Chhapra (Swati): महिलाओं के सम्मान में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. हमारा देश महिला सशक्तिकरण के रास्ते पर बहुत आगे बढ़ा है. पहले की तुलना में आज की महिलाएं ज्यादा शिक्षित है और ऐसी महिलाएं जिन्हें शिक्षा नहीं मिल पा रही है उन्हें शिक्षित करने को कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. एक तरफ जहां पहले लड़कियों को घर से निकलने तक नहीं दिया जाता था, वहीं आज बिहार में लड़कियों को पीजी तक की शिक्षा मुक्त कर दी गई है. पहले की तुलना में आज की लड़कियां स्वतंत्र होकर नौकरी कर रही है. अपनी जिंदगी को खुल के जी रही हैं.
महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण हमारे शहर छपरा में भी देखने को मिलता है जहां जिला परिषद अध्यक्ष के रूप में मीना अरुण ने कार्यभार संभाल समाज के सामने एक मिशाल पेश की है. तो वहीं प्रिया सिंह छपरा नगर निगम की महापौर के रूप में निर्वाचित होकर महिलाओं का सम्मान और बढ़ाया है. यही नहीं छपरा नगर निगम की उपमहापौर भी एक महिला है. जिस तरह ये महिलाएं समाज के विकास में अपना अहम योगदान दे रही है वह काबिल ए तारीफ़ है.
किसी ने ठीक ही कहा है कि किसी भी देश का विकास तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक की उस देश की महिला का विकास न हो. शुरू से ही हमारे यहां की महिलाएं जिस तरह समाज के विकास में अपनी भागीदारी निभा रही हैं. फिर भी उन्हें उस सम्मान से वंचित होना पड़ता है जो उन्हें चाहिए होता है. एक तरफ हम कहते हैं कि दहेज लेना और देना दोनों अपराध है. वहीं दूसरी तब हमारी सरकार को ऐसे कुरीतियों को रोकने के लिए मानव श्रृंखला बनानी पड़ रही है. एक तरफ हम कहते हैं कि लड़कियों को देवी का रुप होती है. वहीं दूसरी तरफ घरेलू हिंसा रोकने के लिए कानून बनाना पड़ता है.
आज समाज में महिला सशक्तिकरण की बात होती है, महिलाएं आज भी अपने अधिकार के लिए जूझ रही है. लड़कियों पर अत्याचार किये जाते हैं और समाज मूकदर्शक बना रहता है.
आजादी के इतने साल बाद भी महिलाओं की स्थिति में जितने सुधार की जरूरत थी अभी वो सुधार नहीं हुआ है. जरुरत है समाज को अपनी सोच में बदलाव लाने की महिलाओं को आजादी से जीने देने की.
{यह लेखिका के निजी विचार है}
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