रथ यात्रा महोत्सव सात जुलाई को:चांदी के रथ पर सवार होंगे गौरांग देव और गोविंद देव जी

जयपुर: आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में रथ यात्रा महोत्सव 7 जुलाई को सुबह साढे छह बजे मनाया जाएगा। मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि गर्भ मंदिर के पश्चिम द्वार से मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में विग्रह को चांदी के रथ पर विराजमान कर मंदिर की परिक्रमा करवाई जाएगी। माध्वीय गौड़ीय संप्रदाय के वैष्णव वृंद, भजन मंडलियां रथ विराजमान होने के बाद पूरे हर्षोल्लास से निज मंदिर परिक्रमा में श्री हरिनाम संकीर्तन के साथ परिभ्रमण करवाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि आराध्य देव ठाकुर श्री गोविंद देव जी के श्री विग्रह को गौरांग देव महाप्रभु के आदेश पर वृंदावन में गौमाटीला स्थान पर उनके प्रधान शिष्य रूप गोस्वामी ने कड़ी तपस्या से प्राप्त किया था। उसकी सूचना अविलम्ब उड़ीसा में नीलाचंल स्थान पर श्रीमन महाप्रभु को पहुंचाई गई कि वे वृंदावन पधारें। लेकिन श्रीमन महाप्रभु ने अस्वस्थ होने के कारण श्री विग्रह के प्राकट्य दर्शन लाभ के लिए स्वयं की प्रति स्वरूप अष्टधातु का श्री विग्रह गौर गोविंद का निर्माण करवाकर एवं उस श्री विग्रह में स्वयं की शक्ति संचार कर भिजवा दी। काशीश्वर पंडित इस श्री विग्रह को वृंदावन लेकर आए। इसी श्री विग्रह गौर गोविंद को ठाकुर श्री गोविंद देव जी के दाईं तरफ प्रतिष्ठित किया गया। उनका विग्रह आज भी यथावत् विराजित होता चला आ रहा है। इसके कुछ समय व्यतीत होने के बाद मालूम हुआ कि श्रीमन् गौरांग महाप्रभु स्वयं पुरी के मंदिर ठाकुर श्री जगन्नाथ जी के गर्भ मंदिर में हरिनाम संकीर्तन करते-करते प्रवेश होने के बाद वे श्री विग्रह गौर गोविन्द में समाविष्ट हो गए।

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सात सौ ग्यारह यात्रियों का जत्था 27 जून होगा बाबा अमरनाथ के दर्शनों के लिए रवाना

Jaipur: इस बार बाबा श्री अमरनाथ के दर्शन 29 जून से शुरू होंगे। बाबा श्री अमरनाथ यात्रा पिछले 33 वर्षों से गोयल परिवार द्वारा कराई जा रही है। इस यात्रा का संचालन राजकुमार गोयल व गंगा गोयल कर रहीं हैं। इस बार यह यात्रा 27 जून से कराई जा रही है। इस यात्रा को लेकर सभी यात्रियों में काफी उत्साह है।

संचालन राजकुमार गोयल व गंगा गोयल ने बताया कि यात्रा में 711 यात्रियों का जत्था 27 जून 2024 को प्रातः 6 बजे गोयल निवास पंचशील मार्ग सी-स्कीम जयपुर से रवाना होकर मोती डूंगरी गणेश जी के दर्शन कर भोले बाबा के जयकारों के साथ रवाना होगा। आगे बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन करते हुए श्री सालासर हनुमान जी के दर्शन करके देशनोक करणी माता के दर्शन कर के रात्रि विश्राम होगा। प्रातः अमृतसर के लिए रवाना होंगे वहां जलियांवाला बाग और स्वर्ण मंदिर के दर्शन कर के हिमाचल में चिंतपूर्णी माता के रात्रि विश्राम होगा। ज्वाला माता, चामुंडा माता, कांगड़ा माता के दर्शन कर वहीं पर रात्रि विश्राम होगा। प्रातः कटरा के लिए रवाना होंगे वहां माता वैष्णो देवी के दर्शन कर यात्रा बालटाल 2 जुलाई की रात्रि को पहुंचेगी और 3 व 4 जुलाई 2024 को बाबा अमरनाथ के दर्शन करने के पश्चात 5 जुलाई को जयपुर के लिये प्रस्थान करेंगे।

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Chhapra: गंगा, सरयू और सोन नदी के संगम पर स्थित पुरातात्विक, सांस्कृतिक व धार्मिक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण चिरांद में 17 वां वार्षिक समारोह 22 जून 2024 दिन शनिवार को आयोजित होने जा रहा है।

भव्य गंगा महाआरती के साथ गंगा गरिमा रक्षा संकल्प समारोह व चिरांद चेतना महोत्सव का शुभारंभ होता है।

छपरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुनीत कुमार गर्ग समारोह के मुख्य अतिथि होंगे।

वहीं समारोह का उद्घाटन जयप्रकाश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डा.) परमेन्द्र कुमार वाजपेयी करेंगे।

इस अवसर पर चिरांद विकास परिषद के संरक्षक अयोध्या से पधारे लक्ष्मणकिलाधीश महंत मैथिली रमण शरण जी महाराज, महंत बाबा विश्वमोहन दास (श्रीराम जानकी मठ पातेपुर, वैशाली एवं श्रीश्री 1008 श्री महंत कृष्णदास जी महाराज भी उपस्थित रहेंगे।

वहीं छपरा शहर के मेयर लक्ष्मी नारायण गुप्ता विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।

काशी से आये 11 आचार्यों की टोली संगीतमय गंगा आरती सम्पन्न करायेंगे।

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Chhapra: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय छपरा द्वारा आयोजित शहर के आशीर्वाद पैलेस में “स्वच्छ और स्वस्थ समाज के लिए आध्यात्मिक सशक्तीकरण” विषयक को लेकर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन काशी से आए कलाकारों द्वारा गंगा आरती से किया गया।

आगत अतिथियों का स्वागत बुके और शॉल देकर स्थानीय इकाई की बीके अनामिका दीदी और बक्सर से आई बीके रानी दीदी द्वारा किया गया। वही मंच संचालन बीके अविनाश भाई ने किया जबकि अध्यक्षता बीके अनामिका दीदी ने किया।

कार्यक्रम के दौरान वाराणसी से आई टीम और छपरा की बेटी कुमारी सोनाली गुप्ता ने भाव नृत्य की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में डॉ अंजली सिंह द्वारा अतिथियों सहित बीके भाई और बहनों के बीच तुलसी पौधा का वितरण किया गया।

इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रखर वक्ता बीके सूरज भाई, राजयोगिनी गीता दीदी, छपरा विधायक डॉ सीएन गुप्ता, बीके माधुरी बहन,
बीके अरविंद भाई, बीके विवेकानंद भाई, संगीत शिक्षिका प्रियंका कुमारी, बीके राजा भाई, बीके दीपू भाई, बीके बंटी भाई, बीके प्रकाश भाई, सचिन और प्रिंस भाई, बीके कांति बहन, बीके पुष्पा बहन, बीके कविता बहन, बीके पूनम बहन, बीके आराधना बहन सहित सैकड़ों बीके भाई और बहनों उपस्थित रही।

आध्यात्मिक मूल्यों के प्रचार- प्रसार द्वारा वैश्विक स्तर पर बंधुत्व को शक्ति प्रदान करने का अमूल्य प्रयास: बीके सूरज भाई
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात प्रखर वक्ता बीके सूरज भाई ने ब्रह्मा कुमारी द्वारा आयोजित ‘स्वच्छ और स्वस्थ समाज के लिए आध्यात्मिक सशक्तीकरण’ कार्यक्रम समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आध्यात्मिक सशक्तीकरण ही वास्तविक सशक्तीकरण होता है। जब किसी धर्म और पंथ के मानने वाले अध्यात्म के आधार से हट जाते हैं तो वह धर्मान्धता का शिकार होने के साथ ही अस्वस्थ मानसिकता से ग्रस्त हो जाते हैं, उसके बाद ही आध्यात्मिक मूल्य सभी धर्मों के लोगों को एक- दूसरे से जोड़ते हैं। स्वार्थ से ऊपर उठकर लोक- कल्याण की भावना से कार्य करना, आंतरिक आध्यात्मिकता की सामाजिक अभिव्यक्ति है। लोक- हित यानी परोपकार करना सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक मूल्यों में से एक है। ऐसे वातावरण में ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा 145 से अधिक देशों में अनेक केंद्रों के माध्यम से मानवता के सशक्तीकरण का प्रभावी मंच उपलब्ध कराया है। क्योंकि यह संस्थान आध्यात्मिक मूल्यों के प्रचार- प्रसार द्वारा वैश्विक स्तर पर बंधुत्व को शक्ति प्रदान करने का अमूल्य प्रयास है।

परमात्मा के साथ आत्मा का संबंध होना ही आध्यात्मिक सशक्तिकरण के लिए आवश्यक: राजयोगिनी गीता दीदी
राजयोगिनी गीता दीदी ने कहा कि जिस तरह से आसमान में सभी तारे एक साथ मिल जुलकर रहते हुए चमकते हैं, ठीक उसी प्रकार हम लोगों को भी अपना जीवन बनाना है। इसके लिए आपस भी सभी भाई- बहनें मिल- जुलकर आपसी प्रेम- स्नेह से रहने का प्रयास करें। ताकि आपका धारणायुक्त जीवन देखकर दूसरे लोग कर्मों से प्रेरणा लेकर खुद को बदल सकें। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य यही रहता है कि संस्थान की सेवाओं को और दुरुस्त और समाजोपयोगी कैसे बनाया जाए। साथ ही समाज के प्रत्येक वर्ग तक आध्यात्मिक ज्ञान को कैसे सरल और सहज रीति से पहुंचाया जाए। हमें मन का प्रदूषण रोकना चाहिए, बाकी के प्रदूषण अपने आप स्वतः बंद हो जाएगा। परमात्मा के साथ आत्मा का संबंध होना ही आध्यात्मिक सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है। क्योंकि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की आवश्यकता आजकल बहुत है।

ब्रह्माकुमारी संस्था किसी भी जाति, धर्म या पंथ का अनादर नहीं बल्कि आध्यात्मिक शिक्षा का प्रकाश फैलाने का करती है कार्य: विधायक

इस अवसर पर छपरा सदर के भाजपा विधायक डॉ सीएन गुप्ता ने कहा कि विश्व का इतिहास साक्षी है कि आध्यात्मिक मूल्यों का तिरस्कार से केवल भौतिक प्रगति का मार्ग अपनाना अंततः विनाशकारी ही सिद्ध हुआ है। स्वच्छ मानसिकता के आधार पर ही समग्र स्वास्थ्य संभव होता है। सही अर्थों में स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक तीनों आयामों पर खरा उतरता है। ऐसे व्यक्ति स्वस्थ समाज, राष्ट्र और विश्व समुदाय का निर्माण करते हैं। विश्व के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय सदैव आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित रहा हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उपवास करना भी एक तरह से चिकित्सा है। जो साफ सफाई के साथ रहता है, वही स्वच्छ और स्वस्थ है। इसलिए संपन्न और संपूर्ण बनने के लिए हमें कार्यरत रहना चाहिए। ब्रह्माकुमारी संस्था किसी भी धर्म जाति और पंथ का अनादर या भेदभाव नहीं करती है, बल्कि समाज के सभी वर्गों को आध्यात्मिक शिक्षा देने के लिए सेवा कर रही है।

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नई दिल्ली, 17 जून (हि.स.)। देशभर में आज सवेरे ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की गई। इसके बाद लोगों ने एक-दूसरे को बधाई दी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की जामा मस्जिद में नमाज अदा करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने दिल्ली के दरगाह पंजा शरीफ में ईद-उल-अजहा की नमाज अदा की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इससे पहले ईद-उज-जुहा की पूर्व संध्या पर देशवासियों को बधाई दी है।

ईद-उल-अजहा का त्योहार बुधवार शाम तक मनाया जाएगा। दिल्ली की जामा मस्जिद में ईद-उल-अजहा की नमाज सुबह छह बजे और फतेहपुरी मस्जिद में सवा सात बजे अदा की गई। फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि कुर्बानी करते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि किसी को उससे तकलीफ न हो। ईद-उल-अजहा पर पुरानी दिल्ली के बाजारों में रौनक है। रातभर पुरानी दिल्ली के बाजारों में भीड़ रही।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संदेश में कहा है, “ईद-उल-जुहा के अवसर पर मैं सभी देशवासियों और विदेशों में रहने वाले भारतीयों, विशेष रूप से मुस्लिम भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं।” उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, ” ईद-उल-जुहा मनाते समय आइए हम एकता, दया और बंधुत्व के मूल्यों पर विचार करें जो न केवल इस त्योहार, बल्कि हमारे पूरे समाज की आधारशिला है। यह त्योहार परिवारों और समुदायों के लिए मिल जुलकर हर्षोल्लास और सद्भाव की भावना को व्यक्त करने का एक महत्त्वपूर्ण अवसर भी है।”

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Chhapra: पति की लंबी उम्र, तरक्की व सफलता के लिए हर सुहागिन महिला पूजा पाठ करती हैं। ईश्वर से सुहाग की रक्षा की कामना करते हुए महिलाएं उपवास भी रखती हैं। उन्हीं में से एक है वट सावित्री व्रत। सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद ही खास होता है। इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से पूजा करते हुए सभी नियमों का पालन करती हैं। इस दौरान कुछ महिलाएं निर्जला उपवास रखती है। व्रत रखने के साथ-साथ सुहागिनें वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की भी नियमनुसार पूजा करती हैं।

गुरुवार को शहर के विभिन्न मंदिरों के समीप वट वृक्ष की पूजा एवं आरती वंदना करके पति की लंबी आयु की कामना सुहागिनों ने की।शहर के अलावा जिला के सभी अनुमंडल, प्रखंडों व ग्रामीण क्षेत्रों में वट वृक्ष की पूजा श्रद्धा भाव से की गई। माना जाता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से पति की लंबी आयु और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास होता है। इसलिए व्रत रखने वाली महिलाओं को तीनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद मिलता है।

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पटना, 26 मई (हि.स.)। बिहार के गया स्थित अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रविवार को पहले दिन 320 हज यात्रियों का पहला जत्था दो विमानों से मक्का के लिए रवाना हुआ। पहली फ्लाइट में 74 पुरुष, 85 महिला और दूसरी फ्लाइट में 92 पुरुष और 69 महिला सहित कुल 320 हज यात्री मक्का के लिए रवाना हुए। ये यात्रा एक जून तक संचालित होगी।

हज यात्रियों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट के बाहरी परिसर में वॉटरप्रूफ जर्मन हैंगर पंडाल का निर्माण आवासन के लिए किया गया है। इसके साथ महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग नमाजगाह की भी व्यवस्था की गई है। एयरपोर्ट परिसर में वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था है। साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था को नियंत्रण रखने के लिए ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की भी प्रतिनियुक्ति की गई है।

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-धाम में हेली सेवा, घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी से पहुंच रहे श्रद्धालु

देहरादून, 18 मई (हि.स.)। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के धाम पहुंच रहे हैं। बीते आठ दिनों में 2,15,930 श्रद्धालुओं ने श्रीकेदारनाथ के दर्शन किए हैं।

इसमें से 10 हजार 70 श्रद्धालुओं ने हेली सेवा के माध्यम और 47 हजार 806 श्रद्धालुओं ने घोड़े-खच्चरों के माध्यम से दर्शन किए। इसके अलावा 1428 श्रद्धालुओं ने डंडी एवं 1851 श्रद्धालुओं ने कंडी के माध्यम से श्रीकेदार के दर्शन किए। एक लाख 54 हजार 775 श्रद्धालु अब तक पैदल ट्रैक रूट से श्रीकेदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं।

श्रीकेदारनाथ धाम में सुगम, सुरक्षित एवं निर्बाध यात्रा के लिए राज्य सरकार, जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की ओर से सभी आवश्यक व्यवस्थाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। पैदल मार्ग पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। यात्री के बीमार या घायल होने की स्थिति में सूचना प्राप्त होते ही सुरक्षा बलों की टीमें घटनास्थल पर पहुंच तत्काल तीर्थयात्रियों को उपचार के लिए नजदीकी एमआरपी में पहुंचा रहे हैं। गंभीर स्थिति के तीर्थयात्रियों को हायर सेंटर उपचार के लिए रेफर किया जा रहा है।

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-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मौजूद रहे , सेना बैंड की मधुर धुनों से गूंजा परिसर

श्री केदारनाथधाम, 10 मई (हि.स.)। हिमालय में बिराजे विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग बाबा केदारनाथ के कपाट विधि-विधान के साथ आज सुबह छह माह के लिए खोल दिए गए। इस दौरान हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। सेना की ग्रेनेडियर रेजीमेंट के बैंड की सुमधुर धुनों से केदारधाम परिसर गूंज उठा। इसी के साथ चारधाम यात्रा प्रारंभ हो गई। इस अवसर के 10 हजार से अधिक श्रद्धालु साक्षी बने। पुण्य अवसर पर मौसम साफ रहा। मंदिर को लगभग 20 क्विंटल फूलोंं से सजाया गया। मुख्य सेवक भंडारा कार्यक्रम समिति ने सभी के भंडारा आयोजित किए हैं।

प्रातः चार बजे श्री केदारनाथधाम परिसर में कतारबद्ध चारधाम यात्रियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ।कुझ समय बाद बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय, रावल भीमाशंकर लिंग, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, पुजारी, धर्माचार्य, वेदपाठी, केदार सभा के पदाधिकारी और जिलाधिकारी डॉ. सौरभ गहरवार पूरब द्वार से मंदिर पहुंचे। फिर पूजा शुरू हुई। इसके बाद भगवान भैरवनाथ और भगवान शिव के आह्वान के साथ ठीक सुबह सात बजे श्रीकेदारनाथ मंदिर के कपाट खोल दिए गए।

कपाट खुलने के बाद भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप से शृंगार रूप दिया गया। इसके बाद श्रद्धालुओं ने दर्शन शुरू किए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कपाट खुलने के अवसर पर मौजूद रहे। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए देश-प्रदेश की खुशहाली की कामना की। उन्होंने कहा कि इस बार चारधाम यात्रा कीर्तिमान बनाएगी। प्रदेश सरकार तीर्थयात्रियों की सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सभी को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस बार रिकार्ड तीर्थ यात्री श्रीकेदारनाथ धाम पहुंचेंगे। कार्यक्रम के अनुसार छह मई को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान भैरवनाथ की पूजा हुई थी। भगवान केदारनाथ की पंचमुखी भोगमूर्ति नौ मई को श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से विभिन्न पड़ावों से होते हुए केदारनाथ धाम पहुंची थी।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया गया कि 11 मई को श्री केदारनाथ धाम में भकुंट भैरव मंदिर के द्वार खुलने के साथ केदारनाथ मंदिर में नित्य प्रति आरतियां एवं संध्याकालीन आरतियां शुरू हो जाएंगी। मान्यता है कि बाबा केदारनाथ छह महीने समाधि में रहते हैं। मंदिर के कपाट बंद होने के अंतिम दिन चढ़ावे के बाद सवा क्विंटल भभूति चढ़ाई जाती है। कपाट खुलने के साथ ही बाबा केदारनाथ समाधि से जागते हैं। इसके बाद भक्त दर्शन करते हैं। यमुनोत्री के कपाट 10ः29 बजे और गंगोत्री के कपाट आज दोपहर बाद 12 बजकर 20 मिनट पर खुलेंगे। बदरीनाथ के कपाट 12 मई को सुबह छह बजे खुलेंगे।

आज यहां कपाट खुलने के समय हक-हकूकधारी सहित केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग, पुजारी शिवशंकर लिंग, संस्कृति एवं कला परिषद के उपाध्यक्ष मधु भटृट मंदिर समिति सदस्य श्रीनिवास पोस्ती,वीरेंद्र असवाल, , मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, कार्याधिकारी आरसी तिवारी, धर्माचार्य औंकार शुक्ला, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, विश्वमोहन जमलोकी, स्वयंबंर सेमवाल, प्रदीप सेमवाल, अरविंद शुक्ला, कुलदीप धर्म्वाण, देवानंद गैरोला आदि मौजूद रहे।

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देहरादून, 10 मई (हि.स.)। उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध पवित्र चारधाम यात्रा की शुरुआत के लिए चारधाम में से तीन के कपाट विधि-विधान से खुलने हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस पवित्र यात्रा के शुरू होने से कुछ समय पहले आज सुबह एक्स हैंडल पर बाबा केदार का जयघोष किया है। उन्होंने एक्स पोस्ट में इस पावन अवसर पर दो फोटो भी साझा किए हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने लिखा है, ”जय बाबा केदार! आप सभी भक्तजनों का चारधाम यात्रा 2024 में हार्दिक स्वागत और अभिनंदन। आप सभी से अनुरोध है कि यात्रा के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग करने से बचें। हमारी सरकार द्वारा चारधाम आने वाले बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।”

उन्होंने लिखा है, ”आज अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर श्री केदारनाथधाम, श्री यमुनोत्रीधाम एवं श्री गंगोत्रीधाम के कपाट पूर्ण विधि-विधान के साथ दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। आप समस्त श्रद्धालुओं का चारधाम यात्रा हेतु हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन !” एक अन्य एक्स पोस्ट में कल शाम उन्होंने कहा, ”केदारपुरी है तैयार, जय श्री केदार !”

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सनातन धर्म में वैशाख मास को अत्यंत पुण्यमय माना जाता है। इस मास में भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी की असीम कृपा बरसती है। सनातन धर्मावलंबियों का प्रमुख त्योहार अक्षय तृतीया इस साल 10 मई को रोहिणी नक्षत्र और मृगशिरा नक्षत्र के युग्म संयोग में मनाया जाएगा। इस दिन रवियोग का भी सुखद संयोग रहेगा।

अक्षय पुण्य की प्राप्ति:

ज्योतिष शास्त्र में अक्षय तृतीया को “अबूझ मुहूर्त” कहा गया है। इस दिन स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान, शुभ कार्य आदि करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

महिलाओं का व्रत और पूजा:

10 मई को अक्षय तृतीया पर महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए भगवान श्रीहरि विष्णु, माता लक्ष्मी और माता गौरी की पूजा करेंगी और व्रत रखेंगी। इस दिन भगवान नारायण और लक्ष्मी देवी को कमल पुष्प, श्वेत फूल, कमलगट्टा, इत्र, अभ्रक, खीर का भोग, घी का दीपक आदि अर्पित कर श्रीसूक्त और कनकधारा का पाठ करने से अक्षय पुण्य लाभ और वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

दान का पुण्य:

अक्षय तृतीया पर सत्तू, जल, गुड़, छाता, चरण पादुका, अन्न, ऋतुफल, भोजन सामग्री, वस्त्र आदि का दान करना और बेजुबानों को भोजन-पानी देना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

स्वर्ण खरीदारी का महत्व:

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग, शुभ योगों के महासंयोग, सर्वसिद्ध मुहूर्त और अबूझ मुहूर्त में स्वर्ण, मोती, रत्न, स्थिर संपत्ति आदि खरीदने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण, रजत, धातु, रत्न और अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि, संपन्नता में वृद्धि, अक्षय लाभ और लक्ष्मी माता का वास होता है।

मिट्टी के पात्र का महत्व:

शास्त्रों में भारत भूमि की तुलना स्वर्ण से भी बढ़कर बतायी गयी है। अक्षय तृतीया के दिन मिट्टी का पात्र, मिट्टी का दीपक, कसोरा, कलश की खरीदारी करने से भी स्वर्ण के बराबर शुभ फल प्राप्त होता है।

भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव:

इसके अलावा, भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव भी इसी दिन मनाया जाएगा।

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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अक्षय तृतीया इस बार 10 मई को मनायी जायेगी. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस तिथि को जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है, इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, लेकिन वैशाख माह की तृतीया तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है.

अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी विशेष महत्व रखता है इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे गृह-प्रवेश, वस्त्र-आभूषणों, घर, भूखंड, वाहन की खरीददारी कर सकते हैंं. इस दिन दान देने, पूजन करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहते हैं. यह तिथि चिरंजीवी तिथि भी कहलाती है. इस बार वाहन व भूमि खरीदने का शुभ मुहूर्त सुबह 11.45 से शाम में 05.07 तक है, वहीं ज्वेलरी की खरीदारी दोपहर 12.08 से रात्रि 09.15 मिनट तक है. इस दौरान खरीदारी की जा सकती है.

अक्षय तृतीया से जुड़ी पौराणिक महत्व की कई कहानियां

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन कई पौराणिक घटनाएं हुईं थीं. इसलिये इसे एक अबूझ मुहूर्त के तौर पर माना जा जाता है. इसे युगादि तिथि भी माना जाता है. कहते हैं कि सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन ही हुई थी. भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था. भगवान परशुराम का जन्म भी इसी दिन हुआ था. इसी दिन बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं. यही वह पवित्र दिन है जब वृंदावन में बांके बिहारी के चरणों के दर्शन होते हैं.

मान्यता है कि इस दिन ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था, जिसमें भी भी भोजन समाप्त नहीं होता था. महाभारत और विष्णु पुराण के अनुसार परशुराम नाम का मूल नाम राम था, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें जब अपना परशु नामक अस्त्र प्रदान किया तभी से उनका नाम परशुराम पड़ गया. मान्यता है कि परशुराम का जन्म जिस दिन हुआ था, उस दिन को अक्षय तृतीया कहा गया. परशुराम चिरंजीवी माने गये और उनकी आयु अक्षय है, इसलिये इसे अक्षय तृतीया या चिरंजीवी तिथि कहा गया है.

पितरों के तर्पण से अक्षय फल की प्राप्ति

माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने व भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं. जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है. इस दिन पितरों को किया गया तर्पण व पिंडदान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृतीया के दिन मनुष्य जाने-अनजाने अपराधों की सच्चे मन से ईश्वर से क्षमा प्रार्थना करें तो भगवान उसके अपराधों को क्षमा कर देते हैं और उसे सदगुण प्रदान करते हैं, इसलिये इस दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिये अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान मांगना चाहिये

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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