पूजा पंडाल में स्थापित प्रतिमाओं के खुले पट, जुटने लगी भक्तो की भीड़, वातावरण हुआ भक्तिमय

Chhapra: दुर्गापूजा के सातवे दिन शहर सहित गांव के सभी पूजा पंडाल और मंदिरों में स्थापित माता की प्रतिमा के साथ साथ अन्य प्रतिमाओं के भी पट खुल गए. रविवार सुबह से ही वैदिक मंत्रोचारण के बीच प्रतिमाओं के पट खुलने शुरू हो गए. प्रतिमाओं के पट खुलने के साथ ही भक्तो की भीड़ दर्शन के लिए पूजा पंडालों और मंदिरों में जुटने लगी. शहर से लेकर गांव तक वातावरण भक्तिमय हो गया.

ध्वनि विस्तारक यंत्रों से बज रहे देवी गीत वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे. दुर्गापूजा के अवसर पर शहर के लगभग सभी चौक चौराहों पर माता की प्रतिमा स्थापित की गई है. वही गली मुहल्लो में भी छोटे छोटे प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है.

दुर्गापूजा के अवसर पर पूरा शहर रौशनी से जगमग है. सड़क के दोनों ओर रंगबिरंगी रौशनियों से चमक रही है.

शहर के मुख्य बाजार नगरपालिका चौक, थाना चौक पर खाने पीने और खिलौनों की दुकानें सजी है. जहां भीड़ काफी है.

वही ग्रामीण इलाको में कोपा, जलालपुर, मांझी, एकमा, तरैया, मशरक, मढ़ौरा, गड़खा, अमनौर के मुख्य बाजार में भी मां दुर्गा की प्रतिमा बड़े बड़े पंडालों में स्थापित की गई है. रविवार को पट खुलते ही भक्तो की भीड़ पूजा के लिए जुटने लगी.

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अमित शाह के कार्यक्रम में फेरबदल, वाराणसी से सीधा पहुंचेंगे सिताब दियारा, नही आयेगे अमनौर

Chhapra: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम मे फेरबदल किया गया है और अब वह वाराणसी से सारण स्थित जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली सिताब दियारा पहुंचेंगे और जेपी जयंती के अवसर पर 11 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे तथा जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके उपरान्त वहीं से वह किसी विशेष कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए वापस वाराणसी जायेंगे. इस दौरान अमनौर का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है.

बता दें कि अमनौर कार्यक्रम के दौरान ही स्थानीय सांसद राजीव प्रताप रुडी की माँ का श्राद्ध का कार्यक्रम भी पड़ गया था.

इस संदर्भ में रुडी ने बताया कि सम्पूर्ण क्राँति द्वारा लोकातंत्रिक आन्दोलन से देश को आन्दोलित करने वाले जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी सारण के सिताब दियारा आयेंगे. उनके कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव किया गया है. अब वे पटना न आकर सीधे वाराणसी से सारण के सिताब दियारा आयेंगे और जनसभा को संबोधित करेंगे.

सांसद रुडी ने बताया कि गृह मंत्री शाह सिताब दियारा से ही बनारस एक विशेष कार्यक्रम में शामिल होन के लिए वापस लौट जायेंगे.

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Chhapra: नवरात्र में आज महासप्तमी का दिन हैं. माँ कालरात्रि की पूजा हो रही है. वहीँ पूजा पंडालों में माता के पट खुल गए हैं. chhapratoday.com आप तक जिले के पंडालों और मूर्तियों के दर्शन कराएगा. इसके लिए हमने खास प्रबंध किये हैं.

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भारत के इतिहास में 02 अक्टूबर की तारीख का खास महत्व है। यह तारीख देश के दो महान विभूतियों के जन्मदिन के तौर पर इतिहास के पन्नों में दर्ज है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 02 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर में हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 02 अक्टूबर, 1904 को हुआ था। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ में बताया है कि बचपन में परिवार और मां के धार्मिक होने का उन पर गहरा असर पड़ा। शुरुआती पढ़ाई पोरबंदर में हुई और फिर राजकोट में। 1883 में 13 साल की उम्र में कस्तूरबा से शादी हो गई। 1888 में वकालत पढ़ने इंग्लैंड गए। लौटकर बंबई में वकालत शुरू की, लेकिन चली नहीं। इसी दौरान 1893 में गुजराती व्यापारी शेख अब्दुल्ला के बुलावे पर दक्षिण अफ्रीका गए और वहीं के हो गए। डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे, तब फर्स्ट क्लास का टिकट होने के बावजूद एक गोरे ने उन्हें रात को ट्रेन से उतार दिया। स्टेशन पर रात बितानी पड़ी। इसने उन्हें भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा दी।

दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने प्रवासी भारतीयों के अधिकारों और रंगभेद नीति के खिलाफ सफल आंदोलन किए। तब तक उनकी ख्याति भारत पहुंच चुकी थी। 1915 में जब भारत लौटे तो बंबई में स्वागत करने कई कांग्रेस नेता पहुंचे। गोपालकृष्ण गोखले भी इनमें से एक थे। गोखले को गांधीजी का राजनीतिक गुरु कहा जाता है। गोखले की सलाह पर ही गांधीजी ने देश का भ्रमण किया। 1917 में चंपारण से नील आंदोलन की शुरुआत की और सफलता मिली। इसने गांधीजी की लोकप्रियता कई गुना बढ़ा दी। 1918 में उन्होंने खेड़ा (गुजरात) आंदोलन का नेतृत्व किया।

बाल गंगाधर तिलक के निधन के बाद गांधी कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे। 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने अंग्रेजों से मिले सभी पुरस्कार लौटा दिए। रोलेट एक्ट के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। 1930 में गांधीजी ने दांडी मार्च किया। इसके बाद नमक सत्याग्रह किया। राजनीति से दूर होने के बाद भी वे 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए। इस दौरान आजाद हिंद फौज की सक्रियता, नौसेना विद्रोह और दूसरे विश्वयुद्ध से बने हालात को देखते हुए अंग्रेजों ने भारत छोड़ने का मन बना लिया था। इस बीच, 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया। हालांकि, बंटवारा हुआ और भारत-पाकिस्तान दो देश बने।

महात्मा गांधी के विचारों में सबसे ताकतवर था अहिंसा का विचार। इस विचार को दुनिया के कई देशों में क्रांति और विरोध का हथियार बनाया गया। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव पारित कर 02 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाने का फैसला किया था।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1492ः ब्रिटेन के किंग हेनरी सप्तम ने फ्रांस पर आक्रमण किया।
1836 : प्रकृतिविद चार्ल्स डारविन अपने अध्ययन से जुड़ी महत्वपूर्ण सामग्री एकत्र कर इंग्लैंड लौटे।

1929 : महात्मा गांधी ने नवजीवन कार्यालय को सार्वजनिक न्यास बनाया।

1952: भारत में सामुदायिक विकास कार्यक्रम शुरू।

1955 : मद्रास के पेरंबूर में इंटिग्रल कोच फैक्टरी ने रेल का पहला डिब्बा बनाया।

1961: बंबई (अब मुंबई) में शिपिंग काॅरपोरेशन ऑफ इंडिया का गठन।

1968: मैक्सिको सिटी में ओलंपिक खेल शुरू होने से पहले छात्र-पुलिस संघर्ष में 25 की मौत।

1968: ब्रिटेन के इतिहास में एक महिला ने एक साथ छह बच्चों को जन्म दिया।

1971 : बिरला सदन को भारत के राष्ट्रपति ने देश को समर्पित किया। इसका नाम बदलकर गांधी सदन किया गया।

1982: ईरान की राजधानी तेहरान में बम विस्फोट। 60 लोगों की मौत, 700 घायल।

1985: भारत में दहेज निषेधाज्ञा संशोधन कानून अस्तित्व में आया।

1988: तमिलनाडु में मंडपम और पम्बन के बीच समुद्र के ऊपर सबसे लंबा पुल खुला।

2000 : रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन चार दिन की यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे।

2001: 19 देशों के संगठन नाटो ने अफगानिस्तान पर हमले के लिए हरी झंडी दी।
2004: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कांगों में 5900 सैनिक भेजने का प्रस्ताव मंजूर किया।

2006: दक्षिण अफ्रीका ने परमाणु ईंधन आपूर्ति मामले पर भारत को समर्थन देने का फैसला किया।
2007: उत्तर कोरिया तथा दक्षिण अफ्रीका के बीच दूसरी शिखर बैठक का समापन।
2012: नाइजीरिया में बंदूकधारियों ने 20 छात्रों की हत्या की।

जन्म
1869 : भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले मोहनदास करमचंद गांधी।
1898ः बिहार के प्रमुख गांधीवादी कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी प्रजापति मिश्र।
1900ः प्रसिद्ध बांग्ला पत्रकार और महिला क्रांतिकारी लीला नाग।
1904 : पूर्व प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी लाल बहादुर शास्त्री।
1924ः प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक तपन सिन्हा
1933ःहिंदी के प्रसिद्ध नाटककार शंकर शेष।
1942ः प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री आशा पारेख।
1974ःभारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच।
1979ः अशोक चक्र से सम्मानित भारतीय सेना के जांबाज सैनिक हंगपन दादा।
1997ः भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन।

निधन
1906 : विख्यात चित्रकार राजा रवि वर्मा।
1964ः भारत की प्रख्यात गांधीवादी, स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमारी अमृत कौर।
1975ः भारत रत्न सम्मानित और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के. कामराज।
1982ः भारत के पूर्व वित्तमंत्री सी.डी. देशमुख।

दिवस
गांधी जयंती (अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस)
लाल बहादुर शास्त्री जयंती
वन्यजीव सप्ताह (2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर)

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पटना (एजेंसी): गृह मंत्री अमित शाह के 11 अक्टूबर को बिहार दौरे पर आने के कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव किया गया है। पूर्व के कार्यक्रम के अनुसार 11 अक्टूबर को वह पहले पटना आने वाले थे। इसके बाद पटना से सिताबदियारा और अमणौर जाने का कार्यक्रम था, जिसमें बदलाव किया गया है। उनका अब अमणौर में कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। इस वजह से उनका पटना आने का कार्यक्रम भी रद्द हो गया है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार गृह मंत्री अमित शाह अब 11 अक्टूबर को बनारस से छपरा के सिताबदियारा आयेंगे और यहां संपूर्ण क्रांति के प्रणेता जयप्रकाश नारायण की जयंती समारोह पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद यहीं से वह वापस बनारस लौट जायेंगे।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले अमित शाह 22 सितंबर को पूर्णिया आए थे। यहां उन्होंने जनभावना महारैली को संबोधित किया था।

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त्यौहार में छपरा से दिल्ली के लिए स्पेशल ट्रेन, 3 अक्टूबर से 10 नवंबर तक परिचालन, यहां देखें समय सारणी….

Chhapra: रेलवे प्रशासन द्वारा आगामी त्यौहारों पर होने वाली यात्रियों की होने वाली अतिरिक्त भीड़ को ध्यान में रखते हुए यात्री जनता के सुविधा हेतु 05315/05316 छपरा-दिल्ली-छपरा त्यौहार विशेष द्विसाप्ताहिक गाड़ियों का संचलन 12 फेरों के लिए किया जायेगा.

05315 छपरा-दिल्ली त्यौहार विशेष द्विसाप्ताहिक गाड़ी 03 अक्टूबर से 10 नवम्बर, 2022 तक प्रत्येक सोमवार एवं बृहस्पतिवार को छपरा से तथा 05316 दिल्ली-छपरा त्यौहार विशेष द्विसाप्ताहिक गाड़ी 04 अक्टूबर से 11 नवम्बर, 2022 तक प्रत्येक मंगलवार एवं शुक्रवार को दिल्ली से चलायी जायेगी.

इसमें यात्रा करने वाले यात्रियों को कोविड-19 के सम्बन्ध में समय-समय पर जारी सभी मानकों का पालन करना है.

05315 छपरा-दिल्ली त्यौहार विशेष द्विसाप्ताहिक गाड़ी 03 अक्टूबर से 10 नवम्बर, 2022 तक प्रत्येक सोमवार एवं बृहस्पतिवार को छपरा से 11.15 बजे प्रस्थान कर बलिया से 12.28 बजे, यूसुफपुर 13.15 बजे, गाजीपुर सिटी से 13.41 बजे, औंड़िहार से 14.40 बजे, डोभी से 15.15 बजे, केराकत से 15.25 बजे, जौनपुर से 16.40 बजे, शाहगंज से 17.15 बजे, अकबरपुर से 17.56 बजे, अयोध्या कैंट से 19.00 बजे, लखनऊ (उत्तर रेलवे) से 22.35 बजे, दूसर दिन हरदोई से 00.58 बजे, शाहजहाँपुर से 02.55 बजे, आँवला से 04.58 बजे, चन्दौसी से 06.10 बजे, मुरादाबाद से 08.03 बजे, अमरोहा से 08.35 बजे, हापुड़ से 09.38 बजे, गाज़ियाबाद से 10.29 बजे तथा दिल्ली शाहदरा से 10.53 बजे छूटकर दिल्ली 11.20 बजे पहुँचेगी.

05316 दिल्ली-छपरा त्यौहार विशेष द्विसाप्ताहिक गाड़ी 04 अक्टूबर से 11 नवम्बर, 2022 तक प्रत्येक मंगलवार एवं शुक्रवार को दिल्ली से 14.00 बजे प्रस्थान कर दिल्ली शाहदरा से 14.16 बजे, गाज़ियाबाद से 14.54 बजे, हापुड़ से 15.30 बजे, अमरोहा से 16.30 बजे, मुरादाबाद से 17.20 बजे, चन्दौसी से 19.00 बजे, आँवला से 19.55 बजे, शाहजहाँपुर से 23.17 बजे, दूसरे दिन हरदोई से 00.15 बजे, लखनऊ (उत्तर रेलवे) से 02.05 बजे, अयोध्या कैंट से 05.05 बजे, अकबरपुर से 06.15 बजे, शाहगंज से 07.15 बजे, जौनपुर से 08.30 बजे, केराकत से 08.59 बजे, डोभी से 09.08 बजे, औंड़िहार से 09.37 बजे, गाजीपुर सिटी से 10.33 बजे, यूसुफपुर 10.50 बजे तथा बलिया से 11.58 बजे छूटकर छपरा 13.20 बजे पहुँचेगी.

इस गाड़ी में एस.एल.आर.डी. के 02, साधारण द्वितीय श्रेणी के 04, शयनयान श्रेणी के 12, वातानुकूलित तृतीय श्रेणी के 03 तथा वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी के 01 कोच सहित कुल 22 कोच लगाये जायेंगे.

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Chhapra: जिलाधिकारी राजेश मीणा के द्वारा बताया गया कि इस वर्ष विजयादशमी का त्योहार दिनांक 05 अक्टूबर 2022 को मनाया जायेगा। कलश स्थापन के साथ ही दुर्गा पूजा प्रारंभ हो गया है। 4 अक्टूबर को नवमी के दिन हवन के उपरांत, स्थापित कलश, प्रतिमाओं का विसर्जन प्रारंभ हो जाता है। इस प्रकार लगभग नौ दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में पूजा पाठ, मेला नौ दिनों तक चलता रहता है। इस जिले में दिघवारा थानाक्षेत्र में आमी और मढ़ौरा थानाक्षेत्र में शिल्हौड़ी मंदिर में विशेष पूजा अर्जना की जाती है। A valid URL was not provided.

जिलाधिकारी के द्वारा बताया गया सभी पूजा समितियों को आदेशित किया गया है कि प्रतिमा स्थापना, प्रतिमा विसर्जन, प्रदूषण नियंत्रण, लाउडस्पीकर सहित विभिन्न वाद्य यंत्रों एवं पटाखों के उपयोग पर नियंत्रण संबंधी निदेशों का शत-प्रतिशत अनुपालन करेंगे ताकि जिला में कही भी विधि व्यवस्था संधारण की समस्या उत्पन्न न हो और त्योहार को शांतिपूर्ण और साम्प्रदायिक सद्भाव के वातावरण मे मनाया जा सके। कलश का विसर्जन 5 अक्टूबर 2022 को प्रारंभ होगा। 8 अक्टूबर 2022 को हजरत मोहम्मद साहब का जन्म दिन एवं अगले दिन 10 अक्टूबर 2022 को नगर निगम चुनाव के प्रथम चरण का मतदान का कार्यक्रम निर्धारित है। इसलिए दुर्गा पूजा के अवसर पर लगाए जाने वाले पंडालों, जुलूस, रावण वध, मेला, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि की स्वीकृति प्रदान करने के समय सभी पूजा समितियों को प्रतिमा विसर्जन 07 अक्टूबर 2022 तक संपन्न कराने का निदेश दिया गया है।

जिलाधिकारी के द्वारा बताया गया कि विशेष शाखा से प्राप्त सूचना के अनुसार जिले में संवेदनशील स्थलों को चिन्हित कर लिया गया है। संवेदनशील स्थलों पर दण्डाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति कर दी गयी है। प्रतिनियुक्त दण्डाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारियों को स्पष्ट निदेश दिया गया है कि वे अपने प्रतिनियुक्ति स्थल पर ससमय उपस्थित रहकर अपने कत्तब्यों को गंभीरता से अनुपालन करेंगे। संबंधित थाना को अपने स्तर चौकीदार, दफादार, सिपाही, हवलदार की प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है ताकि विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न न हो सकें।

सभी अनुमंडल पदाधिकारी को सुरक्षित घाटों पर ही प्रतिमा विसर्जन कराने एवं नावों का परिचालन पूर्णतः बंद रखने का निर्देश दिया गया है। सभी थानाक्षेत्रों में नियमित रुप से गश्ती करने हेतु जिला स्तर पर वरीय पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है इसके अतिरिक्त सभी थानाध्यक्षों एवं अंचलाधिकारियों को भी गश्ती से संबंधित आवश्यक निदेश दिये गये है।

विधि व्यवस्था संधारण हेतु जिला नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गयी है जिसका दूरभाष संख्या-06152 242444 है जिसके वरीय प्रभार में अपर समाहर्त्ता डॉ गगन, मोबाईल नं0-9473191268 एवं सौरभ जायसवाल, पुलिस उपाधीक्षक, सारण मोबाईल नं0-8544428112 रहेंगे। जिला नियंत्रण कक्ष 24 घंटा सतत् कार्यरत रहेगा। अनुमंडल पदाधिकारी सोनपुर एवं मढ़ौरा को अपने-अपने अनुमंडल कार्यालय में भी नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का निदेश दिया गया है ताकि पूरे जिला में शांति व्यवस्था कायम रखा जा सके।

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Chhapra: वाराणसी मंडल पर दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण कार्यों के अंतर्गत यार्ड रिमाडलिंग कार्य योजना और उसके क्रियान्वयन की समीक्षा महाप्रबंधक पूर्वोत्तर रेलवे अशोक कुमार मिश्र ने गुरुवार को की.  अपने एक दिवसीय निरीक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत मंडल रेल प्रबंधक, वाराणसी रामाश्रय पाण्डेय के साथ गोरखपुर स्टेशन से निरीक्षण स्पेशल गाड़ी से रवाना होकर छपरा जं पहुँचें और यार्ड रिमाडलिंग, सेकेण्ड इंट्री समेत दोहरीकरण संबंधित विकास कार्यों का गहन निरीक्षण किया.

इस अवसर पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी निर्माण राजीव कुमार प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर ए.के. शुक्ला, प्रमुख मुख्य सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर अनिल कुमार मिश्रा, प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबन्धक संजय त्रिपाठी , अपर मंडल रेल प्रबंधक राहुल श्रीवास्तव तथा मुख्यालय और मंडल के वरिष्ठ अधिकार उपस्थित थे।

महाप्रबन्धक ने अपने निरीक्षण के दौरान छपरा जं स्टेशन पर परिचलनिक सुगमता के अंतर्गत छपरा जं यार्ड रिमाडलिंग कार्य योजना, छपरा-बलिया रेल खण्ड के दोहरीकरण के निमित्त विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा की और दोहरीकरण के क्रम में यार्ड रिमॉडलिंग कार्य को फरवरी-2023 तक पूरा करने का लक्ष्य दिया। इसी क्रम में छपरा के सेकेण्ड इन्ट्री के सभी कार्यों को इसी वर्ष माह दिसम्बर तक पूरा किये जाने का निर्देश दिया। उन्होंने सभी कार्य पूरी गुडवत्ता के साथ लक्ष्यावधि मे पूरा करने का संबंधित को निर्देश दिया। इसके अतिरिक्त महाप्रबंधक ने छपरा जं पर साफ-सफाई, खान-पान स्टॉल, भोजनालय,सामान्य यात्री हाल, स्टेशन सर्कुलेटिंग एरिया, पार्किंग स्थलों का व्यापक निरीक्षण किया और रख-रखाव एवं सफाई पर संबंधित को दिशा निर्देश दिया । तदुपरान्त महाप्रबन्धक, मण्डल रेल प्रबंधक, वाराणसी के साथ छपरा-औड़िहार रेल खण्ड पर विन्डो ट्रेलिंग निरीक्षण करते हुए सुरेमानपुर स्टेशन पहुँचे.
सुरेमनपुर रेलवे स्टेशन पर महाप्रबंधक ने छपरा-बलिया रेल खण्ड के विद्युतीकृत लाइन के साथ दोहरीकरण के अनुरूप सुरेमनपुर स्टेशन पर नए स्टेशन भवन,नए केंद्रीकृत स्टेशन पैनल,पैदल उपरिगामी पुल तथा विभिन्न परिचालनिक

उन्नयन सुधार कार्यों की कार्य योजनाओं का निरीक्षण किया एवं संबंधित को सभी कार्य पूरी गुडवत्ता के साथ समय सीमा के अंदर पूरा करने का निर्देश दिया।

महाप्रबंधक अशोक कुमार मिश्रा ने अपने निरीक्षण यान के रियर विंडो से छपरा -औड़िहार रेल खण्ड के विंडो ट्रेलिंग के दौरान रेलवे ट्रैक की डीप स्क्रीनिंग एवं ओवर हेड ट्रैक्शन की मानिटरिंग की और इस खण्ड के स्थाई एवं अस्थाई सतर्कता आदेशों का संज्ञान लिया और यथा सम्भव कार्यवाही कर अवरोधों को कम करने का निर्देश दिया । इसके उपरान्त महाप्रबंधक अपने निरीक्षण के क्रम में छपरा-बलिया-औड़िहार रेल खण्ड का विण्डोट्रेलिंग निरीक्षण करने हेतु रवाना हुए । A valid URL was not provided.

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Chhapra/Jalalpur: आरजेडी नेता लालू यादव द्वारा आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने लगाने की मांग पर बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि इन्हीं जयचंदो के कारण हमारा देश हजारों वर्षों तक गुलाम रहा है. आज पूरे राष्ट्र को सफलता और प्रबलता से प्रधानमंत्री आगे बढ़ा रहे हैं. इसमे आर एस एस का भी योगदान है. 

आर एस एस एक सामाजिक संगठन है, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी जैसे देश की सेवा करने वाले नेता को दिया. वहीं जो खूद सजायाफ्ता है और बेल पर है और हजारों करोड़ों रुपए का गबन का उस पर आरोप है. वह राष्ट्रीय और सामाजिक संगठन पर प्रतिबंध लगाने की बात करता है.

यह पूछे जाने पर कि लालू यादव 12वीं बार आरजेडी के अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ रहे हैं पर उन्होंने कहा कि परिवारवाद और एक भ्रष्टाचारी समाज और देश का हितैषी नहीं हो सकता है. वह जयचंद की भूमिका में है. इसकी भी जांच होनी चाहिए.

हत्या के आरोपियों की सम्पति जब्त कर परिजनों को मुआवजा दे सरकार: नेता प्रतिपक्ष

 

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Chhapra: जिलाधिकारी राजेश मीणा एवं पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार के द्वारा शारदीय नवरात्र के आगमन के साथ दुर्गा पूजा एवं विजयादशमी/दशहरा त्यौहार के शांतिपूर्ण एवं सौहार्द्र के साथ मनाए जाने के संबंध में जिलास्तरीय शांति समिति की बैठक समाहरणालय सभागार में आयोजित की गई।

जिलाधिकारी द्वारा उपस्थित शांति समिति के सदस्यों को बताया गया कि 26 सितंबर से कलश स्थापना के साथ नवरात्रि का प्रारंभ हो गया है, जिसका समापन 5 अक्टूबर को होना है। 2 अक्टूबर को सप्तमी, 3 अक्टूबर को महाष्टमी, 4 अक्टूबर को महानवमी एवं 5 अक्टूबर को विजयादशमी मनाया जाएगा। कई स्थानों पर दुर्गा पूजा के अवसर पर स्थाई पूजा स्थलों या अस्थाई पंडालों में माता की प्रतिमा भी बैठाई जाती है और मेले भी आयोजित किए जाते हैं। कहीं-कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। ऐसी स्थिति में पूरे सतर्कता एवं सजगता के साथ आपसी भाईचारे एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में त्यौहार को मनाने के लिए शांति समिति की बैठक रखी गई है।ताकि किसी भी प्रकार के लापरवाही से विधि व्यवस्था की समस्या या तनाव की स्थिति न उत्पन्न हो जाए।

इस अवसर पर जिलास्तरीय शांति समिति के गणमान्य सदस्यों ने अपनी बात रखते हुए अनुरोध किया कि दुर्गा पूजा एवं दशहरा के अवसर पर विभिन्न स्थलों पर मेले का आयोजन किया जाता है। विभिन्न थानों से आए हुए गणमान्य व्यक्तियों ने प्रशासन को आश्वस्त किया कि इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ गंगा जमुनी तहजीब को ध्यान में रखते हुए मनाया जाएगा।

इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि कोविड प्रतिबंधों के शिथिल होने के बाद व्यापक पैमाने पर त्यौहार मनाया जा रहा है। त्यौहार को देखते हुए विशेष रूप से अलर्ट रहने का निर्देश सभी प्रतिनियुक्त किए गए दंडाधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों को दिया गया है। सभी संवेदनशील स्थलों पर संयुक्त आदेश द्वारा दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति कर दिए जाने की जानकारी दी गई।

जिलाधिकारी ने डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध होने की जानकारी देते हुए कहा कि लाउडस्पीकर का प्रयोग अनुमति के साथ किया जा सकता है। पूजा के दौरान अश्लील गाने बजाने की अनुमति नहीं है। अश्लील एवं भद्दे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित न किया जाएं। अगर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना है, तो इसके लिए संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी से अनुमति लिया जाए।

जिलाधिकारी ने शांति समिति के सदस्यों को जानकारी दी कि पूजा पंडाल के आयोजन पर रोक नहीं है, लेकिन इसके लिए थाना स्तर से अनुमति लेना अनिवार्य है। जुलूस भी निकालने के लिए थाना से अनुज्ञप्ति लेनी होगी और इसके रूट का सत्यापन थानेदार द्वारा स्वयं करने के उपरांत अपनी अनुशंसा के साथ अनुमंडल पदाधिकारी को अनुमोदन हेतु भेजेंगे।

पुलिस अधीक्षक ने निर्देश दिया कि कोई भी पूजा समिति हथियार के साथ जुलूस नहीं निकालेंगे। इसकी अनुमति कदापि नहीं दी जाएगी। जुलूस निर्धारित मार्ग पर ही चले और इसके साथ दंडाधिकारी और पुलिस बल अनिवार्य रूप से लगाया जाए। सांप्रदायिक सौहार्द्र को भंग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

जिलाधिकारी ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में मेले और पूजा के आयोजन में सावधानी और सतर्कता बरतनी आवश्यक है। सभी पूजा पंडालों में अग्निशमन यंत्रों एवं सीसीटीवी की व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाए। अस्थाई विद्युत संयोजन भी विद्युत आपूर्ति विभाग से प्राप्त किया जाए, चोरी छुपे बिजली का प्रयोग पूजा में कदापि ना किया जाए। पूजा के आयोजन में स्वयंसेवकों की संख्या अच्छी होनी चाहिए। सभी स्वयंसेवक पहचान पत्र लगाकर उपस्थित रहें। पंडालों में प्रवेश एवं निकासी का मार्ग अलग-अलग रहे।

पूजा में लाउडस्पीकर का प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु डीजे के प्रयोग की मनाही है। अश्लील गाने कदापि ना बजाएं। प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी एवं पुलिस बल भी लोगों को आवश्यकता पड़ने पर मार्गदर्शन देंगे एवं भीड़ को नियंत्रित करते रहेंगे।

पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट रूप से बतलाया कि डीजे प्रतिबंधित है, आपत्तिजनक गाने भी नहीं बजने चाहिए। शांति समिति के सदस्य हमारे ही अंग हैं, अतः प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन कराना उनका भी दायित्व है। इस समय नगर पालिका निर्वाचन भी संपन्न हो रहा है। ‌ अतः इसको देखते हुए विशेष रुप से सतर्क रहने की आवश्यकता है, ताकि सामाजिक एवं सांप्रदायिक तनाव की स्थिति नहीं उत्पन्न हो।

जिलाधिकारी ने शांति समिति के सदस्यों को जानकारी दी कि महत्वपूर्ण स्थलों पर रैपिड एक्शन टीम तैनात रहेगी। सभी डॉक्टर एवं हॉस्पिटल के स्टाफ भी तैयारी मोड में रहेंगे। अग्निकांड को रोकने के लिए फायर बिग्रेड भी तैयार रहेगी।
प्रतिमाओं के विसर्जन स्थल के संबंध मे जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार बहते हुए जल में प्रतिमा का विसर्जन ना कर अस्थाई तालाब में प्रतिमा का विसर्जन किया जाए। संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी विसर्जन हेतु अस्थाई तालाब का निर्माण कर उसमें पर्याप्त जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराएंगे। सभी पूजा समितियों को प्रशासन द्वारा निर्मित अस्थाई तालाबों में प्रतिमा का विसर्जन करना होगा।

बिना वीडियोग्राफी और दंडाधिकारी के साथ कोई विसर्जन जुलूस ना निकले यह सुनिश्चित कराया जाएगा। निर्धारित समय तक सभी पूजा समिति प्रतिमा का विसर्जन कार्य संपन्न कर लेंगे।

उक्त बैठक में उप विकास आयुक्त अमित कुमार, अपर समाहर्ता डॉक्टर गगन, जिला स्तरीय पदाधिकारीगण, थाना प्रभारीगण, एवं जिला शांति समिति के सदस्य व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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शारदीय नवरात्रि धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है। उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से मनाया जाता हैं। नवरात्रि पर्व के नौ दिनों के दौरान आदिशक्ति जगदम्बा के नौ विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। ये नौ दिन वर्ष के सर्वाधिक पवित्र दिवस माने गए हैं। इन नौ दिनों का भारतीय धर्म एवं दर्शन में ऐतिहासिक महत्व है और इन्हीं दिनों में बहुत सी दिव्य घटनाओं के घटने की जानकारी हिन्दू पौराणिक ग्रन्थों में मिलती है। माता के इन नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है-शैलपुत्री, ब्रह्माचारिणी, चन्द्रघन्टा, कुष्माण्डा, स्कन्द माता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।

नवरात्रि से हमें अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई के जीत की सीख मिलती हैं। यह हमें बताती है की इंसान अपने अंदर की मूलभूत अच्छाइयों से नकारात्मकता पर विजयी प्राप्ती और स्वयं के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कैसे कर सकता है भारतीय जन-जीवन में धर्म की महत्ता अपरम्पार है। यह भारत की गंगा-जमुना तहजीब का ही नतीजा है कि सब धर्मों को मानने वाले लोग अपने-अपने धर्म को मानते हुए इस देश में भाईचारे की भावना के साथ सदियों से एक साथ रहते चले आ रहे हैं। यही कारण है कि पूरे विश्व में भारत की धर्म व संस्कृति सर्वोतम मानी गयी है। विभिन्न धर्मों के साथ जुड़े कई पर्व भी है जिसे भारत के कोने कोने में श्रध्दा भक्ति और धूमधाम से मनाया जाता है। उन्ही में से एक है नवरात्रि।

वसन्त की शुरूआत और शरद ऋतु की शुरूआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। इन दो समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है। त्योहार की तिथियां चन्द्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती है। यह पूजा वैदिक युग से पहले प्रागैतिहासिक काल से है। नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किये गए है। यह पूजा उनकी ऊर्जा और शक्ति की की जाती है। नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख को हटानेवाली होता है।त्यौहार के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है। दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है। तीसरे दिन महिला परिपक्वता के चरण में पहुच गयी है उसकी पूजा की जाती है।

नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन लक्ष्मी-समृद्धि और शांति की देवी की पूजा करने के लिए समर्पित है। आठवे दिन पर एक यज्ञ किया जाता है। नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उन नौ जवान लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुंची है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े, वस्तुयें, फल प्रदान किये जाते है। शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस पर्व से जुड़ी एक कथा के अनुसार देवी दुर्गा ने एक भैंस रूपी असुर अर्थात महिषासुर का वध किया था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया। उसको वरदान देने के बाद देवताओं को चिंता हुई कि वह अब अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करेगा। महिषासुर ने अपने साम्राज्य का विस्तार स्वर्ग के द्वार तक कर दिया और उसके इस कृत्य को देख देवता विस्मय की स्थिति में आ गए। महिषासुर ने सूर्य, इन्द्र, अग्नि, वायु, चन्द्रमा, यम, वरुण और अन्य देवताओं के सभी अधिकार छीन लिए और स्वयं स्वर्गलोक का मालिक बन बैठा। देवताओं की महिषासुर के प्रकोप से पृथ्वी पर विचरण करना पड़ रहा था तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और कहा जाता है कि इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गई थी। इन नौ दिन देवी महिषासुर संग्राम हुआ और अन्त में महिषासुर का वध कर महिषासुर मर्दिनी कहलायीं।

नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दशमहाविद्या अनंत सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ है। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।

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