुआ था, उस दिन को अक्षय तृतीया कहा गया. परशुराम चिरंजीवी माने गये और उनकी आयु अक्षय है, इसलिये इसे अक्षय तृतीया या चिरंजीवी तिथि कहा गया है.

पितरों के तर्पण से अक्षय फल की प्राप्ति

माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने व भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है. इस दिन पितरों को किया गया तर्पण व पिंडदान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृतीया के दिन मनुष्य जाने-अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करें तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं, इसलिये इस दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिये अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान मांगना चाहिये

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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कीड़ा भारती ने हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा का किया आयोजन

Chhapra: क्रीडा भारती सारण के जिला कार्यकारिणी द्वारा श्री हनुमान जी महाराज के जन्मोत्सव पर खेल एवं खिलाड़ियों के मंगलकामना हेतु सामुहिक रूप से पूजा पाठ किया गया. उक्त सामूहिक कार्यक्रम अमरेंद्र कुमार सिंह के अध्यक्षता में हरि मोहन गली में किया गया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि श्री हनुमान जी महाराज विश्व के सभी खिलाड़ियों के आदर्श है. सभा को संबोधित करते हुए प्रांत कार्यकारिणी सदस्य डॉ सुरेश प्रसाद सिंह ने बताया कि हनुमान जी महाराज के जन्मदिन के अवसर पर अखिल भारतीय स्तर पर खेल एवं खिलाड़ियों के लिए समर्पित कीड़ा भारती संस्था का स्थापना किया गया था.

इस अवसर पर श्री हनुमान जी महाराज के तैलचित्र पर कार्यक्रम प्रमुख सुशील कुमार के मार्गदर्शन में विधिवत पूजन किया गया. मौके पर जिला मंत्री पंकज कश्यप, नरेंद्र कुमार हिमांशु कुमार, पंकज कुमार, सूरज कुमार, शंभू कुमार, राकेश कुमार उपस्थित रहे.

सभी आगंतुक का स्वागत जिला अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार सिंह द्वारा किया गया. साथ ही आने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की सफलता हेतु सूरज को जिम्मेदारी दी गई.

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नई दिल्ली, 17 अप्रैल (हि.स.)। देश में आज रामनवमी की धूम है। सुबह से मंदिरों के बाहर लोग मंदिरों के बाहर कतारबद्ध हैं। दिल्ली के झंडेवालान मंदिर, कालकाजी शक्ति पीठ और छतरपुर मंदिर में लोग मां दुर्गा के रूपों की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। अयोध्याधाम में 500 साल के लंबे इंतजार के बाद प्रभु श्रीराम के जन्म स्थान बने भव्य-दिव्य मंदिर में रामनवमी का त्यौहार धूम-धाम से मनाया जा रहा है।

अयोध्याधाम में सूर्यवंशी भगवान श्रीराम के माथे पर स्वयं सूर्यदेव तिलक करेंगे। भगवान रामलला के ललाट पर सूर्य किरण 12 बजकर 16 मिनट पर करीब पांच मिनट तक पड़ेगी। इसके लिए महत्वपूर्ण तकनीकी व्यवस्था की गई है। वैज्ञानिक इस अलौकिक पल को पूरी भव्यता से प्रदर्शित करने के लिए जुटे हुए हैं। आज रामलला भक्तों को 19 घंटे दर्शन देंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सिर्फ राम जन्मोत्सव के दिन यानी 17 अप्रैल को ही दर्शन की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया है। सुबह 3:30 बजे से भक्तों को दर्शन कराए जा रहे हैं। रात 11 बजे तक शृंगार, राग-भोग और दर्शन साथ-साथ चलेंगे।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सुबह श्री राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला का दिव्य अभिषेक किया। बेंगलुरु में रामनवमी के अवसर पर कोदंड राम स्वामी मंदिर में विशेष पूजा की गई है। गुजरात में सूरत के मंदिरों में भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं। ओडिशा के पुरी में रामनवमी के अवसर पर रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने रेत से भगवान राम की मूर्ति बनाई। हरियाणा में पंचकूला के मनसा देवी मंदिर में लंबी कतार लगी हुई है। कटरा में माता वैष्णो देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की शक्तिपीठों में भी लोग मां के दर्शन कर रहे हैं।

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अयोध्या,16 अप्रैल (हि.स.)। श्रीराम लला का सूर्य किरणों से महामस्तकाभिषेक की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कई बार के ट्रायल के बाद जो समय निश्चित किया गया है वह दोपहर सवा बारह बजे का है। मंदिर व्यवस्था से जुड़े लोग इसे विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय मानते हैं। यह जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र संवाद केन्द्र से मंगलवार को प्राप्त हुई।

दरअसल, वैज्ञानिकों ने बीते करीब बीस वर्षों की पृथ्वी की गति के हिसाब से अयोध्या के आकाश में सूर्य की सटीक दिशा आदि का निर्धारण करके ऊपरी तल पर मिरर स्थापित करने की जगह और कोण तय किया। कुछ अलग करने की सोच का ही परिणाम है कि लंबे विमर्श के बाद रुड़की की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च संस्थान के वैज्ञानिकों ने सूर्य तिलक की व्यवस्था करने का बीड़ा उठाया।

ट्रस्ट के एक पदाधिकारी ने बताया कि सूर्य रश्मियों को घुमा फिराकर राम लला के ललाट तक पहुंचाने में कहीं भी बिजली का प्रयोग नहीं किया गया है।आप्टोमैकेनिकल सिस्टम के तहत उच्च गुणवत्ता वाले दर्पण और लेंस के साथ पीतल की वर्टिकल पाइपिंग की व्यवस्था की गई। सूर्य की किरणें ऊपरी तल के मिरर पर पड़ेंगी, उसके बाद तीन लेंस से होती हुई दूसरे तल के मिरर पर आपतित होंगी।

अंत में सूर्य की किरणें राम लला के ललाट पर 75 मिलीमीटर के टीके के रूप में दैदीप्तिमान होंगी और लगभग चार मिनट तक टिकी रहेंगी। यह समय भी पृथ्वी की गति के दृष्टिगत सूर्य की दिशा पर निर्भर है। मंदिर की व्यवस्था से जुड़े लोग सूर्य तिलक के ट्रायल की सफलता से आह्लादित हैं और इसे विज्ञान एवं अध्यात्म का समन्वय मानते हैं।

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मीरजापुर, 16 अप्रैल (हि.स.)। चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि को महागौरी स्वरूपा मां विंध्यवासिनी के दर्शन को विंध्यधाम में आस्था का संगम दिखा। दर्शन-पूजन कर भक्तों ने पुण्य की कामना की। मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हुआ, जो अनवरत चलता रहा।

चैत्र नवरात्र के अष्टमी तिथि को मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करने के लिए गैर प्रांतों के श्रद्धालु मंगलवार की रात ही विंध्यधाम पहुंच गए थे। विंध्यधाम के होटलों और अतिथि गृहों में विश्राम के बाद दर्शनार्थी भोर में ही गंगा स्नान कर विंध्यवासिनी के दर्शन को मंदिर की तरफ निकल पड़े और गर्भगृह के सामने कतारबद्ध हो गए। सुबह जैसे-जैसे दिन ढलता गया, श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई।

सोमवार की रात महानिशा पूजा होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु विंध्यधाम पहुंचे। मां विध्यवासिनी, मां काली व मां अष्टभुजा के दर्शन के बाद शिवपुर स्थित रामेश्वरम मंदिर और तारा मंदिर में दर्शन-पूजन कर त्रिकोण परिक्रमा पूरी की। त्रिकोण मार्ग पर सुरक्षा की तगड़ी व्यवस्था रही।

शमशान घाट, तारा मंदिर व भैरो कुंड में हुई तंत्र साधना

महानिशा की रात तंत्र साधना के लिए विंध्यधाम के विभिन्न स्थलों पर तांत्रिकों का जमावड़ा लग गया था। मान्यता है कि विंध्यधाम में वाम मार्गी और दक्षिण मार्गी दोनों साधक अपनी-अपनी साधना विधि से तंत्र साधना कर सकते हैं। साधकों को अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। इसलिए यहां दोनों मार्गों के साधक फल की प्राप्ति के लिए तंत्र साधना के लिए महानिशा की पूजा में जुटते हैं। विंध्यधाम के शिवपुर स्थित रामगया श्मशान घाट, तारा मंदिर, अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित भैरो कुंड समेत अन्य साधना स्थलों पर तंत्र साधकों ने साधना कर अपने ईष्ट को प्रसन्न करने का उपक्रम किया। तंत्र साधना के मद्देनजर विभिन्न साधना स्थलों के आसपास पुलिस का कड़ा पहरा रहा।

महानिशा में तंत्र साधना का महत्व

महानिशा में विंध्यधाम में तंत्र साधना का अपना अलग ही महत्व है। रामगया श्मशान घाट, तारा मंदिर, काली खोह, भैरो कुण्ड, चितवा खोह, मोतिया तालाब, गेरुआ तालाब आदि स्थानों पर साधक साधना में जुटे रहे।

विंध्य पर्वत पर रही रौनक

चैत्र नवरात्र के अष्टमी के दिन विंध्य पर्वत पर रौनक रही। त्रिकोण करने वाले भक्तों की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा दोगुनी रही। कालीखोह मंदिर से अष्टभुजा मंदिर होते हुए तारा मंदिर जाने वाले मार्ग पर पूरे दिन भक्तों की टोली दिखी।

मां विंध्यवासिनी के पताका (ध्वज) का महत्व

मान्यता है कि नवरात्र में मां भगवती नौ दिनों तक मंदिर की छत के ऊपर पताका में ही विराजमान रहती हैं। सोने के इस ध्वज की विशेषता यह है कि यह सूर्य चंद्र पताकिनी के रूप में जाना जाता है। यह निशान सिर्फ मां विंध्यवासिनी के पताका में ही होता है।

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अयोध्या,15 अप्रैल (हि.स.)। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने सोमवार को प्रेसवार्ता कर रामनवमी पर्व के सम्बंध में कुछ नयी व्यवस्थाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि श्री राम जन्मभूमि मन्दिर में मंगला आरती के पश्चात ब्रह्म मुहूर्त में अति-प्रातः 3:30 बजे से अभिषेक श्रृंगार एवं दर्शन साथ-साथ चलते रहेंगे। श्रृंगार आरती प्रातः 5 बजे होगी। श्री रामलला का दर्शन एवं सभी पूजा विधि यथावत साथ-साथ चलती रहेगी। उन्होंने बताया कि दर्शन का समय बढ़ाकर 19 घंटे कर दिया गया है,जो मंगला आरती से रात 11 बजे तक चलेगा। भगवान को चार बार भोग लगाने के लिए सिर्फ पांच-पांच मिनट ही पर्दा बंद रहेगा।

उन्होंने श्रद्धालुओं से निवेदन किया है कि पर्दा बन्द रहने के समय धैर्य बनाकर रहें एवं श्री राम नाम संकीर्तन तथा प्रभु का भजन करते रहें। उन्होंने बताया कि रात्रि 11 बजे तक दर्शन का क्रम पूर्ववत चलता रहेगा। तत्पश्चात परिस्थिति अनुसार भोग एवं शयन आरती होगी। शयन आरती के पश्चात प्रसाद मन्दिर निकास मार्ग पर मिलेगा।

ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताया कि दर्शनार्थी अपना मोबाइल, जूता, चप्पल, बड़े-बैग एवं प्रतिबंधित सामग्री आदि जितना दूर सुरक्षित रखकर आएंगे, दर्शन में उतनी ही अधिक सुविधा होगी। संभवतः ये सभी सामान आदि अपने गुरू स्थान आदि में रखें तो सुगमता रहेगी। उन्होंने बताया कि दर्शन मार्ग पर यात्री सुविधा केंद्र पर रेल आरक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि 16, 17, 18 एवं 19 अप्रैल को सुगम दर्शन पास, वी.आई.पी. दर्शन पास, मंगला आरती पास, श्रृंगार आरती पास एवं शयन आरती पास नहीं बनेंगे अर्थात किसी भी प्रकार के पास जारी नहीं किए जाएंगे। अर्थात उपरोक्त दिनों में सभी सुविधाएँ निरस्त रहेगी।

उन्होंने कहा कि सुग्रीव किला के नीचे, बिड़ला धर्मशाला के सामने, श्री रामजन्मभूमि प्रवेश द्वार पर ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ द्वारा यात्री सेवा केन्द्र बनाया गया है। जिसमें जन-सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

उन्होंने बताया कि श्री राम जन्मभूमि मन्दिर में संपन्न होने वाले सभी कार्यक्रमों का सजीव प्रसारण अयोध्या नगर निगम क्षेत्र में लगभग 80 से 100 स्थानों पर एल.ई.डी. स्क्रीन लगाकर दिखाया जाएगा। यह कार्य प्रसार भारती द्वारा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किया गया है। इसका सीधा प्रसारण उपलब्ध रहेगा।

उन्होंने सभी सम्मानित श्रद्धालुओं से अनुरोध किया कि केवल रामनवमी के दिन सभी कार्यक्रमों का आनन्द घर बैठे अथवा जो जहां हो, मोबाइल पर, टेलीविजन पर और स्थान-स्थान पर लगी हुई एल.ई.डी. स्क्रीन पर देखकर, प्रभु श्री राम जी की कृपा प्राप्त कर, जीवन धन्य करें और राम नवमी के पश्चात अपनी सुविधानुसार अयोध्या धाम आकर प्रभु श्री रामलला जी के दर्शन लाभ कर, प्रसाद ग्रहण करें। उन्होंने कहा कि राम नवमी के दिन अनावश्यक भाग-दौड़ और परेशानी से बचें।

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Chhapra:  चैत्र मास में मनाया जाने वाला चैती छठ उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। सोमवार की सुबह उगते सूर्य का छठव्रतियों ने लोक परम्परा के अनुसार पूजा अर्चना की और भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान किया।

घाट, नहर के साथ ही पोखर में छठव्रतियों ने पूजा अर्चना की और भगवान भास्कर की अराधना करते हुआ अर्घ्य प्रदान किया। मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा हुए थे।

प्रकृति को समर्पित प्राकृतिक समानों के साथ घर में बने पकवान को सूप में लेकर जल में खड़े होकर छठव्रतियों ने पूजा अर्चना की। लोक आस्था का महापर्व छठ की छटा अब चैत्र मास को मनाए जाने वाले चैती छठ को लेकर बढ़ रही है। बड़ी संख्या में चैती छठ भी छठव्रती करने लगे हैं। पूजा उपरांत लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

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