गर्मी में देसी फ्रिज मटका की बढ़ी मांग
गर्मियों का मौसम अपने चरम पर है, और इसी के साथ शहर के बाजारों में एक बार फिर से देसी फ्रिज, यानी मटके और सुराही की धूम देखी जा रही है।
गर्म हवाओं और लू के थपेड़ों के बीच लोग अब फिर से पारंपरिक उपायों की ओर लौट रहे हैं। बिजली से चलने वाले फ्रिज की तुलना में सस्ता और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प बन चुका है — मिट्टी का मटका। शहर के हर गली, नुक्कड़ और बाजार में इन दिनों मटके, सुराहियाँ और मिट्टी के घड़े बिकते नजर आ रहे हैं।

पर्यावरण के लिए भी हितकारी
मटका न सिर्फ पानी को ठंडा रखता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी हितकारी है। न बिजली की ज़रूरत, न कोई रख-रखाव का झंझट। यही वजह है कि लोग अब फिर से मिट्टी के इन देसी फ्रिजों को पसंद कर रहे हैं।
मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों के लिए भी यह मौसम रोज़गार का सुनहरा मौका बनकर आया है। इससे न सिर्फ उनकी आय बढ़ रही है, बल्कि पारंपरिक हस्तशिल्प को भी नया जीवन मिल रहा है।
आधुनिकता के बीच भी परंपरा कैसे अपना स्थान बनाए हुए है। गर्मी से राहत पाने का यह देसी तरीका न सिर्फ स्वास्थ्यप्रद है, बल्कि हमारी संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है।
