पद्मश्री एवं साहित्यकार उषाकिरण खान ने पीआईबी के सहायक निदेशक संजय कुमार की पुस्तक “अभी मैं जिन्दा हूँ … गौरैया” का किया लोकार्पण

पद्मश्री एवं साहित्यकार उषाकिरण खान ने पीआईबी के सहायक निदेशक संजय कुमार की पुस्तक “अभी मैं जिन्दा हूँ … गौरैया” का किया लोकार्पण

Patna: पद्मश्री एवं प्रख्यात साहित्यकार उषाकिरण खान ने आज 19 दिसंबर को पटना में सालों से गौरैया संरक्षण में सक्रिय लेखक और प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो, पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार की सद्य: प्रकाशित पुस्तक “अभी मैं जिन्दा हूँ ..गौरैया” का लोकार्पण किया.

मौके पर पद्मश्री साहित्यकार उषाकिरण खान ने कहा कि संजय कुमार की यह पुस्तक विलुप्ति होती नन्हीं सी प्यारी बिहार की राजकीय पक्षी गौरैया के संरक्षण की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि प्रत्येक जीव का संरक्षण जरूरी है. गुम होती गौरैया के कारण के पीछे खेतों में कीटनाशक का प्रयोग, तेजी से कंक्रीट के बनते भवन और पानी के अभाव ने हमसे दूर कर दिया है. गौरैया संरक्षण के उपाय हमें खोजने होगे. इस विषय पर संजय कुमार की पुस्तक का आना सुखद है और यकीनन इस संरक्षण की दिशा में कारगर पहल करती नजर आयेगी. उन्होंने कहा कि बचपन की साथी गौरैया के संरक्षण से बच्चों और युवाओं को जोड़ना होगा.
पुस्तक के लेखक संजय कुमार ने ‘अभी मैं जिंदा हूं गौरैया’ पुस्तक का परिचय कराते हुए कहा कि इसमें गौरैया से जुड़ी हर बारीक से बारीक जानकारी को अध्ययन के तहत तस्वीरों के साथ समेटा गया है. उन्होंने बताया कि गौरैया संरक्षण कैसे किया जाए इसकी विस्तार से चर्चा पुस्तक में की गई है.

मौके पर ऑन लाइन जुड़े अतिथि वक्ता डॉ.गोपाल शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, जेड.एस.आई. भारत सरकार, पटना ने कहा कि ‘अभी मैं जिन्दा हूँ गौरैया’, पुस्तक बचपन की साथी गौरैया की याद को ताजा करता है. उन्होंने कहा कि कभी यह समाज का अभिन्न अंग हुआ करता था, आज गायब हो रही है. जरूरत है इसके संरक्षण की. ऐसे में इस किताब का आना काफी मायने रखता है.
लोकर्पण कार्यक्रम को संबोधित करते हुऐ पी.आई.बी. पटना के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा है कि ‘अभी मैं जिंदा हूं गौरैया’ पुस्तक गौरैया संरक्षण के साथ-साथ समाज के हित के लिए किया गया कार्य है. यह किताब दिल के बहुत करीब है. उन्होंने कहा कि गौरैया के साथ सभी का बचपन गुजरा है.

कार्यक्रम का संचालन करते हुऐ, लेखक- पत्रकार डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि घर आंगन में चहकने फुदकने वाली गौरैया के संरक्षण को लेकर लिखी पुस्तक को हर कोई कोई को पढ़ना चाहिये क्योंकि संरक्षण कैसे किया जाए उसे सहजता के साथ रखा इसमें गया है. उन्होंने कहा कि पुस्तक में गौरैया की विभिन्न अदाओं की मनमोहक तस्वीर हमें खींचती है जिसे लेखक ने खुद खिंची है.

मौके पर पत्रकार डॉ. लीना ने उम्मीद जताई की किताब के माध्यम से गौरैया संरक्षण का अभियान दूर-दूर तक पहुंचेगा.
मौके पर पर्यावरण योद्धा के अध्यक्ष निशान्त रंजन द्वारा उषा किरण खान को घोंसला भेंट किया.

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