लैंडिंग और टेक ऑफ का वक़्त क्यों खुले रखने पड़ते है विमान के खिड़की के पर्दे, जानें

लैंडिंग और टेक ऑफ का वक़्त क्यों खुले रखने पड़ते है विमान के खिड़की के पर्दे, जानें

क्या आपने कभी विमान पर यात्रा किया है, विमान में सीट बेल्ट बांधना, अपनी सीट पर सीधे बैठना आदि जैसे निर्देशों को पालन करने की अपील एयर होस्टेस करती है. आप वैसा ही करते है. विमान की खिड़की से धरती को देखने के कौताहल भी मन में होता है. जिसके लिए विमानों की खिड़की वाली सीट पसंद भी की जाती है. विमान में उपस्थित एयर होस्टेस इन खिड़कियों पर लगे शेड्स को विमान के उड़ान भरते और लैंडिंग के समय खोल कर रखने के निर्देश देती है.

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पर क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों कहा जाता है? तो आइये हम आपको इस उलझन से निकालते हुए बताते है इसके कारण.

सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि किसी भी हवाई जहाज के लिए उड़ान भरने और लैंडिंग का समय सबसे कमजोर होता है. जिस समय दुर्घटना की प्रबल सम्भावना होती है. विमान में मौजूद केबिन क्रू को यात्रियों की सुरक्षा के लिए खास निर्देश दिए गए होते है. किसी भी आपातकालीन स्थिति में क्रू के पास विमान में बैठे लोगों को बाहर निकलने के लिए 90 सेकेंड का समय होता है. ऐसे में यह 90 सेकेंड जीवन और मौत के बीच अंतर हो सकता है.

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ऐसे में, खिड़कियों पर लगे शेड्स को विमान के उड़ान भरते और लैंडिंग के समय खोल कर रखना भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के निर्देशों में शामिल है. अगर दिन के समय में आपातस्थिति आती है, तो उस समय केबिन के लाइट जले होते है और बाहर भी रौशनी होती है जिससे बाहर निकलते वक्त यात्री को कोई दिक्कत नहीं होती. पर यदि अंदर की लाइट बंद हो तब अचानक रौशनी में निकलने से आखों से धुंधला दिखाई देगा और परेशानी होगी. इसी प्रकार रात के समय में भी जब केबिन की लाइट डिम जलती है और बाहर अँधेरा होता है.

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