बालू खनन पर लगी रोक हटी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बालू खनन पर रोक से राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है.

बालू खनन पर लगी रोक हटी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बालू खनन पर रोक से राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है.

पटना: बालू खनन पर लगी रोक हटा ली गयी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिहार सरकार को बड़ी राहत मिली है. राज्य खनन विभाग को निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बालू खनन पर रोक से राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है. बालू खनन को लेकर राज्य सरकार ने जो फैसला किया था, उसको एनजीटी ने अपने गाइडलाइन के खिलाफ माना था और इसी वजह से बालू खनन के आदेश पर रोक लगा दी गयी थी. इससे बिहार सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को बालू खनन की अनुमति दे दी है.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस रोक से सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है. बालू खनन के मुद्दे से निबटते समय पर्यावरण की सुरक्षा मानकों को सुरक्षित करने के लिए यह आदेश बहुत जरूरी था. जिस तरह अवैध खनन हो रहा था और लोगों के बीच संघर्ष देखा जा रहा था, इससे कई लोगों की जाने भी गयी हैं. इन बिन्दुओं पर विचार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला लिया है.

विभाग के प्रधान सचिव हरजोत कौर ने बताया कि 16 जिलों में बंदोबस्ती का प्रस्ताव राज्य मंत्रिमंडल ने 1 अक्टूबर को मंजूर किया था. 8 जिलों में 50 फ़ीसदी अतिरिक्त शुल्क के साथ बंदोबस्ती होनी थी, लेकिन कोर्ट का फैसला आने के बाद अब इस पर आगे बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. अब सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बालू खनन पर लगी रोक को हटाने का निर्देश दे दिया है.

बिहार सरकार के फैसले पर ग्रीन ट्रिब्यूनल की आपत्ति के बाद राज्य में बालू घाटों की निविदा प्रक्रिया को रोक दिया गया था. बालू खनन के लिए टेंडर की प्रक्रिया 8 जिलों में चल रही थी, लेकिन ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद सरकार ने फिलहाल इस पर अंतिम रोक लगा दी थी. निविदा प्रक्रिया पर रोक से जुड़ा आदेश खान एवं भूतत्व विभाग ने जारी किया था. विभाग में ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से 25 अक्टूबर को पारित किए गए आदेश के आधार पर रोक लगायी थी.

सरकार के इस फैसले के बाद पटना के अलावा भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास, गया, जमुई और लखीसराय में निविदा की प्रक्रिया रोक दी गयी थी. ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस निविदा प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थे. ट्रिब्यूनल का कहना था कि पुराने पर्यावरण प्रमाणपत्रों के आधार पर बालू घाटों की निविदा कैसे की जा सकती है. ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद राज्य सरकार ने इस मामले में कानूनी सलाह ली और विवाद से बचने के लिए निविदा की प्रक्रिया को तत्काल स्थगित कर दिया.

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