बिहार दिवस: दुनिया का पहला लोकतंत्र से आजादी की लड़ाई तक सबमें बिहार का इतिहास बेहद महत्वपूर्ण

बिहार दिवस: दुनिया का पहला लोकतंत्र से आजादी की लड़ाई तक सबमें बिहार का इतिहास बेहद महत्वपूर्ण

सूबे में बिहार दिवस मनाया जा रहा है. इस बार भी राज्य में सरकारी भवनों, चौक चौराहों को ए एल ई डी लाइट से सजा दिया गया है. बिहार दिवस हर साल एक उत्सव से कम नहीं है. 22 मार्च 1912 को बंगाल से अलग होकर यह अपना बिहार बना था. विश्व के पहले गणतंत्र बनने से लेकर आजादी की लड़ाई तक बिहार का इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा है. मौर्य, गुप्त वंश साम्राज्य सब बिहार के ही तो देन हैं. नालंदा विश्वविद्यालय जैसे दुनिया का पहला विश्वविद्यालय बिहार में ही तो था.

सन 1857 में आजादी की पहली लड़ाई लड़ने वाले बाबू वीर कुंवर सिंह से लेकर डॉ राजेंद्र प्रसाद तक अनेकों बिहारियों ने आजादी की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई. आजादी का आंदोलन हो या फिर चंपारण सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन समेत कई आंदोलनों में हमारे बिहारी ही सक्रिय भूमिका में रहे.कभी देश के पिछड़े राज्यों में गिनती होने वाला बिहार अब विकास दर में मामले में देशभर के सभी राज्यों से बेहतर हो गया है. हमारे राज्य का विकास दर दिल्ली बम्बई, जैसे राज्यो से भी अधिक हो गया है. कहने का मतलब बिहार बढ़ रहा है. हर क्षेत्र में बिहारियों का डंका बज रहा है .देश हो या विदेश हर जगह बिहारी नाम कमा रहे हैं.

यह बिहार ही तो है जो जहां जैन और बुद्ध धर्म ने जन्म लिया. शुरू से आस्था की धरती रहा है यह अपना बिहार.

दुनिया को महान वैज्ञानिक आर्यभट्ट के जरिये शून्य देने वाला भी यह बिहार ही तो है. आज देश मे सबसे ज्यादा IAS भी तो बिहार से ही निकल कर आ रहे हैं. गर्व से कहें हम बिहारी हैं.
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