Chhapra: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर छपरा जंक्शन से भटनी के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेन संख्या-55115 की कमान रविवार को महिला रेलकर्मी संभालेंगी. इसी क्रम में पूर्वोत्तर रेलवे के इस ट्रेन में लोको पायलट, गार्ड, टिकट चेकिंग स्टाफ तथा सुरक्षाकर्मी के रूप में केवल महिलाएं ही रहेंगी.महिला रेल कर्मियों के द्वारा संचालित ट्रेन को मंडल रेल प्रबंधक विजय कुमार पंजियार रवाना करेंगे. यह गाड़ी छपरा जंक्शन से प्रतिदिन प्रातः 7:35 बजे प्रस्थान कर 11:50 बजे भटनी जं पहुंचती है. इसको लेकर रेलवे प्रशासन के द्वारा तैयारी कर ली गई है.

इस ट्रेन के सिनियर सहायक लोको पायलट के रूप में श्वेता यादव, गार्ड सोनाली कुमारी, चेकिंग स्टाफ के रूप में टीटीई ममता कुमारी, प्रतिमा कुमारी, निशा कुमारी तथा सुरक्षाकर्मी के रूप में आरपीएफ के सहायक उप निरीक्षक अर्चना उपाध्याय, हेड कांस्टेबल बिंदु, कांस्टेबल बिन्नू तथा सुमन एवं गरिमा शामिल रहेंगी.सम्पूर्ण भारतीय रेलवे पर 1 मार्च से 10 मार्च 2020 तक अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अभियान चलाया जा रहा है. इस क्रम में पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल पर भी विभिन्न आयोजन किये जा रहे है.

Chhapra: सोशल सर्विस एक्सप्रेस की महिला इकाई “एंजल द हेल्पिंग हैण्ड्स” द्वारा महिला सशक्तिकरण के उदेश्यों के साथ “स्वस्थ बिटिया – सशक्त बिटिया ” अभियान के तहत किशोरावस्था मे होने हार्मोनल असंतुलन विषयक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन विभिन्न खेलो के बालिका वर्ग के खिलाड़ियों के साथ शहर के एक रेस्टोरेंट में किया गया.

कार्यक्रम की शुरुआत मंच पर उपस्थित शहर की चिकित्सिका डॉ किरण ओझा, किक बॉक्सिंग में अंतरराष्ट्रीय पदक प्राप्त करने वाली प्रियंका कुमारी, तीरंदाजी में सारण को गौरवान्वित करने वाली अंजली और संस्था की अध्यक्षा शालिनी अग्रवाल ने संयुक्त रूप से किया गया.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंजली ने बताया कि माहवारी के दिनों में खेल पर एकाग्रता करना मुश्किल होता है ऐसे कार्यक्रम से खिलाड़ियों को बहुत मदद मिलेगा. किक बॉक्सिंग में अंतरराष्ट्रीय पदक जीतने वाली प्रियंका ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हमें स्वस्थ बिटिया सशक्त बिटिया का संकल्प लेना चाहिए.

खेल के समय में ऐसे कार्यक्रम में दिए गए टिप्स काफी काम आएंगे उन्होंने संस्था को ऐसे कार्यक्रम के आयोजन के लिए धन्यवाद. विभिन्न खेलों के संघ के कई पदाधिकारी मौजूद थे.

महीने के खास दिनों में खुद का ख्याल रखें ,खेल के प्रदर्शन पर नही होगा असर: डॉ किरण ओझा

कार्यक्रम में मुख्य रूप से माहवारी स्वच्छता पर जानकारी देते हुए शहर की चिकित्सिका डॉ किरण ओझा ने कहा कि खेल के दौरान आपके प्रदर्शन पर कोई असर नही पड़ेगा अगर आप महीने के उन खास दिनों में खुद का ख्याल रखे. माहवारी के समय मे खुद को और मजबूती से खेल के लिए तैयार रखने की जरूरत है. विदित हो कि संस्था माहवारी स्वच्छता के लिए ही ऐंजल पैड बैंक के माध्यम से जरुरतमंदो को मुफ्त सेनेटरी पैड उपलब्ध कराती है. महिलाओं के स्वास्थ और सशक्तता ही स्वस्थ बिटिया सशक्त बिटिया अभियान की कोशिश है. खिलाड़ियो के बीच मुफ्त में सेनेटरी पैड के वितरण भी किया गया.

कार्यक्रम में मुख्य रूप से कबड्डी संघ के सचिव डॉ सुरेश प्रसाद सिंह, कोच पंकज कश्यप, कोच सूरज कुमार, प्रीति श्रीवास्तव ने योगदान दिया.

Sonpur: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सोनपुर रेलवे स्टेशन पर महिला रेल कर्मियों के सम्मान में उन्हें सोनपुर स्टेशन पर ट्रेनों का परिचालन का जिम्मा दिया गया. इस दौरान एक महिला ड्राइवर को मेमू ट्रेन भी चलायी. इसके अलावा आरआरआई कंट्रोल के साथ अन्य कंट्रोल का ज़िम्मा सोनपुर रेलवे स्टेशन पर महिलाओं को एक दिन के लिए सौंपा सौंपा गया. महिला कर्मियों जिम्मेदारी को मिलने के बाद अपने कार्यों का निर्वहन बखूबी किया. डीआरएम सोनपुर ने दी.

इस अवसर पर सोनपुर मंडल में कार्यरत कर्मचारियों के कक्षा नवम एवं दशम में अध्ययनरत छात्रा पुत्री को कुल 64 साइकिल का वितरण मंडल रेल प्रबंधक अतुल्य सिन्हा द्वारा किया गया. 

Chhapra: अंतराष्ट्रीय दिवस के मौके पर द-एक्सपर्ट जोन द्वारा दी-फेमिनिटी अवार्ड -सारण की बेटी सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस समारोह में सारण जिले के लगभग प्रत्येक प्रखंडों से उन बेटियों का चयन किया गया था जो अपनी व्यक्तिगत जिंदगी के साथ साथ समाजिक कार्यों के प्रति सक्रिय हैं. इस दौरान सारण की बेटियों को सम्मानित किया गया. जिसमें अंकिता, फुलवंती देवी, रौशनी, रचना पर्वत, अनिशा, ममता, संध्या, अपराजिता, प्रियंका सिंह, प्रियंका कुमारी, रश्मी सिंह, शशी, पिंकी, सलोनी,राजश्री, मीना, नेहा और विभा श्रीवास्तव रहीं.

इस दौरान आर्ट गैलरी कला पंक्ति की टीम की प्रस्तुति ने एक बार फिर से अपनी कला का प्रदर्शन कर के लोगों का दिल जीतने में आगे रही. कलापंक्ति के सभी बच्चियों को मुख्य अतिथि द्वारा मेडल पहनाकर सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का मंच संचालन राईटर अड्डा के सुप्रीत शरण ने किया और कार्यक्रम के सफल होने के बाद दी-एक्सपर्ट जोन की संरक्षीका डॉ प्रियंका शाही ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि दी-एक्सपर्ट जोन पूरी तरह से बेटियों के लिए समर्पित है और समय समय पर इस तरह के आयोजन करते रहेगी, इससे
बेटियों का मनोबल और बढ़ेगा और दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी.

इस से पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत द्वीप जलाकर एवं पुलवामा में शहीद 40 जवानों को याद करके किया गया. आज के इस समारोह के मुख्य अतिथि बॉलीवुड एक्टर सह डायरेक्टर सत्यकाम आनंद थे. साथ ही साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में पटना की टीम शिक्षा पे चर्चा के सिनियर मेंटर्स दिनेश कुमार, प्राईवेट स्कूल एसोशियसन की अध्यक्ष सीमा सिंह मौजूद थी. 

Chhapra: तमाम कठिनाइयों और चुनौतियों को झेलकर महिलाएं आज समाज में मिशाल पेश कर रही है. महिलाएं अपनी कार्यों के बदौलत खुद को साबित कर रही है. जिससे महिला सशक्तिकरण को बल मिल रहा है और पुरुष प्रधान समाज को एक सीख.

महिला दिवस पर हम आज आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे है जो ना सिर्फ अपने बच्चे बल्कि उसके जैसे तमाम बच्चों के लिए आशा की किरण साबित हो रही है. हम बात कर रहे है शहर के रतनपुरा मुहल्ले में रहने वाली मुन्नी भारती की.

मुन्नी मूक बधिर बच्चों के लिए विद्यालय चलाती है. यह विद्यालय मूक बधिरों को बिल्कुल निःशुल्क शिक्षा देता है. जिससे इन बच्चों के जीवन को एक नई रौशनी मिल रही है.

विद्यालय में पढ़ते मूक बधिर बच्चे

मुन्नी भारती बताती है कि वर्ष 1982 में उनका दूसरा पुत्र मूक बधिर पैदा हुआ. समय के साथ सभी को इस बात की जानकारी हुई. इलाज के लिए कई जगह दिखने के बाद भी कोई फायदा नही हुआ. उन्होंने उसे पटना में मूक बधिर विद्यालय में दाखिला दिलाकर पढ़ाया. अपने पुत्र से इशारों में बातचीत करते करते उन्होंने भी मूक बधिरों बच्चे से बातचीत करना सीख लिया.

उन्होंने बताया कि 2004 में स्कूल की स्थापना कर आसपास के मूक बधिर बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना शुरू किया. उनका पुत्र जब बड़ा हुआ तो दोनों ने मिलकर स्कूल में पढ़ाना शुरू किया. स्कूल उनके लिए जिन बच्चों को समाज में मूक बधिर होने के कारण शिक्षा नही मिल पाती. इस विद्यालय से अबतक पांच दर्जन मूक बधिर बच्चे निःशुल्क शिक्षा ग्रहण कर चुके है. फिलहाल 10 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है.

समाज और मूक बधिर बच्चों को एक नई आशा देने वाली मुन्नी भारती बताती है कि उनके पति बिजली विभाग में कार्यरत थे जिससे जो पैसा आता स्कूल उससे चलता आया है. अब उनके पति रिटायर्ड हो गए है. विद्यालय को चलाने के लिए कोई सहायता नही मिल रही है. अगर सरकारी सहायता मिलती तो मूक बधिर बच्चों के लिए और भी बेहतर किया जा सकता है. बावजूद इसके अपने हौसले और मूक बधिर बच्चों को पढ़ाने के लिए वे आज भी तत्पर है.

उन्होंने बताया कि सरकार स्किल डेवलपमेंट की योजनाएं चला रही है अगर इन बच्चों के भी स्किल को डेवेलोप किया जाए तो यह समाज के अन्य बच्चों के जैसे सक्षम होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकते है. पढ़ने के बाद नौकरी का ना मिलना बड़ी समस्या है. इसके लिए जरूरी है कि इनके स्किल को डेवेलोप कर खुद का व्यवसाय शुरू करने को प्रेरित किया जाय.

मुन्नी बताती है कि मूक बधिर बच्चे अपनी बातें दूसरों से कह नही पाते. इसलिए जरूरी है कि उन्हें शिक्षित किया जाए ताकि इशारों में ही वे अपनी बातें लोगों से कह पाए.

आज कई ऐसी महिलाएं है जो अपने कार्यों के बदौलत अपने को साबित कर रही है. सीमित संसाधनों में इनके जैसी महिलाएं सशक्तिकरण की मिशाल है. समाज को इनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की जरुरत है.

Chhapra (Swati): महिलाओं के सम्मान में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. हमारा देश महिला सशक्तिकरण के रास्ते पर बहुत आगे बढ़ा है. पहले की तुलना में आज की महिलाएं ज्यादा शिक्षित है और ऐसी महिलाएं जिन्हें शिक्षा नहीं मिल पा रही है उन्हें शिक्षित करने को कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. एक तरफ जहां पहले लड़कियों को घर से निकलने तक नहीं दिया जाता था, वहीं आज बिहार में लड़कियों को पीजी तक की शिक्षा मुक्त कर दी गई है. पहले की तुलना में आज की लड़कियां स्वतंत्र होकर नौकरी कर रही है. अपनी जिंदगी को खुल के जी रही हैं.

महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे शहर छपरा में भी देखने को मिलता है जहां जिला परिषद अध्यक्ष के रूप में मीना अरुण ने कार्यभार संभाल समाज के सामने एक मिशाल पेश की है. तो वहीं प्रिया सिंह छपरा नगर निगम की महापौर के रूप में निर्वाचित होकर महिलाओं का सम्मान और बढ़ाया है. यही नहीं छपरा नगर निगम की उपमहापौर भी एक महिला है. जिस तरह ये महिलाएं समाज के विकास में अपना अहम योगदान दे रही है वह काबिल ए तारीफ़ है.

किसी ने ठीक ही कहा है कि किसी भी देश का विकास तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक की उस देश की महिला का विकास न हो. शुरू से ही हमारे यहां की महिलाएं जिस तरह समाज के विकास में अपनी भागीदारी निभा रही हैं. फिर भी उन्हें उस सम्मान से वंचित होना पड़ता है जो उन्हें चाहिए होता है. एक तरफ हम कहते हैं कि दहेज लेना और देना दोनों अपराध है. वहीं दूसरी तब हमारी सरकार को ऐसे कुरीतियों को रोकने के लिए मानव श्रृंखला बनानी पड़ रही है. एक तरफ हम कहते हैं कि लड़कियों को देवी का रुप होती है. वहीं दूसरी तरफ घरेलू हिंसा रोकने के लिए कानून बनाना पड़ता है.

आज समाज में महिला सशक्तिकरण की बात होती है, महिलाएं आज भी अपने अधिकार के लिए जूझ रही है. लड़कियों पर अत्याचार किये जाते हैं और समाज मूकदर्शक बना रहता है.

आजादी के इतने साल बाद भी महिलाओं की स्थिति में जितने सुधार की जरूरत थी अभी वो सुधार नहीं हुआ है. जरुरत है समाज को अपनी सोच में बदलाव लाने की महिलाओं को आजादी से जीने देने की.

{यह लेखिका के निजी विचार है}   

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छपरा: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सैंड आर्ट कलाकार अशोक कुमार ने अपनी अभिव्यक्ति को रेत पर उकेरा.

एक तरफ महिला को जहाँ शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा को दिखाया गया है वही दूसरी तरफ स्त्री को मजबूर और बेबस दिखाया गया.

एक ही रूप के दो प्रतिरूप को व्यक्त करते हुए कलाकार अशोक कुमार ने महिलाओं का आदर करने की अपील की हैं.