बेगूसराय: गांव की गलियों में गूंजते छठ के गीत और परदेसियों की बढ़ती संख्या ने लोगों को पर्व के समरसता भाव का एहसास कराना शुरू कर दिया है। छठ मतलब एक ऐसा पर्व जिसमें सभी सामाजिक भेदभाव समाप्त हो जाते हैं, हर घर से एक समान खुशबू और गीतों की आवाज आनी शुरू हो जाती है।

लोक आस्था का बिहारी पर्व छठ ग्लोबल हो चुका है, हर ओर छठ की धूम मच रही है। ऐसे में छठ जब ग्लोबल हुआ तो पूजा के प्रसाद भी बदलते चले गए। अब अमेरिका में लोग हल्दी का पत्ता कहां से लाएंगे, ऑस्ट्रेलिया में सुथनी कैसे मिलेगा, ब्रिटेन में लोग गन्ना कहां से लाएंगे, बोस्टन में बांस का सूप मिलना तो मुश्किल ही है। जिसके कारण विदेशों में रह रहे भारतीय वहां उपलब्ध फल और धातु से बने सूप में सूर्यदेव को अर्घ्य देने की तैयारी कर चुके हैं लेकिन बिहार का कोई सुदूरवर्ती गांव हो या वॉशिंगटन का जैसा आधुनिक विदेशी शहर, तमाम जगहों पर एक प्रसाद आज भी कॉमन है, जिसके बिना छठ पूजा संपन्न नहीं मानी जाती है, वह प्रसाद है गेहूं के आटे से तैयार किया जाने वाला ठेकुआ। लेकिन, कई ऐसी बातें हैं, चीजें हैं जिनका छठ पर्व के साथ चोली दामन का साथ बन गया है। बिहार का सुप्रसिद्ध व्यंजन छठ के बहाने दुनिया में छा गया है। छठ की पूजा संपन्न हो गई और प्रसाद में यदि आपने ठेकुआ नहीं दिया तो लोग जरूर सवाल उठाएंगे की ठेकुआ के बगैर प्रसाद अधूरा है

ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य को भी ठेकुआ बहुत प्यारा है, इसीलिए इस दौरान बना ठेकुआ सबसे स्वादिष्ट बनाया जाता है। शुद्ध घी का बना ठेकुआ स्वाद अनोखा हो जाता है। लोकगीत के मधुर धुनों पर झूमती महिलाएं जब ठेकुआ बनाती हैं तो इसमें ना सिर्फ चीनी और गुड़, बल्कि महिलाओं के सुमधुर गीत की मिठास भी घुल जाती है। ठेकुआ बनाने के लिए गेहूं सुखाने जब तमाम छतों पर महिलाएं जुटी तो लोकगीतों के लय ने अमीर-गरीब और ऊंच-नीच के तमाम भेदभाव मिट जाते हैं।

ठेकुआ के डिजाइन भले ही अलग-अलग होने लगे हैं, लेकिन इसका स्वाद आज भी वही है जो दशकों पूर्व था। अंतर बस इतना है कि पहले यह ठेकुआ प्रातः कालीन पूजा के बाद गांव-गाव में रिश्तेदारों तक पहुंचाए जाते थे और अब देश के कोने-कोने ही नहीं, विदेश तक भेजे जा रहे हैं। जिनके भी परिजन विदेश में रह रहे हैं, वहां कुरियर से यह भेजा जा रहा है। जबकि विदेश में छठ करने वाले परिवार कम ही सही लेकिन ठेकुआ जरूर चढ़ाते हैं। बिहार से बाहर किसी अन्य राज्य या विदेश में जाना हो अथवा भेजना हो ठेकुआ ज्यों-का-त्यों रहेगा, जबकि दूसरे प्रसाद खराब हो सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि बिहार में स्वादिष्ट व्यंजन निर्माण की समृद्ध परंपरा है। हमारे बुजुर्गों का मानना था कि बरसात आने से पहले घर में पर्याप्त चीजें बनाकर रख कर ली जानी चाहिए, जिससे बरसात के फीके मौसम में भी खाने का स्वाद बना रहे। पहले इतने होटल, परिवहन के साधन और खाने को लेकर अन्य तमाम विकल्प नहीं मौजूद होते थे। यदि कोई कहीं जा रहा है, तो ठेकुआ लेकर निकल गया, उस समय के सप्ताह भर की यात्रा हो अथवा आज के जमाने में कहा जाने वाला टूर, ठेकुआ भूख मिटाने का सबसे बेहतर साधन होता था और आज भी गांव वासियों के लिए सर्वोत्तम है। कहीं जाना होता मां ठेकुआ की पोटली बांध कर दे देते थे।

रास्ते भर खाने के लिए नहीं सोचना पड़ता, उसी तरह जब लौटना होता तो उधर से भी ठेकुआ ही दिया जाता। ठेकुआ खाने के लिए कहीं रुकना नहीं पड़ता है, खाते-खाते भी दो-चार किलोमीटर तय कर लेते थे। इसे कहीं रख दीजिए खराब नहीं होगा, स्वाद और अंदाज वही होगा। इसलिए इसकी बादशाहत आज भी कायम है। फिलहाल हर ओर छठ की धूम मची हुई है और घर-घर में ठेकुआ पकवान बनाने की तैयारी हो गई है। गेहूं सूख गया, चीनी और सुखा मेवा के साथ ही घी एवं रिफाइन भी आज आ गया है, चार दिवसीय महापर्व के उमंग में चप्पा-चप्पा डूब गया है।

छठ पर्व को पूरी तरह प्रकृति संरक्षण की पूजा माने तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस पर्व में लोग प्रकृति के करीब तो पहुंचते ही हैं उसमे देवत्व स्थापित करते हुए उसे सुरक्षित रखने की कोशिश भी करते हैं। वैसे देखा जाए तो भारतीय संस्कृति में कोई भी ऐसा पर्व नही है जिसका प्रकृति से सरोकार न हो।

दीपावली के छठे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल को षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ महापर्व में पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया है। मुख्यतः यह त्योहार सूर्य पूजा, उषा पूजा, जल पूजा को जीवन में विशेष स्थान देते हुए पर्यावरण की रक्षा का संदेश भी देता है। इस पर्व में सभी लोग प्रकृति के सामने नतमस्तक होते हैं। अपनी अपनी कृतज्ञता प्रकट कर रहे होते हैं।

यह पर्व इस संसार में अपनी तरह का अकेला ऐसा महापर्व है जिसमे धार्मिक, सांस्कृतिक, प्राकृतिक, आर्थिक और सामाजिक आयाम की सबसे ज्यादा प्रबलता है। सूर्य इस त्योहार का केंद्र है। भारतीय समाज में भगवान भास्कर का स्थान अप्रतिम है। समस्त वेद, स्मृति, पुराण, रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों में भगवान सूर्य की महिमा का विस्तार से वर्णन है। सूर्य जीव जगत के आधार है। सूर्य के बिना कोई भी भोग – उपभोग संभव नही है। अतः सूर्य के प्रति आभार प्रदर्शन के लिए छठ व्रत मनाया जाता है। ऐसा लोगो का मानना है कि सूर्य उन क्षेत्रों के सबसे उपयोगी देव हैं जहां पानी की उपलब्धता ज्यादा है। जब सूर्य समाधि में व्यक्ति स्वयं निर्जल होकर भास्कर को जल समर्पित करता है तो प्रकृति और व्यक्ति के अतुल्य समर्पण के दर्शन होते हैं। व्यक्ति के प्रकृति को स्वयं से उपर रखने के दर्शन होते हैं।

हमारी सूर्य केंद्रित संस्कृति कहती है कि वही उगेगा जो डूबेगा। जैसे सूर्य अस्त होता है वैसे ही फिर उदय होता है। अगर एक सभ्यता समाप्त होती है तो दुसरी जन्म लेती है। जो मरता है वह फिर जन्म लेता है। जो डूबता है वह फिर उबरता है। जो ढलता है वह फिर खिलता भी है। यही चक्र छठ है। यही प्राकृतिक सिद्धांत छठ का मूल मंत्र है। अतः छठ में पहले डूबते और फिर अगले दिन उगते सूर्य की पूजा स्वाभाविक है। व्रत करने वाला आभार जताने घर से निकल कर किसी तालाब, नदी, पोखरा पर जाता है और अरग्य देता है। इसका अर्थ होता है हे सूर्य आपने जल दिया है उसके लिए आभार लेकिन आप अपने ताप का आशीर्वाद भी हम पर बना कर रखें।

प्रकृति से प्रेम, सूर्य और जल की महत्ता का प्रतिक छठ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीपा पोती किया जाता है । वैज्ञानिकों के अनुसार, गाय के गोबर में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी-12 पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। घर द्वार से लेकर हर मार्ग और नदी, पोखरा, तालाब, कुआं तक की सफाई से जल, वायु और मिट्टी शुद्ध होता है जो पर्यावरण को संरक्षित करता है। इस पर्व पर प्रसाद के रूप में चढ़ाए जाने वाला केला, दीया, सुथनी, आंवला, बांस का सूप, डलिया किसी न किसी रूप में हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। यह पर्व पूरी तरह से वैज्ञानिक महत्व एवं प्रदूषणमुक्त हैं।

प्रकृति का हनन रोकना भी छठ है। गंदगी, काम, क्रोध, लोभ को त्यागना छठ है। सुख सुविधा को त्याग कर कष्ट को पहचानने का नाम छठ है। शारीरिक और मानसिक संघर्ष का नाम छठ है। छठ सिर्फ प्रकृति की पूजा नही है। वह व्यक्ति की भी पूजा है। व्यक्ति प्रकृति की ही तो अंग है। छठ प्रकृति के हर उस अंग की उपासना है जिसमे कुछ गुजरने की, कभी निराश न होने की, कभी हार न मानने की, डूबकर फिर खिलने की, गिरकर फिर उठने की हठ है। यह हठ नदियों में, बहते जल में, और किसान की खेती में है। इसलिए छठ नदियों, सूर्य एवं परंपराओं की पूजा है। छठ पर्व से सबक लेते हुए हमें अपनी संस्कृति, प्रकृति के प्रति जागरुक होना चाहिए। अपनी संस्कृति एवं प्रकृति की मर्यादाओं, श्रेष्ठताओं को कभी नही भूलना चाहिए।

(लेखक प्रशांत सिन्हा पर्यावरण मामलों के जानकार एवं समाज सेवी हैं।)

Chhapra/ Garkha: आस्था के महापर्व छठ पर जिले के दो सूर्य मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटती है. जिले के गरखा प्रखण्ड के मिठेपुर स्थित इस सूर्य मंदिर में लोगों द्वारा मांगी मन्नत पूरी होती है. घोड़ों पर सवार भगवान सूर्य की आलौकिक विशालकाय प्रतिमा भक्तों को अपने आप अपनी ओर आकर्षित करता है.

आस्था के महापर्व छठ पर यहाँ भक्तो की भाड़ी भीड़ जुटती है. सूर्य उपासना के इस महापर्व पर श्रद्धालु यहाँ रहकर चार दिवसीय अनुष्ठान को पूरा करते है. ऐसी मान्यता है कि इस स्थान से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.

भगवान सूर्य का यह मंदिर गरखा प्रखंड के मिठेपुर मुख्य मार्ग पर स्थित है.

Chhapra: छठ महापर्व को लेकर छठ घाट के साफ-सफाई और वहां व्यवस्था को लेकर पूजा समिति और जिला प्रशासन आपसी तालमेल से कार्य कर रहे हैं. छपरा शहर के अलीयर स्टैंड पर नगर निगम के द्वारा साफ सफाई कराई गई है. इसके साथ ही शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित नदी घाटों पर अलग-अलग पूजा समितियों के द्वारा घाटों का निर्माण कराया गया है. जहां आना-जाना सुलभ हो इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही प्रकाश और सुरक्षा की व्यापक इंतजाम किए गए हैं. कई पूजा समितियों के द्वारा गोताखोर और नाव की व्यवस्था भी की गई है. ताकि पर्व के दौरान होने वाली भीड़ में किसी की डूबने की संभावनाओं को टाला जा सके.

इसके साथ ही आने जाने वाले मार्ग, वाहन पार्किंग पर पूजा समितियां विशेष ध्यान दे रही हैं. ताकि व्रत को लेकर घाटों पर पहुंचने वाले लोगों के वाहन को भी सही ढंग से लगाया जा सके और जाम की समस्या उत्पन्न ना हो. पूजा समितियों के द्वारा पूरी कोशिश की जा रही है कि व्रतियों को कोई परेशानी ना हो. आम लोग भी जगह-जगह साफ सफाई में जुटे हैं. हर मोहल्ले में लोग जन सहयोग से साफ सफाई में जुटे हैं. पूरा जिला छठ में हो गया है.

बाजारों में भी जबरदस्त रौनक देखने को मिल रही है. जगह-जगह छोटी-बड़ी दुकानें सज गई है. जहां छठ पूजा से संबंधित फल और अन्य सामान बिक रहे हैं. कुल मिलाकर कोरोना के 2 सालों के काल के बाद इस बार सब लोग खुलकर त्यौहार मना रहे हैं. व्यापारियों में भी त्यौहार पर बाजार में आई रौनक से खुशी है.

Chhapra: जिलाधिकारी, सारण राजेश मीणा के द्वारा समाहरणालय अवस्थित कार्यालय कक्ष में जनता का दरबार कार्यक्रम आयोजित किया गया। जनता का दरबार कार्यक्रम में कुल 95 आवेदन कर्ताओं के समस्याओं का निष्पादन ऑन द स्पॉट किया गया। प्रत्येक शुक्रवार को नियमित रुप से आयोजित हाने वाले इस जनता दरबार में आपूर्ति, भूमि विवाद, पर्चा वितरण ,परिवहन, राजस्व, मद्य निषेध, शिक्षा, नगर निगम, भू अर्जन, अतिक्रमण, आईसीडीएस, पेंशन आदि विषय से संबंधित कुल-95आवेदन का शीघ्र निष्पादन हेतु जिलाधिकारी  ने संबंधित पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। उपस्थित पदाधिकारियों को जिलाधिकारी के द्वारा स्पष्ट निदेश दिया गया कि आवेदन कर्ता के समस्याओं का निष्पादन अविलंब सुनिश्चित किया जाय। इस कार्य मे शिथिलता बरतने वाले पदाधिकारी के विरुद्ध कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई किये जाने की चेतावनी भी दी गयी।

पटना, 29 जुलाई; पटना चिड़ियाघर के लिए शुक्रवार का दिन खास रहा। इंटरनेशन टाइगर डे पर बाघिन संगीता के 4 शावकों का नामकरण किया गया। नन्हें शावकों के नाम रानी, मगध, केसरी और विक्रम रखे गए हैं। जू में इन नए मेहमानों का खास ख्याल रखा जा रहा है। जू में चारों शावक अपनी मां बाघिन (संगीता) के साथ मस्ती करते दिखे।
चारों शावकों का जन्म 2 महीने पहले 25 मई को हुआ था। इनके जन्म के बाद जून में बाघ और बाघिन की संख्या 5 से बढ़कर 9 हो गई। जू के अधिकारी ने बताया चारों शावक स्वस्थ है। इसका पूरा श्रेय उनकी मां को जाता है। बाघिन (संगीता) चारों बच्चों का बराबर रूप से ख्याल रखती है। चारों शावक को भरपेट दूध पिलाती है। इसी कारण से चारों शावक स्वस्थ है।

वेटरनरी डॉक्टर ने बताया कि मां का बहुत विशेष ख्याल रखा गया है। उसे चिकन सूप में विटामिन या प्रोटीन मिला कर दिया जाता। प्रसव के बाद की प्रारंभिक अवधि मे मां का दूध अच्छे से हो उसका ख्याल रखा जाता। अब विटामिन चिकन सूप के साथ बोनलेस बीफ भी हर रोज दिया जाता। ताकि डिहाइड्रेशन ना हो उसके कमरे में हर वक्त भोजन हो इसका भी ख्याल रखा जाता। चारों शावक में दो सफेद और दो बाघ सामान रंग का हैं। चार शावक स्वस्थ हैं और बेहद चंचल है। शावक मूल रूप से (80_90 प्रतिशत) मां के दूध पर निर्भर रहते हैं। वैसे शावकों के दांत चीजों को नोचना शुरु कर दिए हैं पर फिर भी उन्हें भी नहीं दिया जा सकता क्योंकि वह उन्हें पचा नहीं सकेंगे इसलिए उन्हें छोटे-छोटे की चिकन का कीमा बना कर देते है।

चारों शावक मां के साथ ही ज्यादा रहते है। उनके लिए बगीचा में खोल दिया जाता है। और लकड़ियां रख दी जाती है ताकि वह खेल सके। बच्चों और मां को हर वक्त सीसीटीवी कैमरा के निगरानी में रखा जाता है। और कैमरा के द्वारा उनके हर क्रियाकलाप पर नजर रखा जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार /गोविन्द

पटना: न्यूड फोटोशूट मामले में बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह के खिलाफ मुजफ्फरपुर के सीजेएम कोर्ट में भारतीय मानव अधिकार सुरक्षा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजू नैयर के द्वारा गुरुवार को परिवाद दायर किया गया है।

सोशल मीडिया पर जारी की गई उनकी न्यूड तस्वीरों को लेकर यह परिवाद दायर किया गया है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 292 (अश्लील किताबों आदि की बिक्री), 293 (युवाओं को अश्लील सामग्री की बिक्री), 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द कहना, संकेत करना या कृत्य करना) और आईटी एक्ट के सेक्शन 67ए के तहत दर्ज किया गया है।

राजू नैयर ने बताया कि अभिनेता की अश्लील तस्वीरों से महिलाओं की भावना आहत हुई है और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गई है। शिकायतकर्ता ने रणवीर सिंह की गिरफ्तारी की मांग की है। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर से कथित आपत्तिजनक तस्वीरों को हटाने की मांग की है। राजू नैयर के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि कोर्ट ने परिवाद स्वीकार करते हुए सुनवाई कि अगली तिथी पांच अगस्त को रखी गई है।

 

Chhapra: भगवान बाजार थानान्तर्गत 27 जुलाई 2022 को एक यात्री के साथ रेलवे स्टेशन से बस स्टैण्ड आने के क्रम में हुए लूट कांड मामले में पुलिस ने 3 अपराधियों को गिरफ्तार किया है.

इस सम्बंध में सारण पुलिस ने बताया कि अज्ञात अपराधियों के द्वारा कैश एवं मोबाईल लूट की घटना को कारित किया गया था, जिस संबंध में भगवान बाजार थानान्तर्गत कांड सं0-372 / 22, दिनांक-27.07.22, धारा-392 भा0द0वि० दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ किया गया.

पुलिस अधीक्षक, सारण द्वारा अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सदर तथा थानाध्यक्ष, भगवान बाजार थाना, सारण को कांड के अनुसंधान एवं त्वरित कार्रवाई करने हेतु दिशा-निर्देश दिया गया था. जिसके आलोक में भगवान बाजार थाना द्वारा कांड का त्वरित अनुसंधान एवं कार्रवाई कर कांड में संलिप्त अपराधकर्मियों जितेन्द्र कुमार, पिता सिकंदर राम, रंजीत राम, पिता-दिलीप राम, दोनों सा० काशी बाजार डोमपाड़ा, रोहित उर्फ इल्लू पिता-भुनेश्वर प्रसाद, सा० मछली बाजार स्टेशन के पास सभी थाना भगवान बाजार, जिला सारण को गिरफ्तार किया गया. इनके निशानदेही के आधार पर लूटी गई एक मोबाईल, नगद राशि 2600रू एवं लूटकांड में प्रयुक्त 2 चाकू को बरामद किया है. अनुसंधान एवं पूछ-ताछ के क्रम में गिरफ्तार अपराधकर्मियों के द्वारा उक्त लूट कांड में अपनी संलिप्तता को स्वीकार किया गया है तथा इस कांड में संलिप्त अन्य अपराधकर्मी की गिरफ्तारी हेतु लगातार छापामारी की कार्रवाई की जा रही है.

 

नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने रेलवे भर्ती घोटाला मामले में आरोपित और तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव के ओएसडी रहे भोला यादव को सात दिनों की सीबीआई हिरासत में भेज दिया है। सीबीआई ने भोला यादव को गिरफ्तार कर स्पेशल जज गीतांजलि गोयल की कोर्ट में पेश किया था। उसके बाद कोर्ट ने दो अगस्त तक की सीबीआई हिरासत में भेजने का आदेश दिया।

भोला यादव 2004 से 2009 तक लालू यादव के ओएसडी रहे थे। रेलवे भर्ती घोटाला लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है। भोला यादव को ही इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते नौकरी के बदले जमीन देने के लिए कहा जाता था। नौकरी के बदले जमीन देने के काम को अंजाम देने की जिम्मेदारी भोला यादव को सौंपी गई थी। भोला यादव 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बहादुरपुर सीट से विधायक चुने गए थे।

सीबीआई ने मई के तीसरे सप्ताह में इस मामले में लालू के परिजनों से जुड़े 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी। सीबीआई ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटी मीसा भारती के पटना, गोपालगंज और दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी।

छपरा: विद्या भारती विद्यालय , सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, दर्शन नगर में बुधवार को रोटरी क्लब द्वारा मेंहदी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।

प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अंचल गिरी ( कक्षा दशम ब),द्वितीय स्थान निकिता (कक्षा नवम ब ), तृतीय स्थान खुशबू कुमारी ( कक्षा अष्टम ब) एवम् रितिका (कक्षा षष्ट ब )ने प्राप्त की। पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान रोटरी क्लब के अध्यक्ष डॉक्टर पार्थ सारथी गौतम ने अपने संबोधन में कहा कि हम रोटेरियन के द्वारा समाज के विभिन्न क्षेत्रों में समाज उत्थान का कार्य करते हैं। इसके परिपेक्ष में हम लोग इस विद्यालय के बहनों में कलात्मक एवं सक्रियता को विकसित करने को बढ़ावा देने देने की दृष्टि से यह कार्यक्रम आयोजित किया ।

वहीं समारोह को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य आशुतोष दास ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह प्रतियोगिता धार्मिक एवं कला के दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है ।उन्होंने मेहंदी के गुणों और इस प्रतियोगिता के संबंध में प्रकाश डालते हुए कहा कि इस प्रतियोगिता का आयोजन का मुख्य उद्देश्य कलात्मक दृष्टि से बहनों को विकसित करना है।

प्रतियोगिता के मुख्य निर्णायक के रूप में रोटेरियन अर्चना रस्तोगी एवं इनरव्हिल के पूर्व अध्यक्षा शैला जैन थी।

नई दिल्ली: मध्य जिले के झंडेवालान स्थित विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के ऑफिस में घुसकर दिनदहाड़े एक शख्स ने कार्यालय को बम से उड़ाने की धमकी दी। वहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने तुरंत उस शख्स को पकड़ लिया और उसे कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद मामले की जानकारी पुलिस को दी गई। पुलिस ने फिलहाल आरोपित प्रिंस पांडे (26) को हिरासत में ले लिया है और उससे घटना को लेकर पूछताछ की जा रही है। आरोपित मध्य प्रदेश का रहने वाला है।

मध्य जिले की डीसीपी श्वेता चौहान ने बताया कि दोपहर 12:41 बजे पुलिस को एक कॉल मिली थी, जिसमें बताया गया कि विहिप के दफ्तर में घुसकर एक शख्स ने धमकी दी है। झंडेवालान मंदिर के ऊपर बने हुए इस दफ्तर में जाकर उस शख्स ने कहा कि वह इस दफ्तर को बम से उड़ा देगा।

मौके पर पहुंची पुलिस को वहां पर मध्य प्रदेश के गांव भट्टवाली का रहने वाला प्रिंस पांडे मिला। वहां पर लोगों ने उसे पकड़ रखा था। उसे पुलिस के हवाले किया गया। उसने बताया कि वह एक ग्रेजुएट है और उसके पिता एक सरकारी अस्पताल में ड्राइवर हैं जबकि मां घरेलू काम करती है। उसके परिवार में एक छोटी बहन है जो एमएससी कर रही है।

पुलिस पूछताछ में प्रिंस ने बताया कि वह बीते 22 जुलाई को अपनी मौसी के साथ दिल्ली आया था। वह फतेहपुर बेरी इलाके में ठहरा हुआ था। उसके मौसा छतरपुर स्थित एक फार्म हाउस में नौकरी करते हैं। उसने पुलिस को बताया कि उसके गांव में एक परिवार का धर्म परिवर्तन कर उसे क्रिश्चियन बना दिया गया।

इसे लेकर कोई कुछ भी नहीं कर रहा था। उसने बताया है कि वह आरएसएस का समर्थक है लेकिन आरएसएस द्वारा कुछ किया नहीं जा रहा था, जिसके चलते वह नाराज था। फिलहाल पुलिस ने उसे हिरासत में लिया है। उससे दिल्ली पुलिस के अलावा स्पेशल स्पेशल ब्रांच की टीम की पूछताछ कर रही है।

विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने बताया कि दोपहर लगभग 12:15 बजे यह शख्स पहले उदासीन आश्रम गया था और वहां लोगों को धमकाने के बाद वह विश्व हिंदू परिषद के दफ्तर में आया। यहां आकर उसने धमकी दी कि वह विश्व हिंदू परिषद और संघ द्वारा बनाई जाने वाली सभी बिल्डिंगों को उड़ा देगा। वहां मौजूद लोगों ने उसे पकड़कर एक कमरे में बंद किया और मामले की जानकारी पुलिस को दी। उन्होंने बताया कि इस शख्स के हाथ में कलावा बंधा हुआ था। फिलहाल उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया है।

 

Chhapra: जिला के अंबेडकरी अभिभावक, शोषितों वंचितों, बेजुबानों की आवाज, प्रख्यात बहुजन चिन्तक धर्मनाथ राम की द्वितीय पुण्यतिथि डॉ अम्बेडकर स्मारक स्थल पर श्रद्धा पूर्वक मनाई गई.

पुण्यतिथि समारोह पर उनके अनुयायियों ने उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण किया तथा उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर श्रृद्धांजलि दी, साथ ही उनके बताए रास्तों पर चलने का संकल्प लिया.

इस मौके पर “आजादी की 75 वीं वर्षगांठ और भारत का वंचित वर्ग” विषयक एक स्मृति व्याख्यामाला का भी आयोजन किया गया.

उक्त आयोजन में बहुजन चिन्तक एवं यादव शक्ति पत्रिका के सम्पादक देवरिया से आये बतौर स्मृति वार्ताकार चन्द्र भूषण सिंह यादव ने स्मृतिशेष धर्मनाथ राम के समाज हित मे किये गए उत्कृष्ट कार्यो को अनुकरणीय बताते हुये कहा कि स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करने के दरम्यान व सेवानिवृति के बाद भी 80 वर्ष की उम्र तक समाज हित मे अपना तन-मन-धन समर्पित रखा, यह न केवल लम्बे समय तक याद किया जाता रहेगा वरन हमें ऐसा करने हेतु प्रेरित भी करेगा.

श्री यादव ने आजादी की 75 वीं वर्षगांठ व वंचित समाज की दशा का खाका खींचते हुये कहा कि देश की आजादी का 75 वां वर्षगांठ अमृत महोत्सव के रुप में मनाया जाना है, लेकिन 75 साल आजादी के बाद शिक्षा मंहगी, रोजगार प्राइवेट और सम्मान वर्णगत/जातिगत होने की तरफ अग्रसर है. उन्होंने कहा कि शिक्षा,रोजगार और सत्ता ही वह हथियार है, जिससे वंचित भी अमृतपान कर सकता है. अपने लंबे व्यक्तव्य में उन्होंने सामाजिक व सांस्कृतिक गुलामी छोड़ वैज्ञानिक सोच अपनाने की अपील की.

इसके पूर्व विषय प्रवेश की जिम्मेदारी निभा रहे डॉ लालबाबू यादव ने बड़े सलीके से स्मृतिशेष धर्मनाथ राम जी के लम्बे सामाजिक जीवन की चर्चा कर उन्हें एक जुझारू और क्रांतिकारी व्यक्तित्व बताया, उन्होंने कहा कि धर्मनाथ बाबू में गजब का साहस था, वे किसी से डरते नहीं थे और वंचितों शोषितों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर व सजग रहते थे. डॉ यादव ने विमर्श के विषय की ओर इंगित करते हुए आगे कहा कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश का बहुजन समाज उच्च शिक्षा और सम्मान से वंचित है. उन्होंने समाज को तार्किक बनाने पर बल दिया.

इस अवसर पर ई डी एन दत्ता, प्रो दिनेश पॉल, प्रो बीरेंद्र चौधरी, प्रो योगेंद्र यादव, देवेंद्र राम, भगवान राम, पूर्व जिप उपाध्यक्ष राजेंद्र राय, वार्ड सदस्य विजय कुमार, अशोक कुशवाहा, हरेंद्र मांझी, अधिवक्ता रामराज राम, व्यास मांझी, शैलेंद्र चौधरी, धर्मवीर भारती, मेहंदी हसन, विनोद चौधरी, शैलेंद्र राम, डा शशि रंजन, डॉ मेराज आलम, डॉ शंकर चौधरी, जयप्रकाश रजक, शिक्षिका कल्याणी कुमारी, संगीता कुमारी, रेखा कुमारी, अनन्या कश्यप, श्रीकांत प्रसाद सहित सैंकड़ों लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम की अध्यक्षता अजीत मांझी ने की जबकि संचालन नदीम अहमद ने किया. दिवंगत राम के पुत्र चंद्रशेखर कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के समापन की घोषणा की.

 

विपक्ष से डरी सरकार ने 23 सांसदों को किया निलंबित: राहुल गांधी