Chhapra:पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित होने वाले परिक्षार्थियों की सुविधा हेतु एक जोड़ी विशेष गाड़ी का संचलन छपरा से 28 अगस्त, 2018 को तथा आनन्द विहार टर्मिनस से 29 अगस्त, 2018 को एक फेरे के लिये किया जायेगा.

यह है समय सारणी

05115 छपरा-आनन्द विहार टर्मिनस विशेष गाड़ी

छपरा से 06.00 बजे प्रस्थान कर

बलिया से 07.05 बजे,

रसड़ा से 07.37 बजे,

मऊ से 08.20 बजे,

आजमगढ़ से 09.45 बजे,

शाहगंज से 12.00 बजे,

लखनऊ (उत्तर रेलवे) से 17.15 बजे,

शाहजहाँपुर से 20.02 बजे,

बरेली से 21.02 बजे,

मुरादाबाद से 22.40 बजे,

अमरोहा से 23.12 बजे,

दूसरे दिन हापुड़ से 00.27 बजे

तथा गाजियाबाद से 01.22 बजे छूटकर आनन्द विहार टर्मिनस 01.50 बजे पहुँचेगी.

वापसी यात्रा में 05116 आनन्द विहार टर्मिनस-छपरा विशेष गाड़ी

आनन्द विहार टर्मिनस से 18.00 बजे प्रस्थान कर

गाजियाबाद से 18.37 बजे,

हापुड़ से 19.27 बजे,

अमरोहा से 20.42 बजे,

मुरादाबाद से 21.30 बजे,

बरेली से 23.02 बजे, दूसरे दिन शाहजहाँपुर से 00.07 बजे,

लखनऊ (उत्तर रेलवे) से 02.40 बजे,

शाहगंज से 08.00 बजे,

आजमगढ़ से 09.10 बजे,

मऊ से 10.30 बजे,

रसड़ा से 11.32 बजे

तथा बलिया से 12.10 बजे छूटकर

छपरा 13.20 बजे पहुँचेगी.

इस विशेष गाड़ी की संरचना में एस.एल.आर. के 02 तथा साधारण श्रेणी के 15 कोचों सहित कुल 17 कोच लगाये जायेंगे.

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Chhapra: राज्य आयुक्त निःशक्तता डाँ शिवाजी कुमार के द्वारा समाहरणालय सभागार में पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में दिव्यांग फे्रन्डली वातावरण के निर्माण की बात कही गयी. उन्होंने कहा कि जो संसाधन उपलब्ध हैं उसपर पहला हक दिव्यांगजनों का है. भारत सरकार के द्वारा उनके हितार्थ 1995 में बने अधिनियम को संषोधित करते हुए नया दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 बना है. इस अधिनियम के प्रावधानों के बारे में राज्य आयुक्त द्वारा विस्तृत रुप से जानकारी दी गयी.

जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक सारण के द्वारा बताया गया कि वे प्रत्येक शुक्रवार को चार से पाँच बजे अपराह्न के बीच एक घंटा दिव्यांगजन की शिकायते सुनेंगे और इसका निष्पादन करायेंगे.

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Chhapra: राज्य आयुक्त निशक्तता डाँ शिवाजी कुमार के द्वारा समाहरणालय सभागार में पदाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में दिव्यांग फे्रन्डली वातावरण के निर्माण की बात कही गयी. उन्होंने कहा कि जो संसाधन उपलब्ध हैं उसपर पहला हक दिव्यांगजनों का है. भारत सरकार के द्वारा उनके हितार्थ 1995 में बने अधिनियम को संषोधित करते हुए नया दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 बना है. इस अधिनियम के प्रावधानों के बारे में राज्य आयुक्त द्वारा विस्तृत रुप से जानकारी दी गयी. जिसमें सबसे महत्वपूर्ण यह था कि पहले जहाँ सात तरह की दिव्यांगता चिन्हित थी वह अब 21 तरह की हो गयी है तथा अधिनियम के उलंघन पर सजा का प्रावधान किया गया है. इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य स्वरोजगार सृजन कर आर्थिक रुप से दिव्यांगजनों को सबल बनाना है.

राज्य आयुक्त के द्वारा सभी 21 प्रकार के दिव्यांगता की जाँच कर दिव्यांगजन को प्रमाण पत्र देने की बात कही. उन्होंने यू.डी.आइ.डी कार्ड (यूनिक डिस्एवीलीटी आइडेंटिटी कार्ड) जारी करने की बात कही ताकि उसके आधार पर दिव्यांगजनों को सरकारी सहायता मिलने मे आसानी हो सकेे.

उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के नियोजन/नियुक्ति में चार प्रतिषत के आरक्षण का अनुपालन किया जाय और सभी विभाग अपनी योजनाओं का पाँच प्रतिषत राषि दिव्यांगजन के सहुलियत के लिए खर्च करें.

बैठक में उपस्थित सिविल सर्जन से कहा गया कि दिव्यांगता के कारण एवं निवारण के उपायों के प्रति जन-जागरुकता लाने की जरुरत हैं. बच्चें के जन्म के समय ही विकलांगता संबंधी सभी प्रकार की जाँच जिसे अपगार स्कोर कहा जाता है, कि व्यवस्था की जाय. क्योकि एक छोटी सी भूल के कारण पूरे जीवनकाल तक सफर करना पड़ता है. दिव्यांगता प्रमाण पत्र के लिए विषेष अभियान चलाएँ एवं चिकित्सक की अनुपलब्धता पर निजी चिकित्सक की व्यवस्था करें जिसके लिए भुगतान समाजिक सुरक्षा कोषांग से किया जाना है.

जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेष दिया गया कि विषेष आवष्यकता वाले बच्चों का विधालयों में नामांकन सुनिष्चित करायें. शिक्षा, खेल, मनोरंजन के उपकरण उपलब्ध कराया जाय एवं इस प्रकार के गतिविधियों का आयोजन कराया जाय. प्रत्येक प्रखंड मे एक आदर्ष विधालय विकसित करें जो दिव्यांग बच्चों के लिए उपकरणांे से युक्त हो. अलग-अलग दिव्यांगता के आधार पर अलग-अलग विद्यालय बनाया जाए और उनके लिए शिक्षक की व्यवस्था की जाय. उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा दिव्यांगजनों कों खेल कोटा से नौकरी की व्यव्स्था की गई है. भारत सरकार के द्वारा दिव्यांगजनो के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेल के आयोजन में स्वर्ण पदक, रजत पदक एवं कास्य पदक जितने पर कमषः एक करोड़, पचहत्तर लाख एवं पचास लाख रुपये का नगद पुरस्कार दिया जा रहा है वहीं राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में एक लाख, पचास हजार एवं पैतींस हजार का नकद पुरस्कार दिया जा रहा है. उन्होंने आठ्वीं तक की पढ़ाई पूरी करने वाले दिव्यांग बच्चों की सूची बनाकर, जो अब 18 वर्ष के हो गये हो को विशेष प्रशिक्षण देने की बात कहीं ताकि वे लोग स्वरोजगार कर सके. दिव्यांगजनो को उचित माहौल देकर आगे बढ़ाने की आवश्यकता हैं.

राज्य निःषक्तता आयुक्त ने कहा कि दिव्यांग से शादी करने पर एक लाख रुपया, अगर दोनों दिव्यांग है तो दो लाख, अगर अंतर्राजातीय विवाह है तो एक लाख और देने का सरकारी प्रावधान है. जिला प्रभारी सामाजिक सुरक्षा कोषांग के द्वारा बताया गया कि अभी तक एक व्यक्ति को इसका लाभ दिया गया है और अभी तक ग्यारह आवेदन प्राप्त है. जेल अधीक्षक को कैदियों की जाँच कराकर अगर दिव्यांग है तो उन्हें जरुरी सहायता उपलब्ध कराने का निदेष दिया गया.

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Chhapra: पूर्व प्रधानमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा गुरुवार को छपरा पहुंची. यात्रा के दौरान सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी, सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, विधायक डॉ सीएन गुप्ता, पूर्व विधायक जनक सिंह, ब्रजेश रमण, विनय सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश प्रसाद अस्थि कलश केे वाहन पर थे. वही पार्टी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

अस्थि कलश यात्रा में अटल जी अमर रहे, जब तक सूरज चाँद रहेगा, अटल तुम्हारा नाम रहेगा जैसे नारे लगाए जा रहे थे.

अस्थि कलश के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता, स्थानीय लोग और पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ी थी. अस्थि कलश यात्रा के पीछे पीछे लोगों का हुजूम चल रहा था.

अस्थि कलश यात्रा सोनपुर से शुरू हुई और सभी जगह रुकते हुए लगभग सवा दो बजे छपरा के नगरपालिका चौक पहुंची. जहां लोगों ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर अपने प्रिय नेता को नमन किया.

इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश प्रसाद, प्रवक्ता धर्मेन्द्र चौहान, रामदयाल शर्मा, महामंत्री रंजीत सिंह, जयराम सिंह समेत भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे.

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Chhapra: दरभंगा व नई दिल्ली के बीच चलने वाली ट्रेन बिहार संपर्क क्रांति सुपर फास्ट एक्सप्रेस आकर्षक रंग-रूप में दिखाई दी. इस ट्रेन को मधुबनी पेंटिंग से सजाया गया था. जब छपरा पहुंची तो ट्रेन की बोगियों पर बनी मधुबनी पेंटिंग ने लोगों का दिल जीत लिया.

बताते चलें कि मधुबनी पेंटिंग से बोगियों पर प्रकृति के सौंदर्य को उतारा गया है. बोगियों के बाहरी भागों पर सूर्योदय की आकर्षक छंटा, फलों से लदे पेड़, नदी में तैरती मछलियां, झरने, पर्वत व बादल आदि आकृतियों से सजाया गया है.

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Chhapra: मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत रौजा मेला के समीप ऑटो पलटने से एक वृद्ध की मौत हो गयी. ऑटो में अन्य सवार यात्रियों को हल्की चोट आई है. मृतक मांझी के मुबारकपुर गांव निवासी 62 वर्षीय आरुणि महतो बताया जाता है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार वह अपनी पत्नी और पोते के साथ ऑटो से मुबारकपुर जा रहा था. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ट्रक को साइड देने में ऑटो चालक सड़क के इतना किनारे चला गया ऑटो सड़क के किनारे गड्ढे में पलट गया. जिसके बाद वृद्ध को लोगों ने छपरा सदर अस्पताल भेजा जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

मृतक ऑटो में आगे वाली सीट पर बैठा था, बाकी ऑटो चालक सहित पीछे बैठे सभी यात्रियों को हल्की चोट आई है.

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Chhapra: शहर के सांढ़ा खेमाजी टोला स्थित बालिका गृह से एक 17 वर्षीय किशोरी के गायब होने का मामला सामने आया हैं. किशोरी के गायब होने की जानकारी गृह संचालक को उस समय लगी जब नास्ते के लिए सभी बच्चियों बुलाया गया और गिनती करने पर एक बच्ची कम पायी गयी.

गौरतलब है कि विगत 6 अगस्त को कल्याण समिति गोपालगंज द्वारा भटकी हुई 17 वर्षीय किशोरी को छपरा स्थित बालिका गृह में रखने के लिए लाया गया था. जो 14 दिनों के भीतर गायब भी हो गई.

इस से पहले भी छपरा स्थित बालिका गृह से विगत 18 जुलाई को एक किशोरी गायब हो गई थी. जिसको लेकर स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज किया गया था. इसके बाद भी गृह के संचालक द्वारा बच्चियों के सुरक्षा के प्रति सचेत नहीं है.

इस मामले में बालिका गृह के संचालक अरविंद कुमार सिंह ने मुफस्सिल थाने में धारा 363 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है.

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Chhapra: सारण के पुलिस कप्तान हरकिशोर राय ने बुधवार को खैरा और दरियापुर थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया.

पुलिस कप्तान ने यह कार्रवाई कर्तव्य में लापरवाही बरतने के कारण की है.

खैरा थानाध्यक्ष को मारपीट के मामले में प्राथमिकी दर्ज ना करना और थानाक्षेत्र में बढ़ते आपराधिक वारदातों के कारण निलंबित किया गया है. जबकि दरियापुर थानाध्यक्ष को गिरती कानून व्यवस्था और कांडों के निष्पादन ना करने के कारण निलंबित किया गया है.

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Chhapra: राज्य सरकार दिव्यांगजनों के विकास एवं रोजगार मुहैया कराने को लेकर संकल्पित है. दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम 2016 के तहत राज्य सरकार ने दिव्यांगजनों के विकास के लिए हर स्तर पर कार्य किया है. जिससे वह लाभान्वित हुए है. उक्त बातें स्थानीय परिसदन में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए राज्य आयुक्त निशक्तता डॉ शिवजी कुमार ने कही.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने विगत के तीन वर्षों में अपने निर्धारित योजनाओं के तहत दिव्यांगजनों को लाभान्वित किया है साथ ही अगले 2 वर्षो के लिए रूप रेखा तैयार की है.

इसी कड़ी में सारण जिले में आगामी 23 से 25 अगस्त तक विशेष रूप से राज्य आयुक्त निःशक्तता द्वारा विभिन्न स्तरों पर कार्यक्रमों की रूप रेखा तैयार की गयी है. जिससे कि दिव्यांगजन लाभान्वित हो सकें. साथ ही साथ उन्हें लाभान्वित करने वाली योजनाओं से जिला से लेकर प्रखण्ड स्तर के पदाधिकारियों और कर्मियों के साथ साथ जनप्रतिनिधियों को भी जागरूक किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि विशेष रूप से आगामी 25 अगस्त को जिला निबंधन सह परामर्श केंद्र बिन टोलिया में चलंत न्यायालय का आयोजन किया जाएगा. जिसमे दिव्यांगजनों की समस्याओं, परिवाद का निराकरण किया जाएगा. साथ ही साथ उनके रोज़गार एवं कौशल विकास को लेकर उचित परामर्श दिया जाएगा जिससे वह स्वावलंबी बन सकें.

प्रेसवार्ता के मौके पर सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ शम्भूनाथ सिंह, जिला योजना पदाधिकारी मौजूद थे.

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Manjhi: बुधवार को जिले के मांझी थाना क्षेत्र के जयप्रभा सेतु से एक महिला ने अपने दो बच्चों को सरयू नदी में नीचे फेंक दिया. जिससे दोनो बच्चों की मौत हो गई. इसके बाद महिला अपने एक और बच्चे के साथ नदी में कूद आत्महत्या करने जा ही रही थी कि राहगीरों ने उसे बचा लिया. लोगों ने उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया. इस घटना में महिला के डेढ़ वर्षीय पुत्र प्रिंस कुमार और 5 वर्षीय पुत्री उषा कुमारी की मौत हो गई.

प्राप्त जानकारी के अनुसार मांझी थाना क्षेत्र के राजपुरा गांव निवासी अमरजीत राम की पत्नी मनोरमा देवी अपने तीन बच्चों के साथ मांझी पुल से कूदकर आत्म हत्या करने गयी थी. जिसमे दो को उसने नदी में फेंक दिया और अंत मे तीसरे के साथ कूदने वाली थी कि लोगों ने उसे पकड़ लिया.

पुलिस ने घटना की सूचना परिजनों को दे दी है बताया जा रहा है कि अमरजीत राम और पत्नी मनोरमा देवी के बीच विवाद हुआ था.

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Chhapra: कुर्बानी का पर्व ईद-उल-जुहा (बकरीद) मनाया जा रहा है. जिसको लेकर जोर-शोर से तैयारी चल रही है. 12 अगस्त को चाँद का दीदार हुआ था. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार साल के 12वें महिना के 10 तारीख को ईद-उल-जुहा (बकरीद) मनाई जाती है.

त्याग और बलिदान का यह त्योहार कई मायनों में खास है और एक विशेष संदेश देता है. इस त्योहार को रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है. हजरत इब्राहिम द्वारा अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तत्पर हो जाने की याद में इस त्योहार को मनाया जाता है.

इस्लाम के विश्वास के मुताबिक अल्लाह हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने उनसे अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए कहा.

हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं, इसलिए उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी. बेटा नहीं, बल्कि दुंबा था जब उन्होंने पट्टी खोली तो देखा कि मक्का के करीब मिना पर्वत की उस बलि वेदी पर उनका बेटा नहीं, बल्कि दुंबा था और उनका बेटा उनके सामने खड़ा था. जानवरों की कुर्बानी विश्वास की इस परीक्षा के सम्मान में दुनियाभर के मुसलमान इस अवसर पर अल्लाह में अपनी आस्था दिखाने के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं.

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कुमार वीरेश्वर सिन्हा

आज हमारे महान शहनाई वादक स्व बिस्मिल्लाह खां की जन्म जयंती है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश, बल्कि हमारे भोजपुरी क्षेत्र के इस महान सपूत ने शहनाई वादन में अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित किए। हालांकि सिनेमा फिल्मों में शहनाई बजाने से उन्होंने परहेज किया फिर भी एक फिल्म गूंज उठी शहनाई में बस उनकी शहनाई ही गूंजती रही।

बस दो ही सुर के इस कठिन साज पर खां साहब को कमाल की महारत थी। देश की आजादी के प्रथम महोत्सव पर 15 अगस्त 1947 को लालकिले से गूंजने वाली शहनाई खां साहब की ही थी जो वर्षो तक गूंजती रही।

आज दुर्भाग्य से शहनाई भी उन साजों में आ गयी है जो विलुप्त होती जा रही है। इस कठिन साज के साधकों का अभाव होता जा रहा है और आज के शोर भरे संगीत के युग में शहनाई की मधुर संगीत घुट सी रही है। वह जमाना गुजरा जमाना हो गया जब शादियों में नोबतखाने बनते थे और उस पर लुभावने और अवसर अनुकूल धुन बजते थे। यह कहना कदापि अनुचित नहीं होगा कि तब शादी या कोई शुभ अवसर बिना शहनाई वादन के नहीं होता था। मातमों में भी शहनाई के निर्गुण सुनने को
मिलता थे।

गीत संगीत का कोई मजहब नहीं होता और और बनारस में गंगा तट पर खां साहब की संगीत साधना और काशी विश्वनाथ की संगीत अर्चना के किस्से जग जाहिर हैं।

हमारे छपरा शहर में भी शहनाई की परंपरा थी और हाफिज खां साहब जो नई बाजार मुहल्ले के रहने वाले थे एक बहुत ही अजीम शहनाई वादक थे। बडे़ बुजुर्ग कहा करते थे कि एक बार छपरा के किसी तब की बड़ी हस्ती के यहाँ बनारस से कोई बारात आइ थी जिसमें वर पक्ष से बिस्मिल्ला खां साहब आए थे और कन्या पक्ष से हमारे छपरा के हफीज साहब और महफिल में दोनों शहनाई वादकों का भिड़ंत हुआ था। कौन जीता कौन हारा यह तो जानकारों ने ही समझा होगा, पर अंत में खां साहब को भाव विभोर हो यह कहते बहुतों ने सुना, ” मान गए, छपरा में भी कोई शहनाई बजाने वाला है “। खां साहब ने हफीज साहब को अपने साथ चलने को भी आमंत्रित किया था लेकिन हफीज साहब घर छोड़ कर जाने को राजी नहीं हुए।

मुझे खुशी है कि मैंने खां साहब को तो बस रेकोरडेड और गूंज उठी शहनाई में सुना है, पर हफीज साहब को रुबरू और बहुत करीब से। यहां तक कि मैंने सन 1958 में उनके साथ छपरा से चकिया तक का सफर रेल से और फिर चकिया से मधुबन (पूर्वी चम्पारण) का सफर बैलगाड़ी में तय किया था। बैलगाड़ी के डेढ़ घंटे के सफर में कभी तो हफीज साहब अपने कार्यक्रमों की कहानियों सुनाते तो कभी अपने मन से कोई धुन छेड़ देते। मुझे उनसे बहुत अपनापन महसूस होने लगा था जब मुझे
उन्होंने यह कहा कि बेटा हम तुम्हारे वालिद दोनों भाइयों के बारात में बजाए हैं और तुम्हारी बारात में भी बजाएंगे। पर दुःख है मेरी शादी के समय हफीज साहब दुनिया से कुच कर चुके थे।

यह जानकार कर काफी खुशी हुई कि उनके वंश के ही मोहम्मद पंजतन उनकी परंपरा को बखूबी निभा रहे है।

प्रो० कुमार वीरेश्वर सिन्हा

(लेखक राजेन्द्र कॉलेज, छपरा के अंग्रेजी विभाग के पूर्व प्राध्यापक है)

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